Bhanupratap chhipa

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आज आपको विस्तार से नागा साधुवो के बारे में बताएँगे ।हिमालय और गुफाओं में रहते है।नागा साधु लोगो के बीच बहुत काम आते है। ...
16/01/2025

आज आपको विस्तार से नागा साधुवो के बारे में बताएँगे ।
हिमालय और गुफाओं में रहते है।
नागा साधु लोगो के बीच बहुत काम आते है। ये किसी अखाड़े, आश्रम या किसी मंदिर से भी जुड़े होते है,ये अक्सर समूह में रहते है। कुछ तप करने के लिए हिमालय और गुफाओं में चले जाते है।
वह अर्धकुंभ, महाकुंभ में निर्वस्त्र रहकर हुंकार भरते हैं, शरीर पर भभूत लपेटते हैं, नाचते गाते हैं, डमरू ढपली बजाते हैं लेकिन कुंभ खत्म होते ही गायब हो जाते हैं। आखिर क्या है नागाओं की रहस्यमयी दुनिया का सच? कहां से आते हैं और कहां गायब हो जाते हैं ये साधु, आइए जानते हैं.
नागा संन्यासी किसी एक गुफा में कुछ साल रहते है और फिर किसी दूसरी गुफा में चले जाते हैं। इस कारण इनकी सटीक स्थिति का पता लगा पाना मुश्किल होता है। इन में से बहुत से संन्यासी वस्त्र धारण कर और कुछ निर्वस्त्र भी गुप्त स्थान पर रहकर तपस्या करते हैं
एक से दूसरी और दूसरी से तीसरी इसी तरह गुफाओं को बदलते और भोले बाबा की भक्ति में डूबे ये नागा जड़ी-बूटी और कंदमूल के सहारे पूरा जीवन बिता देता हैं। कई नागा जंगलों में घूमते-घूमते सालों काट लेते हैं और अगले कुंभ या अर्ध कुंभ में नजर आते हैं।
नागा साधु जंगल के रास्तों से ही यात्रा करते हैं। आमतौर पर ये लोग देर रात में चलना शुरू करते हैं। यात्रा के दौरान ये लोग किसी गांव या शहर में नहीं जाते, बल्कि जंगल और वीरान रास्तों में डेरा डालते हैं। रात में यात्रा और दिन में जंगल में विश्राम करने के कारण सिंहस्थ में आते या जाते
नागा साधु सोने के लिए पलंग, खाट या अन्य किसी साधन का उपयोग नहीं कर सकते। यहां तक कि नागा साधुओं को कृत्रिम पलंग या बिस्तर पर सोने की भी मनाही होती है। नागा साधु केवल जमीन पर ही सोते हैं। यह बहुत ही कठोर नियम है, जिसका पालन हर नागा साधु को करना पड़ता है। आमतौर पर यह नागा सन्यासी अपनी पहचान छुपा कर रखते हैं।
नागा साधुओं को रात और दिन मिलाकर केवल एक ही समय भोजन करना होता है। वो भोजन भी भिक्षा मांग कर लिया गया होता है। एक नागा साधु को अधिक से अधिक सात घरों से भिक्षा लेने का अधिकार है। अगर सातों घरों से कोई भिक्षा ना मिले, तो उसे भूखा रहना पड़ता है। जो खाना मिले, उसमें पसंद-नापसंद को नजर अंदाज करके प्रेमपूर्वक ग्रहण करना होता है।
हर अखाड़े में होता है एक कोतवालः साधुओं के अखाड़ों की परंपरा के अनुसार यह अखाड़े का एक कोतवाल होता है। जब दीक्षा पूरी होने के बाद नागा साधु अखाड़ा छोड़ साधना करने जंगल या पहाड़ों में चले जाते हैं, तो ये कोतवाल नागा साधुओं और अखाड़ों के बीच की कड़ी का काम करता है।
जब कभी कुंभ और अर्धकुंभ जैसे महापर्व होते हैं तो ये नागा साधु कोतवाल की सूचना पर वहां रहस्यमय तरीके से पहुंच जाते हैं।
अखाड़ों के ज्यादातर नागा साधु हिमालय, काशी, गुजरात और उत्तराखंड में रहते हैं। अगर आप पहाड़ी राज्यों में भ्रमण पर जाएं तो आपको कई आश्रम या रास्ते भी दिखाई देंगे। मसलन ऋषिकेश से नीलकंठ जाने पर वहां आपने कई और भी मंदिर या मठ देखे होंगे... बस इन्हीं पहाड़ियों पर नागाओं का भी बसेरा होता है।
ये सभी गांव या शहर से दूर पहाड़ों, गुफाओं और कन्दराओं में साधना करते हैं। नागा संन्यासी एक गुफा में कुछ साल रहने के बाद अपनी जगह बदल देते हैं।

