Manoj Kumar

Manoj Kumar I support Manoj Thakur

आप लोगों ने सनातन धर्म में अग्र पूज्य भगवान गणेश जी को हर जगह गजमुख के रूप में देखा होगा, लेकिन भारतवर्ष में एक एसी जगह ...
04/04/2024

आप लोगों ने सनातन धर्म में अग्र पूज्य भगवान गणेश जी को हर जगह गजमुख के रूप में देखा होगा, लेकिन भारतवर्ष में एक एसी जगह है, जहां भगवान गणेश जी को बिना गजमुख के यानी मानव सिर में पूजा जाता है, जहां उन्हें आदी गणेश कहा जाता है.

दुनिया भर में भगवान गणपति जी की हर मूर्ति में गणेश जी का गजमुख वाला सिर देखा जा सकता है, भगवान गणेश जी को किसी अन्य रूप में की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता. लेकिन दक्षिण भारत में, एक ऐसा मंदिर है जिसमें भगवान गणेश जी की मानव सिर के रूप में एक मूर्ति है, ऐसा माना जाता है कि यह मानव सिर वाली दुनिया की एकमात्र गणेश जी की मूर्ति है और यह मंदिर तमिलनाडु के कुथनूर के पास तिलतर्पणपुरी के पास स्थित है. और इस मंदिर का नाम आदि विनायक है, गजमुखी अवतार से पहले भगवान गणेश जी की मानव रूप में मूर्ति होने के कारण इसे आदि गणपति कहा जाता है. गणपति बप्पा मोरया 🙏

भारत की आस्था और अस्मिता के रक्षक, अपनी रणनीति व पराक्रम से मुगल आक्रांताओं को भयाक्रांत करने वाले न्याय प्रिय शासक, 'हि...
03/04/2024

भारत की आस्था और अस्मिता के रक्षक, अपनी रणनीति व पराक्रम से मुगल आक्रांताओं को भयाक्रांत करने वाले न्याय प्रिय शासक, 'हिन्दवी स्वराज' के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि!

राष्ट्र सेवा को समर्पित उनका पूरा जीवन हम सभी के लिए पाथेय है।

हमारे धर्म ग्रंथो में शेषनाग, वासुकि नाग, तक्षक नाग, कर्कोटक नाग, धृतराष्ट्र नाग, कालिया नाग आदि नागो का वर्णन मिलता है।...
31/03/2024

हमारे धर्म ग्रंथो में शेषनाग, वासुकि नाग, तक्षक नाग, कर्कोटक नाग, धृतराष्ट्र नाग, कालिया नाग आदि नागो का वर्णन मिलता है।

नागो से सम्बंधित यह कथा पृथ्वी के आदि काल से सम्बंधित है। इसका वर्णन वेदव्यास जी ने भी महाभारत के आदि पर्व में किया है। महाभारत के आदि पर्व में इसका वर्णन होने के कारण लोग इसे महाभारत काल की घटना समझते है, लेकिन ऐसा नहीं है। महाभारत के आदि काल में कई ऐसी घटनाओं का वर्णन है जो की महाभारत काल से बहुत पहले घटी थी लेकिन उन घटनाओ का संबंध किसी न किसी तरीके से महाभारत से जुड़ता है, इसलिए उनका वर्णन महाभारत के आदि पर्व में किया गया है।

नागो की उत्पत्ति:

कद्रू और विनता दक्ष प्रजापति की पुत्रियाँ थीं और दोनों कश्यप ऋषि को ब्याही थीं। एक बार कश्यप मुनि ने प्रसन्न होकर अपनी दोनों पत्नियों से वरदान माँगने को कहा। कद्रू ने एक सहस्र पराक्रमी सर्पों की माँ बनने की प्रार्थना की और विनता ने केवल दो पुत्रों की किन्तु दोनों पुत्र कद्रू के पुत्रों से अधिक शक्तिशाली पराक्रमी और सुन्दर हों। कद्रू ने 1000 अंडे दिए और विनता ने दो। समय आने पर कद्रू के अंडों से 1000 सर्पों का जन्म हुआ।

