Amazing Facts

Amazing Facts Proud Indian,A Muslim,Cricket Lover, An Aligarian,Humanist,An Avid Fan Of Classic Urdu Poetry,

A page dedicated to History specially sub continent, current affairs, bollywood and sports update, commentry on sports specially cricket,politics and entertainment Industry last but not the least Urdu poetry info and update

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी ने एक बार कहा था कि "मीडिया मेरी जो इमेज बना दे लेकिन मेरे कार्यो की सही  विवेचना कभी ...
27/12/2024

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी ने एक बार कहा था कि "मीडिया मेरी जो इमेज बना दे लेकिन मेरे कार्यो की सही विवेचना कभी इतिहास करेगा "

ये बात आज सच लगता है, 2008 में जब पूरा विश्व आर्थिक मंदी से जूझ रहा था तब आपने इसका बहुत असर भारत पर नही आने दिया ,सबसे ज्यादा सरकारी और प्राइवेट नोकरिया आपके राज में मिली, सबसे ज्यादा रियल स्टेट में बूम आपके राज में आया | आप ही थे जो नरसिम्हा राव जी के कार्यकाल में ग्लोबलाइजेशन को प्रोजेक्ट किये

आपको देखकर ही अहसास हुआ कि नेता भले अच्छा भाषण न दे चलेगा लेकिन उसका पढा लिखा विद्वान होना बहुत जरूरी है

भगवान आपकी आत्मा को शांति दे

गुणों की खान है लसोड़ा, फायदे जानकर चौंक जाएंगे आपहिमाचल प्रदेश पंजाब उत्तराखंड महाराष्ट्र राजस्थान आदि में पाये जाने वा...
27/12/2024

गुणों की खान है लसोड़ा, फायदे जानकर चौंक जाएंगे आप

हिमाचल प्रदेश पंजाब उत्तराखंड महाराष्ट्र राजस्थान आदि में पाये जाने वाला ये छोटा सा फल पोषक तत्वों और औषधीय गुणों से भरपूर होता है इसका वानस्पतिक नाम कॉर्डिया मायक्सा है।

लसोड़ा पोषक तत्वों और औषधीय गुणों से भरपूर होता है। देश के कई जगहों पर इसे गोंदी और निसोरा भी कहा जाता है। इसके फल सुपारी के बराबर होते हैं। कच्चे लसोड़े का साग और आचार भी बनाया जाता है। पके हुए लसोड़े मीठे होते हैं तथा इसके अंदर गोंद की तरह चिकना और मीठा रस होता है। इसके पेड़ की तीन से चार जातियां होती है पर मुख्य दो हैं जिन्हें लमेड़ा और लसोड़ा कहते हैं। इसका वानस्पतिक नाम कॉर्डिया मायक्सा है। लेकिन तेजी से बदलते खानपान की वजह से यह लोगों से दूर होता जा रहा है। लसोड़ा की लकड़ी बड़ी चिकनी और मजबूत होती है। इमारती काम के लिए इसके तख्ते बनाये जाते हैं और बन्दूक के कुन्दे में भी इसका प्रयोग होता है। इसके साथ ही अन्य कई उपयोगी वस्तुएं बनायी जाती हैं।

लाभ
लसोड़े के पेड़ की छाल को पानी में उबालकर छानकर पिलाने से खराब गला भी ठीक हो जाता था। इसके पेड़ की छाल का काढ़ा और कपूर का मिश्रण तैयार कर सूजन वाले हिस्सों में मालिश करने से आराम मिलता है। इसके बीज को पीसकर दादखाज और खुजली वाले स्थान पर लगाने से आराम मिलता है। लसोड़ा में मौजूद तत्व इसमें दो फीसद प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट,वसा, फाइबर, आयरन, फॉस्फोरस व कैल्शियम मौजूद होते हैं। गुजरात के आदिवासी लोग लसोड़ा के फलों को सुखाकर चूर्ण बनाते है और मैदा, बेसन और घी के साथ मिलाकर लड्डू बनाते हैं। इनका मानना है कि इस लड्डू के सेवन शरीर को ताकत और स्फूर्ति मिलती है। लसोड़ा की छाल का काढ़ा पीने से महिलाओं को माहवारी की समस्याओं में आराम मिलता है

