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20/11/2024

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अपामार्ग (apamarga plant) को चिरचिटा, लटजीरा, चिरचिरा, चिचड़ा भी बोलते हैं। यह एक बहुत ही साधारण पौधा है। आपने अपने घर क...
20/11/2024

अपामार्ग (apamarga plant) को चिरचिटा, लटजीरा, चिरचिरा, चिचड़ा भी बोलते हैं। यह एक बहुत ही साधारण पौधा है। आपने अपने घर के आस-पास, जंगल-झाड़ या अन्य स्थानों पर अपामार्ग का पौधा जरूर देखा होगा, लेकिन शायद इसे नाम से नहीं जानते होंगे। अपामार्ग की पहचान नहीं होने के कारण प्रायः लोग इसे बेकार ही समझते हैं, लेकिन आपका सोचना सही नहीं है। अपामार्ग (लटजीरा) एक जड़ी-बूटी है, और इसके कई औषधीय गुण हैं। कई रोगों के इलाज में अपामार्ग (चिरचिटा) के इस्तेमाल से फायदे (chirchita plant benefits) मिलते हैं। दांतों के रोग, घाव, पाचनतंत्र विकार सहित अनेक बीमारियों में अपामार्ग के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।
अपामार्ग (लटजीरा) के गुण को आयुर्वेदिक दवाओं के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, और रोगों को ठीक किया जाता है। अगर आप अपामार्ग (चिरचिटा) के फायदे के बारे में नहीं जानते हैं तो यह लेख आपके लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि यह एक ऐसा पौधा (apamarga plant) है जो हर जगह मिल जाता है। आप अपामार्ग से खांसी, मूत्र रोग, चर्म रोग सहित अन्य कई बीमारियों का इलाज कर सकते हैं। इसलिए आइए जानते हैं कि अपामार्ग (लटजीरा) के कौन-कौन से फायदे आप ले सकते हैं, या इससे क्या नुकसान हो सकता है।
अपामार्ग (चिरचिरा) क्या है? (What is Apamarg in Hindi?)
अपामार्ग (लटजीरा) एक जड़ी-बूटी है। बारिश के मौसम की शुरुआत में अपामार्ग का पौधा अंकुरित होने लगता है। ठंड के मौसम में फलता-फूलता है, और गर्मी के मौसम में पूरी तरह बड़ा हो जाता है। इसी मौसम में फल के साथ पौधा (apamarga plant) भी सूख जाता है। इसके फूल हरी गुलाबी कलियों से युक्त होते हैं। इसके बीज चावल जैसे होते हैं। इन्हें ही अपामार्ग तंडुल कहते हैं। इसके पत्ते बहुत ही छोटे और सफेद रोमों से ढके होते हैं। ये अण्डाकार एवं कुछ नुकीले से होते हैं।

अपामार्ग की मुख्यतः दो प्रजातियां होती हैं, जिनका प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है।

सफेद अपामार्ग
लाल अपामार्ग
सफेद और लाल दोनों प्रकार के अपामार्ग की मंजरियां पत्तों के डण्ठलों के बीच से निकलती हैं। ये लंबे, कर्कश, कंटीली-सी होती है। इनमें ही सूक्ष्म और कांटे-युक्त बीज होते हैं। ये बीज हल्के काले रंग के छोटे चावल के दाने जैसे होते हैं। ये स्वाद में कुछ तीखे होते हैं। इसके फूल छोटे, कुछ लाल हरे या बैंगनी रंग के होते हैं। लाल अपामार्ग की डण्डियां और मञ्जरियां कुछ लाल रंग की होती हैं। इसके पत्तों पर लाल-लाल सूक्ष्म दाग होते हैं।
सफेद अपामार्ग (चिरचिरा) के फायदे और उपयोग (White Apamarg Benefits and Uses in Hindi)
अपामार्ग (लटजीरा) का औषधीय प्रयोग, प्रयोग की मात्रा और विधियां ये हैंः-

दांत के दर्द में अपामार्ग (चिरचिरा) के फायदे (Chirchita Plant Benefits to Treat Dental Pain in Hindi)
अपामार्ग के 2-3 पत्तों के रस में रूई को डुबाकर फोया बना लें। इसे दांतों में लगाने से दांत का दर्द ठीक (apamarg ke fayde) होता है।
अपामार्ग की ताजी जड़ से रोजाना दातून करने से दांत के दर्द तो ठीक होते ही हैं, साथ ही दाँतों का हिलना, मसूड़ों की कमजोरी, और मुंह से बदबू आने की परेशानी भी ठीक होती है। इससे दांत अच्छी तरह साफ हो जाते हैं।
गंगोत्री के प्रसिद्ध स्वामी अपरोक्षानन्द की माता जी ने इस प्रयोग को किया है।

जिला बिलासपुर (छत्तीसगढ़) के रहने वाले प्रसिद्ध स्वामी अपरोक्षानन्द की 85 वर्ष माता जी हमेशा अपामार्ग के तने से दातुन करती थीं। इससे उनको बहुत लाभ हुआ। बहुत से लोगों के दांत वृद्धावस्था में कमजोर हो जाते हैं। इस दातुन से दांत की मजबूती बनी रहती है। अगर ताजा अपामार्ग (apamarg) नहीं मिलता है तो अपामार्ग के सूखे तने को पानी में भिगोकर दातुन कर सकते हैं।


चर्म रोग में अपामार्ग (चिरचिरा) के औषधीय गुण से फायदा (Apamarga Plant Uses to Treat Skin Disease in Hindi)
चर्म रोग में अपामार्ग (लटजीरा) से औषधीय गुण से लाभ मिलता है। इसके पत्तों को पीसकर लगाने से फोड़े-फुन्सी आदि चर्म रोग और गांठ के रोग ठीक (apamarg ke fayde) होते हैं।
मुंह के छाले में अपामार्ग (चिरचिरा) के फायदे (Benefits of Apamarg for Mouth Ulcer in Hindi)
मुंह में छाले होने पर अपामार्ग (लटजीरा) के गुण फायदेमंद होते हैं। इसके लिए अपामार्ग के पत्तों का काढ़ा बनाकर गरारा करें। इससे मुंह के छाले की परेशानी ठीक होती है।

