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जीने की राहदहेज मुक्त शादी आज 07/11/2021को पटियाला नामदान सेंटर पर  #किंजल_दास राज्य गुजरात और  #कंचन_दासी तहसील पातड़ा ...
10/11/2021

जीने की राह
दहेज मुक्त शादी

आज 07/11/2021को पटियाला नामदान सेंटर पर #किंजल_दास राज्य गुजरात और #कंचन_दासी तहसील पातड़ा जिला पटियाला राज्य पंजाब की दहेज मुक्त रमैनी (विवाह) हुआ !

संत रामपाल जी महाराज के भगत बिना किसी दहेज के रमैनी (विवाह) करवाते हैं बहुत ही ज्यादा साधारण तरीके से आज की युवा पीढ़ी संत रामपाल जी की लिखी हुई पुस्तक जीने की राह से प्रेरित होकर दहेज मुक्त रमैनी (विवाह) करवा रहे हैं नशा त्याग रहे हैं जीव हत्या बंद कर रहे हैं सब बुराइयां त्याग रहे हैं!

आप भी अवश्य पढ़ें ज्ञान गंगा बुक और जीने की राह बुक

अवश्य देखें रोजाना साधना चैनल पर रात्रि 7:30 से 8:30

जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के अमृत प्रवचन🙏🏻 सत साहेब जी

02/10/2021
जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के अवतरण दिवस पर विशेष*संत रामपाल जी महाराज का मुख्य उद्देश्य मानव समाज को सत्...
06/09/2021

जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के अवतरण दिवस पर विशेष

*संत रामपाल जी महाराज का मुख्य उद्देश्य मानव समाज को सत्यज्ञान से अवगत करवाना*

आज पूरे विश्व में केवल एकमात्र ऐसे संत हैं जिन्होंने शास्त्र अनुकूल भक्ति साधना प्रदान करके मानव समाज का कल्याण किया है।
और इसके साथ ही मानव समाज को आध्यात्मिक ज्ञान देकर समाज की समस्त बुराइयां जैसे की रिश्वत, भ्रष्टाचार, कन्या भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा, नशा आदि बुराइयों को जड़ से खत्म करके समाज में नई क्रांति लाए हैं।

संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य मानव समाज को सभी बुराइयों से रहित करके सत भक्ति प्रदान करके सतलोक अथवा अमर धाम एवं मोक्ष प्राप्त करवाना है।

संत रामपाल जी महाराज जी ने प्रमाणित सत्य भक्ति साधना देने के साथ साथ समाजहित के लिए भी कई बड़े परोपकार किये हैं। वे चाहते हैं कि समाज में कोई भी प्राणी किसी भी कारण दुःखी न हो। उनकी हर समस्या का समाधान हो। समाज बुराईयों रहित बने। मनुष्यों पर कोई भी आपदा न आए और धरती स्वर्ग समान बन जाए। संत रामपाल जी महाराज जी का एक ही सपना है दहेज़, नशा, पाखंड, भ्रष्टाचार, छुआछूत, रिश्वत खोरी से मुक्त हो भारत अपना।

ये सपना केवल संत रामपाल जी महाराज जी साकार कर रहे हैं। उनके आध्यात्मिक ज्ञान से प्रभावित होकर एवं उनके आदेश अनुसार 17 मिनट में बिना दहेज के शादियां हो रही हैं।

संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य समाज में व्याप्त कुरीतियों का नाश करना दहेज प्रथा, मुत्युभोज, भ्रूण हत्या, छुआछूत, रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार आदि से मुक्त समाज का निर्माण करना है।

संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य नशा मुक्त भारत बनाना। समाज में मानव धर्म का प्रचार, भ्रूण हत्या पूर्ण रूप से बंद करना।

संत रामपाल जी महाराज जी की आध्यात्मिक शक्ति से समाज के समस्त बुराइयों व्यक्ति आसानी से छोड़ देता है तथा जीवन की सही राह को अपना लेता है।

संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य पूरे विश्व में शांति स्थापित करके मानव समाज का कल्याण करना है। कबीर परमात्मा ने अपनी वाणी में कहा है कि:-

