Gaya Today

Gaya Today ॐ श्री गणेशाय नमः
(3)

17/04/2024

केंद्र में #𝐈𝐍𝐃𝐈𝐀𝐀𝐥𝐥𝐢𝐚𝐧𝐜𝐞 की सरकार आने पर सेना में युवाओं के लिए लागू की गयी 𝟒 वर्षीय अग्निवीर योजना को बंद कर पुरानी बहाली प्रक्रिया चालू करेंगे। अग्निवीर योजना के अन्तर्गत नौकरी में रहते कोई सैनिक शादी नहीं कर सकता, फिर 𝟐𝟐 वर्ष की आयु में वो रिटायर हो जाएगा। तब सब जानते है शादी-ब्याह में भी भारी दिक़्क़त होगा। यह योजना सेना और सैनिक किसी के हित में नहीं है।

इसके अतिरिक्त 𝐃𝐮𝐭𝐲 के दौरान शहीद हुए अर्धसैनिक बलों जैसे 𝐂𝐑𝐏𝐅, 𝐈𝐓𝐁𝐏, 𝐒𝐒𝐁, 𝐂𝐈𝐒𝐅 इत्यादि के जवानों को “शहीद” का दर्जा दिया जाएगा। #𝐁𝐢𝐡𝐚𝐫

17/04/2024


𝐁𝐉𝐏 निम्नलिखित को दरकिनार कर मुद्दों पर चुनाव लड़कर दिखाएं? चुनौती है, इनको 𝟏𝟎𝟎 सीट भी नहीं आएंगी? बीजेपी इन 𝟕 के बिना लड़ ही नहीं सकती।

𝟏. मंदिर-मस्जिद
𝟐. हिंदू-मुस्लिम
𝟑. गोदी मीडिया
𝟒. 𝐂𝐁𝐈/𝐄𝐃/𝐈𝐓
𝟓. 𝐄𝐥𝐞𝐜𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐂𝐨𝐦𝐦𝐢𝐬𝐬𝐢𝐨𝐧 जैसी अन्य संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग
𝟔. 𝐄𝐕𝐌
𝟕. धनबल और छलबल

𝐋𝐞𝐯𝐞𝐥 𝐏𝐥𝐚𝐲𝐢𝐧𝐠 फ़ील्ड पर खेले तो 𝐁𝐉𝐏 को 𝟏𝟎𝟎 सीट भी नहीं आएंगी।

16/04/2024

प्रशांत भूषण बोले- हम मतपत्रों पर फिर जा सकते हैं
प्रशांत भूषण ने कहा कि हम वापस पेपर बैलट्स (मतपत्रों) पर जा सकते हैं। दूसरा विकल्प ये है कि ईवीएम से वोटिंग के दौरान मतदाताओं को हाथ में वीवीपैट की पर्ची देना। ये भी हो सकता है कि स्लिप मशीन में गिर जाए और इसके बाद वोटर के ये स्लिप मिले। इसके बाद इसे बैलट बॉक्स में रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ये VVPAT पर्चियां वोटर के हाथ में दी जानी चाहिए। हालांकि, वीवीपैट का डिजाइन बदल दिया गया, यह पारदर्शी ग्लास होना चाहिए था। लेकिन इसे गहरे अपारदर्शी मिरर ग्लास में बदल दिया गया। इसमें केवल तब तक सब दिखाई देता है जब लाइट 7 सेकंड के लिए जलती है।

शिकायत सही होगी तो कार्रवाई जरूर होगी, यूपी के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने लोकसभा चुनाव को लेकर किया साफ

SC में ईवीएम पर बहस के दौरान कैसे आया जर्मनी का जिक्र
जब प्रशांत भूषण ने जर्मनी का उदाहरण दिया, तो जस्टिस दीपांकर दत्ता ने पूछा कि जर्मनी की जनसंख्या कितनी है। प्रशांत भूषण ने जवाब दिया कि यह लगभग 6 करोड़ है, जबकि भारत में 50-60 करोड़ मतदाता हैं। जस्टिस खन्ना ने कहा कि देश में कुल रजिस्टर्ड मतदाताओं की संख्या 97 करोड़ है। हम सभी जानते हैं कि जब बैलट पेपर से वोटिंग होती थी तब क्या हुआ था। जब याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने कहा कि ईवीएम पर डाले गए वोटों का वीवीपैट पर्चियों से मिलान किया जाना चाहिए। इस पर जस्टिस खन्ना ने जवाब दिया कि आप कहना चाहते हैं कि 60 करोड़ वीवीपैट पर्चियों की गिनती की जानी चाहिए। सही? जस्टिस खन्ना ने कहा कि हां, समस्या तब उत्पन्न होती है जब मानवीय हस्तक्षेप होता है, इसी से समस्या बढ़ जाती है। अगर इंसानी दखल नहीं हो तो वोटिंग मशीन सटीक जवाब देगी। अगर आपके पास ईवीएम में छेड़छाड़ रोकने के लिए कोई सुझाव है, तो आप हमें दे सकते हैं।

