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12/10/2024
बिजली विभाग का रावण
12/10/2024

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रेल यात्रा
12/10/2024

रेल यात्रा

मेरा हमेशा से यह मानना रहा है कि दुनिया में ‌जितना बदलाव हमारी पीढ़ी ने देखा है वह ना तो हमसे पहले किसी पीढ़ी ने देखा है...
12/10/2024

मेरा हमेशा से यह मानना रहा है कि दुनिया में ‌जितना बदलाव हमारी पीढ़ी ने देखा है वह ना तो हमसे पहले किसी पीढ़ी ने देखा है और ना ही हमारे बाद किसी पीढ़ी के देखने की संभावना लगती है

हम वह आखिरी पीढ़ी हैं जिसने बैलगाड़ी से लेकर सुपर सोनिक जेट देखें हैं.बैरंग ख़त से लेकर लाइव चैटिंग तक देखा है और असंभव लगने वाली बहुत सी बातों को संभव होता देखा है.

● हम वो आखिरी पीढ़ी हैं

जिन्होंने कई-कई बार मिटटी के घरों में बैठ कर परियों और राजाओं की कहानियां सुनीं, जमीन पर बैठ कर खाना खाया है, प्लेट में चाय पी है।

● हम वो आखिरी लोग हैं…

जो मोहल्ले के बुज़ुर्गों को दूर से देख कर, नुक्कड़ से भाग कर, घर आ जाया करते थे. और समाज के बड़े बूढों की इज़्ज़त डरने की हद तक करते थे

● हम वो आखिरी पीढ़ी के लोग हैं

जिन्होंने चिमनी , लालटेन, कम या बल्ब की पीली रोशनी में होम वर्क किया है और चादर के अंदर छिपा कर नावेल पढ़े हैं।

● हम उसी पीढ़ी के लोग हैं…

जिन्होंने अपनों के लिए अपने जज़्बात, खतों में आदान प्रदान किये हैं और उन ख़तो के पहुंचने और जवाब के वापस आने में महीनों तक इंतजार किया है।

● हम उस आखिरी पीढ़ी के लोग हैं

जिन्होंने कूलर, एसी या हीटर के बिना ही बचपन गुज़ारा है। और बिजली के बिना भी गुज़ारा किया है।

जो अक्सर अपने छोटे बालों में, सरसों का ज्यादा तेल लगा कर, स्कूल और शादियों में जाया करते थे।

जिन्होंने स्याही वाली दावात या पेन से कॉपी, किताबें, कपडे और हाथ काले, नीले किये है। तख़्ती पर सेठे की क़लम से लिखा है और तख़्ती घोटी है।

जिन्होंने टीचर्स से मार खाई है. और घर में शिकायत करने पर फिर मार खाई है

जिन्होंने गोदरेज सोप की गोल डिबिया से साबुन लगाकर शेव बनाई है जिन्होंने गुड़ की चाय पी है। काफी समय तक सुबह काला या लाल दंत मंजन या सफेद टूथ पाउडर इस्तेमाल किया है और कभी कभी तो नमक से या लकड़ी के कोयले से दांत साफ किए हैं।

जिन्होंने चांदनी रातों में, रेडियो पर BBC की ख़बरें, विविध भारती, आल इंडिया रेडियो, बिनाका गीत माला और हवा महल जैसे ❣️🙏

#यादें #बचपन #बीताहुआसमय

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11/02/2023

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कभी देश के स्टार्स में शुमार थें, आज दो वक्त की रोटी भी मयस्सर नहीं है। 82 साल की उम्र में अब तो मजदूरी करने की भी शक्ति...
09/02/2023

कभी देश के स्टार्स में शुमार थें, आज दो वक्त की रोटी भी मयस्सर नहीं है। 82 साल की उम्र में अब तो मजदूरी करने की भी शक्ति नहीं बची है।

