Vikesh kumar Bheem Army

Vikesh kumar Bheem Army सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है
vikesh kumar
socal activist
जिला अध्यक्ष भीम आर्मी BASF (अमरोहा)

देश का उभरता हीरो रिंकू सिंह
17/12/2023

देश का उभरता हीरो रिंकू सिंह

Rinku singh अपने पापा के साथपेज को लाइक करो फॉलो करो
17/12/2023

Rinku singh अपने पापा के साथ
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रणबीर कपूर की फिल्म एनिमल में विलेन की भूमिका में नजर आने वाले बॉबी देओल इस समय काफी नाराज नजर आ रहे हैं। इस फिल्म में र...
07/12/2023

रणबीर कपूर की फिल्म एनिमल में विलेन की भूमिका में नजर आने वाले बॉबी देओल इस समय काफी नाराज नजर आ रहे हैं। इस फिल्म में रणबीर कपूर के सामने बॉबी देओल काफी भारी दिखाई दे रहे थे उन्होंने खुद बताया था कि इस किरदार के लिए उन्होंने एक साल की कड़ी मेहनत की है लेकिन फिल्म जब रिलीज हुई है तब उसमें बॉबी देओल के सीन को काफी काटा गया है। उनका मानना है कि जिन दृश्य की उन्होंने शूटिंग की थी उन दृश्यों को भी इस फिल्म में जगह नहीं मिली है। जिस किसी ने भी बॉबी के इस बयान को सुना है तब लोगों को अपने कानों पर यकीन नहीं आ रहा है। इस फिल्म में लोगों ने बॉबी के किरदार को पसंद तो किया है लेकिन उनकी छोटी सी प्रेजेंस की वजह से ही लोग इस फिल्म के निर्देशक से नाराज नजर आ रहे हैं। वाकई में लगभग 3:30 घंटे की इस फिल्म में बॉबी देओल का किरदार मुश्किल से 15 मिनट के लिए सामने आया था जिसमें वह रणबीर कपूर के ऊपर भारी पड़ते नजर आ रहे थे।

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आज मनोहर भाई कि लगन में अपने सभी भाईयों के साथ
06/12/2023

आज मनोहर भाई कि लगन में अपने सभी भाईयों के साथ

बाबा साहेब आंबेडकर जी के परिनिर्माण दिवस पर कोटि-कोटि नमन विकेश कुमारजिला अध्यक्ष भीम आर्मी छात्र संघ
06/12/2023

बाबा साहेब आंबेडकर जी के परिनिर्माण दिवस पर कोटि-कोटि नमन
विकेश कुमार
जिला अध्यक्ष भीम आर्मी छात्र संघ

जैसे ही रिंकू सिंह को भारतीय टीम की जर्सी मिली, रिंकू ने माता-पिता को गिफ्ट कर दी। लोअर मिडिल क्लास के बेटे ने माता-पिता...
05/12/2023

जैसे ही रिंकू सिंह को भारतीय टीम की जर्सी मिली, रिंकू ने माता-पिता को गिफ्ट कर दी। लोअर मिडिल क्लास के बेटे ने माता-पिता का हर सपना पूरा कर दिया। रिंकू उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के बेहद सामान्य परिवार से आते हैं। रिंकू सिंह से पहले अलीगढ़ का कोई खिलाड़ी भारत के लिए नहीं खेला। उनके पिता घरों में गैस सिलिंडर पहुंचाने का काम करते थे। जब परिवार दाने-दाने को मोहताज हो गया, तब रिंकू सिंह ने भी काम करने का सोचा। बड़े भाई ने रिंकू के लिए एक जगह झाड़ू पोछा करने की बात कर ली। रिंकू सिंह ने यह काम भी किया।