अपामार्ग (apamarga plant) को चिरचिटा, लटजीरा, चिरचिरा, चिचड़ा भी बोलते हैं। यह एक बहुत ही साधारण पौधा है। आपने अपने घर के आस-पास, जंगल-झाड़ या अन्य स्थानों पर अपामार्ग का पौधा जरूर देखा होगा, लेकिन शायद इसे नाम से नहीं जानते होंगे। अपामार्ग की पहचान नहीं होने के कारण प्रायः लोग इसे बेकार ही समझते हैं, लेकिन आपका सोचना सही नहीं है। अपामार्ग (लटजीरा) एक जड़ी-बूटी है, और इसके कई औषधीय गुण हैं। कई रोगों के इलाज में अपामार्ग (चिरचिटा) के इस्तेमाल से फायदे (chirchita plant benefits) मिलते हैं। दांतों के रोग, घाव, पाचनतंत्र विकार सहित अनेक बीमारियों में अपामार्ग के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।

Apamarg health benefit

अपामार्ग (लटजीरा) के गुण को आयुर्वेदिक दवाओं के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, और रोगों को ठीक किया जाता है। अगर आप अपामार्ग (चिरचिटा) के फायदे के बारे में नहीं जानते हैं तो यह लेख आपके लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि यह एक ऐसा पौधा (apamarga plant) है जो हर जगह मिल जाता है। आप अपामार्ग से खांसी, मूत्र रोग, चर्म रोग सहित अन्य कई बीमारियों का इलाज कर सकते हैं। इसलिए आइए जानते हैं कि अपामार्ग (लटजीरा) के कौन-कौन से फायदे आप ले सकते हैं, या इससे क्या नुकसान हो सकता है

अपामार्ग (चिरचिरा) क्या है? (What is Apamarg in Hindi?)
अपामार्ग (लटजीरा) एक जड़ी-बूटी है। बारिश के मौसम की शुरुआत में अपामार्ग का पौधा अंकुरित होने लगता है। ठंड के मौसम में फलता-फूलता है, और गर्मी के मौसम में पूरी तरह बड़ा हो जाता है। इसी मौसम में फल के साथ पौधा (apamarga plant) भी सूख जाता है। इसके फूल हरी गुलाबी कलियों से युक्त होते हैं। इसके बीज चावल जैसे होते हैं। इन्हें ही अपामार्ग तंडुल कहते हैं। इसके पत्ते बहुत ही छोटे और सफेद रोमों से ढके होते हैं। ये अण्डाकार एवं कुछ नुकीले से होते हैं।

अपामार्ग की मुख्यतः दो प्रजातियां होती हैं, जिनका प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है।

सफेद अपामार्ग
लाल अपामार्ग
सफेद और लाल दोनों प्रकार के अपामार्ग की मंजरियां पत्तों के डण्ठलों के बीच से निकलती हैं। ये लंबे, कर्कश, कंटीली-सी होती है। इनमें ही सूक्ष्म और कांटे-युक्त बीज होते हैं। ये बीज हल्के काले रंग के छोटे चावल के दाने जैसे होते हैं। ये स्वाद में कुछ तीखे होते हैं। इसके फूल छोटे, कुछ लाल हरे या बैंगनी रंग के होते हैं। लाल अपामार्ग की डण्डियां और मञ्जरियां कुछ लाल रंग की होती हैं। इसके पत्तों पर लाल-लाल सूक्ष्म दाग होते हैं।



अन्य भाषाओं में अपामार्ग (चिरचिरा) के नाम (Name of Apamarg in Different Languages)
अपामार्ग (apamarga plan) का वानस्पतिक नाम एकायरेन्थिस् एस्पेरा (Achyranthes aspera L., Syn-Achyranthes australis R. Br.), है, और यह एमारेन्थेसी (Amaranthaceae) कुल का है। अपमार्ग के अन्य ये भी नाम हैंः-

सफेद अपामार्ग के नाम (Names of White Apamarg)

White Apamarg in-

Hindi – चिरचिटा, लटजीरा, चिरचिरा, चिचड़ा
Urdu – चिरचिटा (Chirchita)
English – वाशरमैन्स प्लान्ट (Washerman’s plant), रफ चाफ फ्लॉवर (Rough chaff flower); दी प्रिक्ली-चाफ फ्लॉवर (The prickly-chaff flower)
Sanskrit – अपामार्ग, शिखरी, अधशल्य, मयूरक, मर्कटी, दुर्ग्रहा, किणिही, खरमंजरी, प्रत्यक्फूली
Assamese – अपंग (Apang)
Kannada – उत्तरणी (Uttarani)
Konkani – कान्टमोग्रो (Kantmogro)
Gujarati – अघेड़ो (Aghedo)
Tamil – नायु रुवि (Nayu ruvi)
Telugu – अपामार्गमु (Apamargamu)
Bengali – अपांग (Apang), चिरचिटी (Chirchiti)
Nepali – दतिवन (Dativan)
Punjabi – कुत्री (Kutri), पुठखण्डा (Puthkhanda)
Marathi – अघाड़ा (Aghada);
Malayalam – वनकटलटी (Vankatlati), कटलटी (Katalati)
Arabic – अत्कुमह (Atkumah)
Persian – खरेवाजहुम (Kharevazhum)

लाल अपामार्ग (Cyathula prostrata (Linn.) Blume) के नाम (Names of of Red Apamarg)

Red Apamarg in –

Hindi – लाल चिरचिटा, लाल-चिचींडा
Sanskrit – रक्तापामार्ग, वृन्तफल, वशिर, मरकटपिप्पली, कपिपिप्पली
English – परपल प्रिंसेस (Purple princess), पाश्चुरवीड (Pasturew**d), प्रोस्ट्रेट पाश्चुर वीड (Prostrate pasture w**d)
Kannada – उत्तरनी (Uttarani), किरीमुलोइकाडन्तु (Kirrimulloi kaadantu)
Tamil – चिरुकटालाती (Cirukatalati)
Telugu – उत्तरनी (Uttarani)
Malayalam – चेरुकाटालाटी (Cherukatalati)
Marathi – भुइ घड्डा (Bhuighaada)