ईवीएम से छेड़छाड़ पर प्रशांत भूषण ने पढ़ा रिसर्च पेपर
इसके बाद प्रशांत भूषण ने ईवीएम से छेड़छाड़ की संभावना पर एक रिसर्च पेपर पढ़ा। उन्होंने कहा कि 'वे प्रति विधानसभा केवल 5 वीवीपैट मशीनों की गिनती कर रहे हैं जबकि ऐसी 200 मशीनें हैं, यह केवल 5 फीसदी है और इसमें कोई औचित्य नहीं हो सकता है। सात सेकंड की रोशनी भी हेरफेर का कारण बन सकती है। मतदाता को वीवीपैट पर्ची लेने और इसे मतपेटी में डालने की अनुमति दी जा सकती है। याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण ने कहा कि मैं प्रशांत भूषण की हर बात को मानता हूं। हम यह नहीं कह रहे हैं कि ईवीएम को लेकर कोई दुर्भावना है। एकमात्र मुद्दा मतदाता के अपने डाले गए वोट पर विश्वास का है।

चुनाव दर चुनाव क्यों बढ़ रहा NOTA का प्रभाव? ये आंकड़े सब समझा देंगे

वीवीपैट यानी वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल
वीवीपैट पर्ची मतदाता को यह देखने में सक्षम बनाता है कि वोट सही तरीके से डाला गया था और वह जिस उम्मीदवार का समर्थन करता है, उसे गया है। वीवीपैट से एक कागज की पर्ची निकलती है जिसे सीलबंद लिफाफे में रखा जाता है। विवाद होने पर उसे खोला जा सकता है। ईवीएम मतदान प्रणाली के बारे में विपक्ष के सवालों और आशंकाओं के बीच, याचिकाओं में हर वोट के क्रॉस-वेरिफिकेशन की मांग की गई है। याचिकाएं एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और कार्यकर्ता अरुण कुमार अग्रवाल की ओर से दायर की गई हैं। अरुण अग्रवाल ने सभी वीवीपीएटी पर्चियों की गिनती की मांग की है। एडीआर की याचिका में कोर्ट से चुनाव आयोग और केंद्र को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की गई है कि मतदाता वीवीपैट के जरिए यह सत्यापित कर सकें कि उनका वोट 'रिकॉर्डेड के रूप में गिना गया है'।
करीब 10 साल से डिजिटल मीडिया में कार्यरत हैं। पॉलिटिक्स, क्राइम, पॉजिटिव हर तरह की खबरों में खास रूचि है। सीखने-समझने का क्रम लगातार जारी है।..
अगला लेख
जरूरी नहीं कि मैं... सियासत में एंट्री से पहले ही BJP पर रॉबर्ट वाड्रा ने लगाए ये आरोप
2009 से 2019 तक: कांग्रेस तो सिमटती रही, लेकिन बीजेपी के खिलाफ बढ़ते रहे क्षेत्रीय दल; आंकड़े देख लीजिए
बिना शर्त सार्वजनिक माफी, बाबा रामेदव ने SC के सामने लगाई गुहार, जानें पतंजलि केस में आज क्या-क्या
: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें
लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए
फेसबुक
पेज ल

16/04/2024

नई दिल्ली: इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से वोटिंग और वीवीपैट पर्चियों से मिलान की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सर्वोच्च अदालत ने सीक्रेट बैलट के जरिए वोटिंग समस्याओं की ओर इशारा किया। जस्टिस संजीव खन्ना ने याचिकाकर्ता एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के वकील प्रशांत भूषण से कहा कि हम अपनी जिंदगी के छठे दशक में हैं। हम सभी जानते हैं कि जब बैलट पेपर्स से मतदान होता था, तब क्या समस्याएं हुआ करती थी। हो सकता है आपको पता नहीं हो, लेकिन हम भूले नहीं हैं। प्रशांत भूषण यह तर्क दे रहे थे कि कैसे अधिकांश यूरोपीय देश, जिन्होंने ईवीएम के माध्यम से मतदान का विकल्प चुना था, वापस कागज के मतपत्रों पर लौट आए हैं।