ज़री की पगड़ी बाँधे सुंदर आँखो वालाज़री की पगड़ी बाँधे, सुंदर आँखों वाला,कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे प्यारा ।ज़री...
21/12/2024

ज़री की पगड़ी बाँधे सुंदर आँखो वाला
ज़री की पगड़ी बाँधे, सुंदर आँखों वाला,
कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे प्यारा ।
ज़री की पगड़ी बाँधे...

कानों में कुण्डल साजे, सिर मोर मुकुट विराजे,
सखियाँ पगली होती, जब - जब होठों पे बंशी बाजे ।
हैं चंदा यह सांवरा, तारे हैं ग्वाल बाला,
कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे प्यारा ॥

लट घुँघरे बाल, तेरे कारे कारे बाल,
सुन्दर श्याम सलोना तेरी टेडी मेडी चाल ।
हवा में सर - सर करता तेरा पीताम्बर मतवाला,
कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे प्यारा ॥

मुख पे माखन मलता, तू बल घुटने के चलता,
देख यशोदा भाग्य को देवों का मन जलता ।
माथे पे तिलक सोहे आँखों में काज़ल डारा,
कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे प्यारा ॥

तू जब बंशी बजाए तब मोर भी नाच दिखाए,
यमुना में लहरें उठती और कोयल भी कू - कू गाए ।
हाथ में कँगन पहने और गल वैजयंती माला,
कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे प्यारा ॥

गोविन्द चले आओ, गोपाल चले आओमेरे मुरलीधर माधव नानाद्लाल चले आओआँखों में बसे हो तुम, धड़कन में धड़कते होकुछ ऐसा करो मोहन ...
09/12/2024

गोविन्द चले आओ, गोपाल चले आओ
मेरे मुरलीधर माधव नानाद्लाल चले आओ

आँखों में बसे हो तुम, धड़कन में धड़कते हो

कुछ ऐसा करो मोहन स्वासों में समां जाओ

गोविन्द चले आओ...

इक शरत ज़माने से प्रभु हमने लगा ली है
जा हमको बुला लो तुम जा खुद हु चले आओ
गोविन्द चले आओ...

तेरे दर्शन को मोहन मेरे नयन तरसते हैं
है अरज मेरी मोहन अब और ना तरसाओ
गोविन्द चले आओ...

बंदे की एंट्री जब भी होती तो  #धमाकेदार होती है इस बार फिर सबको चौका दिया सुर्खियों में छाए रहने का कारण यह है कि  #एलन ...
02/12/2024

बंदे की एंट्री जब भी होती तो #धमाकेदार होती है इस बार फिर सबको चौका दिया सुर्खियों में छाए रहने का कारण यह है कि #एलन #मस्क 2024 के अंत में #टेस्ला_पाई #मोबाइल फोन लॉन्च कर रहे हैं, इस मोबाइल फोन में दो ऐसे #फीचर्स हैं जो किसी भी मोबाइल कंपनी में नहीं है।

1. इस मोबाइल को #चार्जिंग की जरूरत नहीं है, यह #सूरज की रोशनी से अपने आप चार्ज हो जाता है, अगर यह आपकी जेब में है तब भी चार्ज होता रहेगा❗️