सफेद अपामार्ग (चिरचिरा) के फायदे और उपयोग (White Apamarg Benefits and Uses in Hindi)
अपामार्ग (लटजीरा) का औषधीय प्रयोग, प्रयोग की मात्रा और विधियां ये हैंः-

दांत के दर्द में अपामार्ग (चिरचिरा) के फायदे (Chirchita Plant Benefits to Treat Dental Pain in Hindi)
अपामार्ग के 2-3 पत्तों के रस में रूई को डुबाकर फोया बना लें। इसे दांतों में लगाने से दांत का दर्द ठीक (apamarg ke fayde) होता है।
अपामार्ग की ताजी जड़ से रोजाना दातून करने से दांत के दर्द तो ठीक होते ही हैं, साथ ही दाँतों का हिलना, मसूड़ों की कमजोरी, और मुंह से बदबू आने की परेशानी भी ठीक होती है। इससे दांत अच्छी तरह साफ हो जाते हैं।
गंगोत्री के प्रसिद्ध स्वामी अपरोक्षानन्द की माता जी ने इस प्रयोग को किया है।

जिला बिलासपुर (छत्तीसगढ़) के रहने वाले प्रसिद्ध स्वामी अपरोक्षानन्द की 85 वर्ष माता जी हमेशा अपामार्ग के तने से दातुन करती थीं। इससे उनको बहुत लाभ हुआ। बहुत से लोगों के दांत वृद्धावस्था में कमजोर हो जाते हैं। इस दातुन से दांत की मजबूती बनी रहती है। अगर ताजा अपामार्ग (apamarg) नहीं मिलता है तो अपामार्ग के सूखे तने को पानी में भिगोकर दातुन कर सकते हैं।
चर्म रोग में अपामार्ग (चिरचिरा) के औषधीय गुण से फायदा (Apamarga Plant Uses to Treat Skin Disease in Hindi)
चर्म रोग में अपामार्ग (लटजीरा) से औषधीय गुण से लाभ मिलता है। इसके पत्तों को पीसकर लगाने से फोड़े-फुन्सी आदि चर्म रोग और गांठ के रोग ठीक (apamarg ke fayde) होते हैं।

मुंह के छाले में अपामार्ग (चिरचिरा) के फायदे (Benefits of Apamarg for Mouth Ulcer in Hindi)
मुंह में छाले होने पर अपामार्ग (लटजीरा) के गुण फायदेमंद होते हैं। इसके लिए अपामार्ग के पत्तों का काढ़ा बनाकर गरारा करें। इससे मुंह के छाले की परेशानी ठीक होती है

अपामार्ग (चिरचिरा) के औषधीय गुण से अत्यधित भूख अधिक लगने की समस्या में लाभ (Apamarg is Beneficial in Appetite Disorder in Hindi)
बहुत अधिक भूख लगने की बीमारी को भस्मक रोग कहते हैं। इसके उपचार के लिए अपामार्ग के बीजों के 3 ग्राम चूर्ण दिन में दो बार लगभग एक सप्ताह तक सेवन करें। इससे अत्यधित भूख लगने की समस्या ठीक होती है।
अपामार्ग के 5-10 ग्राम बीजों को पीसकर खीर बना लें। इसे खाने से अधिक भूख लगने की समस्या ठीक होती है।
अपामार्ग के बीजों को खाने से भी अधिक भूख नहीं लगती है।
अपामार्ग (लटजीरा) के बीजों को कूटकर महीन चूर्ण बना लें। इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिलाएं। इसे 3-6 ग्राम तक सुबह-शाम जल के साथ सेवन करें। इससे भी लाभ (apamarg ke fayde) होता है।
आंखों की बीमारी में अपामार्ग (चिरचिरा) के फायदे (Chirchita Plant Benefits to Treat Eye Disease in Hindi)
2 ग्राम अपामार्ग की जड़ (apamarg ki jad) के रस में 2 चम्मच मधु मिलाएं। इसे 2-2 बूंद आंख में डालने से आंखों के रोग ठीक होते हैं।
आईफ्लू, आंखों के दर्द, आंख से पानी बहने, आंखें लाल होने, और रतौंधी आदि में अपामार्ग (apamarg) का इस्तेमाल करना उत्तम परिणाम देता है। अपामार्ग की जड़ को साफ कर लें। इसमें थोड़ा सेंधा नमक मिलाकर दही के पानी के साथ तांबे के बर्तन में घिसें। इसे काजल की तरह लगाने से आंखों के रोग में लाभ होता है।
चोट लगने (कटने-छिलने) पर अपामार्ग (चिरचिटा) के औषधीय गुण से लाभ (Benefits of Apamarg Plant after Injury in Hindi)
अपामार्ग के 2-3 पत्तों को हाथ से मसलकर रस निकाल लें। इस रस को कटने या छिलने वाले स्थान पर लगाएं। इससे खून बहना रुक जाता है।
अपामार्ग की जड़ को तिल के तेल में पकाकर छान लें। इसे कटने या छिलने वाले जगह पर लगाएं। इससे आराम मिलता है।
और पढ़ें – रक्तस्राव होने पर नींबू के फायदे

घाव को सुखाने में अपामार्ग (चिरचिटा) का औषधीय गुण फायदेमंद (Benefits of Apamarga Tree in Healing Chronic Wounds in Hindi)
पुराने घाव हो गया हो तो अपामार्ग के रस के मलहम लगाएं। इससे घाव पकता नहीं है।
अपामार्ग (लटजीरा) की जड़ को तिल के तेल में पकाकर छान लें। इसे घाव पर लगाएं। इससे घाव का दर्द कम हो जाता है। इससे घाव ठीक (chirchita plant benefits) भी हो जाता है।
लगभग 50 ग्राम अपामार्ग के बीज में चौथाई भाग मधु मिला लें। इसे 50 ग्राम घी में अच्छी तरह पका लें। पकाने के बाद ठंडा करके घाव पर लेप करें। इससे घाव तुरंत ठीक हो जाता है।
जड़ का काढ़ा बनाकर घाव को धोने से भी घाव ठीक होता है।
खुजली में अपामार्ग (चिरचिरा) का औषधीय गुण लाभदायक (Apamarg Plant Uses in Fighting with Itching in Hindi)
अपामार्ग (लटजीरा) पंचांग से काढ़ा बना लें। इसे जल में मिलाकर स्नान करने पर खुजली ठीक हो जाती है। उपाय करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर मिलें।

