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01/07/2023

भीलवाड़ा के रा.सी. सै. स्कूल राजेन्द्र मार्ग में कक्षा 11th और 12th (इंग्लिश मीडियम)के विद्यार्थियों से 6500/ और 8500/रुपये वार्षिक शुल्क लिया जा रहा है।जबकि राजस्थान सरकार निशुल्क शिक्षा का ढिंढोरा पीट रही है।यह शुल्क गेस्ट फेकल्टी को बुलाने के नाम पर लिया जा रहा है।दूसरी ओर बिना वजह स्कूलों में यूनिफॉर्म एवं दूध दिया जा रहा है जिसकी कोई आवश्यकता नहीं है।
कपिल शर्मा
पत्रकार

राजस्थान सरकार पेट्रोल और डीज़ल पर वैट कम करके जनता को राहत क्यों नही देना चाहती है??*मंहगाई राहत शिविर.क्या है इस पोस्ट ...
06/05/2023

राजस्थान सरकार पेट्रोल और डीज़ल पर वैट कम करके जनता को राहत क्यों नही देना चाहती है??

*मंहगाई राहत शिविर.क्या है इस पोस्ट के माध्यम से बताने की कोशिश कर रहा हूँ*:-😄😁😄
=
==============≠===
*एक बनिया था 5 रुपए की एक रोटी बेचता था। उसे रोटी की कीमत बढ़ानी थी लेकिन बिना राजा की अनुमति कोई भी अपने दाम नहीं बढ़ा सकता था। लिहाजा राजा के पास बनिया पहुंचा, बोला राजाजी मुझे रोटी का दाम 10 करना है। राजा बोला तुम 10* *नहीं 30 रुपए करो, बनिया बोला महाराज इससे तो हाहाकार मच जाएगा, राजा बोला इसकी चिंता तुम* *मत करो, तुम 10 रुपए दाम कर दोगे तो मेरे राजा होने का क्या फायदा, तुम अपना फायदा देखो और 30 रुपए दाम कर दो, अगले दिन बनिये ने रोटी का दाम बढ़ाकर 30 रुपए कर दिया*, *शहर में हाहाकार मच गया, तभी सभी जनता राजा के पास पहुंचे, बोले महाराज यह बनिया अत्याचार कर रहा है, 5 की रोटी 30 में बेच रहा है, राजा ने अपने सिपाहियों को बोला उस गुस्ताख बनिए को मेरे दरबार में पेश करो, बनिया जैसे ही दरबार में पहुंचा, राजा ने गुस्से में कहा गुस्ताख तेरी यह मजाल तूने बिना मुझसे पूछे कैसे दाम बढ़ा दिया, यह जनता मेरी है तू इन्हें भूखा मारना चाहता है, राजा ने बनिए को आदेश दिया तुम रोटी कल से आधे दाम में बेचोगे, नहीं तो तुम्हारा सर कलम कर दिया जाएगा, राजा का आदेश सुनते ही पूरी जनता ने जोर से* *बोला.... महाराज की जय हो , महाराज की जय हो, महाराज की जय हो*।
*नतीजा सुनिए*....
*अगले दिन से 5 की रोटी 15 में बिकने लगी*।🤭😄
*अब जनता भी खुश...बनिया भी खुश...और राजा भी खुश*।
*यही है मंहगाई राहत शिविर*😃

🤭😒🤔😉✍🏻

14/10/2022

कांग्रेस नेता धीरज गुर्जर द्वारा भीलवाड़ा से कोटड़ी चारभुजा नाथ तक निकाली जा रही"गौ संकट निवारण पदयात्रा"महज एक दिखावा प्रतीत होती है।इस यात्रा को लेकर जिस प्रकार से विज्ञापन और प्रचार प्रसार किया गया है उसे देखकर तो लगता है कि यह यात्रा गायों के लिए कम और स्वयं का वर्चस्व दिखाने तथा
अपना वजूद बचाने के लिए ज्यादा है।
पत्रकार कपिल शर्मा
भीलवाड़ा