पुराणों में कई नागो खासकर वासुकी, शेष, पद्म, कंबल, कार कोटक, नागेश्वर, धृतराष्ट्र, शंख पाल, कालाख्य, तक्षक, पिंगल, महा नाग आदि का काफी वर्णन मिलता है।

शेषनाग

कद्रू के बेटों में सबसे पराक्रमी शेषनाग थे। इनका एक नाम अनन्त भी है। शेषनाग ने जब देखा कि उनकी माता व भाइयों ने मिलकर विनता के साथ छल किया है तो उन्होंने अपनी मां और भाइयों का साथ छोड़कर गंधमादन पर्वत पर तपस्या करनी आरंभ की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने उन्हें वरदान दिया कि तुम्हारी बुद्धि कभी धर्म से विचलित नहीं होगी।

ब्रह्मा ने शेषनाग को यह भी कहा कि यह पृथ्वी निरंतर हिलती-डुलती रहती है, अत: तुम इसे अपने फन पर इस प्रकार धारण करो कि यह स्थिर हो जाए। इस प्रकार शेषनाग ने संपूर्ण पृथ्वी को अपने फन पर धारण कर लिया। क्षीरसागर में भगवान विष्णु शेषनाग के आसन पर ही विराजित होते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण व श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम शेषनाग के ही अवतार थे।

वासुकि_नाग

धर्म ग्रंथों में वासुकि को नागों का राजा बताया गया है। ये भी महर्षि कश्यप व कद्रू की संतान थे। इनकी पत्नी का नाम शतशीर्षा है। इनकी बुद्धि भी भगवान भक्ति में लगी रहती है। जब माता कद्रू ने नागों को सर्प यज्ञ में भस्म होने का श्राप दिया तब नाग जाति को बचाने के लिए वासुकि बहुत चिंतित हुए। तब एलापत्र नामक नाग ने इन्हें बताया कि आपकी बहन जरत्कारु से उत्पन्न पुत्र ही सर्प यज्ञ रोक पाएगा।

तब नागराज वासुकि ने अपनी बहन जरत्कारु का विवाह ऋषि जरत्कारु से करवा दिया। समय आने पर जरत्कारु ने आस्तीक नामक विद्वान पुत्र को जन्म दिया। आस्तीक ने ही प्रिय वचन कह कर राजा जनमेजय के सर्प यज्ञ को बंद करवाया था। धर्म ग्रंथों के अनुसार समुद्रमंथन के समय नागराज वासुकी की नेती बनाई गई थी। त्रिपुरदाह के समय वासुकि शिव धनुष की डोर बने थे।

तक्षक_नाग

धर्म ग्रंथों के अनुसार तक्षक पातालवासी आठ नागों में से एक है। तक्षक के संदर्भ में महाभारत में वर्णन मिलता है। उसके अनुसार श्रृंगी ऋषि के शाप के कारण तक्षक ने राजा परीक्षित को डसा था, जिससे उनकी मृत्यु हो गयी थी। तक्षक से बदला लेने के उद्देश्य से राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने सर्प यज्ञ किया था। इस यज्ञ में अनेक सर्प आ-आकर गिरने लगे। यह देखकर तक्षक देवराज इंद्र की शरण में गया।

जैसे ही ऋत्विजों (यज्ञ करने वाले ब्राह्मण) ने तक्षक का नाम लेकर यज्ञ में आहुति डाली, तक्षक देवलोक से यज्ञ कुंड में गिरने लगा। तभी आस्तीक ऋषि ने अपने मंत्रों से उन्हें आकाश में ही स्थिर कर दिया। उसी समय आस्तीक मुनि के कहने पर जनमेजय ने सर्प यज्ञ रोक दिया और तक्षक के प्राण बच गए। ग्रंथों के अनुसार तक्षक ही भगवान शिव के गले में लिपटा रहता है।

कर्कोटक_नाग

कर्कोटक शिव के एक गण हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार सर्पों की मां कद्रू ने जब नागों को सर्प यज्ञ में भस्म होने का श्राप दिया तब भयभीत होकर कंबल नाग ब्रह्माजी के लोक में, शंखचूड़ मणिपुर राज्य में, कालिया नाग यमुना में, धृतराष्ट्र नाग प्रयाग में, एलापत्र ब्रह्मलोक में और अन्य कुरुक्षेत्र में तप करने चले गए।