16/04/2024

जब बैलट पेपर्स से वोटिंग होती थी तो क्या होता था हम जानते हैं... ईवीएम के खिलाफ बहस पर बोला सुप्रीम कोर्ट
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम को लेकर बहस में कई मुद्दे उठे। इस दौरान वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने वीवीपैट पर्ची से मिलान की मांग उठाई। वहीं बैलट पेपर से वोटिंग का भी मुद्दा उठा। इस दौरान कोर्ट ने इसमें आने वाली समस्याओं का जिक्र किया। जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि तब क्या मुश्किलें होती थी हम नहीं भूले हैं।
ईवीएम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जमकर बहस
SC ने किया सीक्रेट बैलट वोटिंग की समस्याओं का जिक्र
EVM वोटिंग और VVPAT पर्चियों से मिलान की मांग
कोर्ट ने कहा- मशीन सही लेकिन मानवीय हस्तक्षेप गलत

16/04/2024


कन्हैया कुमार को कांग्रेस ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में मनोज तिवारी के ख़िलाफ़ क्यों चुना?- प्रेस रिव्यू

16/04/2024

मैं हेलीकॉप्टर से बाय रोड यहां उतरा, मैंने ऐसा पहली बार किया मित्रो😜

16/04/2024

16/04/2024

16/04/2024

16/04/2024


काराकाट लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे भोजपुरी स्टार पवन सिंह का संदेश, बोले- जनता के लिए जान हाजिर है
भोजपुरी सुपरस्टार बिहार की काराकाट लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. इस ऐलान के बाद अब उन्होंने जनता के लिए एक संदेश भी जारी किया है.

चैती छठ का सुबह का आर्ग
15/04/2024

चैती छठ का सुबह का आर्ग

15/04/2024


AIMIM Bihar: बिहार की 3 सीटों पर ओवैसी की पार्टी ने किया कैंडिडेट तय, प्रियंका चौधरी देंगी पवन सिंह को टक्कर

चैती छठ 2024 को ढेर सारी शुभकामनाएं
14/04/2024

चैती छठ 2024 को ढेर सारी शुभकामनाएं

14/04/2024

चैती छठी छठ ढेर सारी शुभकामनाएं और छठ के शुभ अवसर पर चुनाव आयोग द्वारा अच्छी पहल किया गया

14/04/2024

चुनावी घमासान के आज की तारीख तक, बिहार की दो सीटें ऐसी हैं, जिसे ले कर भारी सस्पेंस बना हुआ है. ये सीटें हैं, सीवान और पूर्वी चंपारण. सीवान से अभी तक राजद ने और पूर्वी चंपारण से अभी तक वी आई पी ने अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. सीवान से हिना शहाब के चुनाव लड़ने की चर्चा है जबकि अवध बिहारी चौधरी को वहां से चुनाव लड़ने के लिए राजद से ग्रीन सिग्नल तो मिल चुका है, लेकिन सिंबल अभी तक नहीं मिला है. वहीं, पूर्वी चंपारण से भाजपा ने अपने कद्दावर नेता राधामोहन सिंह को दसवीं बार चुनावी मैदान में उतार दिया है, लेकिन वीआईपी अभी तक अपना उम्मीदवार तय नहीं कर सकी है. रोजाना एक नया नाम उभर रहा है, लेकिन फाइनल “डील” अब तक नहीं हो सकी है. वहीं, काराकाट एक ऐसी सीट है, जहां अब त्रिकोणीय मुकाबले की उम्मीद

किधर बहेंगे पवन!

धरती से भारी मां होती है और मां से किया वादा आखिर कोई कैसे तोड़ सकता है. इसी वजह से पवन सिंह इस बार चुनावी मैदान में हैं, लेकिन बात सिर्फ वादे की ही है या इरादे की भी? आखिर आसनसोल से भाजपा का टिकट छोड़ कर काराकाट से चुनाव लड़ने के पीछे पवन सिंह का इरादा क्या है? वे एनडीए कैंडिडेट को जिताना चाहते है या हराना? आखिर वे किसके इशारे पर चुनावी मैदान में है? अब तो यह भी खबर आ रही है कि वे बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं. कुछ विश्लेषकों का यह भी कहना है कि भाजपा उपेन्द्र कुशवाहा को सबका सिखाना चाहती है, इसलिए पवन सिंह भाजपा के इशारे पर चुनाव लड़ रहे हैं और अपनी जाति के वोट वे काटेंगे. लेकिन, यह एक कोरी कल्पना भर लगती है. आखिर, एनडीए अपनी एक सीट क्यों कम करना चाहेगी और उपेन्द्र कुशवाहा की स्थिति इस वक्त ऐसी है कि वे वहीं करेंगे जो भाजपा उनसे करने को कहेगी.