2. इस टेस्ला मोबाइल को #इंटरनेट #कनेक्शन की आवश्यकता नहीं है, यह टेस्ला के इंटरनेट #स्टारलिंक #सैटेलाइट के साथ काम करता है, इसलिए आप जहां भी हों चाहे चांद पर भी हों यह मोबाइल इंटरनेट काम करता रहेगा❗️



31/10/2024
ब्रम्हांड आपको जो चाहिए वो सब अमर्याद स्वरूप में देता है| आपके विचार, आपके कंपन ब्रम्हांड के कंपन से मेल खाने चाहिये| जि...
18/06/2024

ब्रम्हांड आपको जो चाहिए वो सब अमर्याद स्वरूप में देता है| आपके विचार, आपके कंपन ब्रम्हांड के कंपन से मेल खाने चाहिये| जिस वक्त आपके कंपन ब्रम्हांड से मेल खा लिए उसी वक्त आपको जो चाहिए वो मिलना शुरू हो जायेगा| अगर आपने सिमित माँगा तो सिमित मिलेगा और अमर्याद माँगा तो अमर्याद मिलेगा| मर्यादा आपके उपर निर्भर है|

अश्विनीकुमार

#आकर्षणकासिद्धांत #आकर्षण #ब्रम्हांड #अमर्याद #कंपन #चमत्कार

जीत किसके लिए और हार किसके लिएजिंदगी भर यह तकरार किसके लिएजो भी आया है, एक दिन जाएगाफिर यह इतना अहंकार किसके लिए
03/06/2024

जीत किसके लिए और हार किसके लिए

जिंदगी भर यह तकरार किसके लिए

जो भी आया है, एक दिन जाएगा

फिर यह इतना अहंकार किसके लिए

अगर किसीसे जलन करते हो तो  जलन करने से आप खुद जलते हो,अगर अहंकार है तो आप खुद अपने ज्ञान का नाश कर रहे हो,अगर किसी छवि ख...
03/06/2024

अगर किसीसे जलन करते हो तो जलन करने से आप खुद जलते हो,

अगर अहंकार है तो आप खुद अपने ज्ञान का नाश कर रहे हो,

अगर किसी छवि खराब करने के लिए आप उसकी बुराई करते हो तो सबसे पहले आप अपनी खुद की छवि खराब करते हो,

अगर क्रोध करते हो तो आप स्वयं अपना स्वास्थ्य खराब करते हो,

ये सब कलयुग के विकार है, जिस दिन इन सारे विकारो से निकल जाओगे आप अपने आपको बहुत संतोषजनक पाओगे,
अगर इनसे बचना है तो अपने हृदय को प्रेम से भरो जितना ज्यादा हो सके दुसरो की सहायता करो, किसीका बुरा मत सोचो, सबको प्रेम करो,अपने अहंकार का त्याग् करो, छोटे बड़े की भावना से बाहर निकलो, आपके अच्छे कर्म ही आपकी असली पूंजी है, ये जीवन आपका कैसा भी हो लेकिन सत्कर्म से आप अपने पूरे जीवन को सुधार सकते हो,
"HARE KRISHNA"

इस जगत में हर संबंध की एक Expiry date होती है।हाँ, लहू के संबंध की भी। आने जाने वाले Colleague, गर्लफ्रेंड, बॉयफ्रेंड और...
02/06/2024

इस जगत में हर संबंध की एक Expiry date होती है।

हाँ, लहू के संबंध की भी।
आने जाने वाले Colleague, गर्लफ्रेंड, बॉयफ्रेंड और मित्र आदि की तो क्या ही बात करें। आपके माता-पिता, भाई-बहन, जीवनसाथी भी मात्र इस जीवन में शास्वत हो सकते है, अगले जीवन में वे भी बदल जाएँगे।

संपूर्ण जगत में सिर्फ़ एकमात्र संबंध है जो हमेशा स्थायी रहता है, वो है आपका आपके प्रभु के साथ संबंध। वो पहले भी था, अभी भी है और इस जीवन के बाद भी हमेशा रहेगा।