ब्रह्माजी के कहने पर कर्कोटक नाग ने महाकाल वन में महामाया के सामने स्थित लिंग की स्तुति की। शिव ने प्रसन्न होकर कहा कि- जो नाग धर्म का आचरण करते हैं, उनका विनाश नहीं होगा। इसके उपरांत कर्कोटक नाग उसी शिवलिंग में प्रविष्ट हो गया। तब से उस लिंग को कर्कोटेश्वर कहते हैं। मान्यता है कि जो लोग पंचमी, चतुर्दशी और रविवार के दिन कर्कोटेश्वर शिवलिंग की पूजा करते हैं उन्हें सर्प पीड़ा नहीं होती।

धृतराष्ट्र_नाग

धर्म ग्रंथों के अनुसार धृतराष्ट्र नाग को वासुकि का पुत्र बताया गया है। महाभारत के युद्ध के बाद जब युधिष्ठिर ने अश्वमेध यज्ञ किया तब अर्जुन व उसके पुत्र ब्रभुवाहन (चित्रांगदा नामक पत्नी से उत्पन्न) के बीच भयंकर युद्ध हुआ। इस युद्ध में ब्रभुवाहन ने अर्जुन का वध कर दिया। ब्रभुवाहन को जब पता चला कि संजीवन मणि से उसके पिता पुन: जीवित हो जाएंगे तो वह उस मणि के खोज में निकला।

वह मणि शेषनाग के पास थी। उसकी रक्षा का भार उन्होंने धृतराष्ट्र नाग को सौंप था। ब्रभुवाहन ने जब धृतराष्ट्र से वह मणि मागी तो उसने देने से इंकार कर दिया। तब धृतराष्ट्र एवं ब्रभुवाहन के बीच भयंकर युद्ध हुआ और ब्रभुवाहन ने धृतराष्ट्र से वह मणि छीन ली। इस मणि के उपयोग से अर्जुन पुनर्जीवित हो गए।

कालिया_नाग

श्रीमद्भागवत के अनुसार कालिया नाग यमुना नदी में अपनी पत्नियों के साथ निवास करता था। उसके जहर से यमुना नदी का पानी भी जहरीला हो गया था। श्रीकृष्ण ने जब यह देखा तो वे लीलावश यमुना नदी में कूद गए। यहां कालिया नाग व भगवान श्रीकृष्ण के बीच भयंकर युद्ध हुआ। अंत में श्रीकृष्ण ने कालिया नाग को पराजित कर दिया। तब कालिया नाग की पत्नियों ने श्रीकृष्ण से कालिया नाग को छोडऩे के लिए प्रार्थना की। तब श्रीकृष्ण ने उनसे कहा कि तुम सब यमुना नदी को छोड़कर कहीं ओर निवास करो। श्रीकृष्ण के कहने पर कालिया नाग परिवार सहित यमुना नदी छोड़कर कहीं ओर चला गया।

ऋषि जी की वाल से

पानी ने दूध से मित्रता की और उसमे समा गया जब दूध ने पानी का समर्पण देखा तो उसने कहा मित्र तुमने अपने स्वरुप का त्याग कर ...
30/03/2024

पानी ने दूध से मित्रता की और उसमे समा गया जब दूध ने पानी का समर्पण देखा तो उसने कहा मित्र तुमने अपने स्वरुप का त्याग कर मेरे स्व रुप को धारण किया है

अब मैं भी मित्रता निभाऊंगा और तुम्हे अपने मोल बिकवाऊंगा दूध बिकने के बाद जब उसे उबाला जाता है तब पानी कहता है

अब मेरी बारी है मै मित्रता निभाऊंगा और तुमसे पहले मै चला जाऊँगा दूध से पहले पानी उड़ता जाता है जब दूध मित्र को अलग होते देखता है तो उफन कर गिरता है

और आग को बुझाने लगता है, जब पानी की बूंदे उस पर छींट कर उसे अपने मित्र से मिलाया जाता है तब वह फिर शांत हो जाता है।