कलयुग मध्य, सतयुग लाऊं।।
ताते सत्य कबीर कहाऊं।।

संत रामपाल जी महाराज जी मानव समाज की यह समस्त बुराइयों को खत्म करके पूरे विश्व में शांति स्थापित कर रहे हैं उनका यह है परोपकार का कार्य सफल हुआ है।

अधिक जानकारी के लिए अवश्य visit करे।
www.jagatgurufampalji.org



संत रामपाल जी महाराज जी के 71वें अवतरण दिवस पर देखिये विशेष कार्यक्रम का सीधा प्रसारण
साधना चैनल पर 11:00 AM - 01:00 PM
MH1 श्रद्धा चैनल पर 10:00 AM - 01:00 PM

यह कार्यक्रम हमारे निम्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लाइव भी देख सकते हैं :-
Facebook - Spiritual Leader Saint Rampal Ji
YouTube - Sant Rampal Ji Maharaj
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आप सभी से विनम्र निवेदन है जगतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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02/09/2021
02/09/2021

#कबीरसागर_का_सरलार्थPart221

अब उपरोक्त कबीर बानी पृष्ठ 136 तथा 137 पर लिखी अमृत वाणी को समझाते हैं।

1) इसमें प्रथम पंथ = चूड़ामणी जी तथा उसके आगे जितने भी धर्मदास वाली संतान से शाखाऐं चल रही हैं, ये सब नकली कबीर पंथ हैं जो काल द्वारा चलाए गए हैं। यह सब एक पंथ माना जाता है क्योंकि सबमें वही टकसारी पंथ वाली काल साधना प्रचलित है।
2) दूसरा जागु दास 3) सूरत गोपाल 4) मूल निरंजन पंथ 5) टकसारी पंथ 6) बीज का लेखा यानि भगवान दास पंथ 7) सतनामी पंथ 8) कमाल का पंथ 9) राम कबीर पंथ 10) जीवा पंथ 11) परमधाम की बानी पंथ 12) संत गरीबदास (गाँव-छुड़ानी धाम प्रान्त-हरियाणा) पंथ।
कबीर बानी अध्याय के पृष्ठ 136 पर अंतिम पंक्ति से बारहवें पंथ का वर्णन प्रारम्भ होता है।

संवत् सतरा सौ पचहत्तर होई। ता दिन प्रेम प्रकटै जग सोई।।

भावार्थ:- विक्रमी संवत् 1774 में संत गरीबदास जी का जन्म हुआ था। यहाँ पर गलती से 1775 लिखा गया है। फिर पृष्ठ पर 137 पर वाणी लिखी हैं:-

बारहवें पंथ प्रगट होय बानी। शब्द हमारे का निर्णय ठानी।।
साखी हमारी ले जीवन समझावै। असंख्य जन्म ठौर नहीं पावै।।
अस्थिर (स्थाई) घर का मर्म नहीं पावै। ये बारह पंथ हमही को ध्यावैं।।
बारहवें पंथ हम ही चलि आवैं। सब पंथ मिटा एक पंथ चलावैं।।
प्रथम चरण कलयुग निरयाना। तब मगहर मांडौ मैदाना।।

भावार्थ:- कबीर परमेश्वर जी ने बताया है कि बारहवें पंथ का प्रवर्तक संवत् 1774 में जन्म लेगा। संत गरीबदास जी के विषय में कहा है। यह कबीर चरित्र बोध अध्याय के पृष्ठ 1870 पर भी स्पष्ट है कि बारहवां पंथ गरीबदास जी का है। फिर कहा है कि बारहवें पंथ में मेरी महिमा की वाणी प्रकट होगी यानि गरीबदास जी जो बारहवें पंथ वाला वह मेरी महिमा की वाणी बोलेगा। उसके अनुयाई तथा अन्य ग्यारह पंथों के अनुयाई मेरी साखी यानि वाणी को आधार बनाकर उसको अपनी बुद्धि से अनुवाद करके जीवों को समझाऐंगे। मेरी वाणी में लिखे पद-छन्द, शब्द तथा दोहों के अर्थों का अपनी बुद्धि से निर्णय किया करेंगे। ठीक से न समझकर उल्टा-पुल्टा अर्थ लगाकर व्याखान करके असंख्यों जन्म तक स्थाई स्थान यानि सत्यलोक प्राप्त नहीं कर सकते। ये बारह पंथों से दीक्षित मेरी साधना करने का दावा करेंगे, परंतु यथार्थ भक्ति मंत्र नहीं होने के कारण स्थिर घर यानि अचल लोक की प्राप्ति का ज्ञान न होने से सत्यलोक नहीं जा सकेंगे।

