Dhamma is Rashtriya Dharma

Dhamma is Rashtriya Dharma Following to Indian constitution and respect to national simbal, flag, Dhamma chakkar etc.

*सर्वश्रेष्ट कौन?**ब्राह्मणवाद ↔️बुद्धवाद**मनुवाद↔️आंबेडकरवाद**तुलनात्मक अध्ययन*👉 1000 आस्तिक (हिन्दू) = 1-ब्राह्मण👉 100...
23/10/2024

*सर्वश्रेष्ट कौन?*

*ब्राह्मणवाद ↔️बुद्धवाद*
*मनुवाद↔️आंबेडकरवाद*
*तुलनात्मक अध्ययन*
👉 1000 आस्तिक (हिन्दू) = 1-ब्राह्मण
👉 1000 ब्राह्मण =एक पंडित
👉 1000 पंडित =1नास्तिक
👉 1000 नास्तिक =1 तार्किक
👉 1000 तार्किक =1 वास्तविक
👉 1000 वास्तविक =1 आंबेडकरवादी
👉 1000 आंबेडकरवादी = 1 बुद्धिस्ट
👉 आंबेडकरवादी समाज का गुरु - बौद्धाचार्य
👉 बौद्ध समाज का गुरू - भिक्षु /भंते
👉 पूरी इंडिया =1 आंबेडकर
👉 पूरी दुनिया =1 तथागत गौतमबुद्ध
👉 बुद्ध क्या है?
👉 बुद्ध का अर्थ है बुद्धि या ज्ञान
बुद्ध का अर्थ जागृति मष्तिष्क
👉 बुद्ध कोई बाबा नहीं थे।
👉 बुद्ध कोई साधु संत नहीं थे।
👉 बुद्ध कोई महात्मा नहीं थे।
👉 बुद्ध कोई धार्मिक नहीं थे।
👉 बुद्ध कोई आस्तिक नहीं थे।
👉 बुद्ध कोई नास्तिक नहीं थे।
👉 बुद्ध वास्तविक थे।

*बुद्ध दुनिया के सर्व प्रथम और सर्वश्रेष्ट बैज्ञानिक थे।*
👉 बुद्ध ने क्या खोज किया था?
👉 बुद्ध ने मध्यम मार्ग का खोज किया था।
👉 मध्यम मार्ग क्या है?
👉 मध्यम मार्ग का अर्थ है बीच का मार्ग जो कि ज्यादा कठोर न हो और न ही ज्यादा छूट दे सही सामाजिक ज्ञान को ही मध्यम मार्ग कहते हैं।
👉 बुद्ध धर्म है या धम्म है?
बुद्ध एक सर्वश्रेष्ट विचारधारा है। धम्म पाली भाषा का शब्द है जिसे धर्म कहते हैं धम्म एक मार्ग है जिस पर चलकर सभी जीवित प्राणियों का भला होता है इसलिए बुद्ध हि दुनिया का शर्वश्रेषट मानव धर्म है।
👉 बुद्ध एक योग्यता है जैसे कि आप कि पढ़ लिख कर डाक्टर, इंजीनियर और वकील बन जाते हैं ठीक उसी प्रकार से ज्ञान और ध्यान की एक सीमा (जिसे पारमिता कहते हैं) पार करके आप बुद्ध बन सकते हैं
*बुद्ध कोई भी बन सकता है **
👉 धम्म क्या है??
धम्म का अर्थ है मार्ग जो मार्ग अच्छी दिशा की ओर ले जाता है और गलत दिशा से रोकता है
इस प्रकार से बुद्ध धम्म ही शर्वश्रेषट मानव धर्म है।
👉 सभी धर्मों और बुद्ध धम्म में क्या अंतर है?
👉 धर्म कहते हैं जो ग्रथों में लिखा हुआ है वहीं सत्य है उसे मानना जरूरी है जो धर्म ग्रंथों को नहीं मानता है धर्म बिरोधी है
👉 बुद्ध धम्म में हम सभी आजाद है अपने तर्क शक्ति का प्रयोग कर सकते हैं जो सभी के हित में वही मानेंगे।
👉 धर्म कहते हैं हमने जो कहा है उसे ही मानो
👉 बुद्ध ने कहा है कि पहले जानो फिर मानो
👉 धर्म नदियों के समान है
👉 बुद्ध धम्म समुद्र के समान है
👉 धर्मों में ऊंच नीच भेदभाव है
👉 बुद्ध धम्म में सभी मनुष्य एक समान इंसान बन जाते हैं ।
👉 धर्म अंधविश्वास और पाखंड पर आधारित है
👉 बुद्ध धम्म तर्क और बिज्ञान पर आधारित है।
👉 धर्म में परिवर्तन नहीं है
👉 बुद्ध धम्म का प्रतीक ही चक्र है जो कि समयानुसार अपनी जगह बदलता रहता है बुद्ध धम्म के अनुसार परिवर्तन जरूरी है।
👉 परिवर्तन प्रकृति का नियम है जो समय के साथ परिवर्तन नहीं करता खत्म हो जाता है।
रूके हुए पानी में भी कीड़े पड जाते हैं।
बहता हुआ पानी ही शुद्ध होता है।
👉 आज जरूरत है परिवर्तन करने की और दुनिया की शर्वश्रेषट विचारधारा अपनाकर चलने की जो है बुद्ध की विचारधारा इसलिए ही दुनिया के सर्वश्रेष्ट विद्वान शर्वश्रेषट शिक्षित और सबसे शक्तिशाली महापुरुष सिंबल आफ नालेज बोधिसत्व विश्व रत्न 💎 भारतीय संविधान के निर्माता भारत रत्न बाबा साहब डॉ आंबेडकर ने भी बुद्ध धम्म अपनाया और पूरी दुनिया को बुद्ध धम्म अपनाने की अपील किया है।

👉 जो लोग अब भी फालतू की बहस में समय नष्ट कर रहे हैं वे सवरणो द्वारा अपने पिटने या अपमानित होने का इंतजार कर रहे हैं जिसे समझ में आ रहा है वे जल्दी ही बुद्ध धम्म अपना रहे हैं।
बौद्ध बनो शर्वश्रेषट इंसान बनो ।
आपका मंगल हो।

🇮🇳☸️*राष्ट्रीय धर्म (धम्म)*🇮🇳☸️*"भारत" यह संवैधानिक नाम है । संविधान में India that is भारत" लिखा हुआ न कि हिंदुस्तान ।।...
18/09/2024

🇮🇳☸️*राष्ट्रीय धर्म (धम्म)*🇮🇳☸️
*"भारत" यह संवैधानिक नाम है । संविधान में India that is भारत" लिखा हुआ न कि हिंदुस्तान ।।*
प्राचीन भारत का सांस्कृतिक नाम था- #जम्बू द्वीप, #वानरंसा द्वीप, #कोया कोयतूर # #सिंगार द्वीप तथा #गोंडवाना लैण्ड ।