पर इस अगाध प्रेम में थोड़ी सी खटास निम्बू की दो चार बूँद डाल दी जाए तो दूध और पानी अलग हो जाते हैं थोड़ी सी मन की खटास अटूट प्रेम को भी मिटा सकती है।

रिश्तो में खटास मत आने दो।🙏🙏🙏🙏

 #बास्ता  #पड़े  #तो  #नस्लों  #का  #पता  #चलता  #है  #वर्ना  #बातों  #से  #तो  #हर  #बंदा  #ख़ानदानी  #लगता  #है
28/03/2024

#बास्ता #पड़े #तो #नस्लों #का #पता #चलता #है #वर्ना #बातों #से #तो #हर #बंदा #ख़ानदानी #लगता #है

अपनी अहमियत को उन आँखों में देखिए....जो आपको पाने की ख़ुशी से ज़्यादा आपको खोने से डरती हैं...
27/03/2024

अपनी अहमियत को उन आँखों में देखिए....
जो आपको पाने की ख़ुशी से ज़्यादा आपको खोने से डरती हैं...

26/03/2024
*ओ३म्*।। भक्त प्रह्लाद की जय ।।मनुष्य पवित्र स्नेह निर्मल मन दृढ़तापूर्वक निर्भय होकर लोककल्याण को ध्यान में रखकर कार्य ...
24/03/2024

*ओ३म्*
।। भक्त प्रह्लाद की जय ।।
मनुष्य पवित्र स्नेह निर्मल मन दृढ़तापूर्वक निर्भय होकर लोककल्याण को ध्यान में रखकर कार्य करता है, प्रभु नारायण अवतार लेकर रक्षा करते हैं। भक्त प्रह्लाद को क्रूरतम भय भी भयभीत न कर सका, न पथ से विचलित कर पाया।आज भी पूरे विश्व में हर्षोल्लास पूर्वक होली का पर्व मनाया जाता है।
आपका जीवन मंगलमय हो,शुभ होली पर्व की हृदय से बहुत बहुत शुभकामनाएं। Rashtriya Chhatra Parishad Delhi विधायक जी Viral Video Manoj Kumar रजनी ठुकराल Manoj Kumar Dr.Pravinbhai Togodiya Assam #

जब नाव जल में छोड़ दी तूफ़ान में ही मोड़ दी दे दी चुनौती सिंधु को फिर पार क्या मझधार क्या कह मृत्यु को वरदान ही मरना लिय...
22/03/2024

जब नाव जल में छोड़ दी तूफ़ान में ही मोड़ दी दे दी चुनौती सिंधु को फिर पार क्या मझधार क्या कह मृत्यु को वरदान ही मरना लिया जब ठान ही फिर जीत क्या फिर हार क्या जब छोड़ दी सुख की कामना आरंभ कर दी साधना संघर्ष पथ पर बढ़ चले फिर फूल क्या अंगार क्या संसार का पी पी गरल जब कर लिया मन को सरल भगवान शंकर हो गए फिर राख क्या .

किसी को पसंद करना बहुत आसान हैं लेकिन हमेशा उसकी पसंद बने रहना बहुत मुश्किल हैंମା
24/02/2024

किसी को पसंद करना बहुत आसान हैं
लेकिन
हमेशा उसकी पसंद बने रहना बहुत मुश्किल हैंମା

यदि स्त्री के प्रति पुरुष की भक्ति और उसके सम्मान को कसौटी माना जाए, तो एक राजपूत का स्थान सबसे श्रेष्ठ माना जाएगा। वह स...
18/02/2024

यदि स्त्री के प्रति पुरुष की भक्ति और उसके सम्मान को कसौटी माना जाए, तो एक राजपूत का स्थान सबसे श्रेष्ठ माना जाएगा। वह स्त्री के प्रति किए गए असम्मान को कभी सहन नहीं कर सकता और यदि इस प्रकार का संयोग उपस्थित हो जाए, तो वह अपने प्राणों का बलिदान देना अपना कर्तव्य समझता है। जिन उदाहरणों से इस प्रकार का निर्णय करना पड़ता है, उससे राजपूतों का सम्पूर्ण इतिहास ओतप्रोत है।"

