Mera Deoria & Kushinagar Uttar Pradesh India

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Hata Kushinagar Uttar Pradesh India
28/03/2024

Hata Kushinagar Uttar Pradesh India

14/03/2024

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जलेबी.....    जलेबी भारतीय उपमहाद्वीप व मध्यपूर्व का एक लोकप्रिय व्यञ्जन है। यह कुण्डलाकार होती है और इसका स्वाद मीठा हो...
08/03/2024

जलेबी.....
जलेबी भारतीय उपमहाद्वीप व मध्यपूर्व का एक लोकप्रिय व्यञ्जन है। यह कुण्डलाकार होती है और इसका स्वाद मीठा होता है। इस मिठाई की धूम भारतीय उपमहाद्वीप से आरम्भ होकर पश्चिमी देश स्पेन तक जाती है। इस बीच भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, ईरान के साथ समस्त अरब देेेशों में भी यह जानी-पहचानी है। सामान्य रूप से तो जलेबी सादी ही बनाई व अधिमान की जाती है, पर छेना व खोया जलेबी को भी लोग बड़़े चाव से खाते हैं। जलेबी भारत की राष्ट्रीय मिठाई हैंll
कुछ लोगों का मानना है कि जलेबी मूल रूप से अरबी शब्द है और इस मिठाई का असली नाम है जलाबिया। यूं जलेबी को विशुद्ध भारतीय मिठाई मानने वाले भी हैं। शरदचंद्र पेंढारकर (बनजारे बहुरूपिये शब्द) में जलेबी का प्राचीन भारतीय नाम कुंडलिका बताते हैं। वे रघुनाथकृत ‘भोज कुतूहल’ नामक ग्रंथ का हवाला भी देते हैं जिसमें इस व्यंजन के बनाने की विधि का उल्लेख है। भारतीय मूल पर जोर देने वाले इसे ‘जल-वल्लिका’ कहते हैं। रस से परिपूर्ण होने की वजह से इसे यह नाम मिला और फिर इसका रूप जलेबी हो गया। फारसी और अरबी में इसकी शक्ल बदल कर हो गई जलाबिया। उत्तर पश्चिमी भारत और पाकिस्तान में जहां इसे जलेबी कहा जाता है वहीं महाराष्ट्र में इसे जिलबी कहा जाता है और बंगाल में इसका उच्चारण जिलपी करते हैं। जाहिर है बांग्लादेश में भी यही नाम चलता होगाll

आवश्यक सामग्री- मैदा — 200 ग्राम या 2 कटोरी, ईस्ट— आधा चम्मच, पानी — 2 कटोरी, घी — तलने के लिये

विधि- ईस्ट के दाने गुनगुने पानी में 10-12 मिनट के लिए भिगो दें, इसको पानी में घोल लें। एक बर्तन में मैदा और ईस्ट का घोल डालें, पानी डाल कर मैदा को घोलें, घोल अधिक गाढ़ा या पतला न हो। इस घोल को करीब 12 घंटे (घण्टे) के लिये ढककर रख दें। 12 घंटे (घण्टे) के अन्दर इस घोल में खमीर उठ आएगा और यह जलेबी के लिए तैयार हो जाएगा। जलेबी बनाने के लिये पहले इसकी चाशनी तैयार करें। उसके बाद जलेबी तल कर चाशनी में डालें। चाशनी बनाने की विधि नीचे दी गई है। जलेबी बनाने के लिये कढ़ाई ज्यादा चौड़ी और कम गहरी होती है। कढ़ाई में घी गरम करें। जलेबी बनाने के लिये एक विशेष प्रकार का कपड़ा या डिब्बा बाजार में मिलता है। जलेबी बनाने के लिये दूध की थैली से निकली प्लास्टिक का उपयोग भी कर सकते हैं।.