संघर्ष के बीच रिंकू सिंह ने क्रिकेट नहीं छोड़ा। कड़ी मेहनत के दम पर रिंकू सिंह यूपी की अंडर-19 टीम में सिलेक्ट हुए। परिवार को कर्ज के बोझ से बाहर निकालने के लिए रिंकू सिंह खिलाड़ी के तौर पर मिलने वाले वजीफे को घर भेज देते थे। खुद पर कभी एक रुपया भी खर्च नहीं करते थे। रिंकू सिंह पढ़ाई में अच्छे नहीं थे। उन्होंने अपनी जिंदगी पूरी तरह क्रिकेट को समर्पित कर दी थी। आखिरकार रिंकू सिंह की मेहनत रंग लाई। आज भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव रिंकू सिंह की तुलना महेंद्र सिंह धोनी से कर रहे हैं। रिंकू सिंह के संघर्ष पर अपनी राय रखें। ❤️
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I've received 15,000 reactions to my posts in the past 30 days. Thanks for your support. 🙏🤗🎉
04/12/2023

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किंग रिंकू सिंह जैसा हुनर दिखा रहे है बेसा कोइ नही दिखा रहा ऐसे टेलेंट को हमे सपोर्ट किया जाना चाहिए
03/12/2023

किंग रिंकू सिंह जैसा हुनर दिखा रहे है बेसा कोइ नही दिखा रहा ऐसे टेलेंट को हमे सपोर्ट किया जाना चाहिए

Great leader Charan Singh ji
03/12/2023

Great leader Charan Singh ji

02/12/2023
अभिनेता रणदीप हुडा ने मणिपुर की अभिनेत्री लिन से मैतेइ रीति रिवाज से शादी कर ली। पिछले 8 महीने से हिंसा और अशांति के शिक...
01/12/2023

अभिनेता रणदीप हुडा ने मणिपुर की अभिनेत्री लिन से मैतेइ रीति रिवाज से शादी कर ली। पिछले 8 महीने से हिंसा और अशांति के शिकार मणिपुर को मरहम लगाने का इससे बेहतर तरीक़ा हो ही नहीं सकता था। महाभारत में वर्णित है कि इंद्रप्रस्थ के युवराज अर्जुन ने मणिपुर की राजकुमारी चित्रांगदा से विवाह किया था, आज 5000 साल बाद उसी इंद्रप्रस्थ वाले इलाक़े हरियाणा के रणदीप हूड़ा ने मणिपुर की राजकुमारी जैसी ही लड़की से विवाह करके उत्तर और उत्तर पूर्व के रिश्ते को फिर से मज़बूत किया है।

दोनों को उनके सफल वैवाहिक जीवन की मंगलकामना 💐🎉🌹
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राजस्थान के अजमेर जिले से करीब 20 किलोमीटर दूर किशनगढ़ में वाल्मीकि समाज के घर हेलीकॉप्टर से आई बारात, दहेज में एक रुपए ...
30/11/2023

राजस्थान के अजमेर जिले से करीब 20 किलोमीटर दूर किशनगढ़ में वाल्मीकि समाज के घर हेलीकॉप्टर से आई बारात, दहेज में एक रुपए और नारियल लेकर की शादी।

आजाद समाज पार्टी के जिला अध्यक्ष सुनील धन्जा की बेटी की बारात किशनगढ़ पहुंची और दहेज में लड़की के पिता द्वारा दी गई नकदी को दूल्हे के पिता ने लेने से मना कर दिए। एक रुपये और एक नारियल लेकर रस्म अदा की।

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ज्योतिबा फूले परिनिर्वाण दिवस विशेष......महात्मा ज्योतिबा फूले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को सतारा,महाराष्ट्र में हुआ था।उनक...
30/11/2023

ज्योतिबा फूले परिनिर्वाण दिवस विशेष......

