namo budhay

namo budhay appo dippo bhavah

26/01/2025
02/01/2025

Hindu mahilaao ko padhne ka hak (adhikar) kisne diya Savitri Bai Phule ne ya sarswati ne?

बिहार प्रदेश की गंदी शाशन व्यवस्था पर धिक्कार है , फिर से एक बार केसरिया बौद्ध स्तूप को नष्ट करने की सफल कोशिश करते हुए ...
02/01/2025

बिहार प्रदेश की गंदी शाशन व्यवस्था पर धिक्कार है , फिर से एक बार केसरिया बौद्ध स्तूप को नष्ट करने की सफल कोशिश करते हुए भारतीय हिंदू समुदाय के हिंसक लोग।

भारतीयो को बुद्धिस्ट से हिंदू कब और किसने बनाया?जवाब अच्छे से समझे- भारत में 28 बुद्ध का जिक्र मिलता है। बुद्ध से पूर्व ...
02/01/2025

भारतीयो को बुद्धिस्ट से हिंदू कब और किसने बनाया?

जवाब अच्छे से समझे- भारत में 28 बुद्ध का जिक्र मिलता है। बुद्ध से पूर्व 27 बुद्ध का जिक्र मिलता है पुरातत्व सबूत हो या नालंदा विश्विद्यालय के छात्र सब इसकी ग्वाही डंके की चोट पर दे रहे है।

#बुद्ध के समकालीन सभी राजाओ के #पूर्व_बुद्ध के बाद #तथागत_बुद्ध की शरण में आने के सबूत मिलते है ।

#सम्राट_असोक के समय पूरा जम्मुदीप ही बौद्धमय बन चुका था। फिर उसके बाद मुस्लिम के आने के पूर्व जितने भी राजा बने सभी #सम्राट_असोक के बनाये #धम्म_संविधान के आधार पर जम्मुदीप पर शासन करते रहे ।

आज भी भारत के समस्त राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह मौर्य राजाओ के बनवाये धम्म चिह्न ही है इससे पता चलता है की बौद्ध राजाओ ने भारत को अपने खून पसीने से सींचा है सवारा है और इसलिए उनके ही धम्म प्रतीक, आजाद भारत के राष्ट्रीय प्रतीक है ।

तो सवाल अब यह है जब न हमने धर्म परिवर्तन किया न ही हमारे पुरखों ने तो फिर जब हमसभी बाय डिफॉल्ट बुद्धिस्ट ही है तो कौन और क्यो हमे हिंदू और भारत को हिंदुस्तान कहके हमारी सभ्यता संस्कृति को बदलने का प्रयास कर रहा है?

बुद्ध के देश में अंबेडकर जी का अपमान नहीं होगा, जिस यूरेशियन को भारत देश अच्छा नहीं लगता वह अपने जगह पर चला जाए।
19/12/2024

बुद्ध के देश में अंबेडकर जी का अपमान नहीं होगा, जिस यूरेशियन को भारत देश अच्छा नहीं लगता वह अपने जगह पर चला जाए।

भारत(जम्बूदीप) का पहला ज्ञात संविधान  #सम्राट_असोक ने  #धम्म की छत्रछाया में पत्थरों का सीना चीर के बनवाया था जिसे राह च...
16/12/2024

भारत(जम्बूदीप) का पहला ज्ञात संविधान #सम्राट_असोक ने #धम्म की छत्रछाया में पत्थरों का सीना चीर के बनवाया था जिसे राह चलते राहगीर भी पढ़ सकते थे की किस नियम से यह देश चलेगा।

मुस्लिम शासन काल में #मनुस्मृति, #सम्राट_असोक के संविधान को खत्म करके भारतीयो पर #ब्राह्मणवाद थोपने हेतु लाई गई थी।

ये देश #बुद्ध, #सम्राट_असोक, #फुले, #पेरियार और #बाबा_साहब का है।

हनुमान जब लंका पहुचे तो उन्हें रावण द्वारा लगवाये अशोकवाटिका (असोकवाटिका) में बैठी सीता जी मिली। (वाल्मीकि रामायण, बालका...
16/12/2024

हनुमान जब लंका पहुचे तो उन्हें रावण द्वारा लगवाये अशोकवाटिका (असोकवाटिका) में बैठी सीता जी मिली। (वाल्मीकि रामायण, बालकाण्ड प्रथम सर्ग) कमाल की बात है रावण भी वाटिका सम्राट असोक के नाम पर लगवाया था?

