Bhawana Arohi

Bhawana Arohi Contact information, map and directions, contact form, opening hours, services, ratings, photos, videos and announcements from Bhawana Arohi, Digital creator, Delhi.

भावों का अभिनंदन कविता!
आत्मा का स्पंदन कविता!
अनुभूति के शब्द लपेटे
महका-महका चंदन कविता!
~ भावना आरोही
चिकित्सक | लेखिका | कवयित्री | गीतकार
________________________________
स्वरचित एवम् कॉपीराइट ©® [email protected]

24/12/2024

इंसान को अंदर से कोई तोड़ सकता है तो वो उसके अपने ही तोड़ सकते हैं!

जब अपनों से अपनों का झगड़ा हो जाए ......शांत रहो!जब तनाव हद से ज़्यादा तगड़ा हो जाए ........शांत रहो!अन्याय को स्वीकृत क...
18/12/2024

जब अपनों से अपनों का झगड़ा हो जाए ......शांत रहो!
जब तनाव हद से ज़्यादा तगड़ा हो जाए ........शांत रहो!
अन्याय को स्वीकृत करना,
जिस पल तक भी सहन न हो!
दुविधा का भी भार हृदय पर,
बढ़ता जाए, वहन न हो!
मन चाहे चीखो-चिल्लाओ..........उल्टे दोष तुम्हीं पर हो
सुनने वाला ही जब-जब बहरा हो जाए..........शांत रहो!

~ भावना आरोही ✒️

सुलझा  रही  हूँ  एक  मुद्दत  से; एक उलझन अभी नहीं सुलझी! ~ भावना आरोही
17/12/2024

सुलझा रही हूँ एक मुद्दत से;
एक उलझन अभी नहीं सुलझी!
~ भावना आरोही

कितना मुश्किल है ऐसा कुछ करने से पहले !मरता  है   कई  बार  कोई   मरने  से  पहले !!~ भावना आरोही 🙏😪
15/12/2024

कितना मुश्किल है ऐसा कुछ करने से पहले !
मरता है कई बार कोई मरने से पहले !!
~ भावना आरोही
🙏😪

13/12/2024

अदालतों में फैसलों का आधार सबूत होता है और हर सच्चाई का सबूत हो, ज़रूरी नहीं! बस इसीलिए न्याय अधूरा रहता रहा है!
Bhawana Arohi

12/12/2024

विषय महिला या पुरुष नहीं, विषय प्रताड़ना, कानून और न्याय होना चाहिए!
~भावना आरोही

स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से लुट गए सिंगार सभी बाग़ के बबूल से और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे कारवाँ गुज़र गया ग़ु...
12/12/2024

स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से
लुट गए सिंगार सभी बाग़ के बबूल से
और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे
कारवाँ गुज़र गया ग़ुबार देखते रहे

नींद भी खुली न थी कि हाए धूप ढल गई
पाँव जब तलक उठे कि ज़िंदगी फिसल गई
पात-पात झड़ गए कि शाख़-शाख़ जल गई
चाह तो निकल सकी, न पर उमर निकल गई
गीत अश्क बन गए
छंद हो दफ़न गए
साथ के सभी दिए धुआँ पहन-पहन गए
और हम झुके-झुके
मोड़ पर रुके-रुके
उम्र के चढ़ाव का उतार देखते रहे
कारवाँ गुज़र गया ग़ुबार देखते रहे

क्या शबाब था कि फूल-फूल प्यार कर उठा
क्या स्वरूप था कि देख आइना सिहर उठा
इस तरफ़ ज़मीन उठी तो आसमान उधर उठा
थाम कर जिगर उठा कि जो मिला नज़र उठा
एक दिन मगर यहाँ
ऐसी कुछ हवा चली
लुट गई कली-कली कि घुट गई गली-गली
और हम लुटे-लुटे
वक़्त से पिटे-पिटे
साँस की शराब का ख़ुमार देखते रहे
कारवाँ गुज़र गया ग़ुबार देखते रहे

