17/11/2023
गैर कहकर, रब्त ए शनाशाई बता गया
कैसे हुई महफील में,रुसवाई बता गया
हमने जिसे बचाने की,कोशिश नहीं की
वो डूबकर,दरिया की गहराई बता गया
जुनूने इश्क की, हद भी हुआ करती है
हँसके गुजर गए ,हमें सौदाई बता गया
उनके तव्वजो की तो दाद देनी चाहिए
मुजस्सम सामने रहे परछाई बता गया
किस तरह सुलगती है आरजू दिल की
कितनी बेताब रहती, तन्हाई बता गया
उम्र वैसे तो, तुरपाई में गुजर गई सारी
जिंदगी को मगर, करिश्माई बता गया
मकां रोशन, पर घर बहुत तन्हा तन्हा
बेशक्ल भीड़ शह्र ए रानाई बता गया
फरेब खाके दोस्तों से थे सवाल किए
मुस्कुराके,अंदाज़ ए दानाई बता गया
(विनोद प्रसाद)
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रब्ते शनाशाई:सिलसिला जान पहचान का
रुसवाई:बदनामी
सौदाई:सनकी,पागल
तव्वजो:उपेक्षित न करने के लिए ध्यान देना
मुजस्सम:भौतिक उपस्थित
तुरपाई:धागों से सीने का काम
करिश्माई:चमत्कार
शह्र ए रानाई: शहर की चमक दमक
अंदाज़ ए दानाई:बुद्धिमता की शैली