*प्राचीन भारत की बहुत ही समृद्ध और उच्च कोटी की सभ्यता थी, जिसे सिन्धुघाटी / द्रविड़ / River Valley सभ्यता के नाम से इतिहास में लिपिबद्ध है । इस सभ्यता के निर्माता भारत के मूलनिवासी थे जिनके वंशज आज भारत में SC/ST/OBC/ Minority के रूप में है।*
*समृद्ध गोंडवाना लैंण्ड को विदेशी आक्रमणकारियों ने नष्ट करके आज विश्व में सबसे पीछे ढकेल दिया हैं ?*

*भारत पर 12 बार विदेशी आक्रमण हुए :-*
1. यूरेशियायी आर्य ब्राह्मण
2. मीर काशीम 712 ईस्वी
3. महमूद गजनवी
4. मोहम्मद गोरी
5. चंगेज खान
6. कुतुबुद्दीन ऐबक
7. गुलाम वंश
8. तुगलक वंश
9. खिलजी वंश
10. लोदी वंश
11. मुगल वंश
12. अंग्रेज (British)

👉सबसे पहला विदेशी आक्रमणकारी आर्य ब्राह्मण यानि यूरेशियन ब्राह्मण थे । जिन्होंने (अर्थवा, रथाईस्ट, वास्तानिया) यहाँ आक्रमण कर साम-दाम-दंड-भेद की नीति अपना कर यहाँ की समृद्ध सभ्यता को छिन्न-भिन्न किया। अकूत संपत्ति को लूटने का काम किया देशी नरेशों से हजारों साल तक लड़ाई होती रही इसी लड़ाई को वेदों में सुर-असुर ; देव-दानव ; देवता-राक्षस के नामों से जाना जाता है। आर्य अपने को देवता / सुर तथा भारत के मूलनिवासी द्रविड़ों को असुर / राक्षस / निशाचर की संज्ञा देकर वेदों में Hero को Velion और Velion को Hero बनाया। वेदों के अनुसार यज्ञों में भारी संख्या में पशुबली, गौबली की परंपरा थी दुराचार, कुसंस्कार, अमानवीय परंपरा थी जो ब्राह्मणों की संस्कृति कही जाती है। ब्राह्मणधर्म और वेद की नीतियों से मूलनिवासी पूर्ण रूप से उब चुके थे।

☸️*तथागत बुद्ध की धम्मक्रांति एवं सम्राट अशोक*☸️
👉तथागत बुद्ध ने जब वेद और ब्राह्मणधर्म के विरोध में एक नया मानवतावादी मार्ग "धम्म" की स्थापना की तो लोग "बौद्धधम्म" अपनाने लगे। उस समय बड़े बड़े बौद्ध सम्राटों का उदय हुआ। अशोक से पहले ब्राह्मण हजारों गौवंश का कत्ल यज्ञ के नाम पर करते थे जो किसानो के लिए चिंता का विषय था। क्योंकि गोवंश का उपयोग किसान अपने कृषि कार्य में करते थे । पशु बलि की वजह से गौवंश की संख्या में कमी आ रही थी जिसे रोकने के लिए सम्राट अशोक ने अपने राज्य में पशु हत्या पर पाबन्दी लगा दी थी, जिसके कारण ब्राह्मणों की रोजगार योजना बंद हो गई थी । उसके बाद सम्राट अशोक ने शिकायत मिलने पर तीसरी धम्म संगति में 60,000 ब्राह्मणों को बौद्ध धम्म के भिखु संघ से निकाल बाहर निकाला था । ब्राह्मण 140 सालों तक ब्राह्मणों का पाखंडवाद नहीं चल पाने के कारण ब्राह्मणों की रोजीरोटी बन्द हो गई थी । उस वक़्त ब्राह्मण आर्थिक रूप से कमजोर हो गए थे ? ब्राह्मणों का वर्चस्व और उनकी असमानता पर आधारित गैर बराबरी की परंपरा "वर्णव्यवस्था" खत्म हो गई थी ।
*उसी समय ब्राह्मणों मौर्य सेना में घुसपैठ करके पुष्यमित्र शुंग नाम का ब्राह्मण सेनापति बनने में सफल हो गया और मौर्य वंश के 10 वें न्यायप्रिय सम्राट राजा बृहद्रथ मौर्य की धोखे से हत्या करके ईसा पूर्व 185 में खुद को मगध का राजा घोषित कर लिया था। और इस प्रकार छल कपट पूर्ण हिंसा से बौद्ध भारत में ब्राह्मणशाही की स्थापना पुष्यमित्र शुंग के द्वारा की गई । गद्दार पुश्यमित्र शुंग ने राजा बनने पर राजशक्ति के दम पर पाटलिपुत्र से स्यालकोट तक सभी बौद्ध विहारों को ध्वस्त करवा दिया व बौद्ध साहित्य को जला दिया था तथा अनेक बौद्ध भिक्षुओ का खुलेआम कत्लेआम किया था। पुष्यमित्र शुंग, बौद्धों व यहाँ की जनता पर बहुत अत्याचार करता था ।
👉उत्तर-पश्चिम क्षेत्र पर उस वक्त यूनानी राजा मिलिंद का अधिकार था। राजा मिलिंद बौद्ध धर्म के अनुयायी थे। जैसे ही राजा मिलिंद को पता चला कि पुष्यमित्र शुंग, बौद्धों पर अत्याचार कर रहा है तो उसने पाटलिपुत्र पर आक्रमण कर दिया। पाटलिपुत्र की जनता ने भी पुष्यमित्र शुंग के विरुद्ध विद्रोह खड़ा कर दिया, इसके बाद पुष्यमित्र शुंग जान बचाकर भागा और उज्जैनी में जैन धर्म के अनुयायियों की शरण ली।
👉जैसे ही इस घटना के बारे में कलिंग के राजा खारवेल को पता चला तो उसने अपनी स्वतंत्रता घोषित करके पाटलिपुत्र पर आक्रमण कर दिया। पाटलिपुत्र से यूनानी राजा मिलिंद को उत्तर पश्चिम की ओर धकेल दिया।
👉इसके बाद ब्राह्मण पुष्यमित्र शुंग को उसके दरबारी राज कवि वाल्मीकि ने राम के नाम से प्रचारित किया और अपने समर्थको के साथ मिलकर पाटलिपुत्र और श्यालकोट के मध्य क्षेत्र पर अधिकार किया और अपनी राजधानी उस समय की विश्व प्रसिद्ध बौद्ध नगरी साकेत को बनाया। पुष्यमित्र शुंग ने बाद में इसका नाम बदलकर अयोध्या कर दिया। अयोध्या अर्थात-बिना युद्ध के बनायीं गयी राजधानी ।
👉राजधानी बनाने के बाद पुष्यमित्र शुंग उर्फ राम ने घोषणा की कि जो भी व्यक्ति, बौद्ध भिक्षुओं का सर (सिर) काट कर लायेगा उसे 100 सोने की मुद्राएँ इनाम में दी जायेंगी। इस तरह सोने के सिक्कों के लालच में पूरे देश में बौद्ध भिक्षुओ का बड़े पैमाने पर कत्लेआम किया गया । राजधानी में बौद्ध भिक्षुओ के सर इनाम पाने के लिए आने लगे । इसके बाद कुछ चालाक व्यक्ति अपने लाये हुए सर को चुरा लेते थे और उस सर को दुबारा राजा को दिखाकर स्वर्ण मुद्राए प्राप्त करते थे। जब पुष्यमित्र शुंग को पता चला कि लोग ऐसा धोखा भी कर रहे है तो पुष्यमित्र शुंग ने एक बड़ा पत्थर रखवाया और लाये हुए बौद्ध भिक्षु के सर को उस पत्थर पर मरवाकर उसका सर का चेहरा बिगाड़ देता था । इसके बाद सर को घाघरा नदी में फेंकवा देता था। राजधानी अयोध्या में बौद्ध भिक्षुओ के इतने सर आ गये कि कटे हुये सरों से नदी पूर्णतः पट गयी और उसका नाम सरयुक्त अर्थात वर्तमान में अपभ्रंश होकर "सरयू" हो गया।
👉पुष्यमित्र शुंग के दरबार में राजकवि वाल्मीकि नाम का ब्राह्मण था जिसने "रामायण" लिखी थी। जिसमें राम के रूप में पुष्यमित्र शुंग को और "रावण" के रूप में मौर्य सम्राटों का वर्णन करते हुए उसकी राजधानी अयोध्या का गुणगान किया था और राजा से बहुत अधिक पुरस्कार पाया था। इतना ही नहीं, इसी काल मे वाल्मीकि रामायण, महाभारत, पुराण और स्मृतियों आदि काल्पनिक ब्राह्मण धर्मग्रन्थों की रचना की गई ।
👉बौद्ध भिक्षुओं के कत्लेआम के कारण सारे बौद्ध विहार खाली हो गए, तब आर्य ब्राह्मणों ने सोचा कि इन बौद्ध विहारों का क्या करें कि आने वाली पीढ़ियों को कभी पता ही नहीं लगे कि इतिहास में क्या हुआ था ?
तब उन्होंने इन सब बौद्ध विहारों को मन्दिरो में बदल दिया और इसमे अपने पूर्वजो व काल्पनिक पात्रों, देवी देवताओं को वहां पहले से ही स्थापित बौद्ध मूर्तियो को भगवान बताकर स्थापित कर दिया और पूजा पाखण्ड के नाम पर यह मंदिर रूपी दुकानें खोल दी गई ।
👉साथियों, इसके बाद ब्राह्मणों ने मूलनिवासियो (बौद्ध धम्मियो) को बौद्ध विहारों से convert किये गये मन्दिरों मे प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगा दिया ताकि वे इस घटना को याद न रख पाये और इतना ही नहीं बौद्ध धम्मियों को कमजोर करने के लिए राजसत्ता की ताकत से वर्ण-व्यवस्था का convertion जाति व्यवस्था में कर दिया गया । जाति व्यवस्था का निर्माण कर भारत के मूलनिवासियों को 6000 जातियों में विभाजित कर दिया । और क्रमिक असमानता, ऊँच-नीच , गैरबराबरी, छुआछूत जैसी बनावटी जातिव्यवस्था का निर्माण किया तथा इस जातिव्यवस्था को ब्राह्मणों ने ईश्वर निर्मित बता कर प्रचारित किया ताकि इसे थोपने पर मूलनिवासी (बौद्ध) सहजता से स्वीकार कर लें । ब्राह्मणों ने मूलनिवासियों को इतने छोटे-छोटे हजारों जातियों के टुकड़ो में बाँटा ताकि मूलनिवासी संगठित होकर ब्राह्मणों से फिर कभी विद्रोह न कर सकें, उनसे युद्ध न कर सके और ब्राह्मणों पर फिर से विजय प्राप्त न कर सके।