23/04/2021

. (Episode~128)23/4/21
प्रिय साथियों
नमस्कार।
बंगाल में कल छठे चरण का मतदान पूर्ण हुआ अब दो चरण औऱ शेष हैं।दोनों चरण पूर्ण होने के बाद ममता दीदी भी अपने दोनों चरणों पर खड़ी हो जायेंगी।आख़िरी चरण के बाद बेचारा कोरोना भी अपनी रफ़्तार तेज करेगा, कब तक इंतजार करेगा?चुनाव के बाद बंगाल के हालात भी चोंकाने वाले हो सकते हैं।प्रधानमंत्री हरिद्वार कुंभ को समय से पूर्व समापन करने की वकालत कर रहे हैं और साधुओं से अपील कर रहे हैं कि वे अंतिम शाही स्नान को प्रतीकात्मक रूप से कर लें लेकिन बंगाल में रैलियों को वर्चुअल करने की बात नहीं कर रहे हैं।भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा रैलियों में केवल 500 लोगों के जमा होने की पैरवी कर रहे हैं लेकिन कोई भी नेता शादियों में 50 से 500 की बात नहीं कर रहे हैं।रैलियों में कौन कहाँ से आ रहा है यह पता नहीं होता जबकि शादियों में आने वाले प्रत्येक मेहमान या व्यक्ति का पूर्ण पता होता है।उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी अभी तक राजस्थान के मुख्यमंत्री की भाषा बोल रहे हैं।योगी कह रहे हैं कि हम उत्तर प्रदेश में लोकडाउन नहीं करेंगे बल्कि सख्ती से निपटेंगे।अभी यू. पी. में पंचायत चुनाव चल रहे हैं, शायद यही कारण है?ऐसी बातें गहलोत भी 15 तारीख की शाम तक कर रहे थे।देश में हालात भले ही बेकाबू हो, भयावह हों परन्तु जनता में भय नहीं है।विश्व मे अभी हम पहले नम्बर पर हैं शायद यह पहला अवसर है जब हम किसी मे तो पहले नम्बर पर आये हैं।यदि थोड़ा प्रयास करें तो हम रिश्वतखोरी, घोटालेबाजी, कालाबाजारी, मिलावटखोरी में भी एक नम्बर पर आ सकते हैं।हम तो बस हिंदुस्तान की जनता के कायल हैं, जनता हो तो हिंदुस्तानियों जैसी वरना ना हो।
धन्यवाद।जयहिन्द
पत्रकार कपिल शर्मा
भीलवाड़ा(राज.)
Mob. 9602240678

18/04/2021

. (Episode-127)18/4/21
प्रिय साथियों
नमस्कार।
राजस्थान के तीन विधानसभा क्षेत्रों में हो रहे उपचुनावों का प्रचार प्रसार जैसे ही थमा वैसे ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को ज्ञान की प्राप्ति हुई है और उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण को फैलाने के लिए हम नेता भी दोषी हैं।हमारे जैसे नेताओं ने जमकर प्रचार किया, खूब भीड़ जमा की, कहीं कोई गाइडलाइन की पालना नहीं हुई।हम चाहते तो वर्चुअल रैली भी कर सकते थे।अब वे सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग को भी दोषी ठहरा रहे हैं, प्रधानमंत्री को भी चुनावी रैलियाँ बन्द करने की सलाह दे रहे हैं, आखिर अब अचानक इतना ज्ञान कहाँ से आ गया?जब वे नेताओं के लवाजमें के साथ किसान रैलियों को सम्बोधित कर रहे थे, जब किसानों के नाम पर नरेगा के मजदूरों को बसों में भर-भर कर ले जाया जा रहा था तब भी एक आम इंसान कह रहा था कि अब कोरोना कहाँ गया?जब केवल नामांकन दाखिल करने के लिए जयपुर-दिल्ली से नेता आ रहे थे, बसों में भर कर लोगों को ले जाया जा रहा था, हजारों लोगों को जमा किया जा रहा था तब नेता जी को इतना भान क्यों नहीं था की यह भीड़ कोरोना संक्रमण को बढ़ा सकती है।वर्चुअल रैली करने से उस समय किसने रोका था?एक मामूली उप चुनाव के लिए कांग्रेस-भाजपा सहित सभी पार्टियों ने कोरोना गाइडलाइन को ताक में रख दिया था, प्रशासन भी हाथ बांधे खड़ा था।आज अपनी गलती का अहसास क्यों हो रहा है?कुछ भी कहने से पहले सोचना चाहिए।
धन्यवाद।जयहिन्द
पत्रकार कपिल शर्मा
भीलवाड़ा(राज.)
Mob. 9602240678