दृढ़ता सबसे अच्छी है।चरित्र का जन्म होता है या कर्म का यह एक महान चर्चा का विषय है जिनका जीवन घोर तप देखता है, वे अपने ज...
06/02/2024

दृढ़ता सबसे अच्छी है।
चरित्र का जन्म होता है या कर्म का यह एक महान चर्चा का विषय है जिनका जीवन घोर तप देखता है, वे अपने जन्म को महत्व न दे तो कोई बात नहीं, तपस्या के कारण उन्हें श्रेष्ठ माना जाना चाहिए।

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01/02/2024

#प्रण #से #हो #काशी #विश्वनाथ #और #मथुरा #में #मंदिर #की #प्राण #प्रतिष्ठा #अब #कार #सेवा #की #आवश्यकता #नहीं #कोर्ट #के #आदेश #के #बाद #ज्ञानवापी #परिसर #स्थित #व्यास #जी #तहखाने #में

श्री राम जन्मभूमि के प्रणेता डॉ प्रवीण भाई तोगड़िया जी जटायु की भांति हिन्दू समाज के जन जागरण के लिए मां भारती के चरणों म...
31/01/2024

श्री राम जन्मभूमि के प्रणेता डॉ प्रवीण भाई तोगड़िया जी जटायु की भांति हिन्दू समाज के जन जागरण के लिए मां भारती के चरणों में अपना सब कुछ समर्पित करते हुए पिछले कई दशकों से अपना परिवार छोड़कर, हिन्दू समाज को ही अपना परिवार मान कर चले हुए है.. हिन्दू समाज के ऊपर हो रहे कुठाराघात के लिए जागरण करते हुए संकल्पित हिन्दू समाज को सरयू के तट पर काशी विश्वनाथ और मथुरा की भूमि को मुक्त करने के लिए संकल्प दिलाया। हिन्दू समाज की सुरक्षा, समृद्धि, स्वास्थ्य और प्रगति के लिए दिन रात हिन्दू ही आगे के उदघोष के साथ तन समर्पित मन समर्पित इस भाव से पुरे भारतवर्ष में भर्मण कर रहे है.. 🙏🏻 #रजनी

किशनगढ़ के राजा मानसिंह राठौड़ की बहन चारूमति राठौड़ की खूबसूरती के किस्से सुनकर औरंगजेब ने मानसिंह से कहा कि हम तुम्हारी ...
29/01/2024

किशनगढ़ के राजा मानसिंह राठौड़ की बहन चारूमति राठौड़ की खूबसूरती के किस्से सुनकर औरंगजेब ने मानसिंह से कहा कि हम तुम्हारी बहन से शादी करेंगे

मानसिंह बादशाह को मना करने की स्थिति में नहीं थे, पर चारुमति राठौड़ ने इस विवाह प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए कहा कि यदि ऐसा हुआ, तो मैं अपने प्राण त्याग दूंगी

राजा मानसिंह ने अपने कुटुम्ब के लोगों से बातचीत कर फैसला किया कि मुगल बादशाह के खिलाफ जाना समूचे राजपूताने में मेवाड़ महाराणा राजसिंह जी के ही बस की बात है

राजा ने बहन से कहा कि तुम खुद महाराणा को पत्र लिखो, इससे महाराणा के चित्त पर प्रभाव पड़ेगा और वे मना नहीं करेंगे

चारुमति राठौड़ ने पत्र में लिखा "आप एकलिंग महादेव के उपासक व महाराणा प्रताप के प्रपौत्र हैं। जिस तरह भगवान श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी से विवाह किया, उसी प्रकार यदि आपने मुझसे विवाह कर उस मुगल बादशाह आलमगीर (औरंगजेब) के पंजे से ना छुड़ाया, तो मैं विष खा लूंगी और ये अपराध आपके सिर रहेगा"

इस पत्र के साथ ही एक और पत्र राजा मानसिंह ने महाराणा को लिखा कि "यदि आप हमारी इच्छा से चारुमति को ले जायेंगे, तो औरंगजेब हमें जीवित नहीं छोड़ेगा। आप अपनी फौज के साथ यहां आकर हमें कैद कर चारुमति से विवाह करके ले जाइयेगा, जिससे की बादशाह को हम पर शक ना हो"