हर कोई चला जाएगा परंतु प्रभु वहीं रहेंगे।
इतना स्वीकार कर लीजिए और आपके जीवन की अधिकतर समस्याएं आपको अत्यंत ही छोटी लगने लगेगी।

नारायण 🙏🏻

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27/05/2024

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*आँखों का मेरे नूर है तू ही, दिल का मेरे अरमान है तू ही**सांसो की मेरी आहट तू ही है, इस जिस्म की तो जान है तू ही🩷💛*"हरे ...
19/05/2024

*आँखों का मेरे नूर है तू ही, दिल का मेरे अरमान है तू ही*

*सांसो की मेरी आहट तू ही है, इस जिस्म की तो जान है तू ही🩷💛*

"हरे कृष्ण"

"अच्छे समय से ज्यादा,अच्छे इंसान के साथ रिश्ता रखो,अच्छा इंसान अच्छा समय ला सकता है,लेकिन अच्छा समय अच्छा इंसान नहीं ला ...
30/04/2024

"अच्छे समय से ज्यादा,
अच्छे इंसान के साथ रिश्ता रखो,
अच्छा इंसान अच्छा समय ला सकता है,
लेकिन अच्छा समय अच्छा इंसान नहीं ला सकता।"

"राधे राधे"
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"ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः" मंत्र "ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः" का गहरा अर्थ और महत्व है। प्राचीन संस्कृत में निहित, यह ...
16/04/2024

"ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः"
मंत्र "ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः" का गहरा अर्थ और महत्व है। प्राचीन संस्कृत में निहित, यह अपनी अद्वितीय कंपन गुणवत्ता के साथ भाषाई सीमाओं को पार करता है। प्रत्येक शब्दांश जपकर्ता को सार्वभौमिक चेतना के साथ संरेखित करता है, शक्तिशाली ब्रह्मांडीय ऊर्जा की दुनिया में प्रवेश करता है।

इसका शाब्दिक अनुवाद, "मैं भगवान वासुदेव को नमन करता हूं," हिंदू धर्म में सर्वोच्च दिव्य भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति और समर्पण का एक गहरा कार्य दर्शाता है। वासुदेव को नमन करना अहंकार को त्यागने और सार्वभौमिक आत्मा को अपनाने का प्रतीक है, जिससे आध्यात्मिक ज्ञान और आंतरिक शांति प्राप्त होती है।

मंत्र का प्रत्येक शब्द आध्यात्मिक महत्व रखता है:

"ओम" ब्रह्मांड की रचना का प्रतिनिधित्व करता है।
"नमो" श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक है।
"भागवते" रोजमर्रा की जिंदगी में पवित्रता को स्वीकार करता है।
"वासुदेवाय" भगवान कृष्ण की दिव्य उपस्थिति का आह्वान करता है।
"नमः" का समापन अंतिमता और समर्पण के साथ होता है।
जप व्यक्ति को सार्वभौमिक चेतना से जोड़ता है, सीमित और अनंत को जोड़ता है। यह सृष्टि के साथ एकता को बढ़ावा देता है, जिससे आध्यात्मिक जागृति, आंतरिक शांति और स्वयं और ब्रह्मांड की गहरी समझ पैदा होती है।

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आपके जीवन को बदलने के लिए कृष्ण के 10 पाठ

हरे कृष्ण मंत्र का जाप: चरण और सर्वोत्तम समय

ऐतिहासिक एवं धार्मिक संदर्भ
ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः के लाभ प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों में इसके मूल के सार से उपजे हैं, जो हिंदू धर्म के आध्यात्मिक परिदृश्य को आकार देते हैं।

भारत में आध्यात्मिक क्रांति, भक्ति आंदोलन में इस मंत्र ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मोक्ष के लिए ईश्वर के प्रति व्यक्तिगत भक्ति पर जोर देते हुए, भक्ति आंदोलन ने इस मंत्र में अपने दर्शन की एक आदर्श अभिव्यक्ति पाई। जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, ओम नमो भगवते वासुदेवाय का अर्थ भगवान कृष्ण के प्रति समर्पण, परमात्मा के साथ हार्दिक संबंध को बढ़ावा देना है।

