16/07/2022
प्रकृति से प्रेम करिए। जगत कल्याण की कामना कीजिए।देवभूमि उत्तराखंड के ऐतिहासिक लोक पर्व #हरेला की आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं।ये पर्व हमारे राज्य के लिए सुख समृद्धि लेकर आए।
जी राया जागी राया ।
आप के पास कुछ है पहाडों की कहानी या बात तो हमे बताये
"जय देव भूमि" आप सभी को हमारी शुभकामनाएं कि आप हमारे ब्लॉग पर आए, हम अपने ब्लॉग के माध्यम से उत्तराखंड के रीति रिवाज,इतिहास,खाना,मंदिर,फल और फूल,कहानियां,वर्तमान में पहाड़,इत्यादि की जानकारी देते हैं
प्रकृति से प्रेम करिए। जगत कल्याण की कामना कीजिए।देवभूमि उत्तराखंड के ऐतिहासिक लोक पर्व #हरेला की आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं।ये पर्व हमारे राज्य के लिए सुख समृद्धि लेकर आए।
जी राया जागी राया ।
"गाँव" शब्द सुनते ही हमारे दिलों-दिमाग में पिछड़ेपन का ख्याल आता है। ख्याल आता है जहाँ समस्याओं का अंबार लगा होगा। पढ़ाई के लिए अच्छे स्कूल नहीं होंगे, ईलाज के लिए बेहतर अस्पताल की व्यवस्था नहीं होगी, सड़कें पक्की नहीं होंगी और न होगी रोजगार की कोई समुचित व्यवस्था।
लेकिन, अगर यह सब सुविधाएं किसी गाँव में उपलब्ध हों तो क्या उसे गाँव कहा जाएगा या फिर शहर का दर्जा देना उचित रहेगा। अक्सर, जब हम किसी गाँव को जरूरत के सभी दृष्टिकोण से पूर्ण लैस देखते हैं तो अनायास ही बोल पड़ते हैं कि देखो "गाँव जैसे लगता ही नहीं, मानो शहर हो"।
ऐसा अक्सर इसलिए होता है कि हमने कभी भी गांवों को उनका वाजिब हक देने के बारे में सोचा ही नहीं; और जब भी उसके हिस्से थोड़ी सी सुविधाएं आई तो लोगों की भौंहें तन गई।
मैं चाहता हूँ कि हर #उत्तराखंडी को यह मालूम होना चाहिए कि वो जिन #विधायकों को चुनकर #विधानसभा में भेजते हैं, आपके #टैक्स का कितना पैसा उनको #वेतन_भत्ते के रूप में दिया जाता है।
नोट- माननीयों को दिया जाने वाला #वेतन_भत्ता होता है।
#मां_धारी_देवी_मंदिर_की_दंत_कथा
कहते हैं कि धारी देवी सात भाइयों की इकलौती बहन थी, बचपन में ही माता पिता के देहांत के बाद सातों भाइयों ने धारी देवी की देखरेख की वह भी अपने भाइयों की खूब सेवा करती थी तभी भाइयों को पता चला कि उनकी बहन के ग्रह भाइयों के खराब हैं तो ओ बहन से नफ़रत करने लगे,जब वह कन्या तेरह साल की थी तो उसके पांच भाइयों की मृत्यु हो गई बचे हुए दो भाइयों को लगा कि इसी बहन के ग्रहों के कारण भाइयों की मृत्यु हो गई है, फिर उन्होंने रात्रि के समय में कन्या की हत्या कर दी और उसका सिर धड़ से अलग कर दिया सिर और धड़ को गंगा में बहा दिया, कन्या का सिर बहते हुए दूर धारी गांव में पहुंच गया, प्रातः काल में नदी किनारे एक व्यक्ति कपड़े धो रहा था उसे लगा कि एक कन्या डूब रही है बचाने का प्रयास किया परंतु पानी बहुत था इसलिए पीछे हटा तभी उस सिर में से आवाज आई कि डर मत मुझे बचा तू जहां जहां