खमीर उठे मैदे के मिश्रण को अच्छी तरह से फेंट लें। इसे जलेबी बनाने वाले डिब्बे या थैली में भरकर इसकी धार हाथ को गोल गोल चलाते हुये कढ़ाई में डालें। कुरकुरी होने तक सेंकें। सिंकी हुई जलेबियाँ कढ़ाई से निकाल कर चाशनी में डालें। ५ मिनिट बाद चाशनी से निकाल कर प्लेट में रखें। इसी तरह सारी जलेबियाँ तैयार कर लें।

चाशनी के लिये आवश्यक सामग्री- चीनी — 400 ग्राम (4 कटोरी), पानी — 200 ग्राम, (2 कटोरी), दूध — 1 बड़ा चम्मच (वैकल्पिक), केसर — एक चुटकी (वैकल्पिक)

विधि- एक बर्तन में चीनी और पानी मिला कर गरम होने के लिये रखें। पानी में उबाल आने के बाद उसमें दूध डाल दें और जो गन्दे से झाग आयें उसे एक कलछी से प्लेट में निकाल दें। चाशनी बिलकुल पारदर्शक बनती है। अब इस चाशनी में केसर की पत्तियाँ डाल दें। करीब 8-10 मिनट उबालें।.
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रसगुल्लाभारतीय मिठाई......   रसगुल्ला भारतीय उपमहाद्वीप की एक रसीली मिठाई है जो बहुत ही लोकप्रिय है। यह छेना (एक भारतीय ...
08/03/2024

रसगुल्ला
भारतीय मिठाई......
रसगुल्ला भारतीय उपमहाद्वीप की एक रसीली मिठाई है जो बहुत ही लोकप्रिय है। यह छेना (एक भारतीय आमिक्षा) और सूजी के आटे के गेंद के आकार के वड़े/गोले से बनाया जाता है, जिसे शक्कर से बने हल्के मीठे रस में पकाया जाता है। यह तब तक किया जाता है जब तक कि रस गोले में प्रवेश न कर जाए।l

रसगुल्ला बनाने के लिये मुख्य सामग्री छैना है, जिसे बना-बनाया बाहर से ला सकते हैं अथवा दूध से इसे घर पर बना सकते हैं। यदि छैना घर पर बनाना हैं तो सबसे पहले रसगुल्ले बनाने के लिये छैना बनायें।

छैना बनाने के लिये दूध को किसी भारी तले वाले पात्र में निकाल कर घर्म कीजिये। दूध में उबाल आने पर नींबू का रस डालते हुये चमचे से चलाइये। दूध जब पूरा फट जाय, दूध में छैना और पानी अलग दिखाई देने लगे तो तुरन्त आग बन्द कर दीजिये। छैना को कपड़े में छानिये और ऊपर से ठंडा पानी डाल दीजिये जिससे नींबू का स्वाद छैना में न रहे। कपड़े को हाथ से दबा कर अतिरिक्त पानी निकाल दीजिये। रसगुल्ला बनाने के लिये छैना बन गया है।

छैना को बड़ी थाली में निकाल लीजिये, एरोरूट/सूजी आदि मिला कर छैना को अच्छी से मथिये. छैना को इतना मथिये कि वह चिकना गुथे हुये आटे जैसा दिखाई देने लगे। इस छैने से थोड़ा थोड़ा छैना निकाल कर पौने इंच से लेकर एक इंच व्यास के छोटे छोटे गोले बना कर प्लेट में रख लीजिये। सारे रसगुल्ले के लिये गोले ऐसे ही बना लीजिये और इन्हें आधे घंटे के लिये किसी गीले कपड़े से ढक कर रख दीजिये।

300 ग्राम शक्कर और 1 लीटर पानी किसी पात्र में डाल कर घर्म कीजिये। जब पानी उबलने लगे तो छैने से बने गोले पानी में डाल दीजिये। पात्र को ढक दीजिये, इन छैना के गोलों को, 20 मिनिट तक मध्यम आँच पर उबलने दीजिये। रसगुल्ले पक कर फूल जायेंगे, आँच बन्द कर दें। रसगुल्ले रस में ही ठण्डे होने दें।l

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पाव भाजीभारतीय अल्पाहार व्यंजन....  पाव भाजी एक प्रमुख भारतीय अल्पाहार है। महाराष्ट्र में इसका बहुत प्रचलन हैं विशेषकर क...
08/03/2024