महात्मा ज्योतिबा फूले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को सतारा,महाराष्ट्र में हुआ था।उनका परिवार बेहद गरीब था और जीवन-यापन के लिए बाग़-बगीचों में माली का काम करता था। ज्योतिबा जब मात्र एक वर्ष के थे तभी उनकी माता का निधन हो गया था।ज्योतिबा का लालन-पालन सगुनाबाई नामक एक दाई ने किया। सगुनाबाई ने ही उन्हें माँ की ममता और दुलार दिया।7 वर्ष की आयु में ज्योतिबा को गांव के स्कूल में पढ़ने भेजा गया।

जातिगत भेद-भाव के कारण उन्हें विद्यालय छोड़ना पड़ा।स्कूल छोड़ने के बाद भी उनमे पढ़ने की ललक बनी रही।सगुनाबाई ने बालक ज्योतिबा को घर में ही पढ़ने में मदद की।घरेलु कार्यो के बाद जो समय बचता उसमे वह किताबें पढ़ते थे।ज्योतिबा पास-पड़ोस के बुजुर्गो से विभिन्न विषयों में चर्चा करते थे।लोग उनकी सूक्ष्म और तर्क संगत बातों से बहुत प्रभावित होते थे।

इसी बीच सतारा में मिशनरी स्कूल खुला और ज्योतिबा का दाखिला वहां हो गया।मैट्रिक तक की पढ़ाई मिशनरी स्कूल से की और फिर स्कूल छोड़ते ही वंचितों-शोषितों के बीच शिक्षा,बालविवाह रोकथाम,विधवा विवाह आदि के कार्यों में लग गए।

लड़कियों को पढ़ाने के लिए अध्यापिका नहीं मिली तो उन्होंने कुछ दिन स्वयं यह काम करके अपनी पत्नी सावित्री को इस योग्य बना दिया। उच्च वर्ग के लोगों ने आरंभ से ही उनके काम में बाधा डालने की चेष्टा की, किंतु जब फुले आगे बढ़ते ही गए तो उनके पिता पर दबाब डालकर पति-पत्नी को घर से निकालवा दिया इससे कुछ समय के लिए उनका काम रुका अवश्य, पर शीघ्र ही उन्होंने एक के बाद एक बालिकाओं के तीन स्कूल खोल दिए।

महात्मा जोतिराव फुले ने कहा " वर्ण और जाति व्यवस्था शोषण की व्यवस्था है और जब तक इनका पूरी तरह से खात्मा नहीं होता तब तक एक समाज का निर्माण असंभव है।" ऐसी भूमिका लेनेवाले वो पहले भारतीय थे।

महात्मा फुले ने गंगाधर तिलक , आगरकर, रानाडे, दयानंद सरस्वती के साथ देश की राजनीती और समाज को आगे ले जाने की कोशिश की।जब उन्हें लगा कि इन लोगों की भूमिका अछूत को न्याय देने वाली नहीं है,तब उन्होंने इन लोगों की आलोचना भी की।

महात्मा फुले अंग्रेजी राज के बारे में एक सकारात्मक दृष्टिकोण रखते थे क्युकी अंग्रेजी राज की वजह से भारत में न्याय और सामाजिक समानता के नए बिज बोए जा रहे थे।महात्मा फुले ने अपने जीवन में हमेशा बड़ी ही प्रबलता तथा तीव्रता से विधवा विवाह की वकालत की।उन्होंने उच्च जाती की विधवाओ के लि 1854 ईसवी में एक घर भी बनवाया था दूसरों के सामने आदर्श रखने के लिए उन्होंने अपने खुद के घर के दरवाजे सभी जाती तथा वर्गों के लोगो के लिए हमेशा खुले रखे।

ज्योतिबा मैट्रिक पास थे और उनके घर वाले चाहते थे कि वो अच्छे वेतन पर सरकारी कर्मचारी बन जाए लेकिन ज्योतिबा ने अपना सारा जीवन दलितों की सेवा में बिताने का निश्चय किया था।उन दिनों में स्त्रियों की स्तिथि बहुत खराब थी क्योंक घर के कामो तक ही उनका दायरा था।बचपन में शादी हो जाने के कारण स्त्रियों के पढने लिखने का तो सवाल ही पैदा नही होता था | दुर्भाग्य से अगर कोई बचपन में ही विधवा हो जाती थी तो उसके साथ बड़ा अन्याय होता था। तब उन्होंने सोचा कि यदि भावी पीढ़ी का निर्माण करने वाली माताए ही अंधकार में डूबी रहेगी तो देश का क्या होगा और उन्होंने माताओं के पढने पर जोर दिया था!

