Pramodpawan

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Aacharya Pramod Mishra
( ||"अप्प दिपो भवः"|| ) सनातन धर्म 🙏🚩🙏 Buisnessman
(1)

04/02/2025
02/02/2025
31/01/2025

🙏 #बन्दर_और_सुगरी 🙏

सुन्दर वन में ठण्ड दस्तक दे रही थी , सभी जानवर आने वाले कठिन मौसम के लिए तैयारी करने में लगे हुए थे . सुगरी चिड़िया भी उनमे से एक थी , हर साल की तरह उसने अपने लिए एक शानदार घोंसला तैयार किया था और अचानक होने वाली बारिश और ठण्ड से बचने के लिए उसे चारो तरफ से घांस -फूंस से ढक दिया था .

सब कुछ ठीक चल रहा था कि एक दिन अचानक ही बिजली कड़कने लगी और देखते – देखते घनघोर वर्षा होने लगी , बेमौसम आई बारिश से ठण्ड भी बढ़ गयी और सभी जानवर अपने -अपने घरों की तरफ भागने लगे . सुगरी भी तेजी दिखाते हुए अपने घोंसले में वापस आ गई , और आराम करने लगी . उसे आये अभी कुछ ही वक़्त बीता था कि एक बन्दर खुद को बचाने के लिए पेड़ के नीचे आ पहुंचा .

सुगरी ने बन्दर को देखते ही कहा – “ तुम इतने होशियार बने फिरते हो तो भला ऐसे मौसम से बचने के लिए घर क्यों नहीं बनाया ?” यह सुनकर बन्दर को गुस्सा आया लेकिन वह चुप ही रहा और पेड़ की आड़ में खुद को बचाने का प्रयास करने लगा .

थोड़ी देर शांत रहने के बाद सुगरी फिर बोली, ” पूरी गर्मी इधर उधर आलस में बिता दी…अच्छा होता अपने लिए एक घर बना लेते!!!” यह सुन बन्दर ने गुस्से में कहा, ” तुम अपने से मतलब रखो , मेरी चिंता छोड़ दो .”
सुगरी शांत हो गयी.

बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी और हवाएं भी तेज चल रही थीं, बेचारा बन्दर ठण्ड से काँप रहा था, और खुद को ढंकने की भरसक कोशिश कर रहा था.पर सुगरी ने तो मानो उसे छेड़ने की कसम खा रखी थी, वह फिर बोली, ” काश कि तुमने थोड़ी अकल दिखाई होती तो आज इस हालत….”

सुगरी ने अभी अपनी बात ख़तम भी नहीं की थी कि बन्दर बौखलाते हुए बोला, ” एक दम चुप, अपना ये बार-बार फुसफुसाना बंद करो ….. ये ज्ञान की बाते अपने पास रखो और पंडित बनने की कोशिश मत करो.” सुगरी चुप हो गयी.

अब तक काफी पानी गिर चुका था , बन्दर बिलकुल भीग गया था और बुरी तरह काँप रहा था. इतने में सुगरी से रहा नहीं गया और वो फिर बोली , ” कम से कम अब घर बनाना सीख लेना.” इतना सुनते ही बन्दर तुरंत पेड़ पर चढ़ने लगा ,……. “भले मैं घर बनाना नहीं जानता लेकिन मुझे तोडना अच्छे से आता है..”, और ये कहते हुए उसने सुगरी का घोंसला तहस नहस कर दिया. अब सुगरी भी बन्दर की तरह बेघर हो चुकी थी और ठण्ड से काँप रही थी..