पाव भाजी
भारतीय अल्पाहार व्यंजन....
पाव भाजी एक प्रमुख भारतीय अल्पाहार है। महाराष्ट्र में इसका बहुत प्रचलन हैं विशेषकर के मुंबई की पाव भाजी विश्व प्रसिद्ध है। पाव भाजी शब्द मराठी भाषा के पाव और भाजी से बना है। पाव एक प्रकार की डबल रोटी होती है और भाजी कई शाक जैसे टमाटर, फूल गोभी,शिमला मिर्च आदि को घी अथवा मक्खन में पका कर बनाई जाती है। पाव शब्द की उत्पत्ती पुर्तगाली शब्द पाओ (pão) से मानी जाती है।l
यह व्यंजन हावड़ा में कपड़ा मिल श्रमिकों के लिए एक त्वरित दोपहर के भोजन के व्यंजन के रूप में उत्पन्न हुआ ।lबाद में पाव भाजी पूरे शहर के रेस्तरां में परोसी जाने लगी। पाव भाजी अब भारत और विदेशों में साधारण ठेले से लेकर औपचारिक रेस्तरां तक में उपलब्ध है।

पाव भाजी गाढ़ी ग्रेवी में मैश की हुई सब्जियों का एक मसालेदार मिश्रण है जिसे ब्रेड के साथ परोसा जाता है। करी में सब्जियों में आमतौर पर आलू, प्याज, गाजर, मिर्च, मटर, शिमला मिर्च और टमाटर शामिल हो सकते हैं। स्ट्रीट विक्रेता आमतौर पर करी को एक सपाट तवे पर पकाते हैं और पकवान को गर्म परोसते हैं। एक नरम सफेद ब्रेड रोल करी के साथ सामान्य रूप से जोड़ा जाता है, लेकिन यह अन्य ब्रेड किस्मों जैसे चपाती , रोटी या ब्राउन ब्रेड के उपयोग को नहीं रोकता है।l
वेरिएंट......
पाव भाजी की विविधताओं में शामिल हैं:

पनीर पाव भाजी, भाजी के ऊपर पनीर के साथ
तली हुई पाव भाजी, भाजी में डाले गए पाव के साथ
पनीर पाव भाजी, भाजी में पनीर पनीर के साथ
मशरूम पाव भाजी, भाजी में मशरूम के साथ
खड़ा पाव भाजी, जिसमें सब्जियां मसली हुई नहीं बल्कि टुकड़ों में होती हैं
जैन पाव भाजी, बिना प्याज और लहसुन के और आलू के बजाय केला के साथ
कोल्हापुरी पाव भाजी, कोल्हापुर में आम मसाले के मिश्रण का उपयोग करके l
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वड़ापावखाद्यपदार्थ, महाराष्ट्र......     वड़ापाव वस्तुतः भारतीय राज्य महाराष्ट्र का सर्वाधिक लोकप्रिय व सुलभ खाद्य है। l...
08/03/2024

वड़ापाव
खाद्यपदार्थ, महाराष्ट्र......
वड़ापाव वस्तुतः भारतीय राज्य महाराष्ट्र का सर्वाधिक लोकप्रिय व सुलभ खाद्य है। lएक प्रकार से यह बर्गर का भारतीय संस्करण है जिसमें पाव बन के मध्य रख कर वड़ा को चटनी या मिर्च के साथ गरमा गरम परोसा जाता है। वड़ा में मसले गये आलू (मराठी मे "बटाटा") पर बेसन की परत चढ़ाकर और तल कर बनाया जाता है। वैसे तो यह मूलतः नाश्ते के रूप में खाने हेतु उपयुक्त है पर यह खाया दिन भर ही जाता है।.
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राम मंदिर, अयोध्याअयोध्या, उत्तर प्रदेश में स्थित हिन्दू मंदिर          राम मंदिर एक महत्वपूर्ण हिंदू मंदिर है जो वर्तमा...
08/03/2024

