20/10/2023
प्रति,
कांग्रेस अध्यक्ष, एवं भा. ज. पा. अध्यक्ष
छत्तीसगढ़ राजनैतिक पार्टी रायपुर
२१ अक्टूबर २०२३
उचित सम्मान के साथ, छत्तीसगढ़ में चुनाव की पूर्व तिथि के संबंध में है जो 07 और 17 नवंबर, 2023 को होने जा रहे हैं जो निम्नलिखित कारणों से अनुचित प्रतीत होते हैं !
1. छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है। राज्य के किसान ज्यादातर मानसून की फसलों पर निर्भर रहते हैं जो आमतौर पर नवंबर में तैयार हो जाती है और इसकी कटाई दिसंबर तक चलती है। किसान इसे दिसंबर के महीने में ही सरकारी गोदामों या बाज़ारों में ले जाकर बेच देते हैं। इस दौरान किसी भी किसान के पास दूसरे काम करने के लिए एक दिन का भी समय नहीं रहता । वे बाकी सभी काम बाद के लिए टालते रहते हैं क्योंकि इसी समय हर साल अक्सर बारिश की आशंका बानी रहती है ! इसलिए, जैसे ही फसल तैयार हो जाती है वे उसकी कटाई और अपना अनाज बेचना ज़रूरी समझते है !
2. अगर सरकार इन दिनों के बीच में वोटिंग कराती है. वोटरों की संख्या कम हो जाएंगी ! हालाँकि इसका असर सरकार या किसी भी राजनीतिक दल पर नहीं पड़ेगा क्योंकि यह निश्चित है कि उनमें से कोई एक अवश्य चुना जाएगा। इसीलिए हर किसान वोटिंग करना ज़रूरी नहीं समझता !
3. मौजूदा मुख्यमंत्री ने 17 दिसंबर, 2018 को शपथ ली थी। इसलिए, यदि आचार संहिता अक्टूबर के पहले सप्ताह में लागू होती है, तो इसका मतलब यह होता है कि राज्य की ढाई महीने की विकास सीधे प्रभावित हो जाएंगी !
4. छत्तीसगढ़ एक छोटा सा राज्य है जहां 90 विधानसभाएं हैं जहां दो चरणों में वोटिंग कराई जाएगी जबकि राजस्थान और मध्य प्रदेश में 200 से ज्यादा सीटें हैं जहां एक बार में वोटिंग कराई जाएगी. छत्तीसगढ़ में भी एक साथ चुनाव क्यों नहीं ?
5. ये सिर्फ छत्तीसगढ़ की बात नहीं है बल्कि उन सारे कृषि प्रधान राज्यों से भी है ! जिस पर वहां के राजनेताओ को गंभीरता से सोचना चाहिए ! क्योकि चुनाव से पहले हर पार्टी ये साबित करने में लगी रहती है की वो सबसे अच्छे समझदार और शुभचिंतक है !
6. चुनाव रविवार को ही कराया जाना चाहिए क्योंकि इससे सभी शिक्षकों को चुनाव में सेवा देने के लिए सरकार रुपये देती है !! और अगर यही चुनाव रविवार को होती है तो हफ्ते के पुरे कार्यरत दिवस का उपयोग हो सकता है और इतने सारे बच्चो की सभी कक्षाएं भी लगायी जा सकती है !
7. अगर रविवार को चुनाव होता है तो प्राइवेट कंपनी या फैक्ट्री में काम करने वाले सभी मजदूर और कर्मचारी भी वोटिंग में अच्छे से भाग ले सकते है !
8. रविवार को अधिकांश व्यापारी अपना दुकान या व्यवसाय को एक दिन के लिए बंद रखते है उन सबके आने की अधिक सम्भावनाये बढ़ जाएंगी !
9. रविवार के चुनाव होने से सारे कॉलेज के विद्यार्थी पूरी तरह से भाग लेंगे !
10. अगर चुनाव दिसंबर के अंत में होता है तो अपनी अनाज बेचने के बाद सारे किसान पूरी तरह से वोटिंग में हिस्सा लेंगे !
11. पिछले कई पांच वर्षीय चुनावो में वोटिंग प्रतिशत निकला गया है तो लगभग ६० से ६५ प्रतिशत ही वोट पड़ते है !! दिसंबर के अंत में और रविवार को करा के देखिये वोटिंग प्रतिशत ६५ से बढाकर ९०% तक अधिकतम हो सकती है !
12. किसानो और व्यापारियों के शुभ चिंतक होने के साथ साथ पुरे प्रदेश की ज़िम्मेदारी निभाते हुए ये प्रयोग एक बार ज़रूर कीजिये !!
13. चुनाव की तारीख का चयन राज्य की निर्वाचन आयोग और राजनीतिक दलों की उपस्थिति में किया जाना चाहिए।
14. यह कैसी विडंबना है कि इनमे से लगभग हर नेताओ के पास खेती होंगी फिर भी ये सरकार और राजनेता इसे बराबर नजरअंदाज कर रहे हैं !. ये वही राजनेता हैं जो विपक्ष के अच्छे फैसले के बावजूद भी विरोध में खड़े हो जाते हैं !
चुनाव की तिथि परिवर्तन संभव है क्योंकि ये तिथियां मानव द्वारा तय की गई थीं, इसे वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए एक नहीं बल्कि जब कभी भी ज़रूरत पड़े परिवर्तन कर देना चाहिए !
यदि हम चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण की तिथि परिवर्तन और यहां तक कि सूर्य के चारों ओर घूमने वाली पृथ्वी की गति के बढ़ने या घटने की बात करें तो यह संभव नहीं हैं, क्योंकि ये प्राकृतिक प्रक्रियाएं हैं।
इसलिए आप सभी से सनम्र निवेदन की आप लोग चुनाव की तारीख को कृपया २४ और ३१ दिसंबर या ३१ दिसंबर के लिए छत्तीसगढ़ या केंद्र सरकार के चुनाव आयोग के पास जाकर निवेदन करे और अगर ना माने तो सीधे हाई कोर्ट में याचिका दायर करे !! फिर दो तीन दिन का समय में ही शपथ ग्रहण भी कर ले !! बाकी आप समझदार है !
अगर मै छत्तीसगढ़ में होता तो ये काम ज़रूर करता !!
ये केंद्र के चुनाव आयोग दिल्ली में बैठकर कोई भी तारीख दे और अगर वो तर्क सांगत नहीं लगे तो विरोध या निवेदन करने का कष्ट करे !
धन्यवाद !
मिथलेश कुमार साहू