ये भारतीय हॉकी के खिलाड़ी रहे टेकचंद हैं। साल 1961 में जिस भारतीय टीम ने हालैंड को हराकर हॉकी मैच में इतिहास रचा था, टेकचंद उस टीम के अहम खिलाड़ी थे। आज इनकी स्थिति बेहद दयनीय है। हॉकी के जादूगर मेजर #ध्यानचंद के शिष्य और मोहरसिंह जैसे खिलाडियों के गुरू आज एक टूटी-फूटी झोपड़ी में रहने को अभिशप्त हैं। जनप्रतिनिधि से लेकर सरकार तक जिन्हें इनकी कद्र करनी चाहिए, कहीं दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं। हॉकी देश का राष्ट्रीय खेल भी है। शायद इसीलिए सरकार 600 रूपये प्रतिमाह पेंशन देकर इनके ऊपर अहसान कर रही है।

मध्यप्रदेश के सागर में रहने वाले टेकचंद के पत्नी व बच्चे नहीं हैं। भोजन के लिए अपने भाइयों के परिवार पर आश्रित इस अभागे को कभी-कभी #भूखे भी सोना पड़ जाता है। ये उसी देश में रहते हैं, जहां एक बार विधायक- सांसद बन जाने के बाद कई पुश्तों के लिए खजाना और जीवन भर के लिए पेंशन-भत्ता खैरात में मिलता है।

साभार !

13/07/2022
20/10/2021

भाखड़ा नांगल डैम सतलज नदी पर बना हुआ है।
सतलज नदी पंजाब में है।
पंजाब सरदारों का देश है।
सरदार पटेल भी एक सरदार थे।
उन्हें भारत का लौह पुरुष भी कहा जाता है।
लोहा टाटा में बनता है।
लेकिन टाटा हाथ से किया जाता है।
और कानून के हाथ बड़े लंबे होते हैं।
पंडित जवाहरलाल नेहरु भी कानून जानते थे।
उन्हें बच्चे चाचा नेहरू के नाम से पुकारते थे।
चाचा नेहरू को गुलाब बहुत पसंद था।
गुलाब 3 किस्म के होते हैं।
पीने वाला शरबत, खिलने वाला और गुलाबरी होता है।
गुलाबरी बहुत मीठा होता है।
मीठी तो चीनी भी होती है।
चीनी अक्सर चींटी खाती है।
हाथी को चींटी से सख्त नफरत है।
लंदन का हाथी बहुत विख्यात है।
लंदन जर्मनी के पास है और जर्मनी का वार फेमस है।
वार 8 तरह के होते हैं सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार, और वर्ल्ड वार।
वर्ल्ड वार बहुत खतरनाक होते हैं।
खतरनाक तो शेर भी होता है।
शेर का भी मन होता है।
मन बहुत चंचल होता है।
चंचल मेरे पीछे बैठती है।
चंचल मधुबाला की छोटी बहन है।
मधुबाला ने फिल्म ‘शक्ति’ में काम किया था।
शक्ति मुट्ठी में होती है।
छोटे-छोटे झगड़ों में मुट्ठी बांधकर मारने का शौक पंजाबियों को होता है।
पंजाबी पंजाब में रहते हैं और पंजाब में ही भाखड़ा नांगल डैम है।

13/04/2020

राजस्थान ‍के भीलवाड़ा इलाके में एक माता का मंदिर बहुत प्रसिद्ध है लेकिन यहां पर महिलाओं के साथ जो किया जाता है उसे जानकर आपको शर्म आ जाएगी।

यहां पर महिलाओं को अपने पति के जूते से पानी पीने के लिए मजबूर किया जाता है।

इतना ही नहीं महिलाओं को अपने पति के जूतों को सिर पर रखकर गली-गली घूमना भी पड़ता है। इस शर्मसार कर देने वाली हरकत को प्रथा के नाम पर सालों से ढोया जा रहा है।

