Apangharduaar/आपन घर दुआर

Apangharduaar/आपन घर दुआर "आपन घर दुआर" भोजपुरी मनोरँजन पेज मेँ र?

अगर रउआ लोग के इ पेज के बारे मे सिकाईत या कोई सुझाव होए त जरुर बताई,, इ आपन घर दुआर राउर आपन पेज ह, माने सभे के सुझाव देवे के पुरा हक बा सिकाईत करि सुझाव दिही ताकी हमनी के आपन घर दुआर मे सुधार होत रहो "

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शुभ रात्रि
11/03/2024

शुभ रात्रि

05/11/2023

छपरा जिला के जनता बाजार में छठघाट ।

27/06/2023

बिहार सरकार से अपनी 10 सूत्री मांग को लेकर बिहार भर के कलाकार 2 जुलाई को राजधानी में आयोजित बैठक में शामिल होंगे एंव अपनी मांगों को लेकर आंदोलन की रूप रेखा का खांका खींचेंगे।

बिहार के कलाकार लंबे समय तक सरकारी आश्वासन पर निर्भर रहे लेकिन ऐसा लगता है कि अब वे अनिश्चितकालीन किसी बड़े आंदोलन का शंखनाद करेंगे।

बिहार में फ़िल्म सिटी के निर्माण, फ़िल्म को उधोग का दर्जा दिलाने, फ़िल्म निर्माण और शूटिंग पर सब्सिडी, भोजपुरी गीतों और फिल्मों में व्याप्त अश्लीलता पर पाबंदी के लिए बिहार में सेंसर बोर्ड का गठन, सिनेमा एंव थियेटर से जुड़े कलाकारों के लिए बेहतर प्रशिक्षण प्रबंध जैसी 10 सूत्री मांग को लेकर बिहार सिनेमा एंव सांस्कृतिक समिति के बैनर तले बिहारी कलाकारों की बैठक आहूत हैं।

कई कलाकारों ने इस बाबत बताया कि इतिहास गवाह है की जब भी कलाकार अपने हक की लड़ाई के लिए सड़क पर उतरे हैं। सरकार उनके आगे नतमस्तक हुई है। समय रहते अगर हमारी मांगो को बिहार सरकार मान लेती है तो न सिर्फ बिहार सरकार के राजस्व में अप्रत्याशित वृद्धि होगी बल्कि बेरोजगार पड़े कलाकारों का जीवन नए सिरे से संवर जाएगा।

बिहार सिनेमा एंव सांस्कृतिक समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष एंव संयोजक एक्टर राज कपूर शाही और भोजपुरी एंव हिंदी फिल्म डायरेक्टर मनोरंजन मिश्रा ने बताया कि बिहार संघर्ष की भूमि रहा हैं। जबतक सरकार के समक्ष ऊंची आवाज में हम अपनी मांगों को रखेंगे नही तबतक सरकार हमारी बातों को नही सुनेगी। इसलिए इस आयोजन को सफल बनाने के लिए बिहार के सभी जिलों के कलाकार दिन रात परिश्रम कर गोलबंद हो रहे हैं।

समिति के राष्ट्रीय और प्रदेश कार्यकारिणी की देखरेख में जिला से लेकर प्रखंड स्तर तक संगठन का विस्तार किया जा रहा है।

