Madhya Pradesh Media Monitor

Madhya Pradesh Media Monitor We keep watch on media, mostly, in MP and even outside. Media is flooded with lots of misinformation

आरोपी की गिरफ्तारी हो गई, ये अच्छी खबर है, सिक्योरिटी मजबूत रहना चाहिए आयुष जायसवाल जैसे लोग जो दहशत फैलाने का काम करते ...
05/01/2025

आरोपी की गिरफ्तारी हो गई, ये अच्छी खबर है, सिक्योरिटी मजबूत रहना चाहिए आयुष जायसवाल जैसे लोग जो दहशत फैलाने का काम करते हैं, उन पर सख्त धाराएं लगें, ताकि ऐसे तत्व सबक लें, इस तरह की हरकतें न करें...

Ayush Jaiswal who threatened to kill so many people in Kumbh at Prayagraj, has been arrested. Tough action needed against such culprits, so that others take lesson & not act in this manner...

परसों भोपाल गैस त्रासदी की बरसी है.अभी तक हम यह सुनते रहे हैं कि यूनियन कार्बाइड के खिलाफ सबसे पहले आवाज किसी पत्रकार ने...
01/12/2024

परसों भोपाल गैस त्रासदी की बरसी है.अभी तक हम यह सुनते रहे हैं कि यूनियन कार्बाइड के खिलाफ सबसे पहले आवाज किसी पत्रकार ने उठाई थी. लेकिन पीटीआई कि यह खबर बताती है कि यूनियन कार्बाइड के खिलाफ सबसे पहले आवाज उठाने वाले कोई और नहीं, हम सब के शाहनवाज खान साहब एडवोकेट थे. सबसे पहले उन्हें ने इस खतरे से आगाह किया था. आप भी पढ़ सकते हैं.यह खबर पत्रकार Lamuel Lal ने की है.

Day after tomorrow is the anniversary of the Bhopal gas tragedy. Till now we have been hearing that a journalist was the first to raise voice against Union Carbide. But this news from PTI tells us that the first person to raise his voice against Union Carbide was none other than our advocate Shahnawaz Khan sahab. He was the first to warn the administration about this danger. You may also read this news. This news has been done by journalist Lamuel Lal.

Instead of putting its house in order by overhauling its safety apparatus, the UCIL on April 29, 1983, in a strongly-worded reply to Khan, dismissed his concerns and charges as 'baseless'.

पीपुल्स समाचार भोपाल संस्करण के क्राइम रिपोर्टर suboor khan की रिपोर्ट। ठगी से बचें अगर आपके साथ भी हुआ है साइबर अपराध त...
28/10/2024

पीपुल्स समाचार भोपाल संस्करण के क्राइम रिपोर्टर suboor khan की रिपोर्ट। ठगी से बचें अगर आपके साथ भी हुआ है साइबर अपराध तो तत्काल इसकी जानकारी नजदीकी साइबर पुलिस में दें।

Abdul Suboor

युवा पत्रकार अंकिता आनंद जिंदगी की जंग हार गईं। कुछ दिन पूर्व में एक्सीडेंट होने से वह कोमा में चली गईं थी। उन्होंने माख...
21/10/2024

युवा पत्रकार अंकिता आनंद जिंदगी की जंग हार गईं। कुछ दिन पूर्व में एक्सीडेंट होने से वह कोमा में चली गईं थी। उन्होंने माखनलाल विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की डिग्री हासिल की और भोपाल में फ्रीप्रेस अखबार में पत्रकारिता का हुनर दिखाया। भोपाल के बाद उन्होंने देश की राजधानी दिल्ली की तरफ अपनी पत्रकारिता के सफर को जारी रखा और वहां देश के प्रतिष्ठित मीडिया समूह टाइम्स ग्रुप में रिपोर्टिंग शुरू की। पत्रकार बिरादरी के लिए ये बहुत भावुक पल है। उनको जानने वाले सभी लोगों की आँखें नम हैं।

वरिष्ट पत्रकार योगेंद्र चंदेल लिखते हैं

और Ankita Anand ये जंग हार गयी।
बहुत प्यारी छोटी बहन और एक उभरती हुई शानदार पत्रकार अंकिता उर्फ छोटी अब इस दुनिया को अलविदा कह दी। अपने शर्तों पर जीवन जीने वाली अंकिता दिल्ली में एक रोड एक्सीडेंट में कुछ महीने पहले गंभीर घायल हो गयी थी। हालांकि, प्राथमिक सर्जरी सक्सेस रही। लेकिन तीन दिन पहले सर्जरी के दौरान कोमा में चली गयी और फिर लौट के नही आई।
छोटी, जितना अपने जीवन के शर्तों के लिए प्रतिबद्ध थी, उतना ही अपने काम को लेकर जुनूनी थी। हम दोनों ने करीब एक साल फ्री प्रेस में साथ में काम किया था।