भगवद गीता में, एक पवित्र पाठ जिसमें भगवान कृष्ण और योद्धा अर्जुन के बीच बातचीत शामिल है, मंत्र मात्र जप से परे है। यह दिव्य ज्ञान और आध्यात्मिक मुक्ति के मार्ग का प्रतीक है, जो कृष्ण की शिक्षाओं में भक्ति , कर्तव्य और धार्मिकता पर जोर देता है।

हिंदू दर्शन के व्यापक संदर्भ में, ओम नमो भगवते सिर्फ एक मंत्र नहीं है बल्कि दिव्य ज्ञान और आध्यात्मिक मुक्ति (मोक्ष) की खोज का प्रतीक है। जप आत्मा को जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति की ओर ले जाता है, जिससे शाश्वत आनंद और परमात्मा के साथ मिलन होता है। यह आपको भौतिक से आध्यात्मिक, अज्ञान से ज्ञानोदय और व्यक्तिगत चेतना से सार्वभौमिक जागरूकता तक की यात्रा पर ले जाता है।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः लाभ
आध्यात्मिक शुद्धि: "ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः" का जप करने का सबसे गहरा लाभ यह है कि यह दिल और दिमाग में शुद्धि लाता है। एक मजबूत सफाई शक्ति के रूप में कार्य करते हुए, यह नकारात्मकता को दूर करके हमारे दिमाग को साफ करता है जो हमारे निर्णय को धूमिल करती है और हमारे विकास में बाधा डालती है। इससे परमात्मा के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित करने में मदद मिलती है। यह संबंध ब्रह्मांड के साथ एकता की भावना महसूस करने और जीवन के हर पहलू में दिव्य उपस्थिति को पहचानने के बारे में है।
तनाव में कमी : आज की भागदौड़ भरी दुनिया में तनाव और चिंता आम बात हो गई है। ओम नमो भगवते वासुदेवाय का अर्थ ही रोजमर्रा की जिंदगी में दिव्य उपस्थिति को स्वीकार करना है जो मन को शांत करने में मदद करता है, ध्यान के एक रूप के रूप में कार्य करता है जो तंत्रिका तंत्र को शांत करता है। यह शांत करने वाला प्रभाव केवल अस्थायी नहीं है; नियमित अभ्यास से, यह दीर्घकालिक तनाव में कमी और समग्र कल्याण की भावना पैदा कर सकता है।
फोकस में वृद्धि: मंत्र की कंपन गुणवत्ता मन को केंद्रित करने में मदद करती है, हमारे दिमाग को घेरने वाले विचारों और विकर्षणों की अव्यवस्था को दूर करती है। यह बढ़ा हुआ फोकस और स्पष्टता न केवल आध्यात्मिक प्रथाओं के लिए बल्कि रोजमर्रा की गतिविधियों के लिए भी फायदेमंद है। यह संज्ञानात्मक कार्यों को बेहतर बनाने में मदद करता है, ध्यान अवधि बढ़ाता है, कार्यों से निपटना, समस्याओं को हल करना और स्पष्ट और शांत दिमाग से निर्णय लेना आसान बनाता है।
संज्ञानात्मक कार्य में सुधार: ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः न केवल स्मृति या बौद्धिक क्षमता के मामले में बल्कि भावनात्मक बुद्धिमत्ता के मामले में भी संज्ञानात्मक कार्यों को लाभ पहुंचाता है। जप करने वाले अक्सर खुद को अपनी भावनाओं के प्रति अधिक अभ्यस्त पाते हैं और भारी परिस्थितियों को संभालने के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित होते हैं, जिससे वे अधिक संतुलित और सामंजस्यपूर्ण जीवन जीते हैं, जहां दिमाग और दिल दोनों व्यक्तिगत विकास और समझ की दिशा में एक साथ काम करते हैं।
ॐ नमो भगवते के अतिरिक्त लाभ
मानसिक लचीलापन: हमारे जीवन में, ऐसे समय आते हैं जब हम भावनात्मक उथल-पुथल और संकट से गुजरते हैं। "ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः" मंत्र का जाप भावनात्मक उपचार के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में कार्य करता है। यह आत्मा के लिए एक सुखदायक बाम के रूप में कार्य करता है, जो आपको दबी हुई भावनाओं को दूर करने और भावनात्मक दर्द को दूर करने, भावनात्मक स्थिरता और परिपक्वता की भावना को बढ़ावा देने में मदद करके आराम और शक्ति प्रदान करता है।