जब आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं थीं तो लसोड़े के प्रयोग से ही कई बीमारियां दूर की जाती थीं। लगभग हर घर में लसोड़े के बीज, चूर्ण आदि रखा जाता था। जिसे जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल किया जाता था।

लसोड़ा नम और सूखे जंगलों में बढ़ता है। यह हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान आदि में होता है। जंगल के अलावा लोग अपने खेतों के किनारे पर भी इसे तैयार करते हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण इसके पेड़ लुप्त हो रहे हैं। इसके बीज से पेड़ तैयार करना लगभग असंभव है। औषधीय गुणों से भरपूर इस प्रजाति के संरक्षण की जरूरत है।

इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं -मिर्ज़ा ग़ालिब
27/12/2024

इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं
-मिर्ज़ा ग़ालिब

मिर्ज़ा ग़ालिब का आज जन्मदिन है
27/12/2024

मिर्ज़ा ग़ालिब का आज जन्मदिन है

हैं और भी दुनिया में सुख़नवर बहुत अच्छे, कहते हैं कि 'ग़ालिब' का है अंदाज़-ए-बयाँ और'27 दिसंबर 1797 को आगरा में  मिर्ज़ा ...
27/12/2024

हैं और भी दुनिया में सुख़नवर बहुत अच्छे, कहते हैं कि 'ग़ालिब' का है अंदाज़-ए-बयाँ और'

27 दिसंबर 1797 को आगरा में मिर्ज़ा ग़ालिब की पैदाइश हुई। मिर्ज़ा ग़ालिब का असल नाम 'मिर्ज़ा असदुल्लाह बेग खान' था। मिर्ज़ा ग़ालिब मुग़ल दरबार मे शाही उस्ताद थे। उन्हें शहज़ादा फ़ख़रुद्दीन मिर्ज़ा की तरबियत के लिए मुक़र्रर किया गया था।

लेकिन दुनिया मे उनकी पहचान मुग़ल दरबार के शाही मुलाज़िम की तरह नहीं बल्कि एक अज़ीम शायर के तौर पर है। मिर्ज़ा ग़ालिब ने ज़्यादातर शेर और ग़ज़ले इश्क़ और समाज के ताने बाने के इर्द गिर्द लिखा लेकिन हुक़ूमत के खिलाफ़ ज़्यादा नहीं लिखा, चाहे मुग़ल दरबार में हों या अंग्रेजों के यहां पेंशन पर। इसके अलावा गालिब को फ़ारसी शायरी को हिंदुस्तानी जबान में लाने के लिए भी जाना जाता है। ग़ालिब को भारत और पाकिस्तान दोनों जगह मकबूलियत हासिल है। गालिब की रचनाओं का यह आलम है कि उनके लिखे खत जो पब्लिश नहीं हो सके उसे भी उर्दू अदब के लिए बहुत अहम दस्तावेज माना जाता है।

उनकी लिखी शायरी और ग़ज़लों में जितनी गहराई थी उस तह तक पहुंच पाना आज के शायरों के बस की बात नही। अपनी ज़िंदगी मे हुए गुनाहों को भी वो खुलेआम क़ुबूल करते थे।

क़ाबा किस मुँह से जाओगे 'ग़ालिब'
शर्म तुम को मगर नहीं आती

👇👇..........आज ही के दिन.......👇👇27 दिसंबर 1797 को आगरा में मिर्ज़ा असदुल्लाह बेग ख़ान, जो अपने तख़ल्लुस ग़ालिब से जाने ...
27/12/2024

👇👇..........आज ही के दिन.......👇👇
27 दिसंबर 1797 को आगरा में मिर्ज़ा असदुल्लाह बेग ख़ान, जो अपने तख़ल्लुस ग़ालिब से जाने जाते हैं, की पैदाइश हुई। उर्दू एवं फ़ारसी भाषा के एक महान शायर थे

●मिर्ज़ा ग़ालिब मुग़ल दरबार मे शाही उस्ताद थे। उन्हें शहज़ादा फ़ख़रुद्दीन मिर्ज़ा की तरबियत के लिए मुक़र्रर किया गया था।

●लेकिन दुनिया मे उनकी पहचान मुग़ल दरबार के शाही मुलाज़िम की तरह नही बल्कि एक महान शायर के रूप में है। मिर्ज़ा ग़ालिब ने ज़्यादातर शेर और ग़ज़लें इश्क़ और समाज के ताने बाने के इर्द गिर्द लिखा लेकिन हुक़ूमत के खिलाफ़ ज़्यादा नहीं लिखा, चाहे मुग़ल दरबार में हो या अंग्रेजों के यहां पेंशन पर।