बहुत याद आएगी छोटी, जहां भी रहना ऐसे ही मुस्कुराते और बिंदास रहना।

गाजियाबाद में एक बड़ा खुलासा सामने आता है। लेकिन डेस्क मीडिया के मज़दूर अपनी मानसिकता का परिचय देते हुए खबर को किस तरह स...
18/10/2024

गाजियाबाद में एक बड़ा खुलासा सामने आता है। लेकिन डेस्क मीडिया के मज़दूर अपनी मानसिकता का परिचय देते हुए खबर को किस तरह से बदलने की कोशिश करते हैं ये उसका सटीक उदाहरण है।

गाजियाबाद में एक हिंदू परिवार में खाना बनाने वाली अपना मूत्र मिलकर रोटी बनाती थी। लेकिन मीडिया जगत में कहीं भी हेडिंग में इस तरह से खबर को नहीं लिखा गया। मजहब को आधार बनाकर मीडिया ने समाज में बहुत बड़ी नफरत की खाई बना दी है। जिसको अब भरपाना मुश्किल है।

मध्य प्रदेश में दो दशक से बीजेपी सत्ता में है। शिक्षा और कौशलता को लेकर क्या हाल है ये खबर खुद बयां कर रही है। मध्यप्रदे...
01/10/2024

मध्य प्रदेश में दो दशक से बीजेपी सत्ता में है। शिक्षा और कौशलता को लेकर क्या हाल है ये खबर खुद बयां कर रही है।

मध्यप्रदेश में करीब सवा लाख इंजीनियर और 16 हजार एमबीए क्वालिफाइड युवा बेरोजगार हैं। सात हजार डॉक्टरों के पास भी कमाई का जरिया नहीं है। ग्रेजुएट्स और पोस्ट ग्रेजुएट्स को जोड़ लें तो ये संख्या 11 लाख 70 हजार के पार पहुंच जाती है। बड़ी बात ये है कि ये आंकड़े सरकारी हैं। असल में बेरोजगारों की तादाद इससे कहीं ज्यादा हो सकती है।

ये हाल तब है, जब प्रदेश में बीते डेढ़ साल में 733 रोजगार मेले लगाए जा चुके हैं। हाल ही में 25 सितंबर को भोपाल में आयोजित रोजगार मेले में पहुंचे मैकेनिकल इंजीनियर हिमांशु को भी मायूसी ही हाथ लगी है। हिमांशु ने कहा, 'मैं पिछले तीन साल से जॉब फेयर में आ रहा हूं। मेरी योग्यता के हिसाब से यहां जॉब ही नहीं है। यहां जितनी कंपनियां आती हैं, वो सब सेल्स और मार्केटिंग का टारगेट बेस काम करवाती हैं। टारगेट पूरा नहीं होता तो कंपनियां बाहर का रास्ता दिखा देती हैं।'

Bhopal: Veteran journalist Sumer Singh Yaduvanshi has joined as group editor,   group of publications.
10/09/2024

Bhopal: Veteran journalist Sumer Singh Yaduvanshi has joined as group editor, group of publications.

SERIOUS ISSUE.
09/02/2024

SERIOUS ISSUE.

Discrimination towards girl child is a major social issue. The man had stealthily taken away the baby girl and thrown her in bushes.

After grilling, he told that his first child was a daughter & as second kid born was also daughter, he took the step. Rohit lives in Indore.

Computer operator by profession, he earlier tried to mislead & said that dogs often take away kids.

अखबार की हैडलाइन का प्रभाव जनता पर बहुत अधिक होता है। जो बात या आंकड़ें कह दिए जाते हैं वह मीडिया के बड़े बड़े अखबार प्र...
28/01/2024

अखबार की हैडलाइन का प्रभाव जनता पर बहुत अधिक होता है। जो बात या आंकड़ें कह दिए जाते हैं वह मीडिया के बड़े बड़े अखबार प्रकाशित कर देते हैं। मध्य प्रदेश में वर्ष 2004 के बाद जबसे भाजपा सरकार सत्ता में रही है तब से लेकर अब तक कई इंवेस्टर्स समिट हुईं हैं।

समिट होने से पहले रोज़गार देने के आंकड़ों वाली खबरे बहुत प्रकाशित की जाती हैं। लेकिन समिट होने के बाद कोई नहीं पूछता क्य़ा तय लक्ष्य को हासिल किया गया या सिर्फ पेपर में हवाबाज़ी की गई। अखबार को करोड़ों रुपए के विज्ञापन मिलते हैं जिसे हज़म करने के बाद सरकार से रोज़गार कितने लोगों को मिला या नहीं इसपर कोई सवाल नहीं करता।

जबकि विधानसभा में आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 6 जून, 2020 से 9 जून 2023 के बीच 2,715 घोषणाएं की। (37 महीने)

वर्षवार घोषणाएँ

- जून 2020 से दिसंबर 2020 - 489
- 2021 - 878
- 2022 - 753
- 2023 से 9 जून तक - 592