मनोवैज्ञानिक कल्याण: इस मंत्र का जाप करने से आंतरिक शांति की गहरी अनुभूति हो सकती है, जिससे आपको शांत और केंद्रित मानसिकता के साथ जीवन की चुनौतियों का सामना करने में भी संतुलित रहने में मदद मिलेगी। यह चिंता और अवसाद से जूझ रहे लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है, जो इन स्थितियों को प्रबंधित करने का एक प्राकृतिक और समग्र तरीका प्रदान करता है।
मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से निपटना: ओम नमो भगवते के जाप की दोहराव और लयबद्ध प्रकृति भीतर शांति और स्थिरता की गहरी भावना पैदा करती है। चिंता और अवसाद से जूझ रहे व्यक्तियों के लिए, यह मंत्र एक शक्तिशाली मुकाबला तंत्र हो सकता है। यह आपको अपने विचारों को समझने में मदद करता है, निरंतर चिंताओं से क्षणिक मुक्ति प्रदान करता है और स्पष्टता और शांति की भावना लाता है जो मानसिक कल्याण के लिए आवश्यक है।
शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना: ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः के लाभ मानसिक और भावनात्मक क्षेत्रों से आगे बढ़कर शारीरिक स्वास्थ्य तक पहुंचते हैं। माना जाता है कि इस मंत्र की कंपन गुणवत्ता शरीर के ऊर्जा केंद्रों या चक्रों को पुनर्जीवित करके सकारात्मक प्रभाव डालती है, जिससे बेहतर स्वास्थ्य और जीवन शक्ति प्राप्त होती है। स्वास्थ्य में यह समग्र सुधार कल्याण के लिए एक व्यापक उपकरण के रूप में मंत्र की भूमिका को रेखांकित करता है।
आध्यात्मिक विकास में वृद्धि: प्रतिदिन 108 बार "ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः" का जाप करने का अभ्यास आपके आध्यात्मिक विकास को बढ़ाता है। यह विशिष्ट संख्या, 108, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है, इसे पवित्र माना जाता है, जो ब्रह्मांड की आध्यात्मिक पूर्णता का प्रतिनिधित्व करता है। मंत्र को 108 बार दोहराकर, जापकर्ता मंत्र की शक्ति को तीव्र करता है, जिससे गहरा और गहरा आध्यात्मिक संबंध बनता है।
ब्रह्मांडीय कंपन के साथ संरेखण: मंत्र का प्रत्येक पाठ आपकी ऊर्जा को ब्रह्मांडीय कंपन के साथ अधिक निकटता से संरेखित करता है जिससे एकाग्रता और शांति में वृद्धि होती है। ये कंपन सूक्ष्म आवृत्तियाँ हैं जो संपूर्ण सृष्टि का आधार हैं। मंत्र के माध्यम से इन आवृत्तियों को समायोजित करके, आप अपनी ऊर्जा को ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ सामंजस्य स्थापित करके आध्यात्मिक जागरूकता की एक उच्च भावना का अनुभव कर सकते हैं।
आत्मज्ञान की ओर यात्रा: ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 बार जाप करने से आपकी विचार प्रक्रिया को भी लाभ मिलता है। यह अहंकार और भ्रम की परतों को हटाकर वास्तविक स्व को उजागर करने में मदद करता है। यह आत्म-खोज की यात्रा है, जहां मंत्र की दोहराव प्रकृति मन को शांत करने और उच्च आत्म पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करती है, जो आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि और ज्ञान के लिए अनुकूल है।
आंतरिक सद्भाव स्थापित करना: मंत्र का 108 बार जप करना आत्म-देखभाल का एक दैनिक अनुष्ठान बन जाता है, आत्मा का पोषण करने और आंतरिक शांति पैदा करने के लिए एक समर्पित समय । यह आत्मा को आंतरिक सद्भाव के साथ पोषित करता है जो एक संतुलित जीवन के लिए आवश्यक है, क्योंकि यह प्रभावित करता है कि व्यक्ति अपने आस-पास की दुनिया को कैसे समझते हैं और उसके साथ कैसे बातचीत करते हैं। जप का यह अनुष्ठानिक पहलू रोजमर्रा की जिंदगी में पवित्रता की एक परत जोड़ता है, जिससे यह अभ्यास एक गहरा व्यक्तिगत और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध अनुभव बन जाता है।