राम मंदिर, अयोध्या
अयोध्या, उत्तर प्रदेश में स्थित हिन्दू मंदिर
राम मंदिर एक महत्वपूर्ण हिंदू मंदिर है जो वर्तमान में भारत के उत्तर प्रदेश के अयोध्या में निर्माणाधीन है। जनवरी २०२४ में इसका गर्भगृह तथा प्रथम तल बनकर तैयार है और २२ जनवरी २०२४ को इसमें श्रीराम के बाल रूप में विग्रह की प्राणप्रतिष्ठा की गई।l
यह मंदिर उस स्थान पर स्थित है जिसे हिंदू धर्म के प्रमुख देवता राम का जन्मस्थान माना जाता है। पहले, इस स्थान पर बाबरी मस्जिद थी, जिसका निर्माण एक मौजूदा गैर-इस्लामी ढांचे को ध्वस्त करने के बाद किया गया था, जिसे बाद में ध्वस्त कर दिया गया था।2019 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने विवादित भूमि पर फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया था कि यह भूमि हिंदुओं की है और इस पर राम मंदिर का निर्माण कर सकते हैं। मुसलमानों को मस्जिद बनाने के लिए ज़मीन का एक अलग टुकड़ा दिया जाएगा। अदालत ने साक्ष्य के रूप में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की एक रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें ध्वस्त की गई बाबरी मस्जिद के नीचे एक गैर-इस्लामिक संरचना की मौजूदगी का सुझाव देने वाले सबूत दिए गए थे।l

राम मंदिर के निर्माण की शुरुआत के लिए भूमिपूजन 5 अगस्त 2020 को किया गया था। वर्तमान में निर्माणाधीन मंदिर की देखरेख श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा की जा रही है। मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी 2024 को निर्धारित है।
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10/02/2024

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30/01/2024

चिड़िया रानी

चिड़िया रानी ! चिड़िया रानी ! आओ, बैठो, सुनो कहानी। मेरे आँगन में आ जाओ, बिखरे दाने चुन-चुन खाओ, फुदक-फुदक तुम नाचो-कूदो, प्यास लगे तो पी लो पानी। सखी-सहेली तुम बन जाओ, साथ रहो तुम गीत सुनाओ, मुझको भी उड़ना सिखलाओ, तुम तो हो जानी-पहचानी। - श्यामला कांत वर्मा

24/01/2024
15/01/2024

*समस्त आदरणीय किसान बन्धुओ।
जैसा कि आप सभी जानते है कि बसन्त कालीन गन्ना बुवाई का समय अब बहुत ही निकट आ रहा है,ऐसे मे हमे कम लागत मे अधिक पैदावार कैसे प्राप्त करे के लिए बिचार करना अति आवश्यक हो गया है।
अतः आप सभी यदि निम्न बातो पर ध्यान केंद्रित करें तो निश्चित ही आप कम लागत मे ही गन्ने से अधिक पैदावार पाकर लाभ प्राप्त कर सकते है।
1:-अपने क्षेत्र के अनुरूप गन्ना प्रजाति का चुनाव।
2:-गहरी जुताई एंवम ट्राइकोडरमा द्वारा भूमि शोधन।
3:-उन्नतिशील अगेती अधिक पैदावार देने वाली गन्ना प्राजाति का चुनाव। जैसे कि Co-0118 Co 15023 Colk 14201 की बुवाई करे
4:- दो आंख के टुकड़े तथा बीज शोधन
5:- अधिक पैदावार पाने के लिए लाइन से लाइन की दूरी 3 या 3.5 फिट से कम नही करना चाहिए।
6:-बुवाई के पहले नालियो मे कम्पोस्ट खाद को रसायनिक उर्वरको के साथ मिलाकर डाले फिर गन्ने की बुवाई करें।
6:- समय-समय पर खरपतवार नियंत्रण अवाश्य करे,कम से कम फसल को 120 दिन तक खरपतवार मुक्त रखे।
7:-प्रत्येक सिंचाई पर यूरिया खाद का प्रयोग करें,जून माह के प्रथम सप्ताह के बाद यूरिया का प्रयोग न करें।
8:- गन्ने की आयु 50 से 60 दिन होने पर कोराजन का प्रयोग उपयुक्त मात्रा मे जडों के पास ड्रेचिंग करें।
9:- अगस्त माह मे गन्ने की प्रथम बधाई एवं मिट्टी चढ़ाने का कार्य करें,तत्पश्चात सितंबर माह मे गन्ने की दूसरी बधाई करें।
।*****।वक्त के साथ कदम बढायें*****।
कम खर्च मे अधिक पैदावार पावें।*
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11/01/2024