परमेश्वर कबीर जी ने कहा है कि फिर बारहवें पंथ में हम ही चलकर जाऐंगे यानि गरीबदास के पंथ में आगे चलकर हम स्वयं आएंगे। कबीर बानी पृष्ठ 132 पर भी स्पष्ट किया है कि:-

एक वस्तु गोय (गुप्त) हम राखी। सो निर्णय तुम सो नहीं भाखी।।
नौतम सुरति हमारी साखा। सात सुरति की उत्पत्ति भाखा।।
आठवीं सुरति तुम चलि आए। नौतम (नौवीं) सुरति हम गुप्त छिपाए।।
नौतम सुरति बचन निज मोरा। जे हिते पल्ला न पकरे काल चोरा।।

भावार्थ:- परमेश्वर कबीर जी ने स्पष्ट कर दिया है कि धर्मदास तुम आठवीं अच्छी आत्मा हो। आप आ चुके हो। अब नौंवी अच्छी आत्मा आएगी, वह मेरा निज (खास) वचन है यानि उसके पास मेरी पूर्ण शक्ति है। यह मैंने तेरे से छुपा रखा था। पृष्ठ 137 पर स्पष्ट ही कर दिया है कि 12वें (बारहवें) पंथ में हम आएंगे। अब वह बारहवें पंथ में परमेश्वर की नौतम सुरति (रामपाल दास) आ चुका है। जैसे कबीर सागर में मिलावट करके धर्मदास जी की संतान वाले गद्दी वालों ने भ्रम फैलाया है कि धर्मदास जी तथा उनकी संतान, चूड़ामणी की संतान जो 42 पीढ़ी चलेगी। उनसे जगत का उद्धार होगा। यहाँ तक भ्रम फैलाया है कि कबीर परमेश्वर जी ने कहा है कि जब तक धर्मदास की 42 पीढ़ी की गुरू परंपरा चलेगी, तब तक मैं (कबीर जी) पृथ्वी पर नहीं आऊँगा। विचार करें कि यदि यह सत्य होती तो यह नहीं कहते कि मैं बारहवें पंथ में चलकर आऊँगा। यदि ऐसा होता तो संत गरीबदास जी को संवत् 1784 (सन् 1727) में गाँव-छुड़ानी में नहीं मिलने आते।

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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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02/09/2021

#कबीरसागर_का_सरलार्थPart222

पृष्ठ 137 पर आगे कहा है कि:-

कलयुग का प्रथम चरण कब था?