ध्यान रहे उक्त बृहद्रथ मौर्य की हत्या से पूर्व भारत में मन्दिर शब्द ही नही था, ना ही इस तरह की कोई संस्कृति थी वर्तमान में ब्राह्मण धर्म में पत्थर पर मारकर नारियल फोड़ने की जो परंपरा है ये परम्परा पुष्यमित्र शुंग के बौद्ध भिक्षु के सर को पत्थर पर मारने का प्रतीक है।

👉पेरियार रामास्वामी नायकर ने True Ramayan यानी " सच्ची रामायण" नामक पुस्तक लिखी जिसका उत्तर प्रदेश के पेरियार ललई सिंह यादव ने हिन्दी में अनुवाद किया । जिस पर उ.प्र. govt ने प्रतिबन्ध लगा दिया और तब मामला इलाहबाद हाई कोर्ट मे चला गया और केस नम्बर 412/1970 में वर्ष 1970-1971 व् सुप्रीम कोर्ट 1971 -1976 के बीच में केस अपील नम्बर 291/1971 चला ।

जिसमे सुप्रीमकोर्ट के जस्टिस पी एन भगवती, जस्टिस वी आर कृष्णा अय्यर, जस्टिस मुर्तजा फाजिल अली ने दिनाक 16.9.1976 को निर्णय दिया कि सच्ची रामायण पुस्तक सही है और इसके सारे तथ्य सही है। सच्ची रामायण पुस्तक यह सिद्ध करती है कि "रामायण" नाम के देश में जितने भी ग्रन्थ है वे सभी काल्पनिक हैं और इनका पुरातात्विक व ऐतिहासिक कोई आधार नही है। अथार्त् 100% फर्जी व काल्पनिक है। एक ऐतिहासिक सत्य जो किसी को पता नहीं है कि बौद्ध जातक कथाओ में मिलावट कर ब्राह्मणों ने रामायण व अन्य धर्म ग्रंथ लिखे और बौद्ध साहित्य का ब्राहम्णीकरण किया और भारत के मूलनिवासियों को शिक्षा, संपत्ति और शस्त्र धारण करने से वंचित किया । ताकि लोग वास्तविक षढयन्त्र से अनभिज्ञ रहें और जो ब्राहम्णो द्वारा बताया जा रहा है उसे ही सच मानें । विदेशी ब्राहम्णों के इन सडयंत्रों ने भारत के मूलनिवासियो को मनुवादी/ब्राहम्णवादी के अमानवीयता पूर्ण कानूनों से अपमानित व अधिकारों से वंचित कर गुलाम बना दिया और यह देश बाद में बाहर से आक्रमण कारी ताकतो का गुलाम हो गया ।

*यही है भारत का असली इतिहास, जिसके पुरातात्विक प्रमाण भी उपलब्ध हैं ?*

*जिस प्रकार से भारत मे, पाकिस्तान में और अफगानिस्तान में जमीन के ऊपर और जमीन के नीचे बौद्ध कालीन अवशेष मिलते है ऐसे ऐतिहासिक एवम पुरातात्विक प्रमाण क्या राम के मिलते हैं ?