✍प्रमोद

31/01/2025

#साप्ताहिक_ज्ञान_यज्ञ_रायपुर_छत्तीसगढ़

30/01/2025
🙏 #लकड़ी_का_कटोरा 🙏एक  वृद्ध  व्यक्ति अपने  बहु – बेटे  के  यहाँ  शहर  रहने  गया . उम्र  के  इस  पड़ाव  पर   वह  अत्यंत ...
19/01/2025

🙏 #लकड़ी_का_कटोरा 🙏
एक वृद्ध व्यक्ति अपने बहु – बेटे के यहाँ शहर रहने गया . उम्र के इस पड़ाव पर वह अत्यंत कमजोर हो चुका था , उसके हाथ कांपते थे और दिखाई भी कम देता था . वो एक छोटे से घर में रहते थे , पूरा परिवार और उसका चार वर्षीया पोता एक साथ डिनर टेबल पर खाना खाते थे . लेकिन वृद्ध होने के कारण उस व्यक्ति को खाने में बड़ी दिक्कत होती थी . कभी मटर के दाने उसकी चम्मच से निकल कर फर्श पे बिखर जाते तो कभी हाँथ से दूध छलक कर मेजपोश पर गिर जाता .

बहु -बेटे एक -दो दिन ये सब सहन करते रहे पर अब उन्हें अपने पिता की इस काम से चिढ होने लगी . “ हमें इनका कुछ करना पड़ेगा ”, लड़के ने कहा . बहु ने भी हाँ में हाँ मिलाई और बोली ,” आखिर कब तक हम इनकी वजह से अपने खाने का मजा किरकिरा रहेंगे , और हम इस तरह चीजों का नुक्सान होते हुए भी नहीं देख सकते .”

अगले दिन जब खाने का वक़्त हुआ तो बेटे ने एक पुरानी मेज को कमरे के कोने में लगा दिया , अब बूढ़े पिता को वहीँ अकेले बैठ कर अपना भोजन करना था . यहाँ तक की उनके खाने के बर्तनों की जगह एक लकड़ी का कटोरा दे दिया गया था , ताकि अब और बर्तन ना टूट -फूट सकें . बाकी लोग पहले की तरह ही आराम से बैठ कर खाते और जब कभी -कभार उस बुजुर्ग की तरफ देखते तो उनकी आँखों में आंसू दिखाई देते . यह देखकर भी बहु-बेटे का मन नहीं पिघलता ,वो उनकी छोटी से छोटी गलती पर ढेरों बातें सुना देते . वहां बैठा बालक भी यह सब बड़े ध्यान से देखता रहता , और अपने में मस्त रहता .

एक रात खाने से पहले , उस छोटे बालक को उसके माता -पिता ने ज़मीन पर बैठ कर कुछ करते हुए देखा , “तुम क्या बना रहे हो ?” पिता ने पूछा ,

बच्चे ने मासूमियत के साथ उत्तर दिया , “ अरे मैं तो आप लोगों के लिए एक लकड़ी का कटोरा बना रहा हूँ , ताकि जब मैं बड़ा हो जाऊं तो आप लोग इसमें खा सकें .” ,और वह पुनः अपने काम में लग गया . पर इस बात का उसके माता -पिता पर बहुत गहरा असर हुआ ,उनके मुंह से एक भी शब्द नहीं निकला और आँखों से आंसू बहने लगे . वो दोनों बिना बोले ही समझ चुके थे कि अब उन्हें क्या करना है . उस रात वो अपने बूढ़े पिता को वापस डिनर टेबल पर ले आये , और फिर कभी उनके साथ अभद्र व्यवहार नहीं किया ..

✍Pramodpawan

🙏 #सबसे_कीमती_चीज🙏एक जाने-माने स्पीकर ने हाथ में पांच सौ का नोट लहराते हुए अपनी सेमीनार शुरू की. हाल में बैठे सैकड़ों लो...
19/01/2025

🙏 #सबसे_कीमती_चीज🙏

एक जाने-माने स्पीकर ने हाथ में पांच सौ का नोट लहराते हुए अपनी सेमीनार शुरू की. हाल में बैठे सैकड़ों लोगों से उसने पूछा ,” ये पांच सौ का नोट कौन लेना चाहता है?” हाथ उठना शुरू हो गए.