Khet ki jutayi

Hata Kushinagar Uttar Pradesh
31/12/2023

Hata Kushinagar Uttar Pradesh

22/12/2023

कुछ बातें

22/12/2023

गन्ने कि बुआई

20/12/2023

Farming

19/12/2023

सभी किसान भाइयों से सादर अनुरोध है की चीनी मिल गेट पर आपके द्वारा किए जा रहे गन्ना आपूर्ति में कम समय लगे तथा आप भीड़भाड़ में न फंसे इसलिए चीनी मिल गेट पर गन्ना आपूर्ति हेतु आपके ग्राम के लिए शिफ्ट लगाई गई है सीजन प्रारंभ होने से पहले ही सभी किसान भाइयों के मोबाइल पर चीनी मिल द्वारा गांव वार स्विफ्ट व समय का मैसेज मोबाइल पर किया गया था अतः दिनांक 20.12.2023 की सुबह 8:00 बजे से शिफ्ट के अनुसार ही आपकी ट्राली का कच्चा टोकन जारी किया जाएगा, सभी किसान भाई यह सुनिश्चित कर ले कि आपके गांव से चीनी मिल तक आने में कितना समय लगता है,उसी समय अनुसार अपना गन्ना लेकर मिल गेट पर आए तथा असुविधा से बचें। अतः सभी किसान भाइयों से पुनः अनुरोध है की शिफ्ट के अनुसार आए और कम समय में घर वापस जाएं सहयोग आपका व्यवस्था हमारी।

हाटा शुगर मिल

*प्रेस नोट**न्यू इंडिया चीनी मिल हाटा, कुशीनगर में तीन दिवसीय जलवायु अनुकूल गन्ना खेती कार्यशाला का आयोजन*न्यू इंडिया ची...
26/11/2023

*प्रेस नोट*

*न्यू इंडिया चीनी मिल हाटा, कुशीनगर में तीन दिवसीय जलवायु अनुकूल गन्ना खेती कार्यशाला का आयोजन*

न्यू इंडिया चीनी मिल हाटा में तीन दिवसीय जलवायु अनुकूल गन्ना कार्यशाला का आयोजन दिनांक 21 से 23 नवम्बर तक चीनी मिल हाटा के प्रांगण में आयोजित किया गया। इस कार्यशाला में गन्ना किसानों को खेती में होनी वाली समस्याओं जैसे समुचित सिंचाई, जलभराव क्षेत्र से पानी निकासी, गन्ना के खेती में कम खर्च में अधिक पैदावार, भूमि संरक्षण, गुणवत्ता बीज की उपलब्धता, गन्ना फसल में होने वाले रोग और उनके निदान एवं गन्ना फसल में मशीनीकरण को लेकर इस तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला की अध्यक्षता श्री करन सिंह जी के द्वारा की गई। चीनी मिल के मुख्य प्रबंधक श्री करन सिंह जी ने बताया कि न्यू इंडिया चीनी मिल हाटा अपने क्षेत्र के गन्ना किसानों को एक आसान और सुलभ खेती के लिए लगातार प्रयासरत है, जिसमे वह प्रति एकड़ कम से कम 400 क्विंटल की पैदावार लेने हेतु लगातार राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ काम कर रही है। उन्होंने सभी किसानों से अपील की वे हमारी इस मुहिम से जुड़कर अपनी फसल को जलवायु अनुकूल खेती में संरक्षित करने के साथ साथ ज्यादा पैदावार ले और अधिक आर्थिक लाभ भी ले।

इस कार्यशाला में देश विदेश से आए वैज्ञानिकों एवं प्रतिभागियों ने भाग लिया। डॉक्टर ए जे जेम्स, अमेरिका और मैडम मुना बरगोहत, कनाडा एवं डॉक्टर दुष्यंत बादल, वर्ल्ड बैंक, श्री अमित कुमार प्रेग्मेटिक्स शोध एवं परामर्श संस्थान, नई दिल्ली एवं न्यू इंडिया चीनी मिल हाटा चीनी मिल के विभिन्न विभाग के सभी अधिकारियों ने इस तीन दिवसीय कार्यशाला में भाग लिया।