👉*भारत का प्राचीन मूलनिवासीयों का धर्म समता, स्वतंत्रता, बंधुत्व पर आधारित, धम्म (बौद्ध धर्म) ही था।*

👉बाबा साहब अम्बेडकर ने कहा था *" जो कौम अपना इतिहास नहीँ जानती, वह अपने भविष्य का निर्माण नहीं कर सकती।

छोड़ो जातिधर्म को, चलो बुद्ध की ओर।
पालन कर लो धम्म का, सुख उपजे चहुं ओर।।
अपना दीपक खुद बनो।
बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय।
सबका मंगल हो।

🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🛞🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳*भारत की राजनीति समझना है, तो 15 मिनट समय निकालकर जरूर पढ़े....*1977 में जनता पार्टी की सरकार बनी, ज...
25/08/2024

🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🛞🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
*भारत की राजनीति समझना है, तो 15 मिनट समय निकालकर जरूर पढ़े....

*1977 में जनता पार्टी की सरकार बनी, जिसमें मोरारजी देसाई ब्राह्मण थे। जिनको जयप्रकाश नारायण द्वारा प्रधानमंत्री पद के लिए नामित किया गया था। चुनाव में जाते समय जनता पार्टी ने अभिवचन दिया था, कि यदि उनकी सरकार बनती है, तो वे *काका कालेलकर कमीशन लागू करेंगे। जब उनकी सरकार बनी, तो OBC का एक प्रतिनिधिमंडल मोरारजी देसाई से मिला और काका कालेलकर कमीशन लागू करने के लिए मांग की मगर मोरारजी देसाई ने कहा कि 'कालेलकर कमीशन' की रिपोर्ट पुरानी हो चुकी है, इसलिए अब बदली हुई परिस्थिति मेँ नयी रिपोर्ट की आवश्यकता है। यह एक शातिर बाह्मण की OBC को ठगने की एक चाल थी।प्रतिनिधिमडंल इस पर सहमत हो गया और B.P. Mandal जो बिहार के यादव थे, उनकी अध्यक्षता*में *मंडल कमीशन* बनाया गया।*

*बी पी मंडल और उनके कमीशन ने पूरे देश में घूम-घूमकर 3743 जातियों को OBC के तौर पर पहचान किया जो 1931 की जाति आधारित गिनती के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या का 52% थे। मंडल कमीशन द्वारा अपनी रिपोर्ट मोरारजी सरकार को सौंपते ही, पूरे देश में बवाल खड़ा हो गया। जनसंघ के 98 MPs के समर्थन से बनी जनता पार्टी की सरकार के लिए मुश्किल खड़ी हो गयी। उधर अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व में जनसंघ के MPs ने दबाव बनाया कि अगर मंडल कमीशन लागू करने की कोशिश की गयी तो वे सरकार गिरा देंगे। दूसरी तरफ OBC के नेताओं ने दबाव बनाया। फलस्वरूप अटल बिहारी बाजपाई ने मोरारजी देसाई की सहमति से जनता पार्टी की सरकार गिरा दी।*

*इसी दौरान भारत की राजनीति में एक Silent revolution की भूमिका तैयार हो रही थी जिसका नेतृत्व आधुनिक भारत के महानतम् राजनीतिज्ञ कांशीराम जी कर रहे थे। कांशीराम ने 6 दिसंबर 1978 में अपनी बौद्धिक बैँक बामसेफ की स्थापना की जिसके माध्यम से पूरे देश में OBC को मंडल कमीशन पर जागरण का कार्यक्रम चलाया।* *कांशीराम जी के जागरण अभियान के फलस्वरूप देश के OBC को मालूम पड़ा कि उनकी संख्या देश में 52% मगर शासन, प्रशासन में उनकी संख्या (प्रतिनिधित्व) मात्र 2% है। जबकि 15% तथाकथित सवर्ण, प्रशासन में 80% हैं। इस प्रकार सारे आंकड़े मण्डल कमीशन की रिपोर्ट में थे, जिसको जनता के बीच ले जाने का काम कांशीराम जी ने किया।*

*अब OBC जागृत हो रहा था। उधर अटल बिहारी ने जनसंघ समाप्त करके BJP बना दी। 1980 के चुनाव में संघ ने इंदिरा गांधी का समर्थन किया और इंन्दिरा, जो 3 महीने पहले स्वयं हार गयी थी 370 सीट जीतकर आयी।*

*इसी दौरान गुजरात में आरक्षण के विरोध में प्रचंड आन्दोलन चला*।
_*मजे की बात यह थी कि इस आन्दोलन में बड़ी संख्या में OBC स्वयं सहभागी था_क्योंकि ब्राह्मण-बनिया "मीडिया" ने प्रचार किया, कि जो आरक्षण SC,ST को पहले से मिल रहा है, वह और बढ़ने वाला है।*
*गुजरात में अनु. जाति के लोगों के घर जलाये गये। मोदी जी इसी आन्दोलन के नेतृत्वकर्ता थे।*

*कांशीराम जी अपने मिशन को दिन-दूनी, रात-चौगुनी गति से बढा़ रहे थे। ब्राह्मण अपनी रणनीति बनाते पर उनकी हर रणनीति की काट कांशीराम जी के पास थी। कांशीराम ने वर्ष 1981 में DS4 (DSSSS) नाम की "आन्दोलन करने वाली विंग" को बनाया। जिसका नारा था *'ब्राह्मण बनिया ठाकुर छोड़ बाकी सब हैं DS4!' DS4 के माध्यम से ही कांशीराम जी ने एक और प्रसिद्ध नारा दिया* *"मंडल कमीशन लागू करो, वरना सिंहासन खाली करो।' इस प्रकार के नारों से पूरा भारत गूँजने लगा।*

*1981 में ही मान्यवर कांशीराम जी ने हरियाणा का विधानसभा चुनाव लड़ा, 1982 में ही उन्होंने जम्मू काश्मीर का विधान सभा का चुनाव लड़ा। अब कांशीराम जी की लोकप्रियता अत्यधिक बढ़ गयी। ब्राह्मण-बनिया "मीडिया" ने उनको बदनाम करना शुरू कर दिया। उनकी बढ़ती लोकप्रियता से इंन्दिरा गांधी घबरा गयीं*। इंन्दिरा को लगा कि अभी-अभी *जेपी के जिन्न से पीछा छूटा कि अब ये कांशीराम तैयार हो गया। इंन्दिरा जानती थी कांशीराम जी का उभार जेपी से कहीं ज्यादा बड़ा खतरा ब्राह्मणों के लिये था। उसने संघ के साथ मिलने की योजना बनाई। अशोक सिंघल की एकता यात्रा जब दिल्ली की सीमा पर पहुँची, तब इंन्दिरा गांधी स्वयं माला लेकर उनका स्वागत करने पहुंची।*

