04/04/2021
सिस्टम!
लोग अक्सर सिस्टम को गाली देते मिल जाएंगे, पर सिस्टम को समझने की कोशिश कुछ ही लोग करते हैं, जो इसे समझ जाते हैं वो गाली देना छोड़ देते हैं, और आम लोगों से एक कदम आगे निकल जाते हैं।
अब बात करते हैं गाली देने वालो की , ये वो लोग हैं जो दिहाड़ी मज़दूरी करते हैं (इनमें कुछ लोग मोटी सेलरी पाने वाले भी हो सकते हैं) इन्हें सिस्टम से कोई लेना-देना नहीं है, इन्हें दिहाड़ी करके पेसे कमाने हैं अपने बच्चों को पालना है उनकी जरूरतें पूरी करनी है, आराम की जिंदगी जीना इनका सपना है, पर जब भी इनके साथ कोई घटना घटती है ये रोने लग जाते हैं और कहते हैं मेरे साथ ही एसा क्यों हुआ, मानो जेसे ये घटना इस सृष्टि में पहली बार इन्हीं के साथ घटी हो, अब मान लो घटना पुलिस से संबंधित है, तो कहेंगे पुलिस पेसे खाई बेठि है हमारी सुन नहीं रही और पुलिस को गालियाँ देना शुरू कर देते हैं, मान लो उनकी सिफारिश निकल आई तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं, वो उसकी जय जय कार करते नहीं थकेंगे, अगर नहीं निकलती तो उनके पास एक ही रास्ता बचा है, गाली देना।
एसे लोगों की राजनीतिक समझ 0 होती है, उन्हें समाज में घटित किसी घटना से कोई लेना-देना नहीं होता, हाँ सामाजिक दिखावा वो बढ़ चढ़ कर करते हैं।
एक घटनाक्रम!
कितने लोग हैं जो ट्रैफ़िक पुलिस को देखते ही इधर-उधर से निकल जाते हैं अगर वो नहीं दिखी और पकड़े गए, तो कितने लोग हैं सीधा चालान कटवा लेते हैं, मेरे ख्याल से नाममात्र ही होंगे, आप अपना अनुभव भी याद कर सकते हैं, शायद ही आपके मित्र ने आपसे आकर कहा हो की पुलिस वाले खड़े थे मेरी एक ग़लती के कारण मेरा चालान कट गया, बल्कि वो ये बात उत्साह के साथ जरूर कहते मिल जाएंगे कि उनके एक फोन के कारण उनका चालान होने से बचा गया, कितने लोग कानूनो का पालन करते मिलेंगे, नाम भर।
और फ़िर सिस्टम से सिस्टम के ठीक होने की उम्मीद लगाते हो, जब तुम ही नियमो का पालन नहीं करोगे तो सिस्टम क्या ख़ाक पालन करेगा
सिस्टम को गाली देना खुद को गाली देने के बराबर है,पहले अपने अंदर के सिस्टम को ठीक करो, सिस्टम ख़ुद ब ख़ुद ठीक हो जाएगा।
पावेल कुमार!!