Sanatan Dharm God

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06/08/2023

इससे पहले पोस्ट में हमने बताया था कि योग का क्या अर्थ है और आज समझते हैं कि योग का पहला भाग 'यम' का क्या अर्थ है और यह कितने भागों में विभाजित है।

योग का सही अर्थ :- सही में योग का अर्थ है कि योग ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत हम ईश्वर के रास्ते पर चलते हैं और ईश्वर से जुड़ जाते हैं और ईश्वर को प्राप्त करते हैं।

योग को महर्षि पतंजलि ने 8 भागों में विभाजित किया है इसी को योग कहते हैं जो कि इस प्रकार हैं -
1. यम
2. नियम
3. आसन
4. प्राणायाम
5. प्रत्याहार
6. धारणा
7. ध्यान
8. समाधि

जिसमें पहला 'यम' है। यम को 5 भागों में विभाजित किया गया है। ----
1.अहिंसा - किसी भी प्रकार से अन्य जीव को नहीं सताना अर्थात मन, वाणी, कर्म से किसी दूसरी जीव को किसी प्रकार का आघात नहीं देना अहिंसा कहलाता है।

2.सत्य - सत्य को सत्य ही बोलना अर्थात जैसा हमने सुना है। जैसा हमने देखा है उसको वैसा ही बोलना।

3.अस्तेय - किसी दूसरे की किसी प्रकार की वस्तु को गलत दृष्टि, विचार, वाणी, कर्म, से बचाए रखना। और उसकी वस्तु को नहीं लेना। दूसरे की वस्तु को तभी लेना चाहिए जब वस्तु को देने वाला प्रश्नता पूर्वक आपको लेने के लिए आज्ञा दे दे।

4.अपरिग्रह - अपरिग्रह का मतलब है कि वस्तुओं का उपयोग अपनी आवश्यकता के अनुसार होना चाहिए।

5.ब्रहमचर्य - मन कर्म वचन से पवित्र रहकर यौन संबंध से दूर रहना चाहिए। धर्म अनुसार ही, अनुशासन के अंतर्गत शादीशुदा व्यक्ति को संबंध बनाना चाहिए त्याग की भावना होनी चाहिए।

।।एक बार बोलो जोर से जय श्री राम।।आज का ज्ञान - हनुमान चालीसा में एक पंक्ति आती है मन कर्म वचन ध्यान जो लावै, कहीं-कहीं ...
04/08/2023

।।एक बार बोलो जोर से जय श्री राम।।
आज का ज्ञान - हनुमान चालीसा में एक पंक्ति आती है मन कर्म वचन ध्यान जो लावै, कहीं-कहीं हनुमान चालीसा पुस्तक में लिखा है कि - मन क्रम वचन ध्यान जो लावे, लेकिन क्रम नहीं है, सही रूप इसका कर्म है इसको सही रूप में बोलेंगे 'मन कर्म वचन' ध्यान जो लावै।

03/08/2023
आज का ज्ञान:- अधूरा ज्ञान हमेशा गलत धारणा बना देता है। आज के समय में 'योग' के प्रति अधिकतर लोगों में गलत धारणा बन गई है ...
25/07/2023

आज का ज्ञान:- अधूरा ज्ञान हमेशा गलत धारणा बना देता है। आज के समय में 'योग' के प्रति अधिकतर लोगों में गलत धारणा बन गई है कि वह सिर्फ योग को एक्सरसाइज अर्थात आसन से जोड़कर देखते हैं जो कि एकदम गलत है।

योग का सही अर्थ :- सही में योग का अर्थ है कि योग ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत हम ईश्वर के रास्ते पर चलते हैं और ईश्वर से जुड़ जाते हैं और ईश्वर को प्राप्त करते हैं।

योग को महर्षि पतंजलि ने 8 भागों में विभाजित किया है इसी को योग कहते हैं जो कि इस प्रकार हैं -
1. यम
2. नियम
3. आसन
4. प्राणायाम
5. प्रत्याहार
6. धारणा
7. ध्यान
8. समाधि

Jay Shiv Shambu
17/07/2023

Jay Shiv Shambu

22/02/2023

"विश्व सनातन धर्म"

🙏Welcome🙏

21/02/2023

प्रेम उस शब्द का नाम है जहां किसी प्रकार की बुराई के लिए कोई जगह नहीं होती है।

यह उस समय की बात है जब किसी जंगल में वासुदेव कृष्ण और सुदामा विचरण कर रहे थे और अचानक बारिश आ जाती है तो घर से जो दोनों ...
16/02/2023