पैर रखेगा वहां पर सीढ़ियां बनती जायेंगी,उस व्यक्ति ने ऐसा ही किया और सीढ़ियां बनती गई, जैसे ही उसने कन्या समझकर सिर को उठाया तो कटा सिर देखकर घबरा गया फिर सिर पर से आवाज आई कि मैं देवी रूप में हूं तू मुझे किसी पवित्र स्थान पर पत्थर के ऊपर स्थापित कर दे, व्यक्ति ने वैसा ही किया तब देवी ने उसे सारी बात बताई और पत्थर में परिवर्तित हो गई, कन्या के शरीर का बाकी हिस्सा काली मठ में है जहां मैठाणा मां के रूप में सुप्रसिद्ध है,
धारी देवी मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में स्थित है मां धारी को उत्तराखंड की रक्षक भी कहा जाता है,,
मां की कृपा संपूर्ण जगत पर सदैव बनी रहे,
खूबसूरत दर्शन मा धारी देवी मंदिर के,,
🙏🙏🌹जय♥️मां♥️धारी♥️देवी🌹🙏🙏
#गायत्री_जयंती की आपको हार्दिक बधाई
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।
माता गायत्री से यही प्रार्थना कि हर घर-आंगन में सुख, समृद्धि और खुशहाली आये।
चहुंओर दिव्यता, शुभत्व और शुभता का दीप जगमगाये, यही कामना।
#हिंदू #पंचांग के अनुसार #ज्येष्ठ_माह की #शुक्ल_पक्ष की #दशमी तिथि को #गंगा #दशहरा का पावन पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन मां गंगा #भगीरथ जी की #तपस्या से प्रसन्न हो करके स्वर्ग लोक से पृथ्वी लोक पर आईं थीं। मां गंगा की पूजा- अर्चना करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस पर्व को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है। मां गंगा से प्रार्थना है कि वे हम सभी पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें तथा हमारे जीवन में सुख-समृद्धि का संचार करें।
समृद्धं सौभाग्यं सकल वसुधायाः किमपि तत्-
महैश्वर्यं लीला जनित जगतः खण्डपरशोः ।
श्रुतीनां सर्वस्वं सुकृतमथ मूर्तं सुमनसां
सुधासौन्दर्यं ते सलिलमशिवं नः शमयतु॥
(स्रोत -गंगा लहरी 1)
(हे माँ!) महेश्वर शिव की लीला जनित इस सम्पूर्ण वसुधा की आप ही समृद्धि और सौभाग्य हो, वेदो का सर्वस्व सारतत्व भी आप ही हो। मूर्तिमान दिव्यता की सौंदर्य-सुधायुक्त आपका जल, हमारे सारे अमंगल का शमनकारी हो।
भविष्य पुराण में लिखा हुआ है कि, जो मनुष्य इस दशहरा के दिन गंगा के पानी में खड़ा होकर 10 बार गंगा की स्तुति को पढ़ता है चाहे वो दरिद्र हो, चाहे असमर्थ हो वह भी प्रयत्नपूर्वक गंगा की पूजा कर उस फल को पाता है। मां गंगा सब अवयवों से सुंदर, तीन नेत्रों वाली चतुर्भुजी, जिनकी चारों भुजा, रत्नकुंभ, श्वेतकमल, वरद और अभय से सुशोभित हैं, आप श्वेत वस्त्र धारण किए हैं। आप मुक्ता मणियों से विभूषित है, सौम्य है, अयुत चंद्रमाओं की प्रभा के समान सुख देने वाली हैं, जिस पर चामर डुलाए जा रहे हैं, श्वेत छत्र से भली भांति शोभित है, आप अत्यंत प्रसन्न हैं, वर देने वाली हैं, निरंतर करुणार्द्रचित्त है, भूपृष्ठ को अमृत से प्लावित कर रही हैं, दिव्य गंध लगाए