श्वसनतंत्र विकार में अपामार्ग (चिरचिटा) के सेवन से लाभ (Benefits of Apamarg Plant to Treats Respiratory Problems in Hindi)
दमा के इलाज के लिए अपामार्ग की जड़ (apamarg ki jad) चमत्कारिक रूप से काम करती है। इसके 8-10 सूखे पत्तों को हुक्के में रखकर पीने से श्वसनतंत्र संबंधित विकारों में लाभ होता है।
खांसी में अपामार्ग (चिरचिरा) के सेवन से फायदा (Benefits of Chirchita Plant in Fighting with Cough in Hindi)
लगभग 125 मिग्रा अपामार्ग क्षार में मधु मिलाएं। इसे सुबह और शाम चटाने से बच्चों की श्वास नली और छाती में जमा कफ निकल जाता है। बच्चों की खांसी ठीक होती है।
खांसी बार-बार परेशान करती है, और कफ नहीं निकल रहा है या फिर कफ गाढ़ा हो गया है तो अपामार्ग के सेवन से लाभ मिलता है। इस बीमारी में या न्यूमोनिया होने पर 125-250 मिग्रा अपामार्ग क्षार और 125-250 मिग्रा चीनी को 50 मिली गुनगुने जल में मिला लें। इसे सुबह-शाम सेवन करने से 7 दिन में लाभ हो जाता है।
6 मिली अपामार्ग की जड़ (apamarg ki jad) का चूर्ण बना लें। इसमें 7 काली मिर्च के चूर्ण को मिलाएं। सुबह-शाम ताजे जल के साथ सेवन करने से खांसी में लाभ होता है।
अपामार्ग (लटजीरा) पंचांग का भस्म बनाएं। 500 मिग्रा भस्म में शहद मिलाकर सेवन करने से कुक्कुर खांसी ठीक होती है।
बलगम वाली खासी को ठीक करने के लिए अपामार्ग की जड़ चमत्कारिक रूप से काम करती है। इसके 8-10 सूखे पत्तों को हुक्के में रखकर पीने से खांसी ठीक हो जाती है।

बुखार उतारने के लिए अपामार्ग (लटजीरा) का सेवन फायदेमंद (Benefits of Chirchita Plant in Fighting with Fever in Hindi)
अपामार्ग (लटजीरा) के 10-20 पत्ते लें। इन्हें 5-10 नग काली मिर्च और 5-10 ग्राम लहसुन के साथ पीसकर 5 गोली बना लें। बुखार आने से दो घंटे पहले 1-1 गोली लेने से ठंड लगकर आने वाला बुखार खत्म होता है।

हैजा में अपामार्ग (लटजीरा) के फायदे (Apamarga Plant Benefits for Cholera Treatment in Hindi)
2-3 ग्राम अपामार्ग की जड़ के चूर्ण को दिन में 2-3 बार ठंडे जल के साथ सेवन करें। इससे हैजा ठीक होता है।
अपामार्ग के 4-5 पत्तों का रस निकालें। इसमें थोड़ा जल व मिश्री मिलाकर प्रयोग करने से भी हैजा में लाभ मिलता है।

पेट के रोग में अपामार्ग (लटजीरा) के सेवन से फायदा (Chirchita Plant Benefits to Treat Abdominal Disease in Hindi)
20 ग्राम अपामार्ग पंचांग को 400 मिली पानी में मिलाकर आग पर पकाएं। जब पानी एक चौथाई रह जाए तब 500 मिग्रा नौसादर चूर्ण और 1 ग्राम काली मिर्च चूर्ण मिला लें। इसे दिन में 3 बार सेवन करने से पेट के दर्द में राहत मिलती है। इससे पेट की अन्य बीमारी भी ठीक हो जाती है।
2 ग्राम अपामार्ग (चिरचिरा) की जड़ के चूर्ण में शहद मिलाकर सेवन करने से पेट के दर्द ठीक होते हैं।


अपामार्ग (लटजीरा) के औषधीय गुण से बवासीर का इलाज (Benefits of Apamarg for Hemorrhoids (piles) Treatment in Hindi)
अपामार्ग की 6 पत्तियों और 5 नग काली मिर्च को जल के साथ पीस लें। इसे छानकर सुबह और शाम सेवन करने से बवासीर में लाभ हो जाता है। इससे खून बहना रुक जाता है।
अपामार्ग के बीजों को कूट-छानकर महीन चूर्ण बना लें। इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिलाएं। इसे 3-6 ग्राम तक सुबह-शाम जल के साथ सेवन करें। इससे बवासीर में फायदा होता है।
10-20 ग्राम अपामार्ग की जड़ के चूर्ण को चावल के धोवन के साथ पीस-छान लें। इसमें दो चम्मच शहद मिलाकर पिलाने से पित्तज या कफज विकारों के कारण होने वाले खूनी बवासीर की बीमारी में लाभ होता है।

पथरी की बीमारी में फायदेमंद अपामार्ग (लटजीरा) का सेवन (Apamarga Tree Benefits to Cure Kidney Stone in Hindi)
अपामार्ग की 5-10 ग्राम ताजी जड़ को पानी में पीस लें। इसे घोलकर पिलाने से पथरी की बीमारी में बहुत लाभ होता है। यह औषधि किडनी की पथरी को टुकडे-टुकड़े करके शरीर से बाहर निकाल देती है। किडनी में दर्द के लिए यह औषधि बहुत काम करती है।

