भोजपुरी साहित्य सरिता

भोजपुरी साहित्य सरिता It Describes language,Life style & Culture. भोजपुरी मासिक पत्रिका
(8)

11/10/2024

हमार बबुआ

11/10/2024

09/10/2024

सुनल जाव

हमार बबुआ------------हाथी पर बइठे ला सायकिल टोवता हमार बबुआ, हो हमार बबुआसमाजवाद ढोवता, हमार बबुआ। मोका रहल खूब मउज उड़वल...
08/10/2024

हमार बबुआ
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हाथी पर बइठे ला सायकिल टोवता
हमार बबुआ, हो हमार बबुआ
समाजवाद ढोवता, हमार बबुआ।

मोका रहल खूब मउज उड़वलस
इहाँ बोलाई उहाँ सभके नचवलस
ओही दिनवा खातिर घुमि घूम रोवता ।
हमार बबुआ, हो हमार बबुआ
समाजवाद ढोवता, हमार बबुआ॥

बीतल बरीस दस सरधा न पुराइल
कुरसी कलपब्रिच्छ अबले ना भेंटाइल
जाति धरम के अब्बो पोवना पोवता।
हमार बबुआ, हो हमार बबुआ
समाजवाद ढोवता, हमार बबुआ॥

सोझा धकियवला त काहें ना बुझाइल
तहरे मकड़जाल देखाला अझुराइल
कथनी आ करनी के बेर बेर गोवता।
हमार बबुआ, हो हमार बबुआ
समाजवाद ढोवता, हमार बबुआ॥

टोटी उखरला पर करिखा पोताइल
उहे करिखवा अबो ले ना धोवाइल
अलग अलग साबुन से हर बेर धोवता।
हमार बबुआ, हो हमार बबुआ
समाजवाद ढोवता, हमार बबुआ॥

• जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
08/10/2024

अमेजन पर उपलब्ध बा -
03/08/2024

अमेजन पर उपलब्ध बा -

जयशंकर प्रसाद द्विवेदी जी एगो स्वप्नदर्शी कवि हईं बाकिर हवा में उड़े वाला ना । साँच के उर्वर माटी पर ठाढ़ हो के भाव के...

असों एगो आपन गीत संग्रह (दियरिया जरत रहे )
04/07/2024

असों एगो आपन गीत संग्रह
(दियरिया जरत रहे )

10/05/2024
परसुराम जी क सुमिरन ----------------------जमदग्नि सुत के सजी दरबार सखियापरसुराम जी के फिरो पुकार सखिया ॥ श्रेष्ठ रिसिन म...
10/05/2024

परसुराम जी क सुमिरन
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जमदग्नि सुत के सजी दरबार सखिया
परसुराम जी के फिरो पुकार सखिया ॥

श्रेष्ठ रिसिन मे बाटे जेकर किरितिया
बाबू के खातिर जेकर चर्चित पिरितिया
उनका हिया के अँगना मे उतार सखिया ॥

कन्हिया सोहे जेकरे तिरिया धनुहिया
हाथे फरुहा पुरहर शास्त्रन के रहिया
उनका पउवाँ के लोर से पखार सखिया ॥

मही बिहीन अरि से कइने धरतिया
लौटि फेरु आईं बाबा धूमिल थतिया
अहो हर बेरी उनही के निहार सखिया ॥

• जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

कविताएं :-
28/04/2024

कविताएं :-

युवा कवि गोलेन्द्र पटेल की छह कविताएँ :- 1). *मेरा दुःख मेरा दीपक है* _____________________________________________ जब मैं अपनी माँ के गर्...

फागुन के गोइयाँ, बसंत अगुवानी में
03/03/2024

फागुन के गोइयाँ, बसंत अगुवानी में

भोजपुरी साहित्य सरिता , कुछ माई भाखा ( मातृभाषा ) के जुनूनी लोगन भोजपुरी भाषा के प्रचार प्रसार साहित्यिक विकास खाति ...

अनघा आभार सँझवाती  भोजपुरी पत्रिका के  संपादक मण्डल के !!
24/02/2024

अनघा आभार सँझवाती भोजपुरी पत्रिका के संपादक मण्डल के !!

7 जनवरी के अपील, 8 जनवरी के विदाई .. हाय रे ...
09/01/2024

7 जनवरी के अपील, 8 जनवरी के विदाई ..
हाय रे ...