*इस दौरान भारत में एक और बड़ी घटना घटी। भिंडरावाला जो खालिस्तान आंदोलन का नेता था, जिसको कांग्रेस ने अकाल तख्त का विरोध करने के लिए खड़ा किया था, उसने स्वर्ण मंदिर पर कब्जा कर लिया।*

*RSS और कांग्रेस ने योजना बनाई अब मण्डल कमीशन आन्दोलन को भटकाने के लिए *हिन्दुस्तान vs खालिस्तान का मामला खड़ा किया जाय। इंन्दिरा गांधी ने आर्मी प्रमुख जनरल सिन्हा को हटा दिया और एक साऊथ के ब्राह्मण को आर्मी प्रमुख बनाया। जनरल सिन्हा ने इस्तीफा दे दिया। आर्मी में भूचाल आ गया। नये आर्मी प्रमुख ने इंन्दिरा गांधी के कहने पर OPERATION BLUE STAR की योजना बनाई और स्वर्ण मंदिर के अन्दर टैंक घुसा दिया। पूरी आर्मी हिल गयी। पूरे सिक्ख समुदाय ने इसे अपना अपमान समझा और 31 Oct.,1984 को इंन्दिरा गांधी को उनके दो Personal guards बेहन्तसिंह और सतवन्त सिंह, जो दोनों अनुसुचित जाति के थे, ने इंन्दिरा गांधी को गोलियों से छलनी कर दिया।*

_'माओ'_ अपनी किताब *'ON CONTRADICTION' में लिखते हैं कि शासक वर्ग किसी एक षडयंत्र को छुपाने के लिऐ दूसरा षडयंत्र करता है, पर वह नहीं जानता कि इससे वह अपने स्वयं के लिए कोई और संकट खड़ा कर देता है।' _माओ_की यह बात भारतीय राजनीति के परिप्रेक्ष्य में सटीक साबित होती है।*

*मंडल कमीशन को दबाने वाले षडयंत्र का बदला शासक वर्ग ने 'इंन्दिरा गांधी' की जान देकर चुकाया। इंन्दिरा गांधी की हत्या के तुरन्त बाद राजीव गांधी को नया प्रधानमंत्री मनोनीत कर दिया गया। जो आदमी 3 साल पहले पायलटी छोड़कर आया था, वो देश का 'मुगले आजम' बन गया। इंन्दिरा गांधी की अचानक हत्या से सारे देश में सिक्खों के विरूद्ध माहौल तैयार किया गया। दंगे हुए। अकेले दिल्ली में 3000 सिक्खों का कत्लेआम हुआ जिसमें तत्कालीन मंत्री भी थे। उस दौरान राष्ट्रपति श्री ज्ञानी जैल सिंह का फोन तक प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने रिसीव नहीं किये। उधर कांशीराम जी अपना अभियान जारी रखे हुऐ थे। उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी BSP की स्थापना की और सारे देश में साईकिल यात्रा निकाली। कांशीराम जी ने एक नया नारा दिया* *"जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी।"*

*कांशीराम जी ने मंडल कमीशन का मुद्दा बड़ी जोर शोर से प्रचारित किया, जिससे उत्तर भारत के पिछड़े वर्ग में एक नयी तरह की सामाजिक, राजनीतिक चेतना जागृत हुई। इसी जागृति का परिणाम था कि पिछड़े वर्ग में नया नेतृत्व जैसे कर्पुरी ठाकुर, लालू, मुलायम का उभार हुआ। अब कांशीराम शोषित वंचित समाज के सबसे बड़े नेता बनकर उभरे। वहीं 1984 का चुनाव हुआ पर इस चुनाव में कांशीराम ने सक्रियता नहीं दिखाई और राजीव गांधी को सहानुभूति लहर का इतना फायदा हुआ कि राजीव गांधी 413 MPs चुनवा कर लाये। जो राजीव गांधी के नाना ना कर सके वह उन्होंने कर दिखाया। सरकार बनने के बाद फिर मण्डल का जिन्न जाग गया। OBC के MPs संसद में हंगामा शुरू कर दिये। शासक वर्ग ने फिर नयी व्यूह रचना बनाने की सोची।*

*अब कांशीराम जी के अभियानों के कारण OBC जागृत हो चुका था। अब शासक वर्ग के लिऐ मंडल कमीशन का विरोध करना संभव नहीं था। दो हजार साल के इतिहास में शायद ब्राह्मणों ने पहली बार कांशीराम जी के सामने असहाय महसूस किया। क्योंकि कोई भी राजनीतिक उदेश्य इन तीन साधनों से प्राप्त किया जा सकता है वह है-*
*1) शक्ति संगठन की,*
*2) समर्थन जनता का*
*3) दांवपेच नेता का।*
*कांशीराम जी के पास तीनों कौशल थे और दांवपेच के मामले में वे ब्राह्मणों से 21 थे। अब यह समय था जब कांग्रेस और संघ की सम्पूर्ण राजनीति केवल कांशीराम जी पर ही केन्द्रित हो गयी।*

*1984 के चुनावों में बनवारी लाल पुरोहित ने मध्यस्थता कर राजीव गांधी और संघ का समझौता करवाया एवं इस संघ ने राजीव गांधी का समर्थन किया। गुप्त समझौता यह था कि राजीव गांधी राम मंदिर आन्दोलन का समर्थन करेंगे और हम मिलकर रामभक्त OBC को मूर्ख बनाते हैं। परिणामस्वरूप राजीव गांधी ने बाबरी मस्जिद का ताला खुलवाया और उसके अन्दर राम के बाल्यकाल की मूर्ति रखवायी!*

*अब ब्राह्मण जानते थे अगर मण्डल कमीशन का विरोध करते हैं तो "राजनीतिक शक्ति" जायेगी, क्योकि 52% OBC के बल पर ही तो वे बार- बार _देश के राजा_ बन जाते थे, और समर्थन करते हैं तो कार्यपालिका में जो उन्होंने _स्थायी सरकार_ बना रखी थी वो छिन जाने का खतरा था। विरोध करें तो खतरा, समर्थन करें तो खतरा। करें तो क्या करें ?*