प्रथम चरण कलयुग निरयाना। तब मगहर मांडौ मैदाना।।

परमेश्वर कबीर जी ने बताया है कि मैं मगहर में एक लीला करूंगा। ब्राह्मणों के साथ आध्यात्मिक मैदान माँडूँगा यानि ज्ञान गोष्टी करूँगा। (मैदान माँडने का भावार्थ है कि किसी के साथ कुश्ती करना या लड़ाई करना या ज्ञान चर्चा यानि शास्त्रार्थ करने के लिए चैलेंज करना) पंडितजन कहा करते थे कि जो काशी शहर में मरता है वह स्वर्ग में जाता है तथा जो मगहर शहर में मरता है, वह गधा बनता है। इसलिए मगहर में कोई मत मरना। परमेश्वर कबीर जी कहते थे कि सत्य साधना करने वाला मगहर मरे तो भी स्वर्ग तथा स्वर्ग से भी उत्तम लोक में जाता है। {मगहर नगर उत्तर प्रदेश में जिला-संत कबीर नगर में है। गोरखपुर से 25 कि.मी. अयोध्या की ओर है।} कबीर परमेश्वर जी ने कहा कि मैं मगहर में मरूँगा और उत्तम लोक में जाऊँगा। विक्रमी संवत् 1575 (सन् 1518) माघ के महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को परमेश्वर कबीर जी ने सतलोक जाने की सूचना दे दी। काशी से मगहर सीधे रास्ते से 150 कि.मी. है। उस समय कबीर परमेश्वर जी की लीलामय आयु 120 वर्ष थी। पैदल चलकर तीन दिन में काशी शहर से मगहर स्थान पर पहुँचे। काशी नरेश बीर सिंह बघेल कबीर परमेश्वर जी का शिष्य था तथा मगहर नगर का नवाब बिजली खान पठान भी परमेश्वर कबीर जी का शिष्य था। दोनों अपनी-अपनी सेना लेकर मगहर के बाहर आधा कि.मी. दूर आमी नदी के किनारे जहाँ पर कबीर जी बैठे थे, वहीं पहुँच गए। परमेश्वर कबीर जी ने एक चद्दर अपने नीचे बिछवाई, भक्तों ने श्रद्धा से दो-दो इंच फूल बिछा दिए। कबीर जी उस पर लेट गए तथा कहा कि मैं संसार छोड़कर जाऊँगा, उस समय हजारों की संख्या में लोग तथा सेना के जवान उपस्थित थे। ब्राह्मण भी देखने आए थे। परमेश्वर कबीर जी ने कहा कि मेरा शरीर नहीं मिलेगा क्योंकि बिजली खान पठान मुसलमान था। वह कह रहा था कि हम अपने गुरू का अंतिम संस्कार मुसलमान रीति से करेंगे। बीर देव सिंह हिन्दू था, उसने कहा कि हम अपने गुरू जी का अंतिम संस्कार हिन्दू रीति से करेंगे। यदि बातों से बात नहीं बनी तो युद्ध करके लेंगे। परमेश्वर जी ने कहा कि आपको मेरी शिक्षा का क्या असर हुआ? आप आज भी हिन्दू तथा मुसलमान को भिन्न-भिन्न मान रहे हो। आप लड़ाई करोगे तो ठीक नहीं होगा, परंतु उनको कोई असर नहीं था, वे अंदर से लड़ाई करने के लिए पूरी तरह तैयार थे। परमेश्वर अंतर्यामी थे। उन्होंने कहा कि यदि मेरा शरीर मिल जाए तो आप मेरे शरीर को आधा-आधा बाँट लेना, एक-एक चद्दर ले लेना, लड़ाई न करना। परमेश्वर कबीर जी ने एक चद्दर ऊपर ओढ़ ली। कुछ देर पश्चात् आकाश से आवाज आई कि चद्दर उठाकर देखो, मुर्दा नहीं है। देखा तो शरीर के स्थान पर सुगंधित ताजे फूलों का ढ़ेर शव के समान मिला। हिन्दू तथा मुसलमान कहाँ तो मारने-काटने पर तुले थे, कहाँ एक-दूसरे को गले लगाकर रो रहे थे। पंडित भी आश्चर्य चकित थे कि मगहर मरने वाला सशरीर स्वर्ग चला गया क्योंकि पंडितों को सतलोक का ज्ञान नहीं है। दोनों धर्मों ने एक-एक चद्दर तथा आधे-आधे फूल ले लिए। दोनों ने मगहर में यादगार बनाई जो पास-पास बनी है। बिजली खान पठान ने दोनों यादगारों के नाम 500.500 बीघा जमीन दे दी जो आज भी प्रमाण है। (एक बीघा पुराना = 2.75 बीघा नया। एक एकड़ पाँच नए बीघों का है।) वह समय कलयुग का प्रथम चरण था जिस समय परमेश्वर कबीर जी मगहर से सशरीर सतलोक गए थे।

कलयुग का बिचली पीढ़ी का समय
परमेश्वर कबीर जी ने बताया था कि जिस समय कलयुग पाँच हजार पाँच सौ पाँच (5505) वर्ष बीत जाएगा, तब हम तेरहवां पंथ चलाएंगे। सन् 1997 में कलयुग 5505 वर्ष बीत चुका है। वह तेरहवां पंथ प्रारम्भ हो चुका है।

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30/08/2021

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