●लेकिन उनकी लिखी शायरी और ग़ज़लों में जितनी गहराई थी उस तह तक पहुच पाना आज के शायरों के बस की बात नहीं। अपनी ज़िंदगी मे हुए गुनाह को वो खुले आम क़ुबूल करते थे।

क़ाबा किस मुँह से जाओगे 'ग़ालिब'
शर्म तुम को मगर नहीं आती
~मिर्ज़ा ग़ालिब
#मिर्ज़ा_ग़ालिब

जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एम्स में भर्ती थे तब राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष थे और उन्हें देखने एम्स में ग...
27/12/2024

जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एम्स में भर्ती थे तब राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष थे और उन्हें देखने एम्स में गए थे।‌
निधन पर सोनिया गांधी और राहुल ने घर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की थी।
राहुल गांधी ने उन्हें भारत मां का महान सपूत बताया था।

यह कांग्रेस की उच्च परंपराएं हैं। और परिवार की भी। सुषमा स्वराज जिन्होंने सोनिया गांधी के खिलाफ बहुत गंदा बोला था उनके निधन पर भी सोनिया उनके घर गई थीं।

2004 में वाजपेयी के प्रधानमंत्री न रहने पर कांग्रेस ने उनके खिलाफ कभी कोई बात नहीं की।

मगर 2014 में मनमोहन सिंह के हटने के बाद उनके घर सीबीआई पहुंचा दी गई थी। और प्रधानमंत्री रहते हुए उनके खिलाफ सारे घटिया आरोप लगाए गए। यहां तक की लोकसभा में चोर चोर के नारे भी लगाए गए।
कुछ भी साबित नहीं कर सके और अंत में उनकी वही बात सबको याद आ रही है की इतिहास मेरे साथ न्याय करेगा। ‌

मनमोहन सिंह ने देश को वास्तविक रूप से आर्थिक शक्ति बनाया था। 2007- 08 में जब पूरा विश्व आर्थिक मंदी में गिर गया था तब उन्होंने भारत को इसमें नहीं डूबने दिया था।
विश्व गुरु कहते नहीं थे खुद को मगर दुनिया कहती थी की आर्थिक मामलों में हम उनकी तरफ देखते हैं।

सर सैयद अहमद खां व मिर्ज़ा ग़ालिब ***************************"हुई मुद्दत के ग़ालिब मर गया पर याद आता है वो हर एक बात पे ...
27/12/2024

सर सैयद अहमद खां व मिर्ज़ा ग़ालिब
***************************
"हुई मुद्दत के ग़ालिब मर गया पर याद आता है
वो हर एक बात पे कहना कि यूं होता तो क्या होता

ग़ालिब को हम उर्दू व फ़ारसी के शायर की हैसियत से जानते हैं वह ग़ज़ल के शहंशाह थे हम यह जानते हैं कि वह सूफीवाद के माहिर थे हम यह भी जानते हैं कि वह एक लापरवाह व मस्त मौला आदमी थे जिन के अंदर फक्र व बेनियाज़ी थी भविष्य की उन्हें कोई खास चिंता नहीं थी खुद उन्होंने कहा है कि
" क़र्ज़ की पीते थे मय लेकिन समझते थे कि हां
रंग लाए गी हमारी फाका मस्ती एक दिन "

परंतु हम में से बहुत कम लोग जानते हैं कि उन्हें अपने भविष्य की चिंता हो न हो पर हिंदुस्तानी मुसलमानों के भविष्य की चिंता थी वह चाहते थे कि मुसलमान अब माडर्न एजुकेशन में आगे बढ़ें उन्होंने भांप लिया था कि साइंस पढ़े बगैर मुसलमान तरक्की नहीं कर सकते उन्हें अंदाज़ा था कि अब हिन्दुस्तान में फ़ारसी का भविष्य नहीं है इस लिए मुसलमानों को अंग्रेजी व उर्दू मीडियम में तालीम हासिल करनी होगी

पर अपनी इस सोच को अमली जामा पहनाना ग़ालिब के बस में न था ग़ालिब कुछ कर नहीं सकते थे काम करना ग़ालिब ने सीखा ही नहीं था उन्होंने इस के लिए सर सैयद अहमद खां को तैयार किया