हाथ थे मिले कि ज़ुल्फ़ चाँद की सँवार दूँ
होंठ थे खुले कि हर बहार को पुकार दूँ
दर्द था दिया गया कि हर दुखी को प्यार दूँ
और साँस यूँ कि स्वर्ग भूमी पर उतार दूँ
हो सका न कुछ मगर
शाम बन गई सहर
वो उठी लहर कि दह गए क़िले बिखर-बिखर
और हम डरे-डरे
नीर नैन में भरे
ओढ़कर कफ़न पड़े मज़ार देखते रहे
कारवाँ गुज़र गया ग़ुबार देखते रहे

माँग भर चली कि एक जब नई-नई किरन
ढोलकें धमक उठीं ठुमक उठे चरन-चरन
शोर मच गया कि लो चली दुल्हन चली दुल्हन
गाँव सब उमड पड़ा बहक उठे नयन-नयन
पर तभी ज़हर भरी
गाज एक वो गिरी
पुँछ गया सिंदूर तार तार हुई चुनरी
और हम अंजान से
दूर के मकान से
पालकी लिए हुए कहार देखते रहे
कारवाँ गुज़र गया ग़ुबार देखते रहे

गोपालदास नीरज

कई सवाल उठाता है यह वीडियो! सोचने को मजबूर हैं कि इतने समझदार इंसान को इतना प्रताड़ित कर दिया गया ! ओह! कानून और भ्रष्टा...
11/12/2024

कई सवाल उठाता है यह वीडियो! सोचने को मजबूर हैं कि इतने समझदार इंसान को इतना प्रताड़ित कर दिया गया ! ओह! कानून और भ्रष्टाचार!! ओम शान्ति ! न्याय मिले!!

Atul Subhash Last Video : Atul Subhash ने Live Video में बताया उनकी मौत का जिम्मेदान कौन? |BengaluruNe...

दोस्त, वो जो दोस्ती का दावा ख़ुद ही कर रहे थे;जब ज़रुरत का समय था, सारे ग़ायब हो गए! ~भावना आरोही-----------------------...
10/12/2024

दोस्त, वो जो दोस्ती का दावा ख़ुद ही कर रहे थे;
जब ज़रुरत का समय था, सारे ग़ायब हो गए!
~भावना आरोही
---------------------------------------------------------------
Words & Pic : Dr.Bhawana Chopra
----------------------------------------------------------------






✍️
©️®️

09/12/2024

ऐसी पुस्तकें साझा करें, जिन्हें
पढ़ने के बाद आपके जीवन पर
उसका प्रभाव पड़ा हो!

कि सारी उम्र ही जाती है रिश्तों को निभाने में ;ज़रा- सी बात पर लेकिन ये रिश्ते टूट जाते हैं ! ~ भावना आरोही ©️®️Ki sari ...
06/12/2024

कि सारी उम्र ही जाती है रिश्तों को निभाने में ;
ज़रा- सी बात पर लेकिन ये रिश्ते टूट जाते हैं !
~ भावना आरोही ©️®️

Ki sari umr hi jatee hai, rishton ko nibhane me
Zara see baat par lekin, ye rishte toot jatehain
~ Bhawana Arohi ©️®️

आँखों में ख़्वाहिशों के सितारे लिए!क्या-क्या सोचा था मैंने हमारे लिए!ए सितमगर! नहीं छोड़ी तुमने कसर,रो रही हूँ क्यों फ़ि...
06/12/2024

आँखों में ख़्वाहिशों के सितारे लिए!
क्या-क्या सोचा था मैंने हमारे लिए!

ए सितमगर! नहीं छोड़ी तुमने कसर,
रो रही हूँ क्यों फ़िर भी तुम्हारे लिए?

तुमको सारे ज़माने ने जो ग़म दिए,
उनके बदले मुझ ही से क्यों सारे लिए?

न ही कन्धे, न मय, न धुआँ, न दवा,
सह गई सब, बिना कुछ सहारे लिए!

तुमने तोड़ा भरोसे को क्यों इस कदर?
फैसले दिल ने कुछ, डर के मारे लिए!

"भावना" की तो पहचान आसान है,
हँस रही आँखों में अश्क़ खारे लिए!