यहां पर अंधविश्‍वास और भूत-प्रेत के नाम पर महिलाओं के साथ क्रूरता की हद तक पार कर दी जाती है।

झाड़-फूंक करने वाली पुजारी भी महिलाओं को यातनाएं देते हैं। मंदिर के पुजारी अैर भूत उतारने वाले तांत्रिक भूत भगाने के नाम पर उन्‍हें मारते-पीटते हैं।

उन्‍हें अपने सिर पर गंदे जूते रखकर कई किलोमीटर तक चलने के लिए मजबूर किया जाता है। गांवों की गलियों से ये महिलाएं जूता सिर पर रखकर मुंह में दबाकर गुज़रती हैं। बच्‍चे इन्‍हें देखकर हंसते हैं लेकिन अपने घरवालों के दबाव की वजह से इन्‍हें ऐसा करना पड़ता है।

ज़रा सोचिए जिस जूते को हम पैरों में पहनते हैं उसे सिर पर ढोकर कैसे चल सकते हैं। दुनियाभर की गंदगी उसमें लिपटी रहती हैं और उन जूतों को मुंह में दबाकर चलना तो मौत के समान है। यहां के लोगों को औरतों पर हो रहे इस अत्‍याचार से कोई फर्क नहीं पड़ता है, वो तो प्रथा के नाम पर इसे आगे बढ़ने दे रहे हैं। सालों से अंधविश्‍वास के नाम पर ये खेल खोला जा रहा है। लोगों का कहना है कि यहां केवल महिलाएं ही लाई जाती हैं। अब कोई बताए ज़रा कि क्‍या भूत सिर्फ महिलाओं में ही आते हैं, पुरुषों में नहीं।

जो भी महिला किसी भूत-प्रेत के चंगुल में फंस गई है या मानसिक रूप से बीमार है, उसे यहां लाया जाता है। कुछ लोग अपनी बहू को मानसिक रूप से बीमार कह कर भी लाते हैं। कई मामले ऐसे भी सामने आए जहां मर्दों ने औरतों को उनकी असली जगह दिलाने के मकसद से यहां लाकर पटका और उनसे ये काम करवाया। अब आप बताइए कि क्‍या ये सब जानकर आपको शर्म नहीं आ रही ?

— Komal Sharma

04/06/2018

यूपी के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा के अनुसार सीता जी के जन्म के समय टेस्ट ट्यूब बेबी जैसी अवधारणा प्रचलन में थी।
बहरहाल जब आधुनिक चिकित्सा शास्त्र की पड़ताल की गई तो पता चला कि बगैर संभोग के प्रजनन की दो तकनीक विकसित है एक टेस्ट ट्यूब बेबी व दूसरी क्लोनिंग। जहां टेस्ट ट्यूब बेबी में शुक्राणु व अण्डाणु का मिलन कराया जाता है वही क्लोनिंग में केवल नर या मादा की कोशिका से ही पूर्ण जीव का विकास हो जाता है।
ऋग्वेद में उल्लेख है कि एक यज्ञ के दौरान आकाश मार्ग में अप्सरा उर्वशी को देखकर मित्रदेव व वरुण देवता का वीर्य स्खलन हो गया, जिसे एक घड़े में इकट्ठा कर दिया गया उसी घड़े से अगस्त्य ऋषि व वशिष्ठ ऋषि का जन्म हुआ। इसी कारण अगस्त्य ऋषि को कुम्भज भी कहा गया है। अभी तक इस तकनीक को आधुनिक चिकित्सा शास्त्र में कोई नाम नहीं दिया गया है
यह कहानी सत्य है, असत्य है या केवल मिथक है इसकी जानकारी स्पष्ट तौर पर मुझे भी नहीं है किंतु समझदार के लिए इशारा ही काफी है।

25/12/2017

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१प्राचीन व ऐतिहासिक तथ्यो की खोज एवं प्रकाशन
२ सही सटीक विचार मंथन

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