हुए हैं, त्रिलोकी से पूजित हैं, सब देवों से अधिष्ठित हैं, दिव्य रत्नों से विभूषित हैं, दिव्य ही माल्य और अनुलेपन हैं, ऐसी गंगा मां के पानी में ध्यान करकेभक्तिपूर्व मंत्र से अर्चना कर रहा हूं । सनातन वैदिक धर्म में गंगा दशहरा का विशेष महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार महाराजा भगीरथ के अखंड तप से प्रसन्न होकर जिस दिन मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुईं वह बहुत ही दिव्य और पवित्र दिन था। यह दिन जेष्ठ माह शुक्ल पक्ष की एकादशी था। मां गंगा के अवतरण दिवस को गंगा दहशरा मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान से मनुष्य को कई यज्ञ करने के बराबर पुण्य प्राप्त होते हैं। इसलिए आस्थावान मनुष्य को पवित्र मन के साथ ही गंगा स्नान करना चाहिए। इस दौरान मां गंगा और भगवान शिव का स्मरण भी बहुत से लोग करते हैं।
यात्रा पूरे छः महीने खुली रहेगी, अतः आप से निवेदन है कि आप थोड़ा रुक कर जुलाई अगस्त, सिंतबर में यात्रा करें।
केदारनाथ बदरीनाथ जाना है और मई जून में ही जाना है
ये ज़िद्द फिर किसी त्रासदी को बुलाएगी!!
केदारग्राम एक बेहद छोटा सा गांव है जिसकी कुल क्षमता 10000 लोग एक बार मे झेलने की है।
वहां अधिकतम एक रात में 10000 लोगों के रुकने की व्यवस्था है इतने ही लोगों के भोजन की व्यवस्था हो सकती है।
मई जून में ही केदारनाथ बद्रीनाथ जाऊंगा ये ज़िद्द बहुत भारी पड़ सकती है, बहुत भारी ...
हाथ जोड़कर निवेदन है मान जाइये...
वरना 2013 की तरह फिर भोले त्रिनेत्र खोल देंगे तो झेल नही पाओगे...
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Thanks u support
🕉🌹🌹 माँ बाराही धाम, देवीधूरा
#बाराहीधाम_पाण्डवोंके_अज्ञातवास_पौराणिक
#धार्मिक_एवं_ऐतिहासिक_घटनाओं_से_जुडाहै
यहा प्रसिद्ध देवीधूरा मेला आयोजित हुआ करता है। #वैष्णवी_माँ_वाराही का मन्दिर भारत में गिने चुने मन्दिरों में से है। पौराणिक कथाओं के आधार पर हिरणाक्ष व अधर्मराज पॄथ्वी को पाताल लोक ले जाते हैं। तो पृथ्वी की करूण पुकार सुनकर भगवान विष्णु वाराह का रूप धारण कर पृथ्वी को बचाते है। तथा उसे वामन में धारण करते है। तब से पृथ्वी स्वरूप वैष्णवी वाराही कहलायी गई। यह वैष्णवी आदि काल से गुफा गहवर में भक्त जनों की मनोकामना पूर्ण करती आ रही है।
#मंदिर_का_इतिहास
वाराह पुराण के अनुसार, जब हिरण्य कश्यप के भाई हिरण्याक्ष का पूरे पृथ्वी पर आधिपत्य हो गया था। देवताओं, साधू-सन्तों और ऋषि मुनियों पर अत्याचार बढ़ गया था तो हिरण्याक्ष का वध करने के लिये भगवान विष्णु को वाराह का रूप धारण करना पड़ा था। भगवान विष्णु ने जब पाताल लोक पंहुचने के लिये शक्ति की आराधना की तो मुकुन्दपुर में सुखनोई नदी के तट पर मां भगवती बाराही देवी के रूप में प्रकट हुईं। इस मन्दिर में स्थित सुरंग से भगवान वाराह ने पाताल लोक जाकर हिरण्याक्ष का वध किया था। तभी से यह मन्दिर अस्तित्व में आया।
