
21/04/2024
अभी कुछ बरस पहले ही तो मिला है
बच्चों के पोट्टी सूसू से छुटकारा
वरना मुंह में रोटी
और गोद में बच्चों का गूं
कई बरस तो लिपिस्टिक की सुध नहीं थी
बच्चे का माथा चूमना रह जाता था
बिंदी बच्चे उतार लेते
फीटिंग पहनते तो दूध पिलाने में दिक्कत
और कहीं घूमने निकलो तो वही बच्चे छोटे
फिर बच्चों का स्कूल।
हम चालीस प्लस स्त्रियाँ अभी अभी खुद के साथ जीने लगी हैं
वरना तो जब कुंआरी थी मां कहती
अपने घर जा पहनना
बाप घर बेटी गुदड़ी लपेटी
ससुराल में पहनती तो सब बोलते
इसे ओढ़ने पहनने का सहूर नहीं
वही पहना जो पीहर से मिला।
या कभी शादी ब्याह में मिल गया एकाध कुछ नया।
बच्चे अभी अभी बड़े हुए हैं
बस पैरों से छूटा ही है एक आवाज पर दौड़ना
कि मम्मी कर ली
अभी ससुराल के तानों से आजाद हुए हैं
क्या लाती है, कैसे रहती है
काम नहीं करती, इन बातों से दूर
पीहर के मोह से आजाद
अपने ही प्यार में हैं।
ससुराल के रौब में हैं
ओढ़ेंगे, पहनेंगे, मर्जी से कुछ दिन चलेंगे
कोई हमारी सज धज देख ना कहे
कि कहाँ फैशन शो में जा रही है
यही दस बरस हैं बस चालीस और पचास के बीच
वरना तो फिर बड़े हुए बच्चे कहेंगे
मम्मी ये सब पहनने की उम्र नहीं रही आपकी।
करोथवाल