चौक गए ?

अरे भाई रावण बुद्धिस्ट था,

पांचवी सदी का लंकावतार सूत्र में भी लिखा है लंकावतार सूत्र के 4 अलग अलग मेनुस्क्रिप्ट 7, 8 वी सेंचुरी के मिल चुके है।

रावण पूर्व बुद्ध को मानता था तो सम्राट असोक के नाम पर अशोकवाटिका भी बनवा रखा था ।

अब कुछ लोग कहेंगे की ये तो काल्पनिक कहानिया है तो हा भाई काल्पनिक ही है लेकिन शब्दावलियों को पकड़े ।

लेखक ने वाल्मीकि रामायण जब भी लिखा उसके सम्राट असोक के बनवाये लोक कार्य के विकल्प शब्द नहीं मिल सका इसलिए लंका में अशोकवाटिका लिखना मजबूरी बन गया । आख़िर सम्राट असोक ही तो अपने बेटे बेटी को सिलोन भेजे थे साथ में बोधि पेड़ भी गया था।

उससे भी कमाल की बात है रावण अगर वेद ज्ञानी होता तो रावणवाटिका या वैदिक वाटिका या हिंदू वाटिका या सनातन वाटिका या बगीचा, बाग इत्यादि लिख लेता? पर लिखता कैसे क्योकि उस समय आम जनमानस में सम्राट असोक की बनवायी अशोकवाटिका की फेमस थी। और फिर वो ठहरा बुद्धिस्ट ।

अब लगे हाथ कोई ये मत कह देना की अशोकवाटिका वैदिक ब्राह्मण लगवाते थे क्योकि वेद उपनिषद स्मृतियों में अशोकवाटिका का नामो निशान तक नहीं है और कुबेर जिसने लंका बनायी थी वो महायान में ऑल रेडी पाया ही जाता है ।

लेकिन सवाल अभी वही है कि हनुमान जी के लंका पहुचने से पहले ही सम्राट असोक की अशोकवाटिका लंका में अवेलेबल थी तो फिर वाल्मीकि रामायण कब लिखी गई ?

क्यो वाल्मीकि रामायण में बुद्ध की, शको की कंबोजो की म्लेच्छों की और तो और तोप की चर्चा है ?

रिफरेन्स का कुछ हिस्सा संलग्न है आप ख़ुद पढ़ लेवे ।

05/12/2024

baudh stup ki khudai mein Sindhu ghati sabhyata Mili na ki Sindhu ghati ki khudai mein baudh stup

कौन पुराना और कौन मुख्य ?हिंदू का मुख्य ग्रंथ ब्राह्मण की लिखी वेद उपनिषद । वेद उपनिषद का मुख्य देवता इंद्र, वही इंद्र ज...
04/12/2024

कौन पुराना और कौन मुख्य ?

हिंदू का मुख्य ग्रंथ ब्राह्मण की लिखी वेद उपनिषद । वेद उपनिषद का मुख्य देवता इंद्र, वही इंद्र जो बुद्ध की स्तुति करता है।

कमाल की बात हिंदू, ब्राह्मण की स्तुति करता है, ब्राह्मण, वेद उपनिषद के मुख्य देवता इंद्र, ब्रह्मा की स्तुति करता है और ब्रह्मा और इंद्र, बुद्ध की स्तुति करते पाए जाते है प्राचीन भारत की शिल्पकला में ।

पुराना कौन कागज की गपोड़ या प्राचीन काल के मिल रहे पुरातत्व सबूत ?

1st-2nd century, Kushan Period, Gandhara, Buddha worshipped by the Gods Indra and Brahma, schist,

गुप्त वंश पूरी तरह बुद्धिस्ट था, ह्यूनसंग ने बहुत ही डिटेल्स में इसका जिक्र किया है लेकिन भारत के गपोड़ा इतिहासकारों ने ...
04/12/2024

गुप्त वंश पूरी तरह बुद्धिस्ट था, ह्यूनसंग ने बहुत ही डिटेल्स में इसका जिक्र किया है लेकिन भारत के गपोड़ा इतिहासकारों ने उसे हिंदू घोषित किया और आधार बनाया बुद्धिस्ट जातक कथाओं का । बोधिसत्व राम के पुरातत्व चित्रों को मनुवादी राम घोषित किया ।