भोजपुरी साहित्य सरिता  के नवंबर-दिसंबर 2023 अंक पत्रिका डाउन लोड  लिंकhttps://www.bhojpurisahityasarita.com/wp-content/u...
29/12/2023

भोजपुरी साहित्य सरिता के नवंबर-दिसंबर 2023 अंक

पत्रिका डाउन लोड लिंक
https://www.bhojpurisahityasarita.com/wp-content/uploads/2023/12/Dec-2023.pdf

मने असहीं-   भोजपुरी भाषा क साहित्यिक मासिक पत्रिका 'भोजपुरी साहित्य सरिता' के प्रकाशन अप्रैल-2017 में शुरू भइल।ई पत्रिक...
06/10/2023

मने असहीं-
भोजपुरी भाषा क साहित्यिक मासिक पत्रिका 'भोजपुरी साहित्य सरिता' के प्रकाशन अप्रैल-2017 में शुरू भइल।ई पत्रिका अबले अपना जतरा के 6 बरीस सफलता का संगे पूरा क चुकल बाटे। सतवें बरीस में पत्रिका के अबले 4 अंक आ चुकल बा। सात गो विशेषांकन का संगे अबले 76 अंक के प्रकाशन हो चुकल बा।

भोजपुरी साहित्य सरिता परिवार का ओर से जनम दिन के अनघा बधाई आ शुभकामना !!
30/01/2023

भोजपुरी साहित्य सरिता परिवार का ओर से जनम दिन के अनघा बधाई आ शुभकामना !!

18/09/2022

आगामी नवंबर माह में 'कुशीनारा साहित्य उत्सव' होने जा रहा है। उसी के उद्देश्य से यह पेज बनाया गया है। कृपया पेज को लाइक व फॉलो करें -
https://www.facebook.com/profile.php?id=100076010687230

साहित्य, कला और संस्कृति आधारित कार्य�

18/08/2022
26/07/2022

सुनी सभे एगो कजरी (एकदम से अलग अंदाज )-
स्वर- डॉ दुर्गेश उपाध्याय
गीतकार - जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
कजरी
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भर सावन मोहे तरसवला
हो बदरु कहवाँ भुलइला ना।
कवना सउतिन में अझुरइला
हो बदरु कहवाँ भुलइला ना।
https://www.youtube.com/watch?v=YWT6R_uSnk8

'बावला' के सौवीं जयंती पर 'गीत मंजरी' के विमोचन https://www.bhojpurisahityasarita.com/618/
02/06/2022

'बावला' के सौवीं जयंती पर 'गीत मंजरी' के विमोचन https://www.bhojpurisahityasarita.com/618/

‘बावला’ के सौवीं जयंती पर ‘गीत मंजरी’ के विमोचन June 2, 2022 admin विश्व भोजपुरी सम्मेलन, गाजियाबाद इकाई आ सर्वभाषा ट्रस्ट क.....

उचरत हरिनंदी के पीर -----------------------अहम् के आन्हर सोवारथ में सउनाइल------------------------------------------  का...
18/12/2021

उचरत हरिनंदी के पीर
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अहम् के आन्हर सोवारथ में सउनाइल
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का जमाना आ गयो भाया, आन्हरन के जनसंख्या में बढ़न्ति त सुरसा लेखा हो रहल बा। लइकइयाँ में सुनले रहनी कि सावन के आन्हर होलें आ आन्हर होते ओहन के कुल्हि हरियरे हरियर लउके लागेला। मने वर्णांधता के सिकार हो जालें सन। बुझता कुछ-कुछ ओइसने अहम् के आन्हरनो के होला।सावन के आन्हर अउर अहम् के आन्हरन में एगो लमहर अंतर होला। अहम् के आन्हरन के खाली अपने सूझेला, आपन छोड़ि कुछ अउर ना सूझेला। ई बूझीं कि अहम् के आन्हर अगर सोवारथ में सउनाइल होखे त ओकर हाल ढेर बाउर हो जाला। ओकर सोचे-समुझे के अकिल बिला जाले। मतिए मरा जाले।अइसन आन्हरन खाति केहु आ कतनों नीमन काज कइले होखे भा ओहनी ला आपन करेजों काढ़ि के दे दिहले होखे,उनुका कतनों मान-सनमान कइले होखे, उनुका रसूख ला हरमेसा ठाढ़ रहल होखे, तबो अहम् में आन्हर लो मोका पवते ओहू बेकती के इजत बिगारे में अझुराइए जालन। अहम् में आन्हर लो अपना के सभे ले लमहर विदवान बुझेला लो। ई त सभे पता होला कि अहम् में आन्हर लो के लगे आपन कतना अउर का-का बा। भर जिनगी अहम् में आन्हर लो एने-ओने ताक-झाँक क के भा कुछ जोगाड़-सोगाड़ से जवन किछु जुटावेला, ओहके एह श्रीष्टि के सबसे उत्तम मानेला। भलहीं ओकर कीमत दुअन्नीओ भर के ना होखे।
साहित्यो में अहम् में आन्हर लो के तादात कम नइखे। इहवों अइसनका लो अपना संगे चमचा बेलचा, चेला-चपाटी आ भकचोन्हरन के गोल बना के रहेला। ओहनी के गोल के अइसनका लो एकके इसारा पर लिहो-लिहो करे में लागि जाला। कवनों भल मनई जे आपन जिनगी साहित्य के सुसुरखा में लगा देले होखे, अपना लेखनी का संगही तन-मन-धन से साहित्य के समरिध करे में कवनों कोर-कसर न छोड़ले होखे, ओहुओ के इजत पर रइता फइलावे बेरा अहम् में आन्हर लो बेसरम हो जाला। कुइयाँ के बेंग लेखा अपना के शक्तिमान बुझे वाला एह लो का लगे आपन जमा का होला, ई सभे के जाने के चाही। दोसरा के लिखल पुरान साहित्य के अनुवाद उहो गूगल बाबा से पूछ-पाछ के, दोसरा के लिखलका में थोड़-बहुत हेर-फेर क के, दोसरा के लिखलका पर आपन नाँव चेंप के जवन हासिल होला, उहे एह लोग के मौलिक होला। अइसनका लो दोसरा के लिखलका बांचत बेरा जरिको ना लजाला । ओहिके नगाड़ा पीटत ई लोग डोलत रहेला आ अपना के ओह भाषा-साहित्य के पुरोधा बतावे में जीव-जाँगर से जुटि जाला। उनुका एह काम में उनुकर चमचा-बेलचा, चेला-चपाटी आ कुल्हि भकचोन्हर लागल देखालें। जरतुहाई अइसन लो के नस-नस में हिलोरा मारत रहेला। मोका लगते अपना मुखौटा चमकावे में कवनों स्तर तक चहुंप जाला लो ।
ई प्रजाति अजबे किसिम के होले। एह प्रजाति का चलते उनुका हाँ में हाँ मिलावे वाला उनकरे लेखा लोगन के कुछो अक-बक करे के मोका भेंटात रहेला। अहम् में आन्हर लो के सार्थक आ समरिध काम लउकबे ना करेला। अपने गुन गावे आ अपने पीठ थपथपावे में अइसन लो के समय बीतत रहेला। मने 'सभले बेसी सभे कुछ चाही' के मंतर के जाप आठो पहर कइल इहाँ सभन के सोभाव में भेंटाला।
मनराखन पांड़े आ भुंअरी काकी के अइसनके लोगन के धाह लाग गइल बाटे। उहो लो आ उनुका चमचा-बेलचा लो आंउज-गाँउज बोल-बाल रहल बा। मनराखन त अतना कुछ बोल रहल बाड़ें कि उनुका मनई होखलो पर कुछ लो सवाल उठा रहल बा। एगो खास तरह के बेरा में मनराखन के बोल आ करतूत दूनों देखे जोग होले। सुने में आवता कि उहे वाली बेरा नगिचा रहल बा। हाथी आ टोंटिओ बकलोलई में ढंग से अझुरा गइल बानी। एने-ओने कुछ चिरई-चुरमुन अपने चकर-चकर में लागल बाड़ें। मने एह घरी बकलोलई के बोलबाला बा। सभे एह घरी अपने के कुछ खास देखावे में लागल बा। अहम् में अन्हरन के त बागे नइखे मिलत। अइसन कुछ देख-सुन के कुछ लो मुस्कियो मार रहल बा। अब देखीं, रउवो सभे के मुस्कियाये के मन हो रहल होखे, त मन के मति मारीं। जी भर के मुसकियाईं। अब हमरा चले के बेरा हो गइल बा, फेर हलिये भेंट होखी।

जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
संपादक
भोजपुरी साहित्य सरिता

https://bhojpurissarita.blogspot.com/2021/12/blog-post_17.html

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* सुपरिचित लोक गायिका व कवयित्री इंदुबाला शंकर  की सुमधुर भोजपुरी गीत प्रस्तुति *~लेखन विधा- ग़ज़ल,गीत,आलेख,समीक्षा ,कवि...
21/11/2021

* सुपरिचित लोक गायिका व कवयित्री इंदुबाला शंकर की सुमधुर भोजपुरी गीत प्रस्तुति *

~लेखन विधा- ग़ज़ल,गीत,आलेख,समीक्षा ,कविता एवं कहानी।
~रचना भाषा-हिंदी,भोजपुरी।
~विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में कविताओं का प्रकाशन,गोष्ठियों में कविता पाठ,ऑनलाइन विभिन्न साहित्यिक मंचों पर पाठ।
~अमर उजाला काव्य कैफे पर लाइव रचनात्मक प्रस्तुति।
~दस्तक साहित्यिक मंच के लिए गायन इत्यादि।
~हाल ही में साझा संकलन खिल गया जवा कुसुम में कविताएं प्रकाशित।
_________________
~ स्वर -इंदुबाला शंकर
रचना -पारंपरिक
संगीत संयोजन - शंभु शरण श्रीवास्तव
रिकॉर्डिंग एडिटिंग- विजय एस

संपर्क..9999004708
मेल आईडी- ibprageet .com

https://youtu.be/_RQDfrcqnn0

~लेखन विधा- ग़ज़ल,गीत,आलेख,समीक्षा ,कविता एवं कहानी।~रचना भाषा-हिंदी,भोजपुरी।~विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में कविताओं .....

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