और पढ़ें: पथरी मे मूली के प्रयोग

योनि के दर्द में अपामार्ग (लटजीरा) से लाभ (Apamarg Helps in Relief from Vaginal Pain in Hindi)
अपामार्ग की जड़, पत्ते एवं तना को पीस लें। महिलाएं इसे प्रसव के बाद योनि में लेप के रूप में लगाएं। इससे योनि का दर्द ठीक होता है।
अपामार्ग की जड़ के रस से रूई को भिगोएं। इसे योनि में रखने से योनि के दर्द और मासिक धर्म की रुकावट खत्म होती है।
अपामार्ग (चिरचिरा) और पुनर्नवा की जड़ को जल में घिसकर योनि में लेप करने से प्रसव के कारण होने वाला दर्द ठीक होता है।
vaginal disorder

मासिक धर्म विकार में अपामार्ग (चिचड़ा) से लाभ (Apamarg Plant Benefits for Menstrual Disorder in Hindi)
अपामार्ग (चिरचिरा) पंचांग के रस में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर सेवन करने से मासिक धर्म विकार ठीक होता है।
अपामार्ग की जड़ के रस से रूई को भिगोएं। इसे योनि में रखने से मासिक धर्म की रुकावट खत्म होती है।
अपामार्ग के लगभग 10 ग्राम ताजे पत्ते और 5 ग्राम हरी दूब को पीस लें। इसे 60 मिली जल में मिलाकर छान लें। अब इसे गाय के दूध में मिला लें। इसमें ही 20 मिली या इच्छानुसार मिश्री मिलाकर सुबह सात दिन तक पिलाने से मासिक धर्म के दौरान अधिक खून बहने की परेशानी में लाभ होता है। इसे रोग ठीक होने तक नियमित रूप से करें।
अपामार्ग पंचांग के रस में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर सेवन करने से मासिक धर्म के दौरान अधिक रक्तस्राव की समस्या ठीक होती है।
अपामार्ग के पत्ते के रस से सिर पर डालें, पत्ते के रस से योनि पर लेप करें। इससे अधिक रक्तस्राव की समस्या में तुरंत लाभ होता है।
अपामार्ग (चिचड़ा) के औषधीय गुण से गर्भधारण में मदद (Apamarg Helps in Infertility Problem in Hindi)
अनियमित मासिक धर्म या अधिक रक्तस्राव के कारण जो स्त्रियाँ गर्भधारण नहीं कर पातीं हैं। वे अपामार्ग (चिरचिरा) के औषधीय गुण से लाभ ले सकती हैं। मासिक धर्म खत्म होने के बाद से इस दिव्य बूटी के 10 पत्ते, या इसकी 10 ग्राम जड़ लें। इसे गाय के 125 मिली दूध में पीसकर छान लें। इसका सेवन करें। ध्यान रखें कि यह उत्तम भूमि में उत्पन्न हुआ हो। इसे 4 दिन तक सुबह, दोपहर और शाम पिलाने से स्त्री गर्भधारण कर लेती है। यह प्रयोग अगर एक बार में सफल न हो तो अधिक से अधिक 3 बार करें।
और पढ़ें – गर्भधारण विकार में शिवलिंगी से लाभ

रसौली के इलाज में अपामार्ग (चिचड़ा) का औषधीय गुण लाभदायक (Benefits of Apamarga Tree to Cure Neoplasm in Hindi)
रसौली के इलाज में अपामार्ग के फायदे होते हैं। अपामार्ग के लगभग 10 ग्राम ताजे पत्ते एवं 5 ग्राम हरी दूब को पीस लें। इसे 60 मिली जल में मिलाकर छान लें। इसे गाय के 20 मिली दूध में मिलाकर पिलाएँ। इसमें इच्छानुसार मिश्री मिलाकर सुबह सात दिन तक पिलाएं। यह प्रयोग रोग ठीक होने तक नियमित रूप से करें। इससे गर्भाशय में गांठ (रसौली) की बीमारी ठीक हो जाती है।
सामान्य प्रसव में अपामार्ग (चिचड़ा) से मदद (Apamarg Plant is Beneficial for Normal Pregnancy in Hindi)
महिलाएं प्रसव के समय भी अपामार्ग (चिरचिरा) का उपयोग कर लाभ ले सकती हैं। पाठा, कलिहारी, अडूसा, अपामार्ग में से किसी एक औषधि की जड़ को पीसकर नाभि और योनि पर लेप करें। इससे प्रसव में आसानी होती है।
प्रसव पीड़ा शुरू होने से पहले अपामार्ग की जड़ को एक धागे में बांधकर कमर पर बांधें। इससे प्रसव आसानी से होता है। ध्यान रखें कि प्रसव होते ही जड़ को हटा लें।
अपामार्ग की जड़, पत्ते एवं शाखाओं को पीस लें। इसे योनि पर लेप करने से सामान्य प्रसव में मदद मिलती है।
अपामार्ग के फूलों का पेस्ट बनाकर सेवन करें। इससे प्रजनन से जुड़े रोगों में लाभ होता है।


ल्यूकोरिया में अपामार्ग (चिचड़ा) के सेवन से लाभ (Chirchita Plant Benefits to Cure Leucorrhoea in Hindi)
आयुर्वेदिक चिकित्सक ल्यूकोरिया का इलाज करने के लिए अपामार्ग का प्रमुखता से इस्तेमाल करते हैं। अपामार्ग पंचांग के रस में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर सेवन करने से ल्यूकोरिया ठीक होता है।

अपामार्ग (चिचड़ा) के औषधीय गुण से चेचक का इलाज (Benefits of Chirchita Plant in Fighting with Chickenpox in Hindi)
हल्दी और अपामार्ग की जड़ को बराबर मात्रा में लेकर महीन पीस लें। इसे हाथों-पैरों के नाखूनों और सिर पर तिलक के रूप में लगाें। इससे चेचक नहीं निकलता है। यदि चेचक निकल आया हो तो अपामार्ग (चिरचिरा) की साफ जड़ को पीसकर फुन्सियों पर लगाने से शरीर की जलन शांत हो जाती है।
कुष्ठ रोगों में अपामार्ग (चिचड़ा) से लाभ (Chirchita Plant Uses for Leprosy Treatment in Hindi)
अपामार्ग के भस्म को सरसों के तेल में मिलाकर घाव पर लगाएं। इससे कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है।
अपामार्ग के रस में पिसे हुए मूली के बीज मिला लें। इसका लेप करने से कुष्ठ रोग में फायदा होता है।