नीचे संलग्न चित्र देख सकते है बिना जनेऊ के किरदार का हुलिया सर के बाल, कान चीवर इत्यादि पूरी तरह बुद्धिस्ट शैली है लेकिन इसे रामायण कहा गया है डिस्क्रिप्शन में । रिफरेन्सः वॉशिंगटन लाइब्रेरी, शिल्पकला मध्यप्रदेश से प्राप्त

हुई है, 500 CA

ऋग्वेद का नाम पहली बार कब आया?ऋ की ध्वनि कब आयी?ऋ, देवनागरी लिपि का अर्धस्वर है जो बाक़ी किसी लिपि में नहीं पायी जाती तो...
02/12/2024

ऋग्वेद का नाम पहली बार कब आया?

ऋ की ध्वनि कब आयी?

ऋ, देवनागरी लिपि का अर्धस्वर है जो बाक़ी किसी लिपि में नहीं पायी जाती तो सवाल अभी भी वही है ऋग्वेद का उच्चारण बिना देवनागरी लिपि के बिना अर्धस्वर ऋ के पहले कैसे और कब आया?

फिर पीढ़ी दर पीढ़ी क्या ग़लत उच्चारण करते आए जब तक की ऋ की ध्वनि नहीं आ गई ?

हरेक धर्म, अपने उत्सव मनाने के लिए कैलेंडर बनाया । मुस्लिम ने हिजरी तो ईसाईयों ने ग्रेगोरियन वही बौद्ध ने युगाब्द, शक सं...
01/12/2024

हरेक धर्म, अपने उत्सव मनाने के लिए कैलेंडर बनाया । मुस्लिम ने हिजरी तो ईसाईयों ने ग्रेगोरियन वही बौद्ध ने युगाब्द, शक संवत, मालवा संवत (9 वी सदी से विक्रम संवत् कहा जाने लगा) बनाया ।

कमाल की बात है ब्राह्मणिज्म ने आज तक कोई अपना क्लैण्डर तक नहीं बनाया। गया में तो जजमान के पितरो के पिंड का बही खाता अकबर के चलाए फसली संवत से कर रहा है । आज ब्राह्मणिज्म फॉलो करने वाले सभी (हिंदू) बुद्धिस्ट कैलेंडर से अपना त्योहार मना रहे है।

आख़िर सभी गपोड़ाकारो जिसे आप इतिहासकार समझते है उनकी ऐसी क्या मजबूरी हो गई है की उन्होंने यह बात इतिहास में दर्ज नहीं की?

क्या जाति आड़े आ गई या फिर सच बताने पर गैर ब्राह्मण चेतना विकसित होने का डर था?

ब्राह्मणिज्म में शिल्पकला को कूट कूट कर गाली दी गई है, वायु पुराण हो या मनुस्मृति, शिल्पीकारों को नरक पहुचाने की बात करने लगे । किसी भी पुरातत्व में मिली देवी साड़ी ब्लाउज पहने हुए नहीं मिली जबकि कागज पर अंग्रेजों के समय प्राचीन सभी शिल्पकलाओं की देवियो की नकल साड़ी ब्लाउज पहना कर हिंदू देवी घोषित कर दिया गया ?

नीचे पुरातत्व की दो तस्वीरे संलग्न है जो प्राचीन बुद्धिज्म प्शिल्पकला की है जिसे सरस्वती और महामाया (बुद्ध की माता) बताया गया है। वही आज कागज पर साड़ी ब्लाउज के साथ सरस्वती और लक्ष्मी की पिक भी आप देख सकते है

सवाल अभी भी वही है की कागज पर कपड़े बदल कर कहानी क्यो बदली गई है ?
पुरातत्व सबूतो का काग़ज़ पर हुलिया बदल कर बौद्ध से हिंदू बनाने की ज़रूरत क्यो पड़ी?

आख़िर कोई भारतीय ओरिजिनल कल्चर से इतना नफ़रत कैसे कर सकता है ?