बिहार सिनेमा एंव सांस्कृतिक समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष एंव संयोजक एक्टर राज कपूर शाही ने बताया कि पटना में आयोजित इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए मुम्बई से भोजपुरी फिल्मों के महानायक कुणाल सिंह, भोजपुरी गायकी के महानायक भरत शर्मा व्यास, भोजपुरी एंव हिंदी फिल्म डायरेक्टर मनोरंजन मिश्रा, बिहार सिनेमा एंव सांस्कृतिक समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष एंव संयोजक एक्टर राज कपूर शाही, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एंव सहसंयोजक एक्टर के.के गोस्वामी, देहरादून से फ़िल्म निर्माता एंव समिति के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रजनीश कुमार नीरज, फ़िल्म निर्देशक एंव समिति के राष्ट्रीय महासचिव एंव प्रवक्ता धनंजय चौबे, फ़िल्म निर्देशक एंव समिति के राष्ट्रीय सचिव अनिकेत मिश्रा, समिति के राष्ट्रीय सरंक्षक एंव भोजपुरी लोक गायिका देवी, समिति के राष्ट्रीय सरंक्षक एंव एक्टर आनंद मोहन, समिति के सरंक्षक एंव फ़िल्म प्रोड्यूसर आजेश मिश्रा, सहित सैकड़ों कलाकर पटना पहुंचकर पहली बैठक में अपने विचार रखेंगे, कोलकाता से प्रोडसेर एक्टर गीतकार राश बिहारी गिरि ( सूर्या रवि गोस्वामी) भी सामिल होंगे।

पटना में आयोजित महाबैठक में बिहार के तमाम जिला से बिहार के सभी कलाकारों की भागीदारी होगी। बैठक के बाद सरकार को अपनी 10 सूत्री मांगों के समर्थन में ज्ञापन दी जाएगी।

के खाई ....  😝
30/04/2023

के खाई .... 😝

देशी आर्गेनीक जलेबी .....
24/02/2023

देशी आर्गेनीक जलेबी .....

2022 इनके रहल ......मनीष कश्यप, 2022 मे अगर देश मे कउनो सबसे बरियार पत्रकार "इंजिनीयर" के नाम लेवल जाई त एह जवान के नाम ...
01/01/2023

2022 इनके रहल ......

मनीष कश्यप, 2022 मे अगर देश मे कउनो सबसे बरियार पत्रकार "इंजिनीयर" के नाम लेवल जाई त एह जवान के नाम उपर आई, पत्रकारिता बिहार मे कइसे हो सकेला इनका से सभे के सिखे के जरुरत बा ..... खासकर के बिहार मे "

मोबाइल, नेटवर्क जब ना रहे त बगल के गाँव मे का होखता इ केहु के पता ना चलत रहे, थाना चौकी ले पहुच रसुखदार लोग के ही रहे, गरीब गुरबा के पहुच बगल के गाँव तक भी ना रहे भलहिं उनकर हत्या काहे ना हो जाये .....

बिहार मे पत्रकारीता कइल, उहो बीना पत्रकारिता के ड्रिग्री लेले एगो असंभव काज ह, खैर अबहीयो बिहार मे सभे पत्रकारिता ना कर सके, पेपर वाला पत्रकार खाली आपन रिश्तेदारी निभावत रह गइल आ आज मोबाइल युग मे सभनी के हालत गंभीर हो गईल, समय ह जवना के बदलाव पसंद बा, जे बदलाव लाई उ हमेशा समय के नजर मे मानव मे श्रेष्ठ रहि ...... !!

Manish Kasyap

24/12/2022

जब आपन बैंड पार्टी होखे "

आ डराईबर भाग जाये ...... 😊

रवीश कुमार भोजपुरी " बिहान "
22/12/2022

रवीश कुमार भोजपुरी " बिहान "

भारत के विकास की बुनियाद में भोजपुरी है।इसलिए भोजपुरी भविष्य की भाषा है। इस भाषा के लोगों ने देश और दुनिया भर में अ....

अबहीं मगरमच्छ बाकी बा .... ए सरकार "       क्ल्हे एगो ट्रक प लादल फुल इंगलिस बोतल देखनी, पुलिस सबके नष्ट करत रहे, इ गलत ...
20/12/2022

अबहीं मगरमच्छ बाकी बा .... ए सरकार "

क्ल्हे एगो ट्रक प लादल फुल इंगलिस बोतल देखनी, पुलिस सबके नष्ट करत रहे, इ गलत ह, शराब जहाँ से आवता उहइई दाम ले के रिटर्न करे के चाँही सप्लायर से, ओकरा बाद गाड़ी मालीक आ चालक प कार्यवाई होखे के चाँही, मान ली की 10000 दस हजार लीटर बोतल के नष्ट कर देहनी, 750 ग्राम के दाम 400 रुपये लीटर के हिसाब से केतना होई ...? 40 लाख के संपती ह जवन की बिहार पहुचते डबलीया जाला थोक के हिसाब से, यानी 80 लाख के संपती बिहार मे पुलिस नष्ट कर देवता, काहे ना वापस करके ओहि राज्य के सेल्समैन से 20/30 लाख के उगाही करे प्रसासन .... ? इ जरुरी ह,

