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Sarjana Sarjana- Editorial board of the institute magazine and the student media body, B.I.T Sindri. The Student Media Body, BIT Sindri

श्रृंखला में आज पढ़िए महादेवी वर्मा कि कविता "फूल"-मधुरिमा के, मधु के अवतारसुधा से, सुषमा से, छविमान,आंसुओं में सहमे अभि...
29/06/2025

श्रृंखला में आज पढ़िए महादेवी वर्मा कि कविता "फूल"-

मधुरिमा के, मधु के अवतार
सुधा से, सुषमा से, छविमान,
आंसुओं में सहमे अभिराम
तारकों से हे मूक अजान!
सीख कर मुस्काने की बान
कहां आऎ हो कोमल प्राण!

स्निग्ध रजनी से लेकर हास
रूप से भर कर सारे अंग,
नये पल्लव का घूंघट डाल
अछूता ले अपना मकरंद,
ढूढं पाया कैसे यह देश?
स्वर्ग के हे मोहक संदेश!

रजत किरणों से नैन पखार
अनोखा ले सौरभ का भार,
छ्लकता लेकर मधु का कोष
चले आऎ एकाकी पार;
कहो क्या आऎ हो पथ भूल?
मंजु छोटे मुस्काते फूल!

उषा के छू आरक्त कपोल
किलक पडता तेरा उन्माद,
देख तारों के बुझते प्राण
न जाने क्या आ जाता याद?
हेरती है सौरभ की हाट
कहो किस निर्मोही की बाट?

चांदनी का श्रृंगार समेट
अधखुली आंखों की यह कोर,
लुटा अपना यौवन अनमोल
ताकती किस अतीत की ओर?
जानते हो यह अभिनव प्यार
किसी दिन होगा कारगार?

कौन है वह सम्मोहन राग
खींच लाया तुमको सुकुमार?
तुम्हें भेजा जिसने इस देश
कौन वह है निष्ठुर करतार?
हंसो पहनो कांटों के हार
मधुर भोलेपन का संसार!

"नीलाचलस्थितं देवं रथारूढं जनार्दनम्।सुभद्रया समायुक्तं बलभद्रेण सेव्यते॥भक्तानां दर्शनार्थाय नगरं याति माधवः।जगन्नाथं न...
27/06/2025

"नीलाचलस्थितं देवं रथारूढं जनार्दनम्।
सुभद्रया समायुक्तं बलभद्रेण सेव्यते॥
भक्तानां दर्शनार्थाय नगरं याति माधवः।
जगन्नाथं नमस्यामि नयनाभिरमं हरिम्॥"

प्रतिवर्ष आषाढ़ शुक्ल द्वितीय तिथि के दिन ओडिशा के पुरी नगर में निकाली जाने वाली भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा विश्व के सबसे बड़े उत्सवों में से एक मानी जाती है। इस दिव्य अवसर पर जब भगवान जगन्नाथ जनमानस को दर्शन देने आते हैं तो अत्यंत ही अलौकिक दिव्य एवं विहंगम दृश्य का निर्माण होता है जो दैवीय अनुभूति प्रदान करता है।

यह रथयात्रा आराधक और आराध्य के मिलन को दर्शाता है। जब भगवान जगन्नाथ भ्रमण को निकलते हैं तो ऐसा प्रतीत होता है मानो प्रभु भक्तों के विश्वास, भक्ति एवं प्रेम के रथ पर आरूढ़ होकर भ्रमण कर रहें हो। यह रथ साक्षात धर्म का रथ होता है, जिसके पहिए करुणा एवं प्रेम के होते हैं। वे रस्सियाँ जिन्हें खींचते समय राजा और रंक, ज्ञानी और अज्ञ, सभी एक ही श्रृंखला में बंध जाते हैं वे केवल रस्सियाँ नहीं, समाज को एकता के सूत्र में बाँधने वाली दिव्य डोर है जो सामाजिक समरसता का प्रमाण देती हैं।