अपामार्ग (चिरचिरा) के गुण से साइनस का इलाज (Uses of Apamarga Tree for Sinus Treatment in Hindi)
सज्जीक्षार, सेंधा नमक, चित्रक, दंती, भूम्यामलकी की जड़, श्वेतार्क लें। इसके साथ ही अपामार्ग (चिरचिरा) बीज का पेस्ट और गोमूत्र लें। इसे तेल में पकाएँ। इसका लेप करने से साइनस जल्द ठीक हो जाता है

आधासीसी (माइग्रेन) में फायदेमंद अपामार्ग का इस्तेमाल (Chirchita Plant Uses in Relief from Migraine in Hindi)
अपामार्ग के बीजों के चूर्ण को केवल सूंघने से आधासीसी (माइग्रेन) से आराम मिलता है।
इसको सूंघने से मस्तिष्क के अन्दर जमा हुआ कफ पतला होकर नाक के जरिए निकल जाता है

बहरेपन की समस्या में अपामार्ग (चिरचिटा) से लाभ (Apamarga Plant is Beneficial in Deafness Problem in Hindi)
अपामार्ग (चिरचिरा) की साफ धोई हुई की जड़ (apamarg ki jad) का रस निकालें। इसमें बराबर मात्रा में तिल का तेल मिलाकर आग में पका लें। जब तेल केवल रह जाए तब छानकर शीशी में रख लें। इस तेल को गुनगुना करके रोज 2-3 बूंद कान में डालें। इससे बहरेपन की समस्या का इलाज होता है। इससे कान से मवाद बहना रुक जाता है।
अपामार्ग क्षार का घोल और अपामार्ग के पत्ते का पेस्ट बनाएं। इसमें चार गुना तिल के तेल मिलाएं। इसे पकाएं। इस तेल को 2-2 बूंद कान में डालने से बहरेपन का उपचार होता है। इससे कान के आवाज करने की परेशानी ठीक होती है।

जोड़ों के दर्द में फायदेमंद अपामार्ग (चिरचिरा) का उपयोग (Chirchita Plant Benefits for Arthritis in Hindi)
अपामार्ग के 10-12 पत्तों को पीसकर गर्म कर लें। इन्हें जोड़ों पर बांधें। इससे जोड़ों के दर्द से आराम मिलता है।
जोड़ों के दर्द के साथ-साथ फोड़े-फुन्सी या गांठ वाली जगह पर अपामार्ग (चिरचिरा) के पत्ते पीसकर लेप करने से गांठ धीरे-धीरे दूर हो जाता है।
अपामार्ग की जड़ को पीस लें। इसे जोड़ों के दर्द वाले स्थान पर लगाएं। इससे
अपामार्ग की जड़ का काढ़ा बनाकर सेवन करें। इससे कमर दर्द और जोड़ों के दर्द से आराम मिलता है।
और पढ़ें: जोड़ों के दर्द में बुरांश के फायदे
वजन कम करने के लिए अपामार्ग (चिरचिटा) का सेवन लाभदायक (Benefits of Chirchita Plant for Weight Loss in Hindi)
भोजन उचित तरह से नहीं पचने के कारण भी वजन बढ़ता है। अपामार्ग में दीपन-पाचन गुण होता है। यह भोजन को पचाने में मदद करता है। इससे शरीर के वजन को कम करने में मदद मिलती है।
अपामार्ग (चिचड़ा) से एनीमिया का इलाज (Benefit of Chirchita Plant in Fighting with Anemia in Hindi)
एनीमिया के इलाज में अपामार्ग (चिरचिरा) का औषधीय गुण फायदेमंद है। आप किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से मिलकर आपामार्ग के प्रयोग की जानकारी जरूर लें। इससे एनीमिया का इलाज किया जा सकता है।
अस्थमा में फायदेमंद अपामार्ग (चिरचिरा) का उपयोग (Apamarga Plant Benefits in Fighting with Asthma in Hindi)
वात एवं कफ दोष असंतुलित होने के कारण अस्था जैसी बीमारी होती है। अपामार्ग में वात और कफ दोषों को संतुलित करने का गुण है। इससे अस्थमा में भी फायदा होता है।

जहरीले कीड़े-मकौड़े के काटने पर अपामार्ग (चिरचिटा) से फायदा (Chirchita Plant is Beneficial in Insect Bite in Hindi)
ततैया, बिच्छू और अन्य जहरीले कीड़ों के काटने वाले स्थान पर अपामार्ग (चिरचिरा) पत्ते के रस लगा दें। इससे जहर उतर जाता है।
अपामार्ग के 8-10 पत्तों को पीसकर लुगदी बना लें। इसे कीड़े के काटने वाले स्थान पर लगाएं। इससे घाव बढ़ता नहीं है।
लाल अपामार्ग (चिरचिरा) के फायदे और उपयोग (Red Apamarg Benefits and Uses in Hindi)
लाल अपामार्ग के निम्न फायदे हैंः-
भूख को बढ़ाने के लिए लाल अपामार्ग (चिरचिटा) का सेवन लाभदायक (Chirchita Plant Benefits in Increasing Appetite in Hindi)
भूख बढ़ाने में लाल अपामार्ग (चिरचिरा) के औषधीय गुण फायदेमंद होते हैं। लाल अपामार्ग की जड़ या पंचांग का काढ़ा बना लें। 10-30 मिली मात्रा में काढ़ा का सेवन करें। इससे भूख बढ़ती है।
लाल अपामार्ग (चिरचिटा) के औषधीय गुण से कब्ज से राहत (Benefits of Apamarga Tree in Fighting with Constipation in Hindi)
1-2 ग्राम अपामार्ग (चिरचिरा) के तने और पत्ते के चूर्ण का सेवन करने से कब्ज की बीमारी ठीक होती है। उपाय करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।