एक खेप मे पुरा ट्रक के दाम आ जाता दु से तीन दिन के भीतर, त काहे ना पुलिस के एक दु लाख खिया के पास करवावे सप्लायर ...? टाटा, महिन्द्रा, अशोक के जवन एगो गाड़ी बनावे मे महीनो लागता उहे गाड़ी एक बेर बिहार घुम के आवता त मुढ़ सुध सब वसुला जाता आँनर के, एकर मतलब साफ बा गाड़ी मालीक ही असल जिम्मेदार बा, प्रसासन के कार्यवाई करेके बा त गाड़ी मालिक के पकड़ो आ मौत के जिम्मेदार ओकरे के मानो, सजा भी मौत से कम ना होखे के चाँही गाड़ी मालिक के, साथे साथ ड्राइवर पर भी कठोर कार्यवाई करो बिहार सरकार तब्बे इंसाफ होगा, ऐसे नही की खाली पव्वा पन्नी पियेवाला के जेल मे जाये और मगरमच्छ(गाड़ी मालिक) तमाशा देखे .......

बिहार में अदालत और प्रशासन को भी अब टेक्नोलॉजी के दौड़ के कुछ करने के लिए तेज रफ्तार से दौड़ना पड़ेगा, खाली वसुली से नही चलेगा ...... !!

02/12/2022

हमरा गाँव मे चाहे हमरा अगल बगल से शहर मे अइसन एक्को कांड ना देखे के मिलल की कउनो भोज खाये आएल होखे आ घरइता मना कर देवे खाये से, हमेशा हलुआई से बोल के 1000 लोग अनुमानित अंदेशा रहेला त 1300 से 1500 के खाना के बेवस्था रहेला, कभी ई ना पुछत देखनी की त कवना पक्ष से बारऽ .. खाना त दुर के बात ह ......

आज इ दुन्नो विडीयो सोशल साइड प साक्षा होखता आ होखेके चाँही, जरुरी इ नइखे की लइका mba करता, उकरा से पुछवाला के सोच देखी, ओछबुद्धि के इ नइखे पता की भोज वाला स्वाद कउनो होटल चाहे घर के खाना मे ना भेटाये, दुसर बात की लइका के माई बाप कवन हालत मे पइसा जोर नार के mba करावत होई इ लइका आ ओकर गार्जियन के पता होई, हम हाई एजुकेशन मे पढ़ाई करेवाला लइका के दिल्ली मे देखले बानी आ साथे काम भी कइले बानी, आ काम रहे बड़ा बड़ा पार्टी मे कैटरींग के ओरि से वेटर के, शाम के 7 बजे पहुचे के रहे आ छुट्टी रात के 2 बजे, हम 10 से 6 दुसर ड्युटी आ उ लोग काँलेज मे "

ये विडीयो देखके बस इहे कहेम " जियऽ हो बिहार के लाला "

भुरभुंट देनी
25/11/2022

भुरभुंट देनी

भाग भाग के हाँफत दुनियां " दुख मे हवो बेयार बा "के चली, के दौड़ी ?  इहे सोचत पुरा जीला जवार बा ... !!अंतगत्वा " परणवे सच...
29/10/2022

भाग भाग के हाँफत दुनियां " दुख मे हवो बेयार बा "
के चली, के दौड़ी ? इहे सोचत पुरा जीला जवार बा ... !!

अंतगत्वा " परणवे सच्चा पेयार बा " 🙏

11/10/2022

लेयर कमत जाये, गहीरा जेतना खोदाय "
7 रु के तेल, अब 100 पे दिया पहुचाये ...!!