सर्जना परिवार की ओर से रथ यात्रा की हार्दिक शुभकामनाएँ।

श्रृंखला में आज पढ़िए मैथिलीशरण गुप्त कि कविता "नक्षत्र-निपात"-जो स्वजनों के बीच चमकता था अभी,आशा-पूर्वक जिसे देखते थे स...
22/06/2025

श्रृंखला में आज पढ़िए मैथिलीशरण गुप्त कि कविता "नक्षत्र-निपात"-

जो स्वजनों के बीच चमकता था अभी,
आशा-पूर्वक जिसे देखते थे सभी।

होने को था अभी बहुत कुछ जो बड़ा,
हाय! वही नक्षत्र अचानक खस पड़ा।

निशि का सारा शांत भाव हत हो गया;
नभ के उर का एक रत्न-सा खो गया।

आभा उसके अमल अंतिमालोक की,
रेखा-सी कर गई हृदय पर शोक की!

सारे तारे उसे देखते ही रहे;
हिम-कण-रूपी कोटि-कोटि आँसू बहे।

किंतु न उसको बचा सका फिर इंदु भी;
काम न कुछ कर सके अमृत के बिंदु भी।

भूतल का भी इसी तरह का हाल है—
सचमुच निष्ठुर काल बड़ा विकराल है।

योगः कर्मसु कौशलम्।प्राचीन भारतीय संस्कृति की अमूल्य विरासत योग केवल शारीरिक आसन का नाम नहीं है बल्कि यह शरीर, मन एवं आत...
21/06/2025

योगः कर्मसु कौशलम्।

प्राचीन भारतीय संस्कृति की अमूल्य विरासत योग केवल शारीरिक आसन का नाम नहीं है बल्कि यह शरीर, मन एवं आत्मा के त्रिविध आयामों का संतुलन है। योग शब्द यहाँ न केवल शारीरिक व्यायाम का परिचायक है बल्कि यह युज् धातु से व्युत्पन्न होकर संयोग या एकीकरण की गहरी अनुभूति देता है। प्रस्तावित 21 जून 2015 को पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया जिस दिन को उत्तरी गोलार्ध में ग्रीष्म संक्रांति के रूप में जाना जाता है।

योग सनातन परंपरा में जन्मा है लेकिन इसका अभ्यास किसी विशेष धर्म या धार्मिक संदर्भ तक सीमित नहीं है। विभिन्न संस्कृति और मान्यताओं में व्याप्त विविध स्पष्टीकरणों के बावजूद योग के मूल तत्वों में परिवर्तन नहीं होता। नियम ,आसन, प्राणायाम और प्रत्याहार जैसे अभ्यास सभी के लिए सामान्य रूप से लागू होते हैं। योग कोई धार्मिक विधा नहीं है बल्कि यह मानवता के सार्वभौमिक स्वास्थ्य संतुलन और पुनरुद्धार का एक वैज्ञानिक और सामाजिक सूत्र है। यदि योग एक आंदोलन बनकर स्वास्थ्य और समरसता को जन-आधारित जीवन शैली में परिवर्तित कर सके तो यही उसकी वास्तविक सार्वभौमिक महत्ता होगी। इसे केवल एक दिन के उत्सव के रूप में नहीं बल्कि जीवन की दिनचर्या का हिस्सा बनाना चाहिए।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के पावन अवसर पर सर्जना परिवार की ओर से आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ। हम यह कामना करते हैं कि योग आपके जीवन में मानसिक शांति, भावनात्मक स्थिरता तथा आत्मिक जागरूकता की दिशा में एक सशक्त परिवर्तनकारी भूमिका निभाए।

श्रृंखला में आज पढ़िए सर्वेश्वर दयाल सक्सेना कि कविता "देश कागज पर बना नक्शा नहीं होता"-यदि तुम्हारे घर केएक कमरे में आग...
15/06/2025

श्रृंखला में आज पढ़िए सर्वेश्वर दयाल सक्सेना कि कविता "देश कागज पर बना नक्शा नहीं होता"-