जितने भी काल्पनिक ईश्वर के मंदिर और मूर्तियां हैं वे जमीन के ऊपर हैं, जबकि जमीन के नीचे से बुद्ध की मूर्तियां निकल रही ह...
08/11/2024

जितने भी काल्पनिक ईश्वर के मंदिर और मूर्तियां हैं वे जमीन के ऊपर हैं, जबकि जमीन के नीचे से बुद्ध की मूर्तियां निकल रही हैं। इसीसे अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि सच क्या हैं जो दबाया गया या जो दिखाया गया है🤔🤔🤔

05/11/2024
धनतेरस उत्सव वास्तव में सम्राट अशोक द्वारा शुरू किया हुआ बौद्ध उत्सव है|बौद्ध धर्म में दान पारमिता को अत्यंत महत्व है| इ...
05/11/2024

धनतेरस उत्सव वास्तव में सम्राट अशोक द्वारा शुरू किया हुआ बौद्ध उत्सव है|

बौद्ध धर्म में दान पारमिता को अत्यंत महत्व है| इतिहास में सबसे बड़ा दान अनाथपिंडक ने दिया था| महादानी अनाथपिंडक ने 18 हजार करोड़ सुवर्ण मुद्राएं खर्च कर तथागत बुद्ध के लिए जेतवन महाविहार बनवाया था| अनाथपिंडक के इस महादान का शिल्प भरहुत स्तुप पर देखने को मिलता है|

सम्राट अशोक भी अनाथपिंडक की तरह महादान करना चाहते थे| इसलिए उन्होंने भिक्खुसंघ को निमंत्रित किया और 96 हजार करोड़ सुवर्ण मुद्राएं भिक्खुसंघ को दान दी| भिक्खुसंघ ने वह दान सम्मानपूर्वक अपनाकर फिर से सम्राट को वापिस दिया| अशोक ने उस संपत्ति से 84000 महास्तुप बनवाए, जगह जगह रास्ते, उद्यान और अस्पताल जैसे लोक कल्याणकारी निर्माण बनवाएं थे|

सम्राट अशोक हर पांचवे साल अपनी संपुर्ण संपत्ति भिक्खुसंघ को दान देते थे, जिससे अशोक के इस दान उत्सव को "पंचवर्षिका उत्सव" कहा जाने लगा था| अपने तिसरे शिलालेख में सम्राट अशोक ने इस उत्सव को "पंचसु पंचसु वसेसु" उत्सव कहा है, मतलब हर पांच पांच साल को मनाया जानेवाला उत्सव| (Origins and development of the Buddhist Pancavarsika, Max Deeg, p. 67)

सम्राट अशोक इस उत्सव के पहले दिन करोड़ों सुवर्ण मुद्राएं दान करते थे, जिससे सुवर्ण मुद्राओं की बड़ी राशी जमा हो जाती थी| इस धन की राशी से आगे चलकर 'धन ती राशी', 'धनतेरशी', 'धनतेरस' जैसे शब्द तैयार हुए| इतना ही नहीं, बल्कि हर पांच साल मनाया जा रहा उत्सव समय के साथ हर साल पांच दिन मनाया जाने लगा और वह उत्सव अशोक के बाद "पंच वर्सानि, पंच दिवसानि" बना, मतलब पंचवर्षिका उत्सव सम्राट अशोक के बाद पंच दिवसीय उत्सव बना| (उपरोक्त, p. 75)

अभी वर्तमान में पांच दिनों का दिपावली उत्सव हर साल मनाया जाता है, जो सम्राट अशोक के पंचवर्षिका उत्सव का बदला हुआ स्वरूप है| उत्सव के पहले दिन सम्राट अशोक अपने साम्राज्य की संपुर्ण धन राशी जमा कर "धन की आरास" बना देते थे और भिक्खुसंघ को दान देते थे| आजकल धन की आरास से दिपावली का पहला दिन धनतेरस कहा जाता है|

इस तरह, लंबे अंतराल तक बौद्ध परंपरा आज भी कुछ हद तक जीवित बचीं है| सम्राट अशोक का दिपोत्सव ही आधुनिक दिपावली उत्सव है और दिपोत्सव का पहला उत्सव धन की राशी ही आधुनिक धनतेरस है|

27/09/2024

pakhand kya hai

मध्यप्रदेश के इटारसी जिले के रैसलपुर गांव में मिट्टी के क्षरण के बाद बुद्ध प्रतिमा दिखी थी।लोगों ने इसे देवराज बाबा के न...
12/08/2024

मध्यप्रदेश के इटारसी जिले के रैसलपुर गांव में मिट्टी के क्षरण के बाद बुद्ध प्रतिमा दिखी थी।लोगों ने इसे देवराज बाबा के नाम से पूजना शुरू कर दिया था।
पुरातत्व विभाग ने मूर्ति को सुरक्षित कर लिया है और उनका कहना है कि यह मूर्ति बारहवीं शताब्दी की है। budhay

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