इसे कुछ लोग #बाराही देवी और कुछ लोग उत्तरी #भवानी के नाम से जानने लगे। मंदिर के चारों तरफ फैली वट वृक्ष की शाखायें, इस मन्दिर के अति प्राचीन होने का प्रमाण है।
#300वर्ष_प्राचीन_शिव_को_समर्पित_प्रसिद्ध #पंचमेश्वर_महादेव_मंदिर_रानीखेत_उत्तराखंड
1....प्राचीन शिवमंदिर...... पंचमेश्वर महादेव मंदिर यह उत्तराखंड, रानीखेत के गांधी चौक के पास स्थित है।।
2....यह मंदिर 300 वर्ष पुराना है। भगवान शिव के लिंग पर चांदी की परत चढाई गई है। भगवान शिव के मंदिर की वास्तुकला उत्तराखंड के अन्य पुराने मंदिरों जैसी है। शिव मंदिर में भगवान राम परिवार और माता दुर्गो का मंदिर भी है।
3 श्रद्धालुओं का जमावड़ा श्रावण मास मे अधिक रहता है।
#बाल_मिठाई का 20वीं सदी में आविष्कार और प्रसिद्ध करने का श्रेय जाता है, #लाला_जोगा_लाल_शाह को,
बताते हैं कि अल्मोड़ा के लाला बाज़ार में उनकी दुकान हुआ करती थी जो आज भी है। उस समय सिर्फ उनकी दुकान में ही ये मिठाई बनाई जाती थी।
ऐसा कहते हैं कि लाला जोगा लाल शाह बाल मिठाई बनाने के लिए डेयरी प्रोडक्ट्स के लिए मशहूर गांव माल गाँव से(जानकारी द्वारा उस ाक्षी Jiwan Tewari जी) दूध/ खोया स्पेशल क्रीम वाला मंगवाते थे ।
बाल मिठाई के आविष्कारक हैं ही लाला जोगा लाल शाह। आज भी इनकी दुकान अल्मोड़ा के लाला बाज़ार में है। मिठाई आज भी वैसी ही अच्छी बनती है।
#कापी
🙏🏼
गांव की सड़कों पर सरपट दौड़ती बस,
आखिर डूब ही गया जौनसार का लोहारी गांव । शहरो को रोशन करने के लिए एक ओर गांव का बलिदान 😟
नैनीताल जिले के रामनगर शहर की प्रतिभावान क्रिकेट खिलाड़ी नीलम भारद्वाज का भारतीय महिला क्रिकेट टीम के टी. 20 फॉरमेट में चयन होने पर पर हर्दिक बधाई एवं उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ..
तेजी से वायरल हो रहे इस तस्वीर से सरकार को कुछ निर्णय लेना चाहिए।
राइका चम्पावत की यह तस्वीर देर रात 7:30 बजे की है।
जहां देर रात परीक्षा देकर आ अरे कुछ विद्यार्थियों की तस्वीर सामने आ रही है।
एक ओर आए दिनों पहाड़ों में गुलदार का आतंक हो रहा है ।
इसलिए समय पे थोड़ा ध्यान देना जरूरी है।
PMO India
Narendra Modi
Pushkar Singh Dhami
मूल रूप से राज्य के 'अल्मोड़ा' जिले के चौखुटिया के ग्राम पंचायत- ढनाण, निवासी "त्रिलोक सिंह मेहरा *के बेटे *प्रदीप मेहरा* का नोएडा की सड़कों पर दौड़ते ⛸️⛸️हुए विडियो वायरल हुआ था इसे देखते हुए अब ""प्रदीप मेहरा ""को पंजाब स्थित सैन्य अकादमी में तीन वर्षीय ट्रैनिंग का प्रस्ताव मिला है.....👏👏👏
इससे पहले "यूथ फ़ाउंडेशन उत्तराखंड "द्वारा भी प्रशिक्षण देने का प्रस्ताव दिया गया था... 👍🏼👍🏼👍🏼
मौसम के साथ बदलती रसोई
गर्मी बढ़ने से पहाड़ो मे लोग अपने किचन को बाहर आँगन मे ले आते है यही खाना बनता है और चपल उत्तर कर सब नीचे बैठ कर खाना खाते है !
