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समाज में इसी तरह से लोगों का सहयोग मिलता हैजब पहली बार  सुपरफास्ट ट्रेन में चढ़ा।सहयात्रियों से पूछने लगा - गाजियाबाद कब ...
10/08/2022

समाज में इसी तरह से लोगों का सहयोग मिलता है

जब पहली बार सुपरफास्ट ट्रेन में चढ़ा।
सहयात्रियों से पूछने लगा - गाजियाबाद कब आएगा ?
मुझे उतरना है।
सहयात्रियों ने बताया, भाई, ये गाड़ी फास्ट ट्रैन है।
गाजियाबाद से गुजरेगी मगर रुकेगी नहीं।
मैं घबरा गया।
सहयात्रियों ने समझाया, " घबराओ नहीं।
गाजियाबाद में ये ट्रेन रोज स्लो हो जाती है। तुम एक काम करो, गाजियाबाद में जैसे ही ट्रेन स्लो हो , तो तुम दौड़ते हुए प्लेटफॉर्म पर उतरना और फिर बिना रुके थोड़ी दूर तक, ट्रेन जिस दिशा में जा रही है, उसी दिशा में दौड़ते रहना। इससे तुम गिरोगे नहीं 😊👍

गाजियाबाद आने से पहले सहयात्रियों ने मुझे गेट पर खड़ा कर दिया। गाजियाबाद आते ही सिखाए अनुसार मैं प्लेटफार्म पर कूदा और कुछ अधिक ही तेजी से दौड़ गया।

इतना तेज दौड़ा कि अगले कोच तक जा पहुँचा। उस दुसरे कोच के यात्रियों में से, किसी ने मेरा हाथ पकड़ा तो किसी ने शर्ट पकड़ी और मुझे खींचकर ट्रेन में चढ़ा लिया। ट्रेन फिर गति पकड़ चुकी थी। सहयात्री मुझ से कहने लगे,
भाई, तेरा नसीब अच्छा है जो, ये गाड़ी तुझे मिल गई। ये फास्ट ट्रेन है, गाजियाबाद में तो रुकती ही नहीं । "

😂😂

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26/09/2021

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06/08/2021

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03/01/2021

ग़ाज़ियाबाद के लिए काला दिन है आज। ठेकेदार की ठोकर पर इतनी लाशें। बेहद दुःखद। ठेकेदार को कड़ी सजा मिलनी चाहिए, और उसके बनाए बाकी प्रोजेक्ट की भी जांच होनी चाहिए।

05/12/2020
सफाई के मामले में 10 में से कितने नम्बर आप अपने शहर को देना चाहेंगे?
19/10/2020

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बताईये
13/10/2020

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ऐसी बात है क्या 😁
15/09/2020

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14/09/2020

अंग्रेजी स्कूलों की क्लास में पीछे बैठने वाले ना तो अंग्रेज ही बन पाते हैं और ना ही हिन्द की हिंदी की बिंदी ठीक जगह लगाना सीख पाते हैं। बाद में हिंदी की राह ही पकड़नी पड़ती है। जीवन में आगे बढ़ने के लिए बच्चों की अंग्रेजी को मजबूती दी जा रही है लेकिन बहुतों के लिए वो मजबूरी बन रही है। इसी देश में कितने ही अंग्रेजी के ऐसे स्कूल हैं जहां बच्चे द्वारा हिंदी बोल देने पर जुर्माना लगा दिया जाता है। अंग्रेजी में उसे फाइन बोलते हैं।

अंग्रेजी को ये लोग 'फाइन' की भाषा बना रहे हैं वहीं हिंदी के वंशज हिंदी को 'शाइन' की भाषा बना रहे हैं। सरहदों के पार भी महक रही है अपनी हिंदी। गुलज़ार हो रहे हैं इसे लिखने पढ़ने बोलने वाले। राष्ट्र पर राजभाषा का राज रहे। हिंदी दिवस की शुभकामनाएं।

बाकी तस्वीर में Happy Hindi Diwas लिखा है। Happy मतलब खुशी, खुशियां.......और खुशियों की कोई भाषा नहीं होती। सीमाएं नहीं होती। सरहदें नहीं होती। 😊

कोरोना पेशेंट की रिपोर्ट का सैम्पल ही गायब कर दिया गया है। शायद ये सिर्फ अपने ग़ाज़ियाबाद में ही सम्भव है। ग़ाज़ियाबाद वासिय...
28/06/2020

कोरोना पेशेंट की रिपोर्ट का सैम्पल ही गायब कर दिया गया है। शायद ये सिर्फ अपने ग़ाज़ियाबाद में ही सम्भव है। ग़ाज़ियाबाद वासियों आपकी क्या राय है?