तब 20 रु घंटा चलत रहे, नोजल आ चाल बान्हला पर एक के जगहा पौना खात रहें, हर छौ महीना बाद दस से पंद्रह दिन मे 1000 से 1500 के कमाई हो जात रहे, तब थरीया प सतुआ घेरुआ प अचार पियाज मरीचा ... सुखमय समय बाकी आर्थिक स्थिती मय लोग के दयनीय ... सरकारी लोग के छोड़ दिहल जाव त .... "

तब इहे दस पंद्रह दिन खाति हमरा पाले पइसा रहल रहे मोटाह, माने दु चार सौ ..... !!

दिल्ली की कुछ यादे ___शाम को चाय मट्ठी का बेशब्री से इंतजार, वो केतली मे 60 कप लाता और पलास्टीक के पाँलोथीन मे 60/62 मट्...
06/09/2022

दिल्ली की कुछ यादे ___

शाम को चाय मट्ठी का बेशब्री से इंतजार, वो केतली मे 60 कप लाता और पलास्टीक के पाँलोथीन मे 60/62 मट्ठी, बंधा हुआ था उसका कंपनी मे रोज चाय देना, हमारे कंपनी मे कुल 150 कामगार काम करते थें, रोज शाम को सात बजते ही बेचैनी होने लगती थी चाय और मट्ठी के लिये, मशीन पे लगातार बैठकर काम करना आठ घंटे की ड्युटी और ओवर टाइम के लिये 12 से 16 घंटे कम ......

हर रोज चाय और मट्ठी की अलग टेस्ट होती थी, कभी चीनी हल्का कम कभी ज्यादा, कभी पानी कम तो कभी ज्यादा, वर्कर भी एक हफ्ता फीकी चाय पीता था और रोज ठेकेदार से शिकायत करता तब जाकर एक से दो दिन बढ़ीया चाय बनाकर देता, तब 1 रुपय की लोकल और 2 की स्पेशल मिलती थी, मट्ठी का भी वही हाल, हफ्ता दस दिन साइज मे छोटा और पुरानी मट्ठी जो सस्ती मिलती वही लेकर आता था, फिर शिकायत हफ्ता दिन बाद तो फीर वो दो दिन ताजा खस्ता और स्वादिष्ट लेकर आता था .....

अब आते है असल मुद्दे पे, वो क्यु ऐसा करता था ... क्योकि वो जानता था हमे पैसे मिलने मे दो तीन महीने लग जायेंगे, और वो ठेकेदार को स्पेशल रोज तीन चार कप तो पिला ही देता था वो भी दो तीन महीने के करार पे, यानी साँप को भी मारना है लाठी भी नही टुटनी चाहिये, एक ठेकेदार के पास 200 के आसपास वर्कर थे और कंपनी की लाइन थी, वो चायवाला था मगर रोहिणी मे अपना फ्लेट तीन तीन बना रखे थें, हर कंपनी मे अनुमानित 100 वर्कर काम तो करते ही थे, और चायवाले चच्चा ने 25 /30 कंपनी पकड़ रखी थी, केवल शाम के वक्त दो घंटे मे 3000 कप चाँय की बिजनस गज्जब का था उनका, शाम को चार बजे खोलना और रात को बारह बजे तक काम करना, उम्र उनकी 65 साल और फुर्ती 20 की, दुबले पतले मगर अंदर से कर्मठ और मजबुत ........

देश की राजधानी। भारत का दिल दिल्ली! वहाँ एक सोलह वर्ष की लड़की किसी झुग्गी में जी रहे लड़के के प्रेम को स्वीकार नहीं करती ...
02/09/2022