Continues below advertisement
एनडीए की बढ़ेंगी मुश्किलें

काराकाट कुशवाहा बहुल क्षेत्र है. नई सीट है. तीन चुनाव हो चुके है और तीनों बार वहाँ से कुशवाहा जाति के उम्मीदवारों की ही जीत हुई है. यह सीट पिछली बार जद(यू) के खाते में थी लेकिन इस बार यह सीट उपेन्द्र कुशवाहा को मिल गयी है. उनके मुकाबाले भाकपा(माले) के राजाराम सिंह है. और मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के लिए पवन सिंह भी अब मैदान में हैं. जातिगत आंकडे़ के हिसाब से इस क्षेत्र में राजपूत, कुशवाहा, यादव जाति के मतदाताओं की संख्या अच्छी-खासी है. इसके 6 विधानसभा क्षेत्रों पर महागठबंधन का कब्जा है. जिसमें से 5 पर राजद और एक पर भाकपा(माले) काबिज है. इस लिहाज से महागठबंधन की स्थिति काफी मजबूत मानी जा सकती है. दूसरी तरफ, पवन सिंह के आने से राजपूत मतदाताओं का वोट उन्हें मिलेगा, जो कहीं न कहीं उपेन्द्र कुशवाहा (एनडीए-भाजपा) के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है क्योंकि आमतौर पर यह माना जाता है कि सवर्ण वोटर्स भाजपा या भाजपा समर्थित उम्मीदवारों के समर्थन में रहते हैं. अगर ऐसा होता है तब अति-पिछड़ों, दलितों, यादवों का वोट महत्वपूर्ण हो जाएगा क्योंकि बाकी के दोनों उम्मीदवार कुशवाहा जाति से हैं और निश्चित ही दोनों इस मतदाता वर्ग में घुसपैठ करेंगे. फिर निर्णायक वोट दलितों, अतिपिछड़ों और यादवों का ही होगा. अब यह देखना होगा कि क्या राजद अपना वोट बैंक पूरी तरह से राजा राम सिंह कुशवाहा (भाकपा (माले)) के पक्ष में शिफ्ट करवा पाती है. अगर ऐसा हो जाता है तो निश्चित ही पवन सिंह एनडीए उम्मीदवार उपेन्द्र कुशवाहा के लिए एक भारी सिरदर्द साबित हो सकते हैं.

बिन शहाबुद्दीन, शहाब कितनी ताकतवर!

पिछले तीन लोकसभा चुनाव हिना शहाब राजद के टिकट पर लड़ कर हार चुकी है, तब भी तब जब मोहम्मद शहाबुद्दीन जीवित थे. अब 2024 में हिना शहाब निर्दलीय लड़ कर क्या कर सकती है? हालांकि, यह सवाल देखने में जितना आसान लगता है, मामला इतना सरल नहीं है. सवाल “माई” का है. सवाल “बेटी” का है. और यही वजह है कि लालू यादव अब तक सीवान का टिकता फाइनल नहीं कर सके हैं जबकि राजद के वरिष्ठ नेता अवध बिहारी चौधरी पहले से ही चुनाव प्रचार में उतर चुके हैं, लेकिन अभी तक उन्हें सिंबल नहीं मिलना बहुत कुछ कहता है. अंदरखाने यह खबर थी कि लालू यादव एक बार फिर से हिना शहाब को टिकत देने के मूड में थे लेकिन तेजस्वी इसके खिलाफ थे. हिना शहाब ने साफ़ कर दिया है (अब तक की स्थिति) कि वे निर्दलीय लड़ेंगी. पप्पू यादव ने उन्हें अपना समर्थन दिया है और ओवैसी ने भी उन्हें समर्थन देने की बात कही है. यही से मामला उलझाऊ हो जाता है, जिससे कहीं न कहीं राजद भ्रम की स्थिति में है.

