16/05/2023
मुझे यह बीस हज़ार रूपये का माल दिखाई दे रहा है पर राजस्थान के किसान के लिए आज इसका कोई मतलब नहीं ।
मैंने सांगरी से लकदक ऐसी खेजड़ियाँ देखीं तो किसानों से पूछा कि आपने इन सागरियों को यूँ क्यों छोड़ रखा है । अक्सर वे चुप रहते हैं या कहते हैं कि कौन इनको तोड़े और कहाँ बेचें ।
मैं उनको बताता हूँ कि इनकी सही क़ीमत एक हज़ार रूपये किलो है और एक खेजड़ी से बीस से चालीस किलो सांगरी हो सकती है । वे विश्वास नहीं करते !
फिर मैं उनको बताता हूँ कि अभिनव राजस्थान में सरकार इसकी जमकर मार्केटिंग करेगी और पूरी दुनिया को हम यह रिच फ़ूड बेचेंगे - एकदम आर्गेनिक । स्वास्थ्य से भरपूर । पोषण की ख़ान । हमारा खर्च केवल इनको तोड़ने का आएगा - बाक़ी तो खेत खेत में ये कुदरती रूप से खड़ी हैं और पानी देने की ज़रूरत नहीं । सेव के बागों की तरह खेजड़ी के बाग होंगे ये ।
आपके खेत या बाड़े में दस बीस खेजड़ी होंगी तो एक दो लाख की आमदनी हो जाएगी । राजस्थान तभी मालामाल होगा जापान की तरह । हमने बिना वजह हार मानी हुई है ।
लेकिन बड़े स्तर पर मार्केटिंग करनी होगी - इक्का दुक्का NGO टाइप प्रयास से मामला बैठेगा नहीं । कुछ लोग इसे महँगा बेच भी रहे हैं पर बहुत कम । बोले जीका बोबरा बिके और नहीं तो जुआर पड़ी रे जावे !
जल्दी मेरे समर्थन में कूद जाओ राजस्थानियों । हमेशा धोखे खाए हैं, आगे भी खाओगे । एक बार धोखा ही सही, इस आदमी के नाम पर खा लो ! पहले वालों को देखा हुआ है, इस बार इसे आज़मा लो - ऐसी बातें और कोई नहीं करता - क्या पता कुछ अच्छा परिणाम आ जाए - आएगा ही अगर सोच समझकर साथ दोगे ।
गर्व है राजस्थान पर , यहाँ की प्रकृति पर और उसके वरदान पर - खेजड़ी, केर, बेर, ग्वार, तिल, ऊँटनी का दूध, बाजरी पर ।