फिर उसने कहा ,” मैं इस नोट को आपमें से किसी एक को दूंगा पर उससे पहले मुझे ये कर लेने दीजिये .” और उसने नोट को अपनी मुट्ठी में चिमोड़ना शुरू कर दिया. और फिर उसने पूछा,” कौन है जो अब भी यह नोट लेना चाहता है?” अभी भी लोगों के हाथ उठने शुरू हो गए.

“अच्छा” उसने कहा,” अगर मैं ये कर दूं ? ” और उसने नोट को नीचे गिराकर पैरों से कुचलना शुरू कर दिया. उसने नोट उठाई , वह बिल्कुल चिमुड़ी और गन्दी हो गयी थी.

” क्या अभी भी कोई है जो इसे लेना चाहता है?”. और एक बार फिर हाथ उठने शुरू हो गए.

” दोस्तों , आप लोगों ने आज एक बहुत महत्त्वपूर्ण पाठ सीखा है. मैंने इस नोट के साथ इतना कुछ किया पर फिर भी आप इसे लेना चाहते थे क्योंकि ये सब होने के बावजूद नोट की कीमत घटी नहीं,उसका मूल्य अभी भी 500 था.

जीवन में कई बार हम गिरते हैं, हारते हैं, हमारे लिए हुए निर्णय हमें मिटटी में मिला देते हैं. हमें ऐसा लगने लगता है कि हमारी कोई कीमत नहीं है. लेकिन आपके साथ चाहे जो हुआ हो या भविष्य में जो हो जाए , आपका मूल्य कम नहीं होता. आप स्पेशल हैं, इस बात को कभी मत भूलिए.

कभी भी बीते हुए कल की निराशा को आने वाले कल के सपनो को बर्बाद मत करने दीजिये. याद रखिये आपके पास जो सबसे कीमती चीज है, वो है आपका जीवन.”
✍Pramod

🙏 #अंधा_घोड़ा 🙏शहर के नज़दीक बने एक farm house में दो घोड़े रहते थे. दूर से देखने पर वो दोनों बिलकुल एक जैसे दीखते थे , ...
19/01/2025

🙏 #अंधा_घोड़ा 🙏

शहर के नज़दीक बने एक farm house में दो घोड़े रहते थे. दूर से देखने पर वो दोनों बिलकुल एक जैसे दीखते थे , पर पास जाने पर पता चलता था कि उनमे से एक घोड़ा अँधा है. पर अंधे होने के बावजूद farm के मालिक ने उसे वहां से निकाला नहीं था बल्कि उसे और भी अधिक सुरक्षा और आराम के साथ रखा था. अगर कोई थोडा और ध्यान देता तो उसे ये भी पता चलता कि मालिक ने दूसरे घोड़े के गले में एक घंटी बाँध रखी थी, जिसकी आवाज़ सुनकर अँधा घोड़ा उसके पास पहुंच जाता और उसके पीछे-पीछे बाड़े में घूमता. घंटी वाला घोड़ा भी अपने अंधे मित्र की परेशानी समझता, वह बीच-बीच में पीछे मुड़कर देखता और इस बात को सुनिश्चित करता कि कहीं वो रास्ते से भटक ना जाए. वह ये भी सुनिश्चित करता कि उसका मित्र सुरक्षित; वापस अपने स्थान पर पहुच जाए, और उसके बाद ही वो अपनी जगह की ओर बढ़ता.

दोस्तों, बाड़े के मालिक की तरह ही भगवान हमें बस इसलिए नहीं छोड़ देते कि हमारे अन्दर कोई दोष या कमियां हैं. वो हमारा ख्याल रखते हैं और हमें जब भी ज़रुरत होती है तो किसी ना किसी को हमारी मदद के लिए भेज देते हैं. कभी-कभी हम वो अंधे घोड़े होते हैं, जो भगवान द्वारा बांधी गयी घंटी की मदद से अपनी परेशानियों से पार पाते हैं तो कभी हम अपने गले में बंधी घंटी द्वारा दूसरों को रास्ता दिखाने के काम आते हैं..

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