उन्होंने किसानो की हालत सुधारने और उनके कल्याण के भी काफी प्रयास किये थे।ज्योतिबा कहा करते थे कि आर्थिक असमानता ने किसानों का जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है व ऊपर से महाजनों के मोटे सूद ने।

ज्योतिबा यह जानते थे कि देश व समाज की वास्तविक उन्नति तब तक नहीं हो सकती, जब तक देश का बच्चा-बच्चा जाति-पांति के बन्धनों से मुक्त नहीं हो पाता, साथ ही देश की नारियां समाज के प्रत्येक क्षेत्र में समान अधिकार नहीं पा लेतीं । उन्होंने तत्कालीन समय में भारतीय नवयुवकों का आवाहन किया कि वे देश, समाज, संस्कृति को सामाजिक बुराइयों तथा अशिक्षा से मुक्त करें और एक स्वस्थ, सुन्दर सुदृढ़ समाज का निर्माण करें । मनुष्य के लिए समाज सेवा से बढ़कर कोई धर्म नहीं है । इससे अच्छी ईश्वर सेवा कोई नहीं । महाराष्ट्र में सामाजिक सुधार के पिता समझे जाने वाले महात्मा फूले ने आजीवन सामाजिक सुधार हेतु कार्य किया । वे पढ़ने-लिखने को कुलीन लोगों की बपौती नहीं मानते थे । मानव-मानव के बीच का भेद उन्हें असहनीय लगता था ।

दलितों और निर्बल वर्ग को न्याय दिलाने के लिए ज्योतिबा ने 'सत्यशोधक समाज' की स्थापना की।ज्योतिबा ने ब्राह्मण-पुरोहित के बिना ही विवाह-संस्कार आरंभ कराया और इसे मुंबई हाईकोर्ट से भी मान्यता मिली। वे बाल-विवाह विरोधी और विधवा-विवाह के समर्थक थे।

-इनका सबसे पहला और महत्वपूर्ण कार्य महिलाओं की शिक्षा के लिये था। इनकी पहली शिष्य खुद इनकी पत्नी थी जो हमेशा अपने सपनों को बाँटती थी तथा पूरे जीवन भर उनका साथ दिया।

- अपनी कल्पनाओं और आकांक्षाओं के एक न्याय संगत और एक समान समाज बनाने के लिये 1848 में ज्योतिबा ने लड़कियों के लिये एक स्कूल खोला। ये देश का पहला लड़कियों के लिये विद्यालय था। उनकी पत्नी सावित्रीबाई वहाँ अध्यापान का कार्य करती थी। लेकिन लड़कियों को शिक्षित करने के के कारण समाज ने ज्योतिबा को अपना घर छोड़ने के लिये मजबूर किया। हालाँकि इस तरह के दबाव और धमकियों के बावजूद भी वो अपने लक्ष्य से नहीं भटके और सामाजिक बुराईयों के खिलाफ लड़ते रहे और इसके खिलाफ लोगों में चेतना फैलाते रहे।

- 1851 में इन्होंने बड़ा और बेहतर स्कूल शुरु किया जो बहुत प्रसिद्ध हुआ। वहाँ जाति, धर्म तथा पंथ के आधार पर कोई भेदभाव नहीं था और उसके दरवाजे सभी के लिये खुले थे।

- ज्योतिबा फुले बाल विवाह के खिलाफ थे साथ ही विधवा विवाह के समर्थक भी थे। वे ऐसी महिलाओं से बहुत सहानुभूति रखते थे जो शोषण का शिकार हुई हो या किसी कारणवश परेशान हुई हो इसलिये उन्होंने ऐसी महिलाओं के लिये अपने घर के दरवाजे खुले रखे थे जहाँ उनकी देखभाल हो सके।

ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई फुले के कोई संतान नहीं थी इसलिए उन्होंने एक विधवा के बच्चे को गोद लिया था।यह बच्चा बड़ा होकर एक Doctor बना और इसने भी अपने माता पिता के समाज सेवा के कार्यों को आगे बढ़ाया | मानवता की भलाई के लिए किये गए ज्योतिबा के इन निश्वार्थ कार्यों के कारण मई 1888 में उस समय के एक और महान समाज सुधारक “राव बहादुर विट्ठलराव कृष्णाजी वान्देकर” ने बम्बई की विशाल जनसभा में उन्हें “महात्मा” की उपाधी प्रदान की। जुलाई 1888 में उन्हें लकवे का दौरा पड़ा,जिसकी वजह से उनका शरीर कमजोर होता जा रहा था लेकिन उनका जोश और मन कभी कमजोर नही हुआ था।

27 नवम्बर 1890 को उन्होंने अपने परिचितों/सहयोगियों को बुलाया और कहा कि “अब मेरे जाने का समय आ गया है, मैंने जीवन में जिन जिन कार्यो को हाथ में लिया है उसे पूरा किया है, मेरी पत्नी सावित्री ने हरदम परछाई की तरह मेरा साथ दिया है और मेरा पुत्र यशवंत अभी छोटा है और मै इन दोनों को आपके हवाले करता हूँ ।" इतना कहते ही उनकी आँखों से आंसू आ गये और उनकी पत्नी ने उन्हें सम्भाला।28 नवम्बर 1890 को एक महान समाजसेवी इस दुनिया से विदा हो गया।

गुलामीगिरी जैसी महान कृति के रचनाकार को परिनिर्वाण दिवस पर नमन करता हूँ।
विकेश कुमार

28/11/2023

बाबा साहेब आंबेडकर की स्टेच्यू का किया अनावरण प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया द्रोपदी मुरमू ने जय भीम

कितने अच्छे विचार है इस भाई के जिसने ये कार्ड बनवाया है ऐसे लोगो को कोटी कोटी नमन जय भीम
28/11/2023

कितने अच्छे विचार है इस भाई के जिसने ये कार्ड बनवाया है ऐसे लोगो को कोटी कोटी नमन जय भीम

जैसे ही रिंकू सिंह को भारतीय टीम की जर्सी मिली, रिंकू ने माता-पिता को गिफ्ट कर दी। लोअर मिडिल क्लास के बेटे ने माता-पिता...
28/11/2023

जैसे ही रिंकू सिंह को भारतीय टीम की जर्सी मिली, रिंकू ने माता-पिता को गिफ्ट कर दी। लोअर मिडिल क्लास के बेटे ने माता-पिता का हर सपना पूरा कर दिया। रिंकू उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के बेहद सामान्य परिवार से आते हैं। रिंकू सिंह से पहले अलीगढ़ का कोई खिलाड़ी भारत के लिए नहीं खेला। उनके पिता घरों में गैस सिलिंडर पहुंचाने का काम करते थे। जब परिवार दाने-दाने को मोहताज हो गया, तब रिंकू सिंह ने भी काम करने का सोचा। बड़े भाई ने रिंकू के लिए एक जगह झाड़ू पोछा करने की बात कर ली। रिंकू सिंह ने यह काम भी किया।

संघर्ष के बीच रिंकू सिंह ने क्रिकेट नहीं छोड़ा। कड़ी मेहनत के दम पर रिंकू सिंह यूपी की अंडर-19 टीम में सिलेक्ट हुए। परिवार को कर्ज के बोझ से बाहर निकालने के लिए रिंकू सिंह खिलाड़ी के तौर पर मिलने वाले वजीफे को घर भेज देते थे। खुद पर कभी एक रुपया भी खर्च नहीं करते थे। रिंकू सिंह पढ़ाई में अच्छे नहीं थे। उन्होंने अपनी जिंदगी पूरी तरह क्रिकेट को समर्पित कर दी थी। आखिरकार रिंकू सिंह की मेहनत रंग लाई। आज भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव रिंकू सिंह की तुलना महेंद्र सिंह धोनी से कर रहे हैं। रिंकू सिंह के संघर्ष पर अपनी राय रखें। ❤️
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उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा मेंफिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते
24/11/2023

उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में
फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते

जय भीम जय भीम आर्मीविकेश कुमार जिला अध्यक्ष भीम आर्मी छात्र संघ
20/11/2023

जय भीम जय भीम आर्मी
विकेश कुमार
जिला अध्यक्ष
भीम आर्मी छात्र संघ

हमारे अमरोहा की शान मोह शमीइनके लिए एक लाइक तो बनता है
19/11/2023

हमारे अमरोहा की शान मोह शमी
इनके लिए एक लाइक तो बनता है

15/10/2023

मजलूमों को ताकत देने का नाम है BHIM ARMY और Chandra Shekhar Aazad जय भीम

विकेश कुमार
जिला अध्यक्ष भीम आर्मी छात्र संघ

11/10/2023

मौलाना ने किया चंद्र शेखर आजाद के लिए एक बडा एलान

नवलगढ़ विधानसभा, जिला झुंझुनू राजस्थान में "संविधान बचाओं यात्रा" प्रथम चरण का अंतिम पड़ाव।
11/10/2023

नवलगढ़ विधानसभा, जिला झुंझुनू राजस्थान में "संविधान बचाओं यात्रा" प्रथम चरण का अंतिम पड़ाव।

04/10/2023

जालोर राजस्थान में एडवोकेट चंद्रशेखर आजाद जी

गजरौला में वीर भगत सिंह जी की रैली में सभी भाईयों के साथ जय हिंद जय भीम
29/09/2023

गजरौला में वीर भगत सिंह जी की रैली में सभी भाईयों के साथ जय हिंद जय भीम

29/09/2023

Jai bheem jai bheem BHIM ARMY
हम मजबूती से खड़े हे
Vikesh Kumar

बाबा साहेब आंबेडकर
25/09/2023

बाबा साहेब आंबेडकर

मैं ऐसे धर्म को मानता हूं जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है :- बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर!
24/09/2023

मैं ऐसे धर्म को मानता हूं जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है :- बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर!

'पति' और 'पत्नी' जैसे शब्द अनुचित हैं। वे केवल एक-दूसरे के साथी और सहयोगी हैं, ग़ुलाम नहीं। दोनों का दर्जा समान है।'~ पेर...
24/09/2023

'पति' और 'पत्नी' जैसे शब्द अनुचित हैं। वे केवल एक-दूसरे के साथी और सहयोगी हैं, ग़ुलाम नहीं। दोनों का दर्जा समान है।'

~ पेरियार

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{Art : कविताएँ और साहित्य}

आपके द्वारा पोस्ट लाईक करते ही नाव पलट जाएगी,विश्वास ना हो तो कर के देखिए।।
23/09/2023

आपके द्वारा पोस्ट लाईक करते ही नाव पलट जाएगी,विश्वास ना हो तो कर के देखिए।।

20/09/2023

नमो बुद्ध जय भीम

जब हर एक आदमी में ऐसा जनून होगा तब हमारी सरकार आएगी।
19/09/2023

जब हर एक आदमी में ऐसा जनून होगा तब हमारी सरकार आएगी।

18/09/2023

Jai bheem jai Bharat

Vikesh Kumar
जिला अध्यक्ष
भीम आर्मी BASF अमरोहा

16/09/2023

हमारा भारत ❤️❤️

16/09/2023

Modi ji 🤣🤣

15/09/2023

आप हमारा साथ दीजिए भीम आर्मी एक परिवार हे और आप अपने परिवार को मजबूत करे

विकेश कुमार
जिला अध्यक्ष BASF अमरोहा
090127 27971

भीम आर्मी अमरोह से जुड़ने के लिए संपर्क करे
15/09/2023

भीम आर्मी अमरोह से जुड़ने के लिए संपर्क करे

13/09/2023

जवान मूवी का ये डाइलोग मचा रहा है धमाल

☺☺☺☺
31/10/2021

☺☺☺☺

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