जय हो देव भूमि उत्तराखंड
एक उभरता क्रिकेटर आशीष बडोनी------
दिल्ली के लिए खेलने वाले आशीष बडोनी मूल रूप से उत्तराखंड गढ़वाल का रहने वाला है. अपने पहले ही मैच में इन्होने ५४ रनों पर चार चौके और तीन छक्के लगाकर सबका ध्यान आकर्षित करदिया. आशीष जितनी अच्छे बैटिंग करते हैं उतनी ही अच्छी बॉलिंग भी करलेते हैं.इससे पूर्ब ये कितने ही राष्ट्रीय मैचों में खेल चुके हैं और अच्छा प्रदर्शन दिखाया.---------.
उत्तराखंड राज्य में पारंपरिक मकानों के दरवाजों व खिड़कियों को लकड़ी की सजावट के साथ बनाया जाता रहा है, जिसे 'तिबेरि' अथवा 'तिबारी' कहा जाता है। दरवाजों के चौखट पर देवी-देवताओं, हाथी, शेर, मोर आदि के चित्र नक्काशी करके बनाए जाते हैं। प्राचीन समय के बने घरों की छत पर चिड़ियों के घोंसलें बनाने के लिए भी स्थान छोड़ा जाता था। राज्य में नक्काशी व चित्रकारी पारम्परिक रूप से आज भी होती है और कई स्थानों में आज भी काष्ठ कला देखने को मिलती है।
अस्तित्वम् फाउंडेशन के सदस्यगण समय के साथ विलुप्त होती कलाशैलियों तथा कलाविधों के प्रोत्साहन तथा संरक्षण हेतु कार्य कर रहे हैं।
पारंपरिक मकानों को खंडहर बनने से रोकना होगा अन्यथा आने वाली पीढ़ियां विलुप्त हो गई परंपराओं की तरह इस कलाशैली को भी सिर्फ तस्वीरों के माध्यम से ही देख पायेगी। आप भी पहल करें तथा सभी को प्रेरित करें।
गाँव मे धनपुतली उड़ने का मतलब होता है कि ये किसान को चेताता है कि अब धान लगाने का समय आ गया है पहाड़ी भाषा मे इसे धनपुतई कहते है पहाड़ मे मौसम की चेतावनी याद कराता है..
जब चीटी का अन्तिम समय आता है तो उनके पर निकल जाते हैं, वह उड़ती हैं, खूब उड़ती हैं और अन्त में मर जाती हैं। लेकिन बचपन में बरसात के मौसम में और धान की फसल ऊपर निकल आने पर इनके पर निकलने शुरु होते थे,
हम बच्चे इन्हें पकड़ते और छोड़ देते और गाते
"'धनपुतली दान दे,सुप्पा भरी धान दे,तेरी बरियात पछिल देखुल,बरखा एगे जान दे""🙂
खेतों में इन पुतलों का पीछा करना हर पहाड़ी के बचपन की एक सुनहरी याद है, साथ में इस बालगीत को चिल्ला-चिल्ला कर गाना। ऐ धनपुतली फिर मुझे गाँव पहुँचा दे।
माना जाता है कि चींटी जीवन भर मेहनत करती है और उसे भगवान अपने पास बुलाने के लिये धनपुतली बनाता है और यह उड़कर उस तक पहुंचती है, इसलिये कृषि प्रधान पहाड़ इनसे धान की अच्छी फसल होने की कामना करता है।
🙏🌹🌷🌺🌻🌼🌻🌺🌷🌹🙏
प्राचीन श्री गिरिजा देवी मन्दिर रामनगर उत्तराखंड भारत
#गर्जिया #माँ
#गर्जिया_देवी
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#श्रीगिरिजा_देवी
#गिरिजा_देवी
#रामनगर
#नैनीताल #भारत
।। जय माँ ।।
Village Simkhet Post Office Chaukhal
Garhwal
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