छपरा जिला के जनता बाजार में छठघाट ।
जब आपन बैंड पार्टी होखे "
आ डराईबर भाग जाये ...... 😊
दस दिन से दिमाग खराब कइले रहल .......
आज जाके दिमाग कुछ हलुक भइल 😌
हमरा गाँव मे चाहे हमरा अगल बगल से शहर मे अइसन एक्को कांड ना देखे के मिलल की कउनो भोज खाये आएल होखे आ घरइता मना कर देवे खाये से, हमेशा हलुआई से बोल के 1000 लोग अनुमानित अंदेशा रहेला त 1300 से 1500 के खाना के बेवस्था रहेला, कभी ई ना पुछत देखनी की त कवना पक्ष से बारऽ .. खाना त दुर के बात ह ......
आज इ दुन्नो विडीयो सोशल साइड प साक्षा होखता आ होखेके चाँही, जरुरी इ नइखे की लइका mba करता, उकरा से पुछवाला के सोच देखी, ओछबुद्धि के इ नइखे पता की भोज वाला स्वाद कउनो होटल चाहे घर के खाना मे ना भेटाये, दुसर बात की लइका के माई बाप कवन हालत मे पइसा जोर नार के mba करावत होई इ लइका आ ओकर गार्जियन के पता होई, हम हाई एजुकेशन मे पढ़ाई करेवाला लइका के दिल्ली मे देखले बानी आ साथे काम भी कइले बानी, आ काम रहे बड़ा बड़ा पार्टी मे कैटरींग के ओरि से वेटर के, शाम के 7 बजे पहुचे के रहे आ छुट्टी रात के 2 बजे, हम 10 से 6 दुसर ड्युटी आ
लेयर कमत जाये, गहीरा जेतना खोदाय "
7 रु के तेल, अब 100 पे दिया पहुचाये ...!!
तब 20 रु घंटा चलत रहे, नोजल आ चाल बान्हला पर एक के जगहा पौना खात रहें, हर छौ महीना बाद दस से पंद्रह दिन मे 1000 से 1500 के कमाई हो जात रहे, तब थरीया प सतुआ घेरुआ प अचार पियाज मरीचा ... सुखमय समय बाकी आर्थिक स्थिती मय लोग के दयनीय ... सरकारी लोग के छोड़ दिहल जाव त .... "
तब इहे दस पंद्रह दिन खाति हमरा पाले पइसा रहल रहे मोटाह, माने दु चार सौ ..... !!
ashtamjam pooja mohan kothiya
ashtamjam pooja mohan kothiya
औरतें क्रूर होती हैं
---------------------
"तुम्हारी ज़ुल्फ के साये में शाम कर लूंगा,
सफ़र इस उम्र का पल में तमाम कर लूंगा।"
काश कोई इस गीत के शब्दों के भाव की गहराई को समझ पाता!इतनी ही तो ख़्वाहिश है बेचारे की-मुझे अपनी ज़ुल्फो में ही रहने दो।बेदर्द दुनिया की बादशाहत संभालती ये महिलाएं इस दर्द को कहां समझ पातीं।इस लायक भी नहीं छोड़ा कि दूसरी जगह जी सके अदना।
एक ऐसा शस्त्र,जिसका कोई नाम नहीं,उस पर कुचल के मार डाला।बायें हाथ के अंगूठे के नाखून के उपरले हिस्से पर ज़िंदगी को रखा,दाहिने हाथ के अंगूठे से उसे दबाया और क़त्ल कर दिया।ना कोई अपराध बना,ना ही कोई गवाह मिला।ऐसे मसला,जैसे किसी क्रूर ने कुचल डाला हो।
कहने को औरतें कोमल हृदय की स्वामिनी होती हैं पर "जूं" (भोजपुरी भाषा में ढ़िल) की इस स्थिति पर किस का दिल ना पसीज जाय।जिस बेचारे ने इस सपने में ही ख़ुद को ढ़ाल लिया हो क
is post ko sheyar kr dijiye taki un logo ko saza mil sake
सुनल जाव बिदाई का घड़ी एगो बेटी अपना बाबूजी से का कह रहल बारी ---
रउरा हईं महल के मालिक:---
सुनिए भावुक कर देनेवाली कविता
भोजपुरी/हिन्दी कवि सम्मेलन