तब *कांग्रेस और संघ ने मिलकर OBC पर विहंगम दृष्टि डाली, तो उनको पता चला कि पूरा OBC रामभक्त है। उन्होँने मंडल के आन्दोलन को कमंडल की तरफ* *मोड़ने का फैसला किया। सारे देश में राम मंदिर अभियान छेड़ दिया। बजरंग दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया, जो पिछड़ा था। कल्याण सिंह, ऋतंभरा, उमा भारती, गोविन्दाचार्य आदि वो मूर्ख OBC थे जिनको संघ ने सेनापति बनाया। जिस प्रकार ये लोग हजारों सालों से पिछड़ों में विभीषण पैदा करते रहे इस बार भी इन्होंने ऐसा ही किया।*

*वहीं दूसरी तरफ अनियंत्रित राजीव गांधी ने खुद को अन्तर्राष्ट्रीय नेता बनाने एवं मंडल कमीशन का मुद्दा दबाने के लिए प्रभाकरण से समझौता किया तथा प्रभाकरण को वादा किया कि जिस प्रकार उनकी माँ (इंदिरागांधी) ने पाकिस्तान का विभाजन कर देश-दुनिया की राजनीति में अपनी धाक पैदा की थी वैसे वह भी श्रीलंका का विभाजन करवाकर प्रभाकरण को तमिल राष्ट्र बनवाकर देंगे। वहीं राजीव गांधी की सरकार में वी.पी. सिंह रक्षा मंत्री थे। बोफोर्स रक्षा सौदे में भ्रष्टाचार राजीव गांधी की सहायता से किया गया जिसको उजागर किया गया। _यह राजीव गांधी की साख पर बट्टा था।*

*वीपी सिंह ने इसको मुद्दा बनाकर अलग *जन मोर्चा बनाया। अब असली घमासान था। 1989 के चुनाव की लङाई दिलकश हो चली थी। पूरे उत्तर भारत में कांशीराम जी बहुजन समाज के नायक बनकर उभरे। उन्होंने 13 जगहों पर चुनाव जीता, जबकि 176 जगहों पर वे कांग्रेस का पत्ता साफ करने में सफल हो गये। राजीव गांधी जो कल तक दिल्ली का मुगल था, कांशीराम जी के कारण वह रोड मास्टर बन गया। कांग्रेस 413 से धड़ाम होकर 196 पर आ गयी। वी पी सिंह के गठबन्धन को 144 सीटें मिली, जिसके कारण वी पी सिंह ने चुनाव में जाने की घोषणा की, और कहा कि यदि उनकी सरकार बनी तो मंडल कमीशन लागू करेंगे।*

*चन्द्रशेखर व चौधरी देवीलाल के साथ मिलकर सरकार बनाने की योजना वी पी सिंह द्वारा बनायी गयी। चौधरी देवीलाल प्रधानमंत्री पद के सबसे बड़े दावेदार थे पर योजना इस प्रकार से बनायी गयी थी कि संसदीय दल की बैठक में दल का नेता (प्रधानमंत्री) चुनने की माला चौ. देवीलाल के हाथों में दे दी जाए । चौ. देवीलाल (इस झूठे सम्मान से कि नेता चुनने का हक़ उनको दिया गया) ने माला वी पी सिंह के गले में डाल दिया। इस प्रकार वी पी सिंह नये प्रधानमंत्री बने।*

*प्रधानमंत्री बनते ही OBC नेताओं ने मंडल कमीशन लागू करवाने का दबाव डाला। वी पी सिंह ने बहानेबाजी की पर अन्त में निर्णय करने के लिए चौ. देवीलाल की अध्यक्षता में एक कमेटी बनायी। चौधरी देवीलाल ने कहा कि इसमें जाटों को भी शामिल करो फिर लागू करो मगर वी पी सिंह ने इनकार कर दिया।*

*चौधरी देवीलाल नाराज होकर कांशीराम जी के पास गये और पूरी कहानी सुनाकर बोले मुझे आपका साथ चाहिये। कांशीराम जी बोले कि 'देवीलाल जनता ने तुझे "Leader" बनाया मगर ठाकुर ने *"Ladder"(सीढ़ी) बनाया। तेरे साथ अत्याचार हुआ है और दुनिया में जिसके साथ अत्याचार होता है कांशीराम उसका साथ देता है।' कांशीराम जी और देवीलाल ने वी पी सिंह के विरोध में एक विशाल रैली करने वाले थे। उसी दौरान शरद यादव और रामविलास पासवान ने वी पी सिंह से मुलाकात की। उन्होंने वी पी सिंह से कहा कि हमारे नेता आप नहीं बल्कि चौधरी देवीलाल हैं। अगर आप मंडल कमीशन लागू कर दें तो हम आपके साथ रहेंगे अन्यथा हम भी देवीलाल और कांशीराम का साथ देंगे।*

*वी पी सिंह की कुर्सी संकट से घिर गयी। कुर्सी बचाने के लिए वी पी सिंह ने मंडल कमीशन लागू करने की घोषणा कर दी। सारे देश में बवाल खङा हो गया। Mr. Clean से Mr. Corrupt बन चुके राजीव गांधी ने बिना पानी पिये संसद में 4 घंटे तक मंडल के विरोध में भाषण दिया। जो व्यक्ति 10 मिनट तक संसद में ठीक से बोल नहीं सकता था, उसने OBC का विरोध अपनी पूरी ऊर्जा से पानी पी-पी कर किया और 4 घंटे तक बोला।*

*वी पी सिंह सरकार गिरा दी गयी। चुनाव की घोषणा हुयी और एम नागराज नाम के ब्राह्मण ने उच्चतम न्यायालय में आरक्षण के विरोध में मुकदमा (केश) कर दिया।*
*इधर राजीव गांधी ने जो प्रभाकरण से वादा किया था वो पूरा नहीं कर सके थे बल्कि UNO के दबाव में ऊन्होंने शांति सेना श्रीलंका भेज दी थी। राजीव गांधी के कहने पर प्रभाकरण के साथी कानाशिवरामन को BOMB बनाने की ट्रेनिंग दी गयी थी। जब प्रभाकरण को लगा कि राजीव गाँधी ने धोखा किया। उसने काना शिवरामन को राजीव गांधी की हत्या कर देने का आदेश दिया और मई 1991 मे राजीव गांधी को मानव बम द्वारा उड़ा दिया गया। एक बार फिर माओ का कथन सत्य सिद्ध हुआ। और मंडल के भूत ने राजीव गांधी की जान ले ली।*

*राजीव गांधी हत्या का फायदा कांग्रेस को हुआ। कांग्रेस के 271 सांसद चुनकर आये। शिबू सोरेन व एक अन्य को खरीदकर कांग्रेस ने सरकार बनायी। पी वी नरसिंम्हराव दक्षिण के ब्राह्मण प्रधानमंत्री बने।*