मंत्र का अभ्यास करने के लिए 4 आवश्यक युक्तियाँ
वातावरण का चयन: सबसे पहले, एक शांत वातावरण का चयन करें, चाहे वह आपके घर में एक समर्पित स्थान हो, बगीचा हो, या कोई भी स्थान जहाँ आप बिना किसी बाधा के रह सकें। एक शांतिपूर्ण वातावरण विकर्षणों को कम करने में सहायता करता है, जिससे आप केवल मंत्र पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। परिवेश की शांति मंत्र की शांतिपूर्ण प्रकृति की पूरक है, जो आपके अभ्यास के लिए एक सामंजस्यपूर्ण सेटिंग बनाती है।
जप के लिए आदर्श समय: हालाँकि इस मंत्र का जप किसी भी समय किया जा सकता है, दिन के कुछ निश्चित समय आध्यात्मिक अभ्यास के लिए अधिक अनुकूल माने जाते हैं। सुबह-सुबह, जिसे ब्रह्म मुहूर्त के रूप में जाना जाता है, एक आदर्श समय है क्योंकि यह प्राकृतिक शांति और बढ़ी हुई आध्यात्मिक ऊर्जा का समय है। शाम, जैसे ही दिन रात में परिवर्तित होता है, जप के लिए एक और उपयुक्त समय है। ये समय शांत और शांतिपूर्ण ऊर्जा प्रदान करता है, जिससे ध्यान की स्थिति में जाना आसान हो जाता है।
एक केंद्रित मानसिकता विकसित करना: जिस मानसिकता के साथ आप जप करते हैं वह मंत्र के समान ही महत्वपूर्ण है। एक केंद्रित और श्रद्धापूर्ण रवैया विकसित करना आवश्यक है। शुरुआत करने से पहले, अपने दिमाग को साफ़ करने और अभ्यास के लिए अपना इरादा निर्धारित करने के लिए कुछ गहरी साँसें लें।
मंत्र के कंपन में डूबना: जैसे ही आप "ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः" का जाप करते हैं, अपने आप को मंत्र की ध्वनि और कंपन में पूरी तरह से डूबने दें, न केवल मौखिक दोहराव के माध्यम से बल्कि मंत्र को अपने अस्तित्व में प्रवेश करने दें। मंत्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि, लय और सूक्ष्म ऊर्जाओं का ध्यान रखें। यह गहन विसर्जन अधिक गहन और प्रभावशाली जप अनुभव की ओर ले जाता है, जहां मंत्र वास्तव में आपका एक हिस्सा बन जाता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
आधुनिक अनुसंधान में मान्यता: हाल के वर्षों में, मंत्र जप ने वैज्ञानिक अनुसंधान में ध्यान आकर्षित किया है जो वैज्ञानिक समुदाय में पारंपरिक आध्यात्मिक प्रथाओं की मान्यता का प्रतीक है।
तनाव कम करने पर प्रभाव: वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि " ओम नमो भगवते मंत्र" के नियमित जप से तनाव कम करने में महत्वपूर्ण परिणाम मिलते हैं।
भावनात्मक कल्याण में सुधार: तनाव में कमी के अलावा, एसस्टडीज़ भावनात्मक कल्याण पर मंत्र के सकारात्मक प्रभाव पर प्रकाश डालते हैं जैसे मूड में सुधार, शांति में वृद्धि और भावनात्मक संतुलन ।
चिकित्सीय क्षमता को मान्य करना: बढ़ते वैज्ञानिक प्रमाण "ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः" की चिकित्सीय क्षमता को मान्य करते हैं जो स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है।
यह ध्यान श्रृंखला 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः' सहित 9 अलग-अलग मंत्रों का संग्रह है। जब भी आप तनावग्रस्त या विचलित महसूस करें, तो अपने इयरफ़ोन प्लग करें और इसे आज़माएँ, यह आपके मूड को अच्छा करेगा, आपको आनंदित और सकारात्मक महसूस कराएगा। (यह लेवल सुपरमाइंड टीम के अधिकांश लोगों की सबसे पसंदीदा ध्यान श्रृंखला में से एक है!)