मूत्र रोग में फायदेमंद लाल अपामार्ग का सेवन (Chirchita Plant Benefits to Treat Urinary Problems in Hindi)
लाल अपामार्ग (apamarga) के पत्ते से बने 10-30 मिली काढ़ा में चीनी मिला लें। इसका सेवन करने से मूत्र रोग जैसे पेशाब में दर्द होना और पेशाब का रुक-रुक कर आने की परेशानी ठीक होती है।

पेचिश और हैजा में लाल अपामार्ग (चिरचिटा) के सेवन से लाभ (Chirchita Plant Uses to Cure Dysentery and Cholera in Hindi)
लाल अपामार्ग की जड़ या पंचांग का काढ़ा बना लें। इसे 10-30 मिली मात्रा में सेवन करने से पेचिश और हैजा रोग में लाभ होता है

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19/11/2024

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तुलसी अपने पूर्व जन्म में मथुरा के राजा दैत्यराज कालनेमि की पुत्री वृंदा थीं। वृंदा विष्णु भक्त थी। जब वह बड़ी हुई तो उस...
17/11/2024

तुलसी अपने पूर्व जन्म में मथुरा के राजा दैत्यराज कालनेमि की पुत्री वृंदा थीं। वृंदा विष्णु भक्त थी। जब वह बड़ी हुई तो उसका विवाह असुर जलंधर से कर दिया गया। जलंधर को कोई नहीं मार सकता था क्योंकि उसे वरदान था कि जब तक उसकी पत्नी वृंदा पतिव्रता रहेगी तब तक मृत्यु उसे छू भी नहीं सकेगी।

जब भी जलंधर युद्ध के लिए जाता था तो वृंदा पूजा से तब तक नहीं उठती थी जब तक वह घर वापस नहीं आ जाता था। जलंधर ने जब सभी देवताओं को हरा दिया तब देवताओं ने श्रीहरि से सहायता का आग्रह किया। हरि ने जलंधर का रूप धारण किया और उसके महल में चले गये। उन्हें देखकर वृंदा पूजा से उठी और उनके पैर छू लिए। इससे वृंदा की प्रतिज्ञा टूट गई और जलंधर शिव द्वारा पराजित हुआ और मारा गया।

तब वृंदा ने विष्णु को पत्थर बन जाने का श्राप दे दिया। देवताओं ने उनसे अपना श्राप वापस लेने की प्रार्थना की। श्रीहरि ने उन्हें आशीर्वाद दिया और कहा कि उनका पाषाण रूप शालिग्राम कहलाएगा और उसकी पूजा तुलसी के साथ की जाएगी। तभी से श्रीहरि को पहला भोग तुलसी का ही लगाया जाता है। तुलसी विवाह करके उनका सम्मान किया जाता है।

फ़्रांस के ट्रेले नामक वैज्ञानिक ने हवन पर रिसर्च की। जिसमें उन्हें पता चला की हवन मुख्यतःआम की लकड़ी पर किया जाता है। ज...
17/11/2024

फ़्रांस के ट्रेले नामक वैज्ञानिक ने हवन पर रिसर्च की। जिसमें उन्हें पता चला की हवन मुख्यतः

आम की लकड़ी पर किया जाता है। जब आम की लकड़ी जलती है तो फ़ॉर्मिक एल्डिहाइड नामक गैस उत्पन्न होती है। जो कि खतरनाक बैक्टीरिया और जीवाणुओं को मारती है । वातावरण को शुद्द करती है। इस रिसर्च के बाद ही वैज्ञानिकों को इस गैस और इसे बनाने का तरीका पता चला। गुड़ को जलाने पर भी ये गैस उत्पन्न होती है।

टौटीक नामक वैज्ञानिक ने हवन पर की गयी अपनी रिसर्च में ये पाया की यदि आधे घंटे हवन में बैठा जाये अथवा हवन के धुएं से शरीर का सम्पर्क हो तो टाइफाइड जैसे खतरनाक रोग फ़ैलाने वाले जीवाणु भी मर जाते हैं और शरीर शुद्ध हो जाता है।हवन की महत्ता देखते हुए राष्ट्रीय वनस्पति अनुसन्धान संस्थान लखनऊ के वैज्ञानिकों ने भी इस पर एक रिसर्च की । क्या वाकई हवन से वातावरण शुद्द होता है और जीवाणु नाश होता है ? अथवा नही ?

उन्होंने ग्रंथों में वर्णिंत हवन सामग्री जुटाई और जलाने पर पाया कि ये विषाणु नाश करती है। फिर उन्होंने विभिन्न प्रकार के धुएं पर भी काम किया और देखा कि सिर्फ आम की लकड़ी १ किलो जलाने से हवा में मौजूद विषाणु बहुत कम नहीं हुए। पर जैसे ही उसके ऊपर आधा किलो हवन सामग्री डाल कर जलायी गयी तो एक घंटे के भीतर ही कक्ष में मौजूद बैक्टीरिया का स्तर ९४ % कम हो गया।

यही नहीं उन्होंने आगे भी कक्ष की हवा में मौजुद जीवाणुओ का परीक्षण किया और पाया कि कक्ष के दरवाज़े खोले जाने और सारा धुआं निकल जाने के २४ घंटे बाद भी जीवाणुओं का स्तर सामान्य से ९६ प्रतिशत कम था।

बार-बार परीक्षण करने पर ज्ञात हुआ कि इस एक बार के धुएं का असर एक माह तक रहा और उस कक्ष की वायु में विषाणु स्तर 30 दिन बाद भी सामान्य से बहुत कम था।यह रिपोर्ट एथ्नोफार्माकोलोजी के शोध पत्र (resarch journal of Ethnopharmacology 2007) में भी दिसंबर २००७ में छप चुकी है।

रिपोर्ट में लिखा गया कि हवन के द्वारा न सिर्फ मनुष्य बल्कि वनस्पतियों एवं फसलों को नुकसान पहुचाने वाले बैक्टीरिया का भी नाश होता है। जिससे फसलों में रासायनिक खाद का प्रयोग कम हो सकता है ।

जय सनातन धर्म 🙏

फुरसत में ही याद कर लिया करो हमें,,दो पल मांगते हैं....पूरी जिंदगी तो नहीं..!!🌺🌺Good morning all🌺🌺
17/11/2024

फुरसत में ही याद कर लिया करो हमें,,

दो पल मांगते हैं....पूरी जिंदगी तो नहीं..!!

