27/04/2024
मुसलमानों के बारे में पीएम मोदी के बयान पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने करारा जवाब दिया है..
टीआरटी ने लिखा है, "सितंबर, 1950 में जन्मे मोदी अपने छह भाई बहनों में तीसरे थे. इसके बाद भी उनकी सत्ताधारी बीजेपी ये ग़लत दावा करती रही है कि मुसलमानों में बच्चा पैदा करने की दर अधिक है."
चीनी न्यूज़ वेबसाइट 'साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट' ने लिखा कि चुनावों में बढ़त हासिल करने के लिए मोदी ने मुस्लिम विरोधी बयानबाज़ी शुरू की.
टाइम' मैगज़ीन ने भी इस ख़बर को जगह दी है. पत्रिका ने लिखा है कि भारत की आबादी 1.44 अरब है और मोदी की बीजेपी की आलोचना मुसलमान समुदाय को बाहर से आए विदेशियों के रूप में देखने के लिए होती रही है, इनमें पड़ोसी बांग्लादेश और म्यांमार से आए मुसलमान शामिल हैं.
आलोचक कहते हैं कि मोदी की टिप्पणी का आधार विभाजनकारी हिंदू राष्ट्रवाद है जिसके तार सत्ताधारी बीजेपी से जुड़े हैं. पत्रिका ने लिखा है पार्टी तीसरी बार सरकार बनाने का दावा कर रही है.
पत्रिका ने अमेरिका में मुसलमानों के अधिकारों के लिए काम करने वाले समूह 'काउंसिल ऑफ़ अमेरिकन इस्लामिक रिलेशंस' (सीएआईआर) के एक बयान को अपनी रिपोर्ट में जगह दी है जिसमें मोदी के भाषण की आलोचना की गई है.
सीएआईआर ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से गुज़ारिश की है कि मुसलमानों और अल्पसंख्यक समूहों के साथ सुनियोजित तरीके से हो रहे व्यवहार के लिए भारत को "कंट्री ऑफ़ पर्टिकुलर कंसर्न" यानी 'चिंताजनक देशों की सूची' में शामिल किया जाए.
पत्रिका ने लिखा है कि साल 2002 में हुए गुजरात दंगों के दौरान नरेंद्र मोदी की सरकार प्रदेश में थी. बाद में 2005 में अमेरिका ने उनके देश में एंट्री लेने पर रोक लगा दी थी.
पत्रिका ने वॉशिंगटन में मौजूद रिसर्च ग्रुप 'इंडिया हेट लैब' के आंकड़े भी अपनी रिपोर्ट में दिए हैं. ये ग्रुप भारत के धार्मिक अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हुए नफ़रती भाषण का लेखा-जोखा रखता है.
इस रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023 में देश में इस तरह के 668 मामले दर्ज किए गए थे, इनमें से 255 मामले 2023 के पहले छह महीनों में सामने आए थे. साल के अगले छह महीनों में इस तरह के 413 मामले सामने आए जो पहले के छह महीनों के मुक़ाबले 63 फ़ीसदी अधिक था.