~ भावना आरोही
---------------------------------------------------------------
Words, Pic & Edit : Bhawana Arohi
----------------------------------------------------------------








✍️©️®️

मन ही मन उस शक्ति को क्षण-क्षण उच्चारित करें ! हम सब जल के बुलबुले, इस सच  को धारित करें !!~भावना आरोही
05/12/2024

मन ही मन उस शक्ति को क्षण-क्षण उच्चारित करें !
हम सब जल के बुलबुले, इस सच को धारित करें !!
~भावना आरोही

बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं मिरी नज़रें भी ऐसे क़ातिलों का जान ओ ...
05/12/2024

बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं
तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं

मिरी नज़रें भी ऐसे क़ातिलों का जान ओ ईमाँ हैं
निगाहें मिलते ही जो जान और ईमान लेते हैं

जिसे कहती है दुनिया कामयाबी वाए नादानी
उसे किन क़ीमतों पर कामयाब इंसान लेते हैं

निगाह-ए-बादा-गूँ यूँ तो तिरी बातों का क्या कहना
तिरी हर बात लेकिन एहतियातन छान लेते हैं

तबीअ'त अपनी घबराती है जब सुनसान रातों में
हम ऐसे में तिरी यादों की चादर तान लेते हैं

ख़ुद अपना फ़ैसला भी इश्क़ में काफ़ी नहीं होता
उसे भी कैसे कर गुज़रें जो दिल में ठान लेते हैं

हयात-ए-इश्क़ का इक इक नफ़स जाम-ए-शहादत है
वो जान-ए-नाज़-बरदाराँ कोई आसान लेते हैं

हम-आहंगी में भी इक चाशनी है इख़्तिलाफ़ों की
मिरी बातें ब-उनवान-ए-दिगर वो मान लेते हैं

तिरी मक़बूलियत की वज्ह वाहिद तेरी रमज़िय्यत
कि उस को मानते ही कब हैं जिस को जान लेते हैं

अब इस को कुफ़्र मानें या बुलंदी-ए-नज़र जानें
ख़ुदा-ए-दो-जहाँ को दे के हम इंसान लेते हैं

जिसे सूरत बताते हैं पता देती है सीरत का
इबारत देख कर जिस तरह मा'नी जान लेते हैं

तुझे घाटा न होने देंगे कारोबार-ए-उल्फ़त में
हम अपने सर तिरा ऐ दोस्त हर एहसान लेते हैं

हमारी हर नज़र तुझ से नई सौगंध खाती है
तो तेरी हर नज़र से हम नया पैमान लेते हैं

रफ़ीक़-ए-ज़िंदगी थी अब अनीस-ए-वक़्त-ए-आख़िर है
तिरा ऐ मौत हम ये दूसरा एहसान लेते हैं

ज़माना वारदात-ए-क़ल्ब सुनने को तरसता है
इसी से तो सर आँखों पर मिरा दीवान लेते हैं

'फ़िराक़' अक्सर बदल कर भेस मिलता है कोई काफ़िर
कभी हम जान लेते हैं कभी पहचान लेते हैं

~ फ़िराक़ गोरखपुरी

#शायरी #गजल #इश्क

मुद्दत से ग़लत के खिलाफ़ लड़ता रहा है जो;वो  हारता  रहा  तो  ग़लत  ठहरा  दिया गया!~भावना आरोही Bhawana Arohi #गीतकार_भाव...
04/12/2024

मुद्दत से ग़लत के खिलाफ़ लड़ता रहा है जो;
वो हारता रहा तो ग़लत ठहरा दिया गया!
~भावना आरोही

Bhawana Arohi

#गीतकार_भावना_आरोही




#हिन्दीसाहित्य
#कविताप्रेमी


🎉 Facebook recognized me for starting engaging conversations and producing inspiring content among my peers!
04/12/2024

🎉 Facebook recognized me for starting engaging conversations and producing inspiring content among my peers!

Address

Delhi

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Bhawana Arohi posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Bhawana Arohi:

Videos

Share