*दूसरी तरफ मंडल कमीशन के विरोध में Supreme court के 31 आला ब्राह्मण वकील सुप्रीम कोर्ट पहुँच गये। लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे, पटना से दिल्ली आये। सारे ब्राह्मण -बनिया वकीलों से मिले। कोई भी वकील पैसा लेकर भी मंडल के समर्थन में लड़ने के लिए तैयार नही था। लालू यादव ने रामजेठमलानी से निवेदन किया मगर रामजेठमलानी Criminal Lawyer थे जबकि यह संविधान का मामला था, फिर भी रामजेठमलानी ने यह केस लड़ा। मगर SUPREME COURT ने 4 बड़े फैसले OBC के खिलाफ दिये।*

*1. केवल 1800 जातियों को OBC माना।*

*2. 52% OBC को, 52% देने के बजाय संविधान के विरोध में जाकर 27% ही आरक्षण होगा*।

*3. OBC को आरक्षण होगा पर प्रमोशन में आरक्षण नहीं होगा*।

*4. क्रीमीलेयर होगा अर्थात् जिस OBC का INCOME 1 लाख होगा उसे आरक्षण नहीं मिलेगा।*

*इसका एक आशय यह था कि जिस OBC का लड़का महाविद्यालय में पढ रहा है, उसे आरक्षण नहीं मिलेगा बल्कि, जो OBC गांव में ढोर -डांगर चरा रहा है, उसे आरक्षण मिलेगा। यह तो वही बात हो गई कि दांत वाले से चना छीन लिया और बिना दांत वाले को चना देने कि बात करता है ताकि किसी को आरक्षण का लाभ न मिले।*

*ये चार बड़े फैसले सुप्रीम कोर्ट के सेठ जी एवं भट्टजी ने OBC के विरोध में दिये। दुनिया की हर COURT में न्याय मिलता है, जबकि भारत की SUPREME COURT ने 52% OBC के हक और अधिकारों के विरोध का फैसला दिया। भारत के शासक वर्ग ने अपने हित के लिऐ सुप्रीम कोर्ट जैसी महान् न्यायिक संस्था का दुरूपयोग किया।*

*मंडल को रोकने के लिए कई हथकंडे अपनाए गये थे जिसमें राम मंदिर आन्दोलन बहुत बड़ा हथकंडा था। उत्तर-प्रदेश में बीजेपी ने मजबूरी में कल्याण सिंह जोकि लोधा(OBC) या लोधी जाति से थे उनको मुख्यमंत्री बनाया।*

*विशेष ध्यान:-*
*आपको बताता चलूं- कि कांशीराम जी के उदय के पश्चात् ब्राह्मणों ने लगभग हर राज्य में OBC मुख्यमंत्री बनाना शुरू किये, ताकि OBC का जुड़ाव कांशीराम जी के साथ न हो। इसी वजह से पिछड़े वर्ग के लोधी समाज को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया।*

*आडवाणी ने रथ यात्रा निकाली। नरेन्द्र मोदी आडवाणी के हनुमान बने। याद रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने मंडल विरोधी निर्णय 16 नवम्बर 1992 को दिया और शासक वर्ग द्वारा 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद गिरा दी गयी। बाबरी मस्जिद गिराने में कांग्रेस ने बीजेपी का पूरा साथ दिया। इस प्रकार सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बारे में OBC जागृत न हो सके, इसीलिए बाबरी मस्जिद गिराई गयी।*

*शासक वर्ग ने तीर मुसलमानों पर चलाया पर निशाना OBC थे। जब भी उन पर संकट आता है वे हिन्दू और मुसलमान का मामला खड़ा करते हैं। बाबरी मस्जिद गिराने के बाद कल्याण सिंह सरकार बर्खास्त कर दी गयी।*

*दूसरी तरफ कांशीराम जी UP के गांव-गांव जाकर षडयंत्र का पर्दाफाश कर रहे थे। उनका मुलायम सिंह से समझौता हुआ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव हुए कांशीराम जी की 67 सीट एवं मुलायम सिंह को 120 सीटें मिली। बसपा के सहयोग से मुलायम सिंह मुख्यमंत्री बने*।
*UP के OBC और SC के लोगों ने मिलकर नारा लगाया* _*"मिले मुलायम कांशीराम, हवा मेँं उड़ गये जय श्री राम।"*

*शासक जाति को खासकर ब्राह्मणवादी सत्ता को इस गठबन्धन से और ज्यादा डर लगने लगा। इंडिया टुडे ने कांशीराम भारत के अगले प्रधानमंत्री हो सकते हैं! ऐसा ब्राह्मणों को सतर्क करने वाला लेख लिखा। इसके बाद शासक वर्ग अपनी* *राजनीतिक रणनीति में बदलाव किया। लगभग हर राज्य का मुख्यमंत्री उन्होंने शूद्र(OBC) बनाना शुरू कर दिया। साथ ही उन्होंने दलीय अनुशासन को कठोरता से लागू किया ताकि निर्णय करते वक्त वे स्वतंत्र रहें।*

*1996 के चुनावों में कांग्रेस फिर हार गयी और दो तीन अल्पमत वाली सरकारें बनी। यह गठबन्धन की सरकारें थी। इन सरकारों में सबसे महत्वपूर्ण सरकार H.D. देवेगौड़ा (OBC) की सरकार थी, जिनके कैबिनेट में एक भी ब्राह्मण मंत्री नहीं था। आजाद भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब किसी प्रधानमंत्री के कैबिनेट में एक भी ब्राह्मण मंत्री नहीं था। इस सरकार ने बहुत ही क्रांतिकारी फैसला लिया। वह फैसला था* *OBC की गिनती करने का फैसला* *जो मंडल कमीशन की दूसरी योजना थी, क्योंकि 1931 के आंकड़े बहुत पुराने हो चुके थे। OBC की गिनती अगर होती तो देश में OBC की सामाजिक, आर्थिक स्थिति क्या है, उसके सारे आंकड़े पता चल जाते। इतना ही नहीं 52% OBC अपनी संख्या का उपयोग राजनीतिक उद्देश्य के लिऐ करता, तो आने वाली सारी सरकारें OBC की ही बनतीं। शासक वर्ग के समर्थन से बनी, देवेगौड़ा की सरकार फिर गिरा दी गयी।*

*शासक वर्ग जानता है कि जब तक OBC धार्मिक रूप से जागृत रहेगा, तब तक हमारे जाल में फँसता रहेगा, जैसे 2014 में फंसा। शायद जाति अधारित गिनती ओबीसी की करने का निर्णय देवगौड़ा सरकार ने नहीं किया होता, तो शायद उनकी सरकार नहीं गिरायी जाती।*
*"ब्राह्मण अपनी सत्ता बचाने के लिये हरसंभव प्रयत्न में लगे रहे। वे जानते थे कि अगर यही हालात बने रहे थे तो ब्राह्मणों की राजनीतिक सत्ता छीन ली जायेगी।"*