ग़ालिब और सर सैयद अहमद खां के बीच परिवारिक संबंध थे ग़ालिब सर सैयद से बीस साल बड़े थे सर सैयद उन्हें चचा ग़ालिब कहते थे फिर सर सैयद से होते हुए वह अलीगढ़ वालों के चचा बन गए और आज जगत चचा हैं हम सब उन्हें चचा ग़ालिब कहते हैं

ग़ालिब सर सैयद अहमद खां से मुसलमानों की शिक्षा पर काम लेना चाहते थे और सर सैयद मुसलमानों के इतिहास पर मेहनत कर रहे थे अपनी किताब آثار الصنادید लिख रहे थे ऐसे में जब उनकी सर सैयद अहमद खां से मुलाकात होती थी उन्हें टोकते थे उनसे साइंस व माडर्न एजुकेशन पर काम करने को कहते थे

सर सैयद की किताब पूरी हुई फिर उन्होंने दूसरी किताब आईने अकबरी पर काम शुरू कर दिया यह अकबर के दरबारी अबुल फजल की लिखी हुई थी सर सैयद ने उसे दोबारा छापना चाहा और इसके लिए वह 1855 में मिर्जा गालिब से मिले उनसे फरमाइश की कि इस किताब के संबंध में कुछ अशआर लिखिए मिर्ज़ा ग़ालिब राज़ी हो गए और उन्होंने फारसी में 38 शेर लिखे जिनमें सर सैयद को मुर्दा परस्त तक कह दिया ग़ालिब ने लिखा कि जिंदा लोगों पर काम करना चाहिए और यह मुर्दों को महान बनाने में लगे हैं यह अकबर के आइन पर लिख रहे हैं जबकि अंग्रेजों के आइन व संविधान पर काम करना था इन अशआर को लेकर सर सैयद अहमद खां और ग़ालिब में नाराजगी भी हो गई कई वर्षों तक नाराजगी रही फिर सर सैयद ने पहल करके उन्हें मनाया

1857 की पहली जंगे आज़ादी में मुसलमानों की जो बरबादी हुई उसे देख कर सर सैयद ने माडर्न एजुकेशन पर काम शुरू किया 1859 में मुरादाबाद में गुलशन स्कूल के नाम से एक स्कूल खोला फिर 1861 में गाजीपुर में विक्टोरिया सकूल शुरू किया और 1863 में साइंस सोसायटी की स्थापना की

मुसलमानो की शिक्षा के लिए सर सैयद अहमद खां ने जो कुछ किया वह जग जाहिर है पर इस छेत्र में मिर्ज़ा ग़ालिब का क्या योगदान या विचार था इसकी जानकारी कम लोगों को है

दिल्ली की जामा मस्जिद 1870 में, तस्वीर में मस्जिद के सामने आपको मैदान दिख रहा है। लेकिन 1857 की क्रांति से पहले ये जगह ब...
27/12/2024

दिल्ली की जामा मस्जिद 1870 में, तस्वीर में मस्जिद के सामने आपको मैदान दिख रहा है। लेकिन 1857 की क्रांति से पहले ये जगह बहुत आबाद थी। बहुत बड़ी आबादी यहाँ रहती थी, जिन्हें दिल्ली पर क़ब्ज़े के बाद अंग्रेज़ों ने उजाड़ दिया।

बक़ौल मिर्ज़ा असद उल्ला ख़ान ग़ालिब -

अल्लाह! अल्लाह! दिल्ली न रही, छावनी है,
ना किला न शहर ना बाज़ार ना नहर,
क़िस्सा मुख़्तसर, सहरा सहरा हो गया.
#ग़ालिब

मिर्ज़ा ग़ालिब की इकलौती तस्वीर। आज ग़ालिब को यौम ए पैदाइश यानी उनका जन्मदिन है
27/12/2024

मिर्ज़ा ग़ालिब की इकलौती तस्वीर। आज ग़ालिब को यौम ए पैदाइश यानी उनका जन्मदिन है

हुई मुद्दत कि ‘ग़ालिब’ मर गया पर याद आता हैवो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होताउर्दू और फ़ारसी के अज़ीम फ़नकार ...
27/12/2024

हुई मुद्दत कि ‘ग़ालिब’ मर गया पर याद आता है
वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता

उर्दू और फ़ारसी के अज़ीम फ़नकार मिर्ज़ा ग़ालिब अपने वक़्त से बहुत आगे के शाइर थे। कई नस्लें उनसे फ़ैज़ पाएँगी, कई ज़ेहन उनके अश’आर से सुकून में रहेंगे।

यौम ए विलादत मुबारक मिर्ज़ा नौशा।

मिर्ज़ा ग़ालिब!मिर्ज़ा ग़ालिब (1797-1869) उर्दू और फ़ारसी के एक महान कवि थे, जिन्हें भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे महान कविय...
26/12/2024

मिर्ज़ा ग़ालिब!
मिर्ज़ा ग़ालिब (1797-1869) उर्दू और फ़ारसी के एक महान कवि थे, जिन्हें भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे महान कवियों में से एक माना जाता है। उनकी कविताओं में प्रेम, दर्शन, और जीवन के विभिन्न पहलुओं को व्यक्त किया गया है।

ग़ालिब का जीवन:

ग़ालिब का जन्म 27 दिसंबर 1797 को आगरा में हुआ था।
उनका परिवार तुर्की और मध्य एशिया से आया था।
ग़ालिब ने अपनी शिक्षा आगरा और दिल्ली में प्राप्त की।

ग़ालिब की कविता:

ग़ालिब की कविताओं में प्रेम, दर्शन, और जीवन के विभिन्न पहलुओं को व्यक्त किया गया है।
उनकी कविताओं में उर्दू और फ़ारसी की भाषा का अद्वितीय मेल देखा जा सकता है।
ग़ालिब की सबसे प्रसिद्ध कविताओं में "दीवान-ए-ग़ालिब" और "खुलासा-ए-नास्तिक" शामिल हैं।

ग़ालिब का महत्व:

ग़ालिब को उर्दू और फ़ारसी के सबसे महान कवियों में से एक माना जाता है।
उनकी कविताओं ने भारतीय उपमहाद्वीप की साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध किया है।
ग़ालिब की कविताओं का अनुवाद विश्वभर की भाषाओं में किया गया है।
पेश है मिर्ज़ा ग़ालिब को एक ग़ज़ल

दर्द हो दिल में तो दवा कीजे
दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजे

हमको फ़रियाद करनी आती है
आप सुनते नहीं तो क्या कीजे

इन बुतों को ख़ुदा से क्या मतलब
तौबा तौबा ख़ुदा ख़ुदा कीजे

रंज उठाने से भी ख़ुशी होगी
पहले दिल दर्द आशना कीजे

अर्ज़-ए-शोख़ी निशात-ए-आलम है
हुस्न को और ख़ुदनुमा कीजे

दुश्मनी हो चुकी बक़द्र-ए-वफ़ा
अब हक़-ए-दोस्ती अदा कीजे

मौत आती नहीं कहीं, ग़ालिब
कब तक अफ़सोस जीस्त का कीजे

मिर्जा गालिब

#ग़ालिब #मिर्ज़ाग़ालिब

डॉ. मनमोहन सिंह नहीं रहे। 💔भारत को आर्थिक पतन से उबारादुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था दीजीडीपी वृद्धि को बढ़ाव...
26/12/2024

डॉ. मनमोहन सिंह नहीं रहे। 💔

भारत को आर्थिक पतन से उबारा

दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था दी

जीडीपी वृद्धि को बढ़ावा दिया

परमाणु सौदा सुनिश्चित किया

वेतन आयोगों के माध्यम से सरकारी कर्मचारियों को सम्मान दिया

कभी किसी को गाली नहीं दी

कभी दिन में 5 बार कपड़े नहीं बदले

कभी मीडिया नहीं खरीदी

हर दिन अपमानित किया गया

रोबोट और क्या-क्या नहीं कहा गया

फिर भी, अपने जीवन का हर पल राष्ट्र के लिए जिया।

कोई दूसरा मनमोहन सिंह कभी नहीं होगा, इतिहास आपको बुद्धिमानी से नहीं आंक रहा है सर, यह आपके लिए रो रहा है।

भारत ने आज अपने सबसे महान रत्नों में से एक को खो दिया।
#मनमोहनसिंह

मैं ऐसा प्रधानमंत्री नहीं था जो प्रेस से बात करने से डरता था : डॉ.  #मनमोहनसिंहभारत के सबसे बेहतरीन प्रधानमंत्रियों में ...
26/12/2024