अंतिम विचार
मंत्र "ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः" ने भारत में अपनी उत्पत्ति को काफी हद तक पार कर लिया है क्योंकि इसका जोर भक्ति पर है - एक उच्च शक्ति के लिए, स्वयं के लिए, या आध्यात्मिक विकास के पथ के लिए - एक एकीकृत विषय है जो लोगों की परवाह किए बिना उनके साथ प्रतिध्वनित होता है। धार्मिक संबद्धता.

यह आत्म-साक्षात्कार के लिए एक उपकरण है, जो अभ्यासकर्ताओं को अपने वास्तविक स्व की खोज करने में मदद करता है, जो शारीरिक और मानसिक बाधाओं से परे है।

एक मुहिम जागरण के नाम पर गंदगी करने वालों के भी खिलाफ चलनी चाहिए....!!जागरण का मतलबसिर्फ़ और सिर्फ़ भजन होना चाहिए....!!पै...
29/03/2024

एक मुहिम जागरण के नाम पर गंदगी करने वालों के भी खिलाफ चलनी चाहिए....!!

जागरण का मतलब
सिर्फ़ और सिर्फ़ भजन होना चाहिए....!!

पैसा कमाने के चक्कर में
भगवान की झांकियों के नाम पर गंदगी करना बंद हो एकदम.....!!

राधे-कृष्ण बनकर अश्लील डांस और ये सब हरकत कर रहे....!!

शिव जी का रूप बनाकर गांजा-चिलम पी रहे स्टेज पे....!!

हनुमान जी का रूप लेकर लेकर 10-20₹ के लिये
इधर उधर उछल कूद कर रहे.....!!

ये सब पूर्णतः अनुचित है...!!

सभी हिन्दुओं से निवेदन है कि
जागरण में सिर्फ़ और सिर्फ़ भजन का आनंद लें,

ये सब झांकी आदि का पूर्ण बहिष्कार करें....!!

संभव हो तो ऐसी झांकी करने वालों से जागरण एकदम ना कराएं... 🙏🏻

धर्मो रक्षति रक्षितः 🚩

*꧁𝒬☞︎︎︎**रंगो के पावन पर्व होली की हार्दिक शुभकामनाएं।ये पावन पर्व आपके जीवन मे ढेर सारी खुशियां लेकर आये और आपका जीवन र...
24/03/2024

*꧁𝒬☞︎︎︎*

*रंगो के पावन पर्व होली की हार्दिक शुभकामनाएं।ये पावन पर्व आपके जीवन मे ढेर सारी खुशियां लेकर आये और आपका जीवन रंगो की ख़ूबसू से महक उठे।आपके जीवन में दुःख,दर्द और परेशानी का दहन हो जाए।ये प्रभु से प्रार्थना करते हैं। 💐हैप्पी होली💐* ☜︎︎︎𝒬꧂
꧁𝒬 राधे राधे 𝒬꧂

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