यदि तुम्हारे घर के
एक कमरे में आग लगी हो
तो क्या तुम
दूसरे कमरे में सो सकते हो?
यदि तुम्हारे घर के एक कमरे में
लाशें सड़ रहीं हों
तो क्या तुम
दूसरे कमरे में प्रार्थना कर सकते हो?
यदि हाँ
तो मुझे तुम से
कुछ नहीं कहना है।

देश कागज पर बना
नक्शा नहीं होता
कि एक हिस्से के फट जाने पर
बाकी हिस्से उसी तरह साबुत बने रहें
और नदियां, पर्वत, शहर, गांव
वैसे ही अपनी-अपनी जगह दिखें
अनमने रहें।
यदि तुम यह नहीं मानते
तो मुझे तुम्हारे साथ
नहीं रहना है।

इस दुनिया में आदमी की जान से बड़ा
कुछ भी नहीं है
न ईश्वर
न ज्ञान
न चुनाव
कागज पर लिखी कोई भी इबारत
फाड़ी जा सकती है
और जमीन की सात परतों के भीतर
गाड़ी जा सकती है।

जो विवेक
खड़ा हो लाशों को टेक
वह अंधा है
जो शासन
चल रहा हो बंदूक की नली से
हत्यारों का धंधा है
यदि तुम यह नहीं मानते
तो मुझे
अब एक क्षण भी
तुम्हें नहीं सहना है।

याद रखो
एक बच्चे की हत्या
एक औरत की मौत
एक आदमी का
गोलियों से चिथड़ा तन
किसी शासन का ही नहीं
सम्पूर्ण राष्ट्र का है पतन।

ऐसा खून बहकर
धरती में जज्ब नहीं होता
आकाश में फहराते झंडों को
काला करता है।
जिस धरती पर
फौजी बूटों के निशान हों
और उन पर
लाशें गिर रही हों
वह धरती
यदि तुम्हारे खून में
आग बन कर नहीं दौड़ती
तो समझ लो
तुम बंजर हो गये हो-
तुम्हें यहां सांस लेने तक का नहीं है अधिकार
तुम्हारे लिए नहीं रहा अब यह संसार।

आखिरी बात
बिल्कुल साफ
किसी हत्यारे को
कभी मत करो माफ
चाहे हो वह तुम्हारा यार
धर्म का ठेकेदार,
चाहे लोकतंत्र का
स्वनामधन्य पहरेदार।

अहमदाबाद विमान हादसा: एक दुखद त्रासदी 12 जून 2025 की दोपहर को देश ने एक हृदयविदारक त्रासदी का सामना किया। अहमदाबाद के सर...
13/06/2025

अहमदाबाद विमान हादसा: एक दुखद त्रासदी

12 जून 2025 की दोपहर को देश ने एक हृदयविदारक त्रासदी का सामना किया। अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से लंदन के लिए रवाना होने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 दोपहर 1:00 बजे जैसे ही उड़ान भरने को तैयार हुई, वह तकनीकी खराबी की शिकार हो आग की चपेट में आ गई। यह विमान उड़ान भरते ही नियंत्रण खो बैठा और लगभग 2.5 किलोमीटर दूर स्थित बी.जे. मेडिकल हॉस्टल से टकराकर भीषण दुर्घटना का शिकार हो गया। इस हादसे में 241 लोगों की मृत्यु हो गई। यह घटना इतनी भयावह थी कि पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई।

सर्जना परिवार उन सभी दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित करता है। ईश्वर उन दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान करें एवं उनके परिवार को अपार दुख सहने की शक्ति दे।

जला अस्थियां बारी-बारीचिटकाई जिनमें चिंगारी,जो चढ़ गए पुण्यवेदी परलिए बिना गर्दन का मोल।कलम, आज उनकी जय बोलजो अगणित लघु ...
08/06/2025

जला अस्थियां बारी-बारी
चिटकाई जिनमें चिंगारी,
जो चढ़ गए पुण्यवेदी पर
लिए बिना गर्दन का मोल।
कलम, आज उनकी जय बोल