महाराणा राजसिंह ने सहर्ष प्रस्ताव स्वीकार किया और जैसा कि तय हुआ था, महाराणा ने राजा मानसिंह को एक महल में बन्द किया व सबका आना-जाना बन्द करवाकर रानी चारुमति राठौड़ से विवाह कर मेवाड़ पधारे

औरंगज़ेब ने रानी चारूमति को लाने के लिए जो डोले भेजे थे, वो जब खाली लौटे तो औरंगजेब तिलमिला उठा पर मन मसोसकर रह गया

पोस्ट लेखक :- तनवीर सिंह सारंगदेवोत (लक्ष्मणपुरा -v

तोमर राजवंश के राज चिह्न, एवं वंश चिह्न (तोमर राजवंश की वंशावली के अनुसार ).... तोमर राजवंश का महत्‍वपूर्ण स्थान महाराज ...
09/10/2023

तोमर राजवंश के राज चिह्न, एवं वंश चिह्न (तोमर राजवंश की वंशावली के अनुसार )....
तोमर राजवंश का महत्‍वपूर्ण स्थान महाराज अनंगपालसिंह तोमर द्वारा दिल्‍ली से आकर अपनी नई राजधानी ऐसाह गढ़ी की स्‍थापना की गई उसी स्‍थान पर चम्‍बल नदी के किनारे स्थित राजवंश का प्रसिद्ध मंदिर भवेश्‍वरी मंदिर - इस मंदिर का निर्माण और स्‍थापना महाराजा अनंग पाल सिंह तोमर द्वारा की गयी , इसमें अंदर गौमुखों से चम्‍बल की अनेक धारें इस प्रकार से गिरतीं हैं कि एक स्‍थायी भंवर इसमें हमेशा मौजूद रहता है , इसी भवेश्‍वरी में स्थित भंवर में तोमर राजवंश की पॉंच महत्‍वपूर्ण गुप्‍त चीजों में से एक पारसमणि और राजवंश के खजाने के गुप्‍त मार्ग अवस्थित हैं , यह महाराज अनंग पाल सिंह तोमर द्वारा दिल्‍ली छोड़कर आने के बाद वर्तमान में मुरैना जिला में ऐसाह नामक स्‍थान पर अपनी राजधानी बनाई गई , यह राजवंश का पूज्‍य एवं महत्‍वपूर्ण मंदिर है ।
तोमर राजवंश का मूल उद्गम महाभारत के योद्धा पाण्‍डव अर्जुन से है, भगवान श्रीकृष्‍ण के बहनोई , एवं अनन्‍य सखा अर्जुन एवं सुभद्रा के पुत्र अभिमन्‍यु की पत्‍नी उत्‍तरा के गर्भ से जन्‍मे महाराजा परीक्षत एवं उनके पुत्र जन्‍मेजय । जन्‍मेजय द्वारा विश्‍व विख्‍यात सर्प यज्ञ कर सर्प प्रजाति को ही वंश नाश कर समाप्‍त करने हेतु आयोजित यज्ञ और उसमें भगवान श्री हरि विष्‍णु द्वारा स्‍वयं आकर सर्प जाति की रक्षा तथा तोमर वंश के लोगों को सर्प द्वारा न डसने तथा डसने पर असर न होने के वरदान की त्रिवाचा की कथा जगत प्रसिद्ध है । इसी राजवंश के आगे बढ़ते इन्‍द्रप्रस्‍थ दिल्‍ली के राजसिंहासन पर महाराजा अनंग पाल सिंह तोमर सिंहासनारूढ़ हुये, अनंगपाल सिंह तोमर ने दिल्‍ली से आकर चम्‍बल नदी के किनारे ऐसाह नामक स्‍थान (वर्तमान में मुरैना जिला ) पर अपनी नई राजधानी बनाई और उनके पुत्र महाराजकुमार सोनपाल सिंह तोमर और उनके वंशजों ने ऐसाह, सिंहोनियॉं, और ग्‍वालियर साम्राज्‍य पर राज्‍य करते हुये अपनी शक्ति काफी विस्‍तारित की और पुन: विशाल वैभवशाली साम्राज्‍य स्‍थापित कर दिया । इस राजवंश के वंश चिह्नों का विवरण यहॉं इस आलेख में राजवंश की वंशावली के अनुसारवर्णित किया जा रहा है ।