🌺🌺Good morning all🌺🌺

बहुत ही अच्छा लगा पढ़ने के बाद आप लोग भी पढ़िए.... ।।।👇नागासाधूजब अहमद शाह अब्दाली दिल्ली और मथुरा में मार काट करता गोकु...
16/11/2024

बहुत ही अच्छा लगा पढ़ने के बाद आप लोग भी पढ़िए.... ।।।👇

नागासाधू

जब अहमद शाह अब्दाली दिल्ली और मथुरा में मार काट करता गोकुल तक आ गया और लोगों को बर्बरतापूर्वक काटता जा रहा था. महिलाओं के साथ बलात्कार हो रहे थे, तब गोकुल में अहमदशाह अब्दाली का सामना नागा साधुओं से हो गया।

कुछ 5 हजार चिमटाधारी पूज्य नागा साधु तत्काल सेना में तब्दील होकर लाखों की हबसी, जाहिल जेहादी सेना से भिड गए।

पहले तो अब्दाली साधुओं को मजाक में ले रहा था किन्तु कुछ देर में ही अपने सैनिकों के चिथड़े उड़ते देख अब्दाली को एहसास हो गया कि ये साधू तो अपनी धरती की अस्मिता के लिए साक्षात महाकाल बन रण में उतर गए।

तोप तलवारों के सम्मुख चिमटा त्रिशूल लेकर पहाड़ बनकर खड़े 2000 नागा साधू इस भीषण संग्राम में वीरगति को प्राप्त हो गए लेकिन सबसे बड़ी बात ये रही कि दुश्मनों की सेना चार कदम भी आगे नहीं बढ़ा पाई जो जहाँ था वहीं ढेर कर दिया गया या फिर पीछे हटकर भाग गया..

इसके बाद से ऐसा आतंक उठा कि अगर किसी जिहादी आक्रांता को यह पता चलता कि युद्ध में नागा साधू भाग ले रहे हैं तो वह आक्रांता लड़ता ही नहीं था । डर कर दुम दबा कर भाग जाता था।

हमारा इससे बड़ा दुर्भाग्य कुछ नहीं है कि आज हम औरंगजेब, तैमूर,अकबर जैसे बर्बर लुटेरो को तो याद रखते हैं, पर इन भारतीय वीर योद्धाओं के बारें में कुछ नहीं जानते जिन्होंने पग पग पर देश धर्म के लिए अपने बलिदान दिए हैं....

"राष्ट्रहित सर्वोपरि" 💪💪

जय श्री राम 🙏

हर हर महादेव 🔱🙏🚩

विनोबा भावे (Vinoba Bhave) : अहंकार को शून्य करने में प्रार्थना मदद दे सकती है। प्रार्थना कोई यांत्रिक वस्तु नहीं, वह हृ...
16/11/2024

विनोबा भावे (Vinoba Bhave) : अहंकार को शून्य करने में प्रार्थना मदद दे सकती है। प्रार्थना कोई यांत्रिक वस्तु नहीं, वह हृदय की क्रिया है। भगवान् की प्रार्थना में सारे भेदों को भूल जाने का अभ्यास हो जाता।

मौली मंत्र का महत्व येन बध्दो बली राजा दानवेन्दो महाबलः । तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल ।। ‘मौली’ का शाब्दिक अर्थ...
16/11/2024

मौली मंत्र का महत्व येन बध्दो बली राजा दानवेन्दो महाबलः । तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल ।। ‘मौली’ का शाब्दिक अर्थ है ‘सबसे ऊपर’। इसका वैदिक नाम उप मणिबंध है और इसे शास्त्रों के मुताबिक रक्षा सूत्र और कलावा भी कहा जाता है। मौली बांधने से तिनों देवी-देवताओं की कृपा होती है। शास्त्रों के मुताबिक मौली का रंग और उसका एक एक धागा मनुष्य को शक्ति प्रदान करता है। न केवल इसे बांधने से बल्कि मौली से बनाई गई सजावट की वस्तुओं को भी घर में रखने से लाभ होता है और सकारात्मकता आती है।

यूपी के बदायूं जिले में एक सूखे कुएं से नवजात मिला है। बच्चा रो रहा था। उसे निकालने के लिए जब 50 साल के प्रेमराज कुएं मे...
13/11/2024

यूपी के बदायूं जिले में एक सूखे कुएं से नवजात मिला है। बच्चा रो रहा था। उसे निकालने के लिए जब 50 साल के प्रेमराज कुएं में उतरे तो वहां का मंजर देख दंग रह गए। एक सांप बगल में बैठा हुआ था। ऐसा लगा जैसे वह बच्चे की देखभाल कर रहा था। जैसे ही प्रेम और करीब पहुंचे, वह दूर चला गया। बच्चे को निकाला गया और उसकी तबीयत स्थिर बताई जा रही है। कुआं खेत में था और किसी ने बच्चे को लाकर यहां फेंक दिया था लेकिन यह बात सबको चौंका रही है कि सांप ने बच्चे को नुकसान नहीं पहुंचाया। इससे सवाल भी उठते हैं कि क्या सांप भी फीलिंग समझते हैं? क्या सांप और इंसानों की दोस्ती हो सकती है?

रामकृष्ण परमहंस Ramakrishna Paramhansa : धन का घमंड नहीं करना चाहिए। जुगनू सोचते हैं कि हम ही इस संसार को प्रकाश दे रहे ...
13/11/2024

रामकृष्ण परमहंस Ramakrishna Paramhansa : धन का घमंड नहीं करना चाहिए। जुगनू सोचते हैं कि हम ही इस संसार को प्रकाश दे रहे हैं। मगर नक्षत्रों का उदय होते ही जुगनूओं का घमंड शान्त हो जाता है। तब नक्षत्रों को Ghamand होता है कि वे ही जगत को प्रकाश दे रहे हैं, पर जब चन्द्रमा उदय होता है, तब नक्षत्र भी मलीन हो जाते हैं। सूर्योदय होने पर चन्द्रमा भी

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