धन्यवाद
20/06/2020

धन्यवाद

30/04/2020

दर्शकों.....आपके प्यार से, कुछ यूं बढ़ रहे हैं हम 😊 शुक्रिया आपका ❤️ 'टीवी9 भारतवर्ष'....

24/03/2020

'Cipla' कम्पनी को लेकर मेरे कुछ मुस्लिम भाई लगातार लिख रहे हैं। एहसान जता रहे हैं कि मुश्किल वक्त में सिप्ला का मालिक जो कि एक मुस्लिम है देश के साथ खड़ा है। अभी तो सिप्ला ने 6 महीने में कोरोना की दवाई बनाने का दावा ही किया है अभी से गजब के तर्क दिए जाने लगे हैं। इनकी लेखनी और सिप्ला के 'फ्यूचर' एहसान के तले देश दबा जा रहा है। सोशल मीडिया पर सांस ले पाना मुश्किल हो रहा है।

कई कई सालों से हम तमाम लोग सिप्ला की दवाई वक्त बेवक्त खाते ही रहे हैं। लेकिन हमने ये कभी नहीं देखा सोच कि ये किसी हिन्दू की कम्पनी है या मुसलमान की। डॉक्टर ने दवाई लिखी, हमने पर्चा मेडिकल स्टोर पर दिखाया दवाई ली, पेमेंट किया और घर आ गए। लेकिन आज मुस्लिम भाई जो लिख रहे हैं उसे पढ़कर यही लग रहा है कि हम तमाम देशवासियों पर सिप्ला का बड़ा एहसान रहा है। उसी की वजह से हम जीवित हैं।

1935 में ब्रिटिश राज के वक्त पिता द्वारा शुरू की गई कम्पनी को बाद में 'यूसुफ' ने संभाला। उनके पिता, ख्वाजा अब्दुल हमीद, एक भारतीय मुस्लिम थे, जबकि उनकी माँ फरीदा एक यहूदी थीं। यूसुफ 'दवाई के साइंटिस्ट' हैं। यानी वैज्ञानिक। इस देश ने कभी अब्दुल कलाम में 'मुसलमान' नहीं ढूंढा। हर देशवासी के दिल में अब्दुल कलाम के लिए अलग ही जगह और सम्मान है। सिप्ला वाले यूसुफ के लिए भी वही सम्मान रहेगा। 6 लाख रुपये की केपिटल से शुरू हुई सिप्ला बाद में कई सौ करोड़ की कम्पनी बनी है।

लेकिन क्या आप मुश्किल वक्त में देश पर एहसान जताएंगे? एहसान नहीं है। आपकी जिम्मेदारी है कि आप दवाई बनाएं। और जल्द से जल्द बनाएं। ताकि देश के लोगों की कीमती जान को बचाया जा सके।

04/02/2020

शाहीन बाग़ में धरने पर बैठी नाज़िया के 4 महीने के बच्चे की मौत हो गई है। बच्चे को भी धरने पर साथ लेकर बैठी थी नाज़िया। और अब कह रही हैं कि बच्चे की मौत के लिए सरकार जिम्मेदार है......

लेकिन देश को भ्रम की स्थिति में डालने वाले कुछ संगठन बिल्कुल भी जिम्मेदार नहीं हैं। एनआरसी पर लोगों को भड़काने वाले बिल्कुल भी जिम्मेदार नहीं हैं। देश को आग में झोंकने के लिए शाहीन बाग़ की फंडिंग करने वाले बिल्कुल जिम्मेदार नहीं हैं।

नाज़िया, आपको बरगलाया गया है। और इस बरगलाने की कीमत के तौर पर आपने अपने मासूम बच्चे की बलि चढ़ा दी। जिन्होंने कानून बनाया और जो कानून का विरोध कर रहे हैं वो सब इसी देश में रहेंगे....फलेंगे और फूलेंगे।

लेकिन आपका बच्चा....

04/02/2020

रेलवे में नौकरी के नाम पर आरआरबी एनटीपीसी और डी ग्रेड के फॉर्म भरवाकर केंद्र सरकार 1 हज़ार करोड़ रुपये से ज्यादा छात्रों से इकट्ठा कर चुकी है और उस पैसे पर कुंडली मार के बैठी है। पिछले एक साल से ना एग्जाम डेट क्लियर कर पा रही है और ना ही कैंडिडेट्स को कोई जानकारी दी जा रही है। मंत्री जी ट्विटर पर नौकरियों का पिटारा तो खोल देते हैं लेकिन एग्जाम कराने में असमर्थ हैं।