राजचिह्न एवं वंश चिह्न (तोमर राजवंश)

गोत्र – वैयाशुक , शाखा – माखधनी, वंश – चन्‍द्रवंश , कुलदेवी – योगेश्‍वरी, देवी – चिल्‍हासन (वर्तमान में कालका देवी के नाम से प्रसिद्ध हैं, इनकी चील पक्षी की सवारी है- इनका मंदिर अनंगपुरी दिल्‍ली में है, यह मंदिर महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर ने बनवाया था), राजपुरोहित – पहले पाठक थे- नाठ हो जाने से वर्तमान में उपाध्‍याय हैं, राजचिह्न – गौ बच्‍छारक्षा (गाय बछड़ा की रक्षा) – यह राजचिह्न प्रयागराजमें स्‍थापित है, वंश वृक्ष चिह्न – अक्षय वट- यह चिह्न प्रयागराज में स्‍थापित है, माला – रूद्राक्ष की माला, पक्षी- गरूड़, राज नगाड़ा – रंजीत (रणजीत), तोमर राजवंश पहचान नाम- इन्‍द्रप्रस्‍थ के तोमर, राज वंश एवं वंश कुल पूजा- लक्ष्‍मी नारायण, आदि खेरा (खेड़ा) (मूल खेरा) – हस्तिनापुर, आदि गद्दी (आदि सिंहासन) – कर्नाटक (तुगभद्रा नदी के किनारे तुंगभद्र नामक स्‍थान पर महाराजा तुंगपाल) , वंश एवंराज शंख – दक्षिणावर्ती शंख, तिलक – रामानन्‍दी, राज निशान- चौकोर हरे झण्‍डे पर चन्‍द्रमा का निशान, पर्वत – द्रोणांचल, गुरू – व्‍यास, राजध्‍वज – पंचरंगी, नदी- गोमती, मंत्र – गोपाल मंत्र, हीरा- मदनायक ( इसे बाद में मुस्लिमों द्वारा कोहेनूर कहा गया – यह हीरा अब जा चुका है) ,मणि – पारसमणि, राजवंश का गुप्‍त चक्र – भूपत चक्र, यंत्र – श्रीयंत्र, महाविद्या – षोडशी महाविद्या उपरोक्‍त चिह्न (राजचिह्नों को छोड़कर) हर तंवर (तोमर) वंशीय क्षत्रिय राजपूत पर ध्‍वज, गोमती चक्र आदि प्रतीकों सहित होना अनिवार्य है । कुछ गुप्‍त चिह्नों और राज चिह्नों का प्रकाशन सार्वजनिक नहीं किया जा रहा, उन्‍हें इस आलेख में अपरिहार्य कारणों से शामिल नहीं किया गया है ।
उपरोक्त अंश ( तोमर- भारत का राजपूत राजवंश) से है|

आज से लगभग ४ शताब्दी पूर्व प्रभु राम जी की कथा का मुख्य स्रोत वाल्मीकि जी की संस्कृत रामायण थी । तुलसीदास जी ने श्री राम...
02/10/2023

आज से लगभग ४ शताब्दी पूर्व प्रभु राम जी की कथा का मुख्य स्रोत वाल्मीकि जी की संस्कृत रामायण थी । तुलसीदास जी ने श्री राम चरित मानस को अवधि में लिख जन जन तक पहुँचा दिया । उन्होंने इसे अयोध्या में लिखना शुरू किया और काशी में सम्पूर्ण किया ।

और उन्होंने बाल कांड में संस्कृत में यह श्लोक लिखा

वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि।
मङ्गलानां च कर्त्तारौ वन्दे वाणीविनायकौ।।1।।