जो अगणित लघु दीप हमारे
तूफानों में एक किनारे,
जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन
मांगा नहीं स्नेह मुंह खोल।
कलम, आज उनकी जय बोल
-राष्ट्रकवि दिनकर

साहित्य समाज का दर्पण है और कविताएं मनोभावों को प्रकट करने का रुचिर माध्यम। हिंदी साहित्य में ऐसे कई कवि हुए जिन्होंने अपनी रचनाओं से पाठकों के हृदय में विशिष्ट स्थान प्राप्त किया और समाज को सोचने के लिए एक नवीन पृष्ठभूमि प्रदान की। उन्हीं कवियों की श्रेष्ठतम रचनाओं को प्रस्तुत करने हेतु सर्जना परिवार का नया प्रयास है ‘कविता कुञ्ज ’।

साहित्य को बढ़ावा देना सर्जना के मुख्य उद्देश्यों में से एक रहा है। इसी लक्ष्य के साथ आगे बढ़ते हुए ‘कविता कुञ्ज’ नामक एक नई श्रृंखला का शुभारंभ किया जा रहा है। इसमें प्रतिसप्ताह एक मनभावन कविता पाठकों के सामने प्रस्तुत की जाएगी जिससे उनका भिन्न कवियों एवं उनकी रचनाओं से परिचय हो सके। इस पहल का प्रयोजन नई पीढ़ी को भारतीय लेखन की अतुलनीय समृद्धि से अवगत कराना एवं इस क्षेत्र में उनकी रुचि जागृत करना है।

हम आशा करते हैं कि 'कविता कुञ्ज' आपकी साहित्यिक यात्रा में अत्यंत योगदायी होगा एवं आपको हिंदी काव्य के नए आयामों से जोड़ेगा। हर सप्ताह हमारी नई प्रस्तुति के साथ जुड़ने के लिए तैयार रहें!

"There is no velvet so soft as a mother’s lap, no rose as lovely as her smile, no path so flowery as that imprinted with...
11/05/2025

"There is no velvet so soft as a mother’s lap, no rose as lovely as her smile, no path so flowery as that imprinted with her footsteps." – Archibald Thompson

Mother’s Day is a beautiful occasion celebrated around the world to honor and appreciate the unconditional love, care, and sacrifices that mothers make every single day. It’s a time to pause our busy lives and show gratitude to the incredible women who raised us and supported us.

On this very Mother's Day, we appreciate the efforts of our mother for portraying a multi-dimensional role within our lives and infusing character development within us.Despite so much contribution, our mother doesn't seek recognition; their continuous efforts are just out of love.
Our mother, being our first mentor, has her care that is constant, quiet, and powerful.

On behalf of the Sarjana family, we wish and acknowledge "Happy Mother's Day" to all mothers and mentors out there. On this very Mother's Day, take a heartfelt gesture and acknowledge her efforts for our personality development.

"साहित्य हमें पानी नहीं देता, वह सिर्फ़ हमें अपनी प्यास का बोध कराता है। जब तुम स्वप्न में पानी पीते हो, तो जागने पर सहस...
03/04/2025

"साहित्य हमें पानी नहीं देता, वह सिर्फ़ हमें अपनी प्यास का बोध कराता है। जब तुम स्वप्न में पानी पीते हो, तो जागने पर सहसा एहसास होता है कि तुम सचमुच कितने प्यासे थे।"
-निर्मल वर्मा

३ अप्रैल १९२९ को शिमला की पहाड़ियों में जन्मे निर्मल वर्मा हिंदी साहित्य के उन रचनाकारों में से हैं, जिनका नाम हिंदी साहित्य में आधुनिकता के पर्याय के रूप में लिया जाता है। उनकी लेखन शैली में शिल्प और अभिव्यक्ति का ऐसा अनूठा संगम देखने को मिलता है, जो उनकी रचनाओं को भिन्न बनता है। उनकी पहली कहानी संग्रह "परिंदे" ने नई कहानी आंदोलन की नींव रखी और हिंदी साहित्य को एक नया आयाम दिया।