यह उस समय की बात है जब किसी जंगल में वासुदेव कृष्ण और सुदामा विचरण कर रहे थे और अचानक बारिश आ जाती है तो घर से जो दोनों के लिए चने मिले थे एक एक मुट्ठी वह सुदामा के पास ही होते हैं और बारिश से बचने के लिए वह एक पेड़ पर चढ़ जाता है और श्री कृष्ण किसी कार्य से दूसरे स्थान की तरफ चले जाते हैं लेकिन सुदामा को भूख लगने के कारण वह अपना एक मुट्ठी चना खा लेता है और दूसरे मुट्ठी चना जो श्री कृष्ण के हिस्से के थे और भूख लगने पर वह उनको भी खा लेता है और श्रीकृष्ण समझ जा समझ जाते हैं कि वह मेरे हिस्से के चने भी खा गया है श्री कृष्ण के पूछने पर सुदामा बहुत देर में सोचते-सोचते बताता है कि वह आपके जो चने थे वह मैंने खा लिए भगवान श्री कृष्ण मुस्कुरा देते हैं और फिर ऐसा समय बदलते हैं सुदामा का कि वह बहुत ही निर्धन हो जाता है और वह खाने के लिए भी तरस जाता है तो तभी से यह कहावत चली आ रही है कि किसी के दूसरे के हिस्सा नहीं खाना चाहिए और यह बात भी सत्य है जब सुदामा दुखी होकर श्री कृष्ण मिलने जाता है तो श्रीकृष्ण उसको सब कुछ बता देते हैं लेकिन जब एक मित्र से मदद मांगने के भाव से जाता है तो श्रीकृष्ण उसको बहुत कुछ दे देते हैं इससे निष्कर्ष निकलता है कि जब मित्रता में पवित्रता आ जाती है तो वे स्वर्ग जैसा आनंद देने लगती है।

हम अपने सनातन धर्म की सेवा के लिए कार्य कर रहे हैं इसका किसी भी अन्य धर्म से कोई मतलब नहीं है। हमारा उन हिंदू भाई अर्थात...
13/09/2022

हम अपने सनातन धर्म की सेवा के लिए कार्य कर रहे हैं इसका किसी भी अन्य धर्म से कोई मतलब नहीं है। हमारा उन हिंदू भाई अर्थात सनातनियों से कहना है कि आजकल देखने में आ रहा है कि कुछ हिंदू भाई अपनी सनातन संस्कृति को महत्व नहीं दे रहे हैं और वह आधुनिकता की तरफ बढ़ रहे हैं जिससे कि हमारे संस्कारों का नाश हो रहा है और हमारी संस्कृति कमजोर हो रही है। इसलिए 'विश्व सनातन धर्म' द्वारा यह लक्ष्य रखा गया है कि ऐसे हिंदू भाइयों को जागरूक करना है जो आधुनिकता की तरफ ज्यादा बढ़ रहे हैं और अपनी संस्कृति पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। उनसे हमारा अनुरोध है कि वह अपनी सनातन संस्कृति को महत्व दें और आधुनिकता को छोड़ें, इसीलिए हमारा संदेश है "सनातन धर्म की ओर लौटो, सत मार्ग पर चलना ही ईश्वर की सेवा है,अच्छे कर्म करना-अच्छा सोचना -अच्छा बोलना ही सत मार्ग है"। आओ हम सब मिलकर ऐसे हिंदू भाइयों को जागरूक करें। 'विश्व सनातन धर्म' द्वारा चलाई जाने वाली सामाजिक सेवाएं और धर्म सेवाएं सभी हिंदू भाइयों के लिए हैं। हमारा किसी प्रकार की गलत कार्य से कोई मतलब नहीं है। आओ सभी हिंदू भाई मिलकर अपने सनातन संस्कृति को मजबूत करें और अपने परिवारों को अच्छे संस्कार दें।

धर्म सेवा के अंतर्गत कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व पर "विश्व सनातन धर्म" द्वारा एक छोटा सा धर्म सेवा का कार्य करने जा रहे हैं...
14/08/2022

धर्म सेवा के अंतर्गत कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व पर "विश्व सनातन धर्म" द्वारा एक छोटा सा धर्म सेवा का कार्य करने जा रहे हैं जिसके अंतर्गत प्रभु श्री कृष्ण का प्रसाद और धार्मिक पुस्तक भागवत गीता का वितरण किया जाएगा आप सभी का स्वागत है हमारी सेवा का लाभ प्राप्त भी कर सकते हैं। और धर्म कार्य सेवा के लिए सहयोग भी कर सकते हैं।
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23/07/2022
13/07/2022
13/07/2022

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