भावार्थ
अक्षरों, अर्थ समूहों, रसों, छन्दों और मंगलों को करने वाली सरस्वतीजी और गणेशजी की मैं वंदना करता हूँ॥1॥
#इंडिया #भारत #तुलसीदासजीकीकथा #केवलकपूर #केवलकपूरदिलसे #केवलराम #गणेशजी #श्रीरामचरितमानस #अखंडरामायण #रामायणपाठ #अयोध्या #राममंदिर

भारतीय संस्कृति का पालन करते हुए शुभ कार्य से पूर्व उन्होंने भगवान की वंदना कर आशीर्वाद माँगा । शुभ कार्य से पूर्व पूजा / आराधना / प्रार्थना की एक लंबी परंपरा भारत में रही है जिसका पालन आज भी करोड़ों लोगो द्वारा किया जाता हे ।

29/08/2023

रक्षाबंधन पर सनातन के पुत्रों को लेना होगा रक्षा का संकल्प हिन्दू बेटी #35 टुकड़ों में न कटे
  #रक्षाबंधन 
#जिंदगी #रक्षाबंधनॐ

सम्भल के रहना उन इंसानों सेजिनके दिल में भी दिमाग होता है..!! ादेवअनंत      #नमः_पार्वती_पतये_हर_हर_महादेव    #महादेव   ...
27/08/2023

सम्भल के रहना उन इंसानों से
जिनके दिल में भी दिमाग होता है..!!

ादेवअनंत #नमः_पार्वती_पतये_हर_हर_महादेव #महादेव

   #महादेव  ्षात्र_धर्म    #लक्ष्य  #महाकाल
22/08/2023

#महादेव ्षात्र_धर्म #लक्ष्य #महाकाल

शक्तिपीठ माँ भद्रकाली मुरादाबाद
15/08/2023

शक्तिपीठ माँ भद्रकाली
मुरादाबाद

सरल-सौम्य व कर्मठ व्यक्तित्व के धनी छोटा अनुज  अवधेश  जी, आपको जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।प्रभु श्री रा...
15/08/2023

सरल-सौम्य व कर्मठ व्यक्तित्व के धनी छोटा अनुज  अवधेश  जी, आपको जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
प्रभु श्री राम जी से प्रार्थना है कि आप दीर्घायु हों और सदैव स्वस्थ एवं प्रसन्न रहें।

@मनोज

तू इश्क़ हैं, तू जुनून हैं । तू हर मर्ज़ का सुकून हैं।। -महादेव🌹💞तू ही रूह में समाए मुझ पर , उनका ही  साया । जटाधारी ...
14/08/2023

तू इश्क़ हैं, तू जुनून हैं । तू हर मर्ज़ का सुकून हैं।।
-महादेव🌹💞तू ही रूह में समाए मुझ पर , उनका ही साया । जटाधारी ही आराध्य महादेव मेरे, बाकी सब मोह-माया ।। 🙏🕉️🙏
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्!

सरल-सौम्य व कर्मठ व्यक्तित्व के धनी एवं राष्ट्रीय बजरंगदल के महानगर उपाध्यक्ष  Abhinav Goswamiजी, आपको जन्मदिन की हार्द...
13/08/2023

सरल-सौम्य व कर्मठ व्यक्तित्व के धनी एवं राष्ट्रीय बजरंगदल के महानगर उपाध्यक्ष Abhinav Goswamiजी, आपको जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
प्रभु श्री राम जी से प्रार्थना है कि आप दीर्घायु हों और सदैव स्वस्थ एवं प्रसन्न रहें।

@मनोज

प्रिय अनुज आदित्य गुप्ता जी को जन्मदिन की अनन्त हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं
13/08/2023

प्रिय अनुज आदित्य गुप्ता जी को जन्मदिन की अनन्त हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं

 #जुनून  होना चाहिए         #लक्ष्य  को पाने के लिए, #सपने तो हर कोई देखता है        #दूसरों  को बताने के लिए।————————-म...
05/08/2023

#जुनून होना चाहिए
#लक्ष्य को पाने के लिए,
#सपने तो हर कोई देखता है
#दूसरों को बताने के लिए।
————————-मनोज सिंह

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