22/06/2023
■नागिल/कोहाड़/कोयाड़ जाटों का इतिहास:
-नागिल जाटों की उत्पत्ति नागवंशी जाटों से है।
मथुरा के नागवंशी शासक नागदत्त के वंशज है जो कि नागवंशी शासक कोयादिया के नाम पर यह वंश कोहाड़/कोयाड़/कोयड़ नाम से प्रसिद्ध हुआ।
-नागिल कोहाड़/कोयड/कोयाड एक ही गोत्र मानते हुए आपस मे विवाह नही करते।
-नागदत्त ,भारशिव ,नागसेन व गणपतिदत्त गुप्त वंशी जाट शासक समुद्रगुप्त के समकालीन मथुरा व पद्मावती के शासक थे।
~नागिल जाटों के सबसे वीर-प्राक्रमी राजा:
•राजा सजराज वीर सिंह नागिल (880 से 935 ई.) पृथ्वीराज चौहान के शासन से पहले राजस्थान के रणथंभौर जाट राज्य के सबसे प्रसिद्ध शासक थे। --------------------------------------------------- --------------------- राजा सजराज वीर सिंह ने आक्रमणकारियों से अपने राज्य की रक्षा के लिए 10,000 हजार सैनिकों के काफिले सहित 20,000 हजार की एक छोटी सेना का नेतृत्व किया। वह रणथंभौर के पहले शासक थे जिन्होंने क्षेत्र को बात करने योग्य बनाने के लिए बुनियादी ढांचे का विकास और निर्माण किया। उन्हें किले का संस्थापक भी माना जाता है। उल्लेखनीय है कि रणमल जाट ने वर्तमान रणथंभौर के स्थान पर एक स्तंभ खड़ा कर इस स्थान की स्थापना की थी। उसने पड़ोसी शासकों को लड़ने की चुनौती दी। रणथंभौर के आसपास के क्षेत्र पर पृथ्वी राज चौहान के शासन से दो शताब्दी पहले तक गोरा और नागिल जाटों का शासन था।रणथंभौर के पृथ्वीराज चौहान के शासन से पहले, रणथंभौर पर नागवंश के एक जाट नागिल का शासन था। नागिल जाट ने 900AD से पहले रणथंभौर पर कब्जा कर लिया था। और इसे रहने के स्थान के रूप में विकसित किया। जाट राजा का नाम राजा सजराज वीर सिंह नागिल था, जिसे प्रसिद्ध जाट इतिहासकार ठाकुर देशराज (जाट इतिहास 1934) और श्री धर्मपाल सिंह डूडी, नागिल के अनुसार भी माना जाता है। नागिल की परिसंघ का दावा है कि उनके राजा सजराज सिंह नागिल थे और उनके छोटे किले को ध्वस्त कर दिया गया था। इसके बाद चौहान शासकों ने अपना साम्राज्य स्थापित किया और चौहानों द्वारा रणथंभौर के किले का जीर्णोद्धार किया गया, इसके अलावा किले के निर्माण की तिथि के बारे में कोई भी इतिहासकार निश्चित नहीं है।
•मथुरा में नाग जाटों की सत्ता स्थापित करने का श्रेय वीरसेन को जाता है। जब अर्जुनायन(कुंतल) ,यौधेय व नागवंशी जाटों की सम्मलित सेनाओं ने उत्तर भारत से कुषाणों को हराकर अपने अपने क्षेत्रों पर पुनः राज्य कायम किया था।
•इस वंश में 7 राजाओं ने मथुरा पर शासन किया जिनमे वीरसेन, मेहश्वर,गणपति ,नागसेन के नाम
उल्लेखनीय है।इन नाग शासकों में से वीरसेन ,गणपति ,नागदत्त,नवनाग, महेश्वर के सिक्के भी प्राप्त हुए हैं।
•मथुरा के गणेशरा गांव में नागवंशी नागिल/कुहाड़/कोयाड वंश का तीसरी शताब्दी का लेख प्राप्त हुआ है जिसके अनुसार गोमित्र शासक के समय रोहडदेव कोयाड यहां के शासक थे।
इसी जगह से क्षत्रप घोटक का भी लेख प्राप्त हुआ है।
-सात पीढ़ी शासक करने के बाद मथुरा की सत्ता गुप्तो के हाथों से होती हुई पुनः अर्जुनायन (कुन्तल) वंश के अधीन आ गई
इनकी एक शाखा ने मथुरा से जाकर करके रणथंभौर राज्य की स्थापना की
राजा रणमल सिंह नागिल ने 944 ईस्वी में रणथंभौर दुर्ग का निर्माण करवाया था।
इस वंश में राजा सजराज वीरसिंह नागिल बड़े पराक्रमी थे।
यहां से 11 वी शताब्दी के अंत मे नागिल लोग नागौर से ददरेवा व अंत मे हिसार के हरिता मे आबाद हो गए बाद मे वो झज्जर और दादरी चले गए।
वर्तमान में यह लोग मथुरा, हाथरस व आगरा जिले में कोयाड़/कोयड़ के नाम से जाने जाते है व
मंसया(मंस्या),मलूपुर मुख्य गांव है।
हरियाणा के नूंह जिले में तावडू,
सोनीपत में चिताना व हिसार जिले में मय्यड़ ,राजपुरा में कोहड़ लिखते हैं
जबकि हरिता गांव वाले और दादरी झज्जर के जाट खुद को नागिल लिखते हैं।
जय श्री जट्ट
जय जाट पुरख🙏
मेरी भोली कौम जाट