देश की राजधानी। भारत का दिल दिल्ली! वहाँ एक सोलह वर्ष की लड़की किसी झुग्गी में जी रहे लड़के के प्रेम को स्वीकार नहीं करती तो वह गोली मरवा देता है। पैटर्न वही है जो झारखंड में है, केरल में है, तेलंगाना में है या देश में कहीं भी है। लड़की से दोस्ती करने का प्रयास, मान गयी तो नरकीय जीवन और न मानी तो बर्बर मृत्यु...
लड़की होना ही गुनाह है इस देश में। हिन्दू लड़की होना तो घोर पाप है जैसे... पिछले हप्ते भर में ही देश भर में लड़कियों के विरुद्ध जितने घिनौने अपराध हुए हैं, इस देश की बौद्धिकता को सड़कों पर उतर जाना चाहिये था। पर कोई नहीं उतरा.. कोई नहीं बोल रहा।
बड़ी बिन्दी गैंग ने बिन्दी माथे से उतार कर मुँह पर चिपका ली है। फेमिनिज्म तबके के लोग अपना बदसूरत चेहरा व्रत और सिंदूर की प्रासंगिता वाले विमर्श से ढक कर छिपे पड़े हैं ताकि कोई उनसे इन हत्याओं पर उनकी निर्लज्ज चुप्पी को टोक न दे... और सत्ता? उसके लिए तो यह कभी कोई मुद्दा ही नहीं रहा।
इस तरह का आक्रमण कानून से अधिक समाजिक विमर्श का विषय है। इसे कोई भी कानून पूरी तरह नहीं रोक सकता, इसे एक जागरूक समाज ही रोक सकता है। पर सच यह है कि इस विषय पर बात ही नहीं हो रही। जब भी चर्चा शुरू होती है, तो षड्यंत्रपूर्ण तरीके से उसे दूसरी ओर मोड़ दिया जाता है। इसमें भी सबसे बुरी बात यह है कि विदेशी पैसों के बदले अपनी निष्ठा बेच चुके लोगों के कामरेडी झांसे में फंस कर अच्छे लोग भी बकवास शुरू कर लड़ाई को कमजोर कर देते हैं।
उदाहरण देखिये, अंकिता की हत्या के बाद जब लोग आंदोलित हुए, तो दो दिन बाद फेसबुक पर कुछ तस्वीरें घूमने लगीं, जिसमें लड़की उस हत्यारे के साथ दिखाई दे रही है। उसके बाद से उसे लगातार गालियां दी गयी। उसे चरित्रहीन और जाने क्या क्या कह दिया गया। उसके लिए संवेदना समाप्त हो गयी। हालांकि वे तस्वीरें फर्जी हैं, पर यदि सच भी होतीं तो क्या उस लड़के से दोस्ती कर लेने से वह कत्ल के लायक हो जाती है?
एक पन्द्रह सोलह वर्ष की लड़की यदि दोस्त चुनने में गलती कर देती है, तो क्या यह इतना बड़ा अपराध है कि उसकी मृत्यु को जायज ठहरा कर हत्यारे के पक्ष में माहौल बना दिया जाय? पर अति उत्साह में, अपना अलग स्टैंड दिखाने के चक्कर में हमलोग यह भी करते हैं।
इन घटनाओं की चर्चा के समय हम एक बात भूल जाते हैं कि कोई भी लड़की खुद नहीं फंसती, बल्कि उसे पूरी प्लानिंग के तहत फंसाया जाता है। शिकारी के जाल में फंसी चिड़िया अपराधी नहीं होती, पीड़ित होती है। लेकिन हम अपराधी का कॉलर पकड़ने की जगह चिड़िया को ही गाली देने लगते हैं कि उधर गयी ही क्यों थी। यह आत्मघाती व्यवहार है।
दिल्ली वाली लड़की का अपराधी जेल गया है, कुछ दिनों में छूट जाएगा। पर दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि इसके बाद भी उसके परिवार से कोई प्रश्न नहीं करेगा, उनकी सामाजिक छवि को कोई नुकसान नहीं होगा। जबकि उस हत्यारे को हत्या कर सकने का साहस उसका परिवार और परिवेश ही देता है। जबतक ऐसा होता रहेगा, रोज कोई न कोई लड़की मारी जाती रहेगी।
इस मुद्दे पर देश में ब्यापक चर्चा होनी चाहिये। हर मंच पर, हर चौक पर... तभी कोई हल निकल पायेगा।

सर्वेश तिवारी श्रीमुख
गोपालगंज, बिहार।

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Chhapra
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