मैं ऐसा प्रधानमंत्री नहीं था जो प्रेस से बात करने से डरता था : डॉ. #मनमोहनसिंह

भारत के सबसे बेहतरीन प्रधानमंत्रियों में से एक, सबसे ज़्यादा गलत समझा जाने वाला और कम सराहना पाने वाला नेता।

अलविदा डॉक्टर साहब 🙏

हम ऐसा ही हिंदुस्तान चाहते हैं, जहां लोग एक दूसरे के नाम,   क्षेत्र, पहनावा जाती धर्म जानने के बाद नफरत या मुहब्बत न करे...
26/12/2024

हम ऐसा ही हिंदुस्तान चाहते हैं, जहां लोग एक दूसरे के नाम, क्षेत्र, पहनावा जाती धर्म जानने के बाद नफरत या मुहब्बत न करें , बल्कि लोगों को इससे कुछ फर्क ही न पड़े

उमर इब्न खत्ताब!उमर इब्न खत्ताब (586-644 ईस्वी) इस्लाम के दूसरे खलीफा थे, जिन्होंने पैगंबर मुहम्मद के बाद इस्लामी साम्रा...
26/12/2024

उमर इब्न खत्ताब!
उमर इब्न खत्ताब (586-644 ईस्वी) इस्लाम के दूसरे खलीफा थे, जिन्होंने पैगंबर मुहम्मद के बाद इस्लामी साम्राज्य का नेतृत्व किया। वह अपनी न्यायप्रियता, साहस और धार्मिक ज्ञान के लिए जाने जाते हैं।

उमर इब्न खत्ताब का जीवन:

उमर इब्न खत्ताब का जन्म 586 ईस्वी में मक्का, अरब में हुआ था।
उनके पिता खत्ताब इब्न नुफैल एक प्रमुख कुरैशी व्यक्ति थे।
उमर इब्न खत्ताब ने अपनी शिक्षा मक्का में प्राप्त की और बाद में वह इस्लाम में परिवर्तित हो गए।

उमर इब्न खत्ताब के योगदान:

उमर इब्न खत्ताब ने इस्लामी साम्राज्य के विकास में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:

- इस्लामी साम्राज्य का विस्तार: उमर इब्न खत्ताब ने इस्लामी साम्राज्य का विस्तार किया और कई नए क्षेत्रों को जीता।
- न्यायप्रियता: उमर इब्न खत्ताब को उनकी न्यायप्रियता के लिए जाना जाता है, और उन्होंने इस्लामी साम्राज्य में न्याय की स्थापना की।
- धार्मिक ज्ञान: उमर इब्न खत्ताब को उनके धार्मिक ज्ञान के लिए जाना जाता है, और उन्होंने इस्लामी साम्राज्य में धार्मिक शिक्षा को बढ़ावा दिया।

उमर इब्न खत्ताब की विशेषताएं:

उमर इब्न खत्ताब की कई विशेषताएं थीं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:

- साहस: उमर इब्न खत्ताब को उनके साहस के लिए जाना जाता है, और उन्होंने कई लड़ाइयों में भाग लिया।
- न्यायप्रियता: उमर इब्न खत्ताब को उनकी न्यायप्रियता के लिए जाना जाता है, और उन्होंने इस्लामी साम्राज्य में न्याय की स्थापना की।
- धार्मिक ज्ञान: उमर इब्न खत्ताब को उनके धार्मिक ज्ञान के लिए जाना जाता है, और उन्होंने इस्लामी साम्राज्य में धार्मिक शिक्षा को बढ़ावा दिया।

सलाहुद्दीन अय्यूबी!सलाहुद्दीन अय्यूबी (1137-1193) एक महान मिस्री और सीरियाई सुल्तान थे, जिन्होंने 12वीं शताब्दी में इस्ल...
26/12/2024

सलाहुद्दीन अय्यूबी!
सलाहुद्दीन अय्यूबी (1137-1193) एक महान मिस्री और सीरियाई सुल्तान थे, जिन्होंने 12वीं शताब्दी में इस्लामी जगत में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह अपनी सैन्य क्षमता, राजनीतिक कौशल और धार्मिक नेतृत्व के लिए जाने जाते हैं।

सलाहुद्दीन अय्यूबी का जीवन:

सलाहुद्दीन अय्यूबी का जन्म 1137 में तिकृत, इराक में हुआ था।
उनके पिता अय्यूब बिन शादी एक कुर्द सैन्य अधिकारी थे।
सलाहुद्दीन अय्यूबी ने अपनी शिक्षा मोसुल और बगदाद में प्राप्त की।

सलाहुद्दीन अय्यूबी के योगदान:

सलाहुद्दीन अय्यूबी ने कई महत्वपूर्ण योगदान दिए, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:

- मिस्र और सीरिया का एकीकरण: सलाहुद्दीन अय्यूबी ने मिस्र और सीरिया को एकजुट किया और एक शक्तिशाली इस्लामी साम्राज्य की स्थापना की।
- क्रूसेडर्स के खिलाफ लड़ाई: सलाहुद्दीन अय्यूबी ने क्रूसेडर्स के खिलाफ लड़ाई लड़ी और उन्हें जेरुसलम से बाहर निकाला।
- इस्लामी जगत का एकीकरण: सलाहुद्दीन अय्यूबी ने इस्लामी जगत को एकजुट किया और एक शक्तिशाली इस्लामी साम्राज्य की स्थापना की।

सलाहुद्दीन अय्यूबी की विशेषताएं:

सलाहुद्दीन अय्यूबी की कई विशेषताएं थीं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:

- सैन्य क्षमता: सलाहुद्दीन अय्यूबी एक महान सैन्य नेता थे और उन्होंने कई लड़ाइयों में विजय प्राप्त की।
- राजनीतिक कौशल: सलाहुद्दीन अय्यूबी एक महान राजनीतिज्ञ थे और उन्होंने अपने साम्राज्य को एकजुट करने में सफलता प्राप्त की।
- धार्मिक नेतृत्व: सलाहुद्दीन अय्यूबी एक महान धार्मिक नेता थे और उन्होंने इस्लामी जगत में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

चाणक्य!चाणक्य (370-283 ईस्वी) एक महान भारतीय राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री और दार्शनिक थे, जिन्होंने मौर्य साम्राज्य की स्थाप...
26/12/2024

चाणक्य!
चाणक्य (370-283 ईस्वी) एक महान भारतीय राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री और दार्शनिक थे, जिन्होंने मौर्य साम्राज्य की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह अपनी बुद्धिमत्ता, राजनीतिक कौशल और अर्थशास्त्रीय ज्ञान के लिए जाने जाते हैं।

चाणक्य का जीवन:

चाणक्य का जन्म 370 ईस्वी में पटना, बिहार में हुआ था।
उनका वास्तविक नाम विष्णुगुप्त था, लेकिन उन्हें चाणक्य नाम से जाना जाता है।
चाणक्य ने अपनी शिक्षा तक्षशिला विश्वविद्यालय में प्राप्त की, जो उस समय भारत का एक प्रमुख शैक्षिक केंद्र था।

चाणक्य के योगदान:

चाणक्य ने मौर्य साम्राज्य की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
उन्होंने चंद्रगुप्त मौर्य को मौर्य साम्राज्य का पहला सम्राट बनाने में मदद की।
चाणक्य ने अर्थशास्त्र और राजनीति पर कई पुस्तकें लिखीं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध "अर्थशास्त्र" है।

चाणक्य के अर्थशास्त्र के सिद्धांत:

चाणक्य के अर्थशास्त्र के सिद्धांतों में से कुछ प्रमुख हैं:

- राज्य का उद्देश्य: चाणक्य के अनुसार, राज्य का उद्देश्य अपने नागरिकों की सुरक्षा और समृद्धि सुनिश्चित करना है।
- आर्थिक विकास: चाणक्य ने आर्थिक विकास के लिए कृषि, व्यापार और उद्योग को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया।
- राजनीतिक स्थिरता: चाणक्य ने राजनीतिक स्थिरता के लिए एक मजबूत और केंद्रीकृत सरकार की आवश्यकता पर बल दिया।

चाणक्य का महत्व:

चाणक्य को भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति माना जाता है।
उनके योगदान ने मौर्य साम्राज्य की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
चाणक्य के अर्थशास्त्र और राजनीति के सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं और उनकी पुस्तकें अर्थशास्त्र और राजनीति के छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन हैं।

Address

Chhapra

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Amazing Facts posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Amazing Facts:

Share