निर्मल वर्मा को "एकांत का लेखक" कहा जाता है। उनकी रचनाओं में एकांत और मानव मन की गहराइयों का चित्रण प्रमुख है। उनका एक प्रसिद्ध कथन है:
"जीवन वही है जो हमसे छूट जाता है, और साहित्य वही जो उसे पकड़ लेता है।" उनकी लेखनी हमें सिखाती है कि साहित्य जीवन के दुख, सुख और एकांत को शब्दों में संजोने की कला है। हिंदी साहित्य में योगदान के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार , ज्ञानपीठ पुरस्कार एवं पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

समस्त सर्जना परिवार निर्मल वर्मा को उनके जन्मदिवस के अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

"लेखन मेरे लिए एक दर्पण है, जिसमें मैं अपने और समाज के चेहरे को देखती हूँ।"-मन्नू भंडारीमन्नू भंडारी का जन्म ३ अप्रैल १९...
03/04/2025

"लेखन मेरे लिए एक दर्पण है, जिसमें मैं अपने और समाज के चेहरे को देखती हूँ।"
-मन्नू भंडारी

मन्नू भंडारी का जन्म ३ अप्रैल १९३१ को मध्य प्रदेश के भानपुरा में हुआ था। वे "नई कहानी" आंदोलन की अग्रणी लेखिकाओं में से एक थीं, जिन्होंने अपने साहित्य के बल पर स्वतंत्र भारत के मध्यम वर्ग की आकांक्षाओं और चुनौतियों को समाज के सम्मुख प्रस्तुत किया। उन्होंने अपनी रचनाओं में विशिष्ट रूप से नारी जीवन, पारिवारिक संबंधों और सामाजिक परिवर्तनों का चित्रण किया है।

मन्नू भंडारी की लेखनी ने हिंदी साहित्य को कई कालजयी रचनाएँ दीं। उन्होंने अपनी रचनाओं में नारी के संघर्ष और उसकी स्वतंत्र पहचान को विशेष स्थान दिया है। वे पारंपरिक नारी छवि को तोड़कर उसे एक सशक्त और स्वायत्त व्यक्तित्व के रूप में प्रस्तुत करती थीं। उनका मानना था कि:
"स्त्री का सबसे बड़ा बल उसकी अपनी आवाज़ है, जिसे कोई छीन नहीं सकता।"
यह विचार उनकी कहानियों और उपन्यासों में बार-बार उभरता है, जो नारी सशक्तिकरण का संदेश देता है। मन्नू भंडारी को उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए कई पुरस्कार मिले, जिनमें उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान पुरस्कार, भारतीय भाषा परिषद सम्मान और व्यास सम्मान शामिल हैं।

समस्त सर्जना परिवार मन्नू भंडारी के जन्म दिवस के अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

Sarjana BIT Sindri Presents: "Chitravaani" - A Poetry Performance/Video editing CompetitionUnleash your creativity! Sarj...
29/03/2025

Sarjana BIT Sindri Presents: "Chitravaani" - A Poetry Performance/Video editing Competition

Unleash your creativity! Sarjana BIT Sindri brings you an exciting opportunity to bring poetry to life through visuals and voice. Participants will be given 25 pre-released poetries to choose from, and they must record a performance video using graphics, stock images/videos, or live performances.

Prizes

- Winner: ₹5,000 Cash Prize
- Runner-up: ₹3,000 Cash Prize
- 3rd Place: ₹2,000 Cash Prize
The top performers will also have an opportunity to do a paid video editing internship under "Vitaan".

How to Participate?

1. Register using the provided Google Form.
2. Choose a poetry piece from the list.
3. Record and edit your video performance.
4. Submit your final entry before the deadline.

Join us in celebrating the beauty of words and visuals. Let your voice and creativity shine!
Feel free to contact the following Sarjana members in regards to any concerns regarding the event.
Vaibhaw Anand(2023) - 6207018235
Shobhit Ranjan(2023) - 6204436460

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