एक माह में 73 घोषणाएं।

उनमें से कितनी घोषणाएं पुरी हुई, इसकी कोई जानकारी नहीं है।

*देश में दंगा भड़काने की साजिश नाकाम शुक्रिया एसटीएफ* 💐 *देश* की एक विशेषता ये भी है की मज़हब की बुनियाद पर नफ़रत फैलाने की...
05/01/2024

*देश में दंगा भड़काने की साजिश नाकाम शुक्रिया एसटीएफ*
💐 *देश* की एक विशेषता ये भी है की मज़हब की बुनियाद पर नफ़रत फैलाने की नाकाम कोशिश तो की जा सकती है,लेकिन कामयाब नही की जा सकती !
⬛ देश की कानून व्यवस्था और सविधान देश की आत्मा है और इस तरह की घिनौनी हरकतें केवल वही करते है जो देश की आत्मा को झंझोडना चाहते है !
देश की एकता सम्प्रुभता को तोड़ना चाहते है !
🔥आख़िर इस तरह किसी एक मज़हब और उस के अनुयायीयो को बदनाम करने वाले कौन है ?
🔥किस की ज़हरीली मानसिकता की उपज है ओमप्रकाश मिश्रा व ताहर सिंह ?
🔥कौन सा देसी व विदेशी संघठन है जिस की हाथों की कठपुतिल्या बन रहे है इन जैसे युवा ?
⬛मुल्क तब बनता है जब एक स्थान पर विभन्न समाज,सम्प्रदाय,जाति,समहू के लोग विभन्न संस्कृतियों पोषकों (कपड़ो ) में एक साथ रहते है ! वरना तो जंगल में सभी जानवर नंगे घुमाते है !
⬛इस तरह के भटकते लोगों और संघठनो को इस बात पर गौर करना चाहिए की *वे इंसानी समाज में रहना चाहते है या जानवरों के झुंड में !*
✍️आबिद मोहम्मद खान
कशाना टाइम्स भोपाल

02/08/2023

Indscribe's blog. News and Views about Indian Muslims. Posts on social, political issues, current affairs and Urdu poetry. Lucknow, Bhopal, Hyderabad

पाठकों के साथ ये धोखा हैदेश के सबसे बड़े अखबार समूह Dainik Bhaskar देश का सबसे विश्वसनीय अखबार होने का दावा करता है। जयप...
01/08/2023

पाठकों के साथ ये धोखा है

देश के सबसे बड़े अखबार समूह Dainik Bhaskar देश का सबसे विश्वसनीय अखबार होने का दावा करता है। जयपुर – मुंबई एक्सप्रेस में हुए 'तालिबानी' कांड में आरोपी पुलिस वाले ने हत्या करने के बाद सियासी भाषण दिया। जो कहा वो अंग्रेजी के बहुत से अखबार ने जस का तस प्रकाशित किया है। लेकिन देश का सबसे विश्वसनीय अखबार अपने आका का नाम प्रकाशित करने में डर गया। भास्कर ने पूरी खबर को अंडरप्ले तो किया है साथ ही हत्या करने के बाद आरोपी ने जो कहा वो नाम नही प्रकाशित ने।

इससे पता चलता है इन अखबारों में किस तरह से सेलेक्टिव रिपोर्टिंग और डेस्क वर्क किया जाता है। हत्या करने वाले अगर किसी और मजहब से होते तो ये अखबार आतंक, तालिबानी, और जासूसी जैसे लफ्जों से भर जाता। लेकिन इस केस में रिपोर्टिंग देखिए किस तरह से आका का नाम नही प्रकाशित किया गया। ये होता है हिंदी पट्टी को मैनेज करना। भास्कर का असर बड़ी आबादी पर है।

नाम तो लिखो, तस्वीर छापो, देखें कौन दरिंदा हैदेखिए हेडलाइंस, किस तरह से सारा फोकस सिर्फ मृतक पर है, आरोपी की तस्वीर तक न...
26/02/2023

नाम तो लिखो, तस्वीर छापो, देखें कौन दरिंदा है

देखिए हेडलाइंस, किस तरह से सारा फोकस सिर्फ मृतक पर है, आरोपी की तस्वीर तक नहीं छापी गई है, वरना हेडलाइंस में आरोपी की बड़ी तस्वीर और उसके साथ भारी-भरकम शब्दावली और वह दरिंदा या वहशी लिखा जाता है, इस मामले में तो सब कुछ दिया गया वैसे आरोपी का नाम आशुतोष श्रीवास्तव है

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील ने दैनिक भास्कर अखबार को नोटिस भेजा है और अखबार मालिक को यह कहा है कि अखबार ने भ्रामक अपुष्...
01/02/2023

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील ने दैनिक भास्कर अखबार को नोटिस भेजा है और अखबार मालिक को यह कहा है कि अखबार ने भ्रामक अपुष्ट और इस तरह की खबर छापी, जो उनकी छवि को बिगाड़ती है, 24 घंटे के अंदर लिखित अपॉलिजी यानी माफी मांगे वरना लाइबल सूट के लिए तैयार रहें, 5 करोड़ के डैमेज....

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