26/02/2021

. (Episode~126)26/02/21
प्रिय साथियों
नमस्कार।
बुधवार 24 फरवरी2021 को राजस्थान का बजट पेश हो गया।हर साल होता है और होता रहेगा।पिछले साल क्या हुआ, वो जनता को याद नहीं।इस साल क्या होगा उससे भी जनता को मतलब नहीं।क्यों कि हर साल बड़े बड़े वादे होते हैं, घपले-घोटाले होते हैं, कमीशन के खेल होते हैं।हर खेल में सफेदपोश खिलाड़ी होते हैं।जनता सिर्फ दर्शक के रूप में होती है।कुछ हमारे जैसे रैफरी जनता को जगाते रहते हैं।इस बार बजट में भीलवाड़ा शहर के महात्मा गांधी हॉस्पिटल परिसर में ही 71 करोड़ रुपये की लागत से 205 बेड का नया भवन बनाने, शाहपुरा सेटेलाइट हॉस्पिटल को क्रमोन्नत कर जिला अस्पताल बनाने और 250 बेड लगाने की घोषणा की गई है।भवन भी बन जायेगा, बेड भी लग जायेंगे, बेड पर सोने वाले भी आ जायेंगे लेकिन पर्याप्त संख्या में डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ, सफाई कर्मचारी भी आयेंगे या नहीं ? क्यों कि कोई भी अस्पताल केवल भवन या बेड से नहीं अपितु इन्हीं लोगों के बलबूते पर चलता है।आज भी अधिकांश पद रिक्त पड़े हैं।कई तरह की जाँच मशीनें धूल खा रही हैं।निःशुल्क मिलने वाली दवाओं की गुणवत्ता और अस्पताल में होने वाली जांचों पर प्रश्न चिन्ह लगते रहे हैं।इसी प्रकार प्रदेश में 50 नये सरकारी स्कूल, एक विश्वविद्यालय, एक डीम्ड विश्वविद्यालय, दस नये सरकारी कॉलेज,12 कन्या महाविद्यालय, 1200 नये अंग्रेजी माध्यम स्कूल, 600 स्कूलों में कृषि संकाय, 100 स्कूलों को क्रमोन्नत करने की बात कही गई है।क्या वर्तमान में चल रहे सभी स्कूलों में शिक्षकों की संख्या पर्याप्त है ? विद्यार्थियों के बैठने के लिए पर्याप्त स्थान या भवन है ? धरातल पर सबकुछ विपरीत है।स्कूलों में यूनिफॉर्म, पाठ्यपुस्तकें निःशुल्क दी जाएंगी।जिस पर 470 करोड़ रुपये ख़र्च होंगे, सरकारी स्कूलों में 82 करोड़ रुपये की लागत से स्मार्ट टी .वी. व सेट अप बॉक्स लगाये जायेंगे, विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी में फ्री वाई फाई की सुविधा होगी।परन्तु कहीं भी पढ़ाई की गुणवत्ता को सुधारने की बात नहीं की गई।पैसा देकर खरीदने और निशुल्क बांटने का मजा ही कुछ और है।आखिर इतना सबकुछ बिना कमीशन के कैसे सम्भव हो पायेगा ? यदि पूरी ईमानदारी से काम किया तो फिर ऊपर वाले को क्या जवाब देंगे ? सच तो यह है कि आज भी प्रत्येक अस्पताल, पी. एच. सी., सी. एच. सी., डिस्पेंसरी,

25/02/2021

. (Episode~125)25/