अमेरिका से आए डॉक्टर ए जे जेम्स, ने अपने संबोधन में कहा वे उत्तर प्रदेश के पूर्वी जिलों के किसानों की जलभराव की समस्या से छुटकारा दिलवाने हेतु चीनी मिल के साथ मिलकर एक योजना पर काम कर रहे है जिससे गन्ना किसानों को उनकी खेती में होने वाले नुकसान से बचाया जा सके। उन्होंने श्री करन सिंह जी के जलभराव के क्षेत्रों में किए गए कार्य की सराहना की ओर उनके इस विशेष योगदान को आगे बढ़ाने के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाई।

कॉर्नेल युनिवर्सिटी, कनाडा से आई मैडम मुना बरगोहत ने कहा महिलाओ का खेती में योगदान बहुत ही महत्वपूर्ण हो सकता है। गन्ना की खेती में बीज संवर्धन कार्यक्रम हेतु इससे आजीविका की दृष्टि से प्रस्तुत करने की कवायद की। उन्होंने कहा बीज संवर्धन कार्यक्रम के माध्यम से महिलाए अच्छी आय प्राप्त कर सकती है जिससे उन्हें आर्थिक लाभ के साथ साथ खेती से संबंधित सभी जानकारी उपलब्ध होने से भी गन्ना की खेती को लाभकारी बनाने में अपना योगदान दे सकती है। उन्होंने चीनी मिल की महिलाओं को दिए जा रहे प्रशिक्षण की भी तारीफ की और कहा इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम महिलाओं को आगे बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाएंगे।

वर्ल्ड बैंक के मशीनीकरण विशेषज्ञ डॉक्टर दुष्यंत बादल, ने कहा, श्रमिको के अभाव से खेती करना अब आसान नहीं हो पा रहा ऐसे में आधुनिक उपकरण ही हमारी सभी कृषि संबंधित समस्याओं से हमे निजात दिला सकते है। इसके लिए दोनो संस्थाएं साथ मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है जिससे खेती के जोखिमों को कम करके इसें सरल और अधिक लाभ प्राप्त करने लायक बनाया जा सके।

प्रेग्मेटिक के अधिकारी श्री अमित कुमार ने बताया कि सभी किसान भाई चीनी मिल हाटा में चलाई जा रही मशीनीकरण योजना से लाभ प्राप्त कर सकते है। नई मशीनों की खरीद पर चीनी मिल हाटा द्वारा विशेष छूट प्रदान की जा रही है। ऐसे किसान भाई जोकि मशीन खरीदने में असमर्थ है, वे चीनी मिल के गन्ना विभाग से संपर्क करके किराए पर भी मशीनें चलवा कर इस मशीनीकरण योजना का लाभ उठा सकते है।

एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार चीनी मिल गन्ना विभाग के अधिकारी श्री डी डी सिंह ने बताया इस मशीनीकरण योजना के तहत हर जोन में "अपना सेवा केंद्रों" की स्थापना की गई है कोई भी किसान भाई इन सेवा केंद्रों के माध्यम से सही समय पर अधुनी कृषि मशीनों का प्रयोग कर अधिक पैदावार ले सकते है। उन्होंने बताया किसान भाई नई गन्ना वैरायटी के बीज और पौध चीनी भी चीनी मिल हाटा से प्राप्त कर सकते है।

श्री करन सिंह जी के अनुसार चीनी मिल के माध्यम से आधुनिक मशीनों पर दी जा रही विशेष छूट गन्ना किसानों के लिए जलवायु अनुकूल गन्ना खेती हेतु एक वरदान से कम नही है जिससे सभी किसान अधिक पैदावार प्राप्त कर आर्थिक रूप से अपने परिवार को सुदृढ़ और टिकाऊ गन्ना खेती को प्राप्त कर सकते है।

इस अवसर पर सभी प्रतिभागियों ने क्षेत्र में भ्रमण कर गन्ना खेती की आज की स्थिति का भी आंकलन किया और किसानों से गन्ना खेती में आ रही समस्याओं पर भी चर्चा की।
Er Amit Singh
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23/11/2023
G.K.2024जनरल नॉलेज 2024
16/11/2023

G.K.2024
जनरल नॉलेज 2024

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