आरआरबी एनटीपीसी के 35208 पदों के लिए 1 करोड़ 26 लाख से भी ज्यादा आवेदन प्राप्त हुए थे। वहीं आरआसी ग्रुप डी के 1 लाख से ज्यादा पदों पर भर्ती के लिए 1 करोड़ 15 लाख लोगों ने आवेदन किया था। सभी को सरकार ने अटका कर रखा हुआ है। 1 रात में बड़े बड़े फैसले कर देने वाली सरकार एक एक्जाम वेंडर तक नहीं चुन पा रही है।

04/01/2020

पहले मेरे ट्विटर अकाउंट का किसी दूसरे डिवाइस से लॉगिन होना और उसके बाद मेरा आखिरी ट्वीट डिलीट होना। क्या ये महज एक संयोग है? क्योंकि जिस वीडियो को मैंने अपने टाइमलाइन पर पोस्ट किया था उस वीडियो को पाक पीएम ने अपने अकॉउंट पर कल रात ही पोस्ट किया था लेकिन बाद में फजीहत होती देख उसे इमरान खान ने डिलीट कर दिया था।

वो एक फर्जी वीडियो था। जिसमे पुलिस बांग्लादेश की थी और इमरान खान उसे यूपी पुलिस बताकर भारत को बदनाम कर रहा था। इमरान के उस ट्वीट का मैंने स्क्रीन रिकॉर्ड कर अपने टाइम लाइन पर पोस्ट किया था। पाक पीएम को टैग भी किया था।

उसके बाद से मेरा ट्विटर अकाउंट लोड होना बंद हो गया। सुबह से लोड नहीं हुआ। अभी लॉगआउट कर कोशिश की तो पासवर्ड चेंज के लिए ट्विटर ने मेसेज दिया। पासवर्ड चेंज कर लिया है। लेकिन जो वीडियो मैंने पोस्ट किया था वो नहीं दिख रहा है। मेरे ट्विटर अकाउंट ( ) पर उसे वीडियो को मित्र Rahul Ojha ने शायद लाइक भी किया था। पता नहीं क्या मामला है।

19/12/2019
20/11/2019

मीडिया में बड़े ओहदे पर रहते हुए आपने कितने दलित आदिवासियों को नौकरी दिलाई? कितनों को एंकर/प्रोड्यूसर बनाया? लिस्ट हो तो यहीं चस्पा कर दीजिये या फिर अपने समर्थकों से कहिए कि वो खुद आकर बता दें की आपने उनके घर में दीवाली के बोनस भिजवाए हैं। अगर एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं है तो इस चश्मे को उतार फेंकिये जो आपने लगाया है। Dilip C Mandal

19/11/2019

खून में लतपथ जेएनयू के जिस छात्र की तस्वीर को देखकर आप आग बबूला हो रहे हैं, आपका गुस्सा स्वाभाविक और जायज है। दिल्ली पुलिस को इतनी ज्यादती नहीं करनी चाहिए।
अब इस झंडे को भी देखिए। इस झंडे में LGBT कम्युनिटी के सारे रंग हैं। जो LGBT के बारे में नहीं जानते हैं वो गूगल कर लें। जानकारी हो जाएगी। इस झंडे का 'समर्थक' वही जेएनयू का छात्र है जिसकी खून में लतपथ तस्वीर को आपने सोशल मीडिया पर देखा है। मैं उसका नाम नहीं लिखूंगा।

सुप्रीम कोर्ट ने इस 'कम्युनिटी' को अधिकार दिए हैं। इसलिए कोई यहां उनके अधिकारों की बात ना करे। मैं इनके अधिकार जानता हूं। बस बात इनकी सोच की है। सर्वोच्च न्यायालय ने इन्हें अधिकार दिए हैं लेकिन ये अधिकार नहीं 'वर्चस्व' चाहते हैं। वर्चस्व, हम सब पर। सबकुछ इनके हिसाब से हो। ये हिन्दू-मुस्लिम वाली स्थिति की ही तरह है। जहां हिंदुओं को लगता है देश पर मुसलमानों का वर्चस्व हो जाएगा और मुसलमानों को लगता है सबकुछ हिंदुओ का हो जाएगा। ये 'चरस' दिल्ली मुंबई जैसे बड़े शहरों में खूब फल फूल रही है। इसी चरस के धुएं में ये 'कम्युनिटी' सबको छल्ला बना देना चाहती है। प्रतीक ये झंडा ही है और जेएनयू में 'उपलब्ध' है।

सबको अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जीने का अधिकार है। और 'सब' में हम-सब भी आते हैं। लेकिन इन प्रतीकों के जरिये ये लोग 'सब' पर वर्चस्व की भावना मन में रखते हैं। मूल समस्या यहीं से शुरू होती है। मुझे इसमें 24 तिल्लियों वाले नीले चक्र से परेशानी है।

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