हिना शहाब हारती हैं या जीतती हैं, यह महत्वपूर्ण नहीं है लेकिन वह सीवान समेत पूरे बिहार के अल्पसंख्यकों के बीच शायद यह मैसेज देने में सफल हो सकती है कि उनके पति के साथ राजद के लोगों ने न्याय नहीं किया, साथ नहीं दिया. साथ ही पप्पू यादव अगर उनके समर्थन में उतर कर सीवान में रैली कर देते है तो फिर “माई” समीकरण को डेंट लगाने का खतरा रहेगा. फिर इसका असर पड़ोस के सारण पर भी होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. तो इस हिसाब से “बेटी” के चुनाव पर भी खतरा आ सकता है. यह सब देखते हुए, महसूस करते हुए ही शायद लालू प्रसाद यादव सीवान को ले कर अब तक (13 अप्रैल) भ्रम की हालत में हैं कि आखिर सीवान का क्या किया जाए.

पूर्वी चंपारण: वाक ओवर या कठिन फाइट!

यह एक ऐसा लोकसभा क्षेत्र है, जहां से पूर्व केन्द्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता राधामोहन सिंह दसवीं बार चुनाव लड़ रहे है. जाहिर हैं, वे अपनी जीत को ले कर आशान्वित तो हैं लेकिन, जब से यह सीट राजद ने वीआईपी को दिया है, तब से यहाँ एक अजीब किस्म की कशमकश चल रही है. रोज एक नया नाम सामने आ रहा है. इससे न सिर्फ विपक्ष बल्कि निर्वर्तमान सांसद भी कन्फ्यूज्ड होंगे, भले वह कन्फ्यूजन उपरी तौर पर न दिख रहा हो. इस क्षेत्र में महागठबंधन की तरफ से अब तक कोइ दमदार उम्मीदवार सामने दावेदारी करने नहीं आया है जो इतने वरिष्ठ नेता को एक फाइट तक दे सके. विश्लेषकों का मानना है कि यहाँ राधामोहन सिंह के लिए चुनाव केकवॉक है, यानी उनके सामने कोई है ही नहीं. हालांकि, राजनीति इतनी आसान नहीं होती और अतिआत्मविश्वास राजनीति में कई बार भारी पड जाता है. शायद यही वजह है कि राधामोहन सिंह को यह कहना पडा कि मुकेश सहनी अगर निषाद हितैषी है तो वे किसी निषाद (सहनी) को टिकट दे कर दिखाएं. इसके पीछे वजह है कि वे मुकेश सहनी को बैक फुट पर लाना चाहते है. जबकि सच्चाई यह है कि इस क्षेत्र से अगर ऐसे किसी भूमिहार या वैश्य उम्मीदवार को मुकेश सहनी टिकट देते हैं जो साम-दाम-दंड-भेद का माहिर खिलाड़ी हो तो फिर राधामोहन सिंह के लिए यह चुनाव एक कड़ी टक्कर में बदल सकता है. इसी तर्ज पर रोज एक नया नाम आ रहा है. दो नाम तो ऐसे आए, जिनका कनेक्शन भाजपा से रहा है, बाकी राजद से जुड़े लोगों के नाम भी आ रहे हैं. लेकिन, भाजपा से जुड़े जिन दो लोगों के नाम सामने आए हैं, उनमें से किसी को भी अगर टिकट मिलता है तो यहाँ की लड़ाई काफी टफ हो सकती है. इनमें से एक पूर्व भाजपा सांसद हैं और एक भाजपा के पुराने समर्पित और लोकप्रिय कार्यकर्ता हैं. दोनों उस जातिगत समीकरण में भी फिट बैठते हैं.

बिहार का चुनाव इस बार थोड़ा अलग होने वाला हैं. हालांकि, जो स्थिति 1 महीना पहले तक थी, यानी महागठबंधन जितनी मजबूत स्थिति में थी, वह स्थिति थोड़ी कमजोर हुई है. और इस वजह से कि टिकट वितरण में कहीं न कहीं “डील” की भूमिका हावी रही. अब यह “डील” सफल होती है या “नो डील” में बदल जाती है, 4 जून को तय हो जाएगा.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.