*जो लोग सोनिया को कांग्रेस का नेता नहीं बनाना चाहते थे वे भी अब सोनिया को स्वीकार करने लगे। कांग्रेस वर्किंग कमेटी में जब शरद पवार ने सोनिया के विदेशी होने का मुद्दा उठाया, तो आर.के. धवन नामक ब्राह्मण ने थप्पड़ मारा। पी. ऐ. संगमा, शरद पवार, राजेश पायलट, सीताराम केसरी, सबको ठिकाने लगा दिया। शासक वर्ग ने गठबन्धन की राजनीति स्वीकार कर ली। उधर अटल बिहारी बाजपेयी कश्मीर पर गीत गाते गाते 1999 में फिर प्रधानमंत्री हुए। अगर कारगिल नहीं हुआ होता तो अटल फिर शायद चुनकर आ जाते। "सरकार बनाते ही अटल बिहारी ने संविधान समीक्षा आयोग बनाने का निर्णय लिया"।*

*अरूण शौरी ने बाबासाहब अम्बेडकर को अपमानित करने वाली किताब 'Worship of false gods' लिखी।*
*इसके विरोध में सभी संगठनों ने विरोध किया। विशेषकर बामसेफ के नेतृत्व में 1000 कार्यक्रम सारे देश में आयोजित किये गये। अटल सरकार ने अपना फैसला वापस (पीछे) ले लिया। ये भी नया हथकंडा था वास्तविक मुद्दों को दबाने का। फिर 2011 में जनगणना होनी थी। मगर OBC की जनगणना नहीं कराने का फैसला किया गया।*

*अब 2021 की जनगणना में भी ओबीसी की जाति आधारित गिनती कराने की मांग को नजरंदाज कर, प्रोफार्मा से कालम गायब कर दिया है! इस मामले में कांग्रेस और बीजेपी की एक जैसी सोच है। इसलिए "भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में संख्याबल के हिसाब से शासक बनने वाला ओबीसी अपना नुकसान तो कर ही रहा है, साथ ही साथ अपने दलित भाइयों का भी नुकसान कर रहा है।"*

*अतः सच्चाई और बहुजनों पर हो रही गहरी साज़िश को ओबीसी वर्ग का ना समझना, OBC SC ST को देश का शासक बनने से रोक रहा है। अब फैसला OBC, को करना है, कि उसे अपने छोटे भाई SC ST के साथ रहना है या सवर्णों के साथ रहकर उनका हुक्का भरने का काम करना है!"*

*यहाँ एक बात और उल्लेखनीय है कि कांसीराम के बहुजनवाद की वजह से ओबीसी में स्वतंत्र लीडरशिप उभर रही थी उसका सवर्णों के राम मंदिर आंदोलन ने पूरी तरह हिन्दूकरण कर दिया। इसलिए आजतक ओबीसी के अंदर बहुजनवाद की लीडरशिप का अकाल पड़ा हुआ है। कांसीराम के जिस बहुजनवाद के सामने सवर्णों का मनुवाद दम तोड़ रहा था आज कांसीराम की अनुपस्थिति में सवर्णों का मनुववाद शिर चढ़कर बोल रहा है। अतः बहुजन महापुरुष और उनकी बहुजन विचारधारा का निरन्तर प्रचार प्रसार करते रहें।
सवर्णवाद या मनुवाद अपने आप दम तोड़ देगा और बहुजनों को कोई भी MLA MP CM PM बनने से नही रोक पायेगा*।

*🙏विशेष अपील🙏*
*जितना हो सके इस पोस्ट को अपने पिछड़े वर्ग को समझाने के लिए, पूरे भारतवर्ष के पिछड़े वर्ग तक पहुंचाना, हर OBC अपना कर्त्तव्य समझें, जिससे उनकी आंख खुल सके, कि हम कहां गलती कर रहे हैं*❓ जय भीम जय भारत

13/08/2024

सुना है, बांग्लादेश में हजारों भारतीय छात्र पढ़ने जाते हैं और भारत में हजारों बांग्लादेशी कबाड़ बिनने का काम करते हैं। अंधभक्तो जागो, समझो, बुद्ध और विद्यालयों के देश को कबाड़ गोदाम किसने बनाया?

13/08/2024

सुप्रीम कोर्ट क्यों न देश के जातिगत भेदभाव को समाप्त एवं सभी संसाधनों व संपत्ति का समान बटवारा करके आरक्षण को समाप्त करने का आदेश जारी कर
दे?

085059 06730
01/08/2024

085059 06730

एक बार मेरा एक मित्र हिंदू धर्म की बड़ी तारीफ कर इसे सत्य, सनातन, प्राचीन बता रहा था।मैंने उसे रामचरित मानस की दो चौपाई ...
24/07/2024

एक बार मेरा एक मित्र हिंदू धर्म की बड़ी तारीफ कर इसे सत्य, सनातन, प्राचीन बता रहा था।
मैंने उसे रामचरित मानस की दो चौपाई सुना दी।
पूजो विप्र ज्ञान गुण हीना।
न पूजो शूद्र ज्ञान प्रवीणा।।
शूद्र, गंवार ढोल पशु नारी।
सकल ताड़ना के अधिकारी।।
इनका अर्थ तो उसने नहीं बताया, लेकिन इधर उधर की, व्याकरण, पिंगल, काव्य, अलंकार, समास आदि की खूब सुनाई। अंत में मैंने उससे कहा...
कुछ लोग अपनी कमी को छिपाने के लिय इधर उधर की गाने लगते हैं और मुख्य बात को स्वीकार नहीं करते हैं।
मेरे मित्र ने इधर उधर की तो सुना दी, लेकिन तुलसीदास की इन चौपाइयों का अर्थ नही स्वीकार किया और न ही बताया।
मैंने उस मित्र से कहा..
आप अंधेरे में रहे या उजाले में आपकी मर्जी।
मैंने आपको हिंदु ग्रंथों और व्यव्हार दोनों के प्रमाणों का आइना दिखा दिया है। आप देंखे या न देखें।
दुनियां भारत के बुद्ध और बौद्ध धर्म को मानती है, ब्रह्मण, वैदिक, हिंदू या तनातन धर्म को नहीं।
धार्मिक ग्रंथों के आधार पर और व्यवहारिक आधार पर भी हिन्दू धार्मिक सभी लोग नीच हैं। हर कोई किसी न किसी से जाति वर्ण गोत्र के आधार पर नीचा है।
आश्चर्य तो इस बात का है कि किसी को अपनी नीचता पर शर्म नहीं। लेकिन खुद को दूसरे से ऊंचा मानने, समझने का पूरा घमंड है।
जागो भारतवासी जागो...
चलो अंधेरे से उजाले की ओर....
चलो बुद्ध की ओर....
छोड़ो जातिधर्म को, चलो बहुजन के साथ।
पालन कर लो धम्म का, हो मंगल प्रभात।।

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