13/04/2024

13/04/2024

12/04/2024

12/04/2024

KVS Admission 2024 : केंद्रीय विद्यालय में एडमिशन को लेकर नया नोटिस जारी, देखें नया नोटिस।

12/04/2024


की गहराई में मिला 1600 साल पुराना खजाना
तेलंगाना की राजधानी से 110 किमी दूर एक बौद्ध विरासत स्‍थल में एक मंदिर की खुदाई के दौरान मिट्टी के मटके में इक्ष्‍वाकु काल का खजाना मिला है. इसमें हजारों सिक्‍कों के साथ ही उस दौर की कई मूल्‍यवान चीजें भी मिली हैं. पहले भी इस जगह की खुदाई में विरासत विभाग को कई बहुमूल्‍य चीजें मिली थीं.

12/04/2024


PM Silai Machine Yojana 2024: योजना के तहत सिलाई मशीन के साथ ट्रेनिंग और 15000 रुपये भी, ऐसे करें आवेदन

11/04/2024



एजुकेशन
KVS Admisssion: केंद्रीय विद्यालय में बदल गया एडमिशन का नियम, प्राइवेट जॉब वालों के बच्चों के लिए भी आया नया रूल
KVS Admisssion: केंद्रीय विद्यालय में बदल गया एडमिशन का नियम, प्राइवेट जॉब वालों के बच्चों के लिए भी आया नया रूल
KVS Admission 2024-2025: केंद्रीय विद्यालय में अपने बच्चों का दाखिला कराने के इच्छुक पेरेंट्स के लिए एक जरूरी खबर है। केंद्रीय विद्यालय में एडमिशन के नियम में बड़ा बदलाव किया गया है, जो जानना आपके लिए बेहद जरूरी है।
Follow us on
केंद्रीय विद्यालय में बदला एडमिशन का नियम- Hindi
Image Source :
केंद्रीय विद्यालय में बदला एडमिशन का नियम
Edited By :

KVS Admission 2024-2025: जो अभिभावक अपने बच्चों का दाखिला केंद्रीय विद्यालय में कराने के इच्छुक हैं, उनके लिए एक बेहद जरूरी खबर है। केंद्रीय विद्यालय की हर क्लास में दाखिले की आठ-आठ सीटें घटा दी गई हैं। इस संबंध में आधिकारिक वेबसाइट पर जारी नोटिफिकेशन मौजूद है। जारी किए गए नोटिफिकेशन के मुताबिक 32 सीटों के लिए ही आवेदन मांगे गए हैं। जबकि पहले अभी तक प्राइमरी से हायर सेकेंडरी तक हर क्लास में 40-40 सीटें हुआ करती थीं।

स्टेट ट्रांस्फर का नहीं मिलेगा लाभ
वहीं, इसके साथ ही बच्चों की ट्रांसफर पॉलिसी में भी बदलाव किया गया है। प्राइवेट सेक्‍टर की नौकरी कर रहे अभिभावकों का स्टेट के बाहर ट्रांसफर होने पर बच्चों को दूसरे राज्य के विद्यालय में ट्रांसफर नहीं मिलेगा। अगर सरल भाषा में कहें तो प्राइवेट नौकरी में काम कर रहे लोगों के बच्‍चों को स्‍टेट ट्रांसफर की सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा। बता दें कि केवी में हर साल भारी मात्रा में एडमिशन एप्लीकेशन आते हैं।

कब तक कर सकते हैं आवेदन
बता दें कि केंद्रीय विद्यालय में क्लास 1 और बाकी सभी कक्षाओं में दाखिले के लिए आवदेन प्रक्रिया चल रही है। क्लास 1 के लिए 15 अप्रैल 2024 तक अप्लाई किया जा सकता है, जो कि लास्ट डेट है।
वहीं बाकी सभी क्लासेज के लिए आवेदन करने की आखिरी तारीख 10 अप्रैल 2024 है।
क्लास 1 के लिए चयनित छात्रों की पहली सूची 19 अप्रैल को जारी की जाएगी। इसके बाद 29 अप्रैल और फिर 8 मई को तीसरी जारी की जाएगी।
वहीं बाकी सभी क्लासेज के लिए लिस्ट 15 अप्रैल को जारी की जाएगी।
एडमिशन के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट्स
मूल जन्म प्रमाण पत्र

एससी/एसटी/ओबीसी प्रमाण पत्र(अगर लागू हो)
आवास प्रमाण पत्र
बच्चे का आधार कार्ड
पेरेंट्स का आधार कार्ड
बच्चे की पासपोर्ट साइज फोटो(2)

Address

Gaya
824235

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Gaya Today posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Gaya Today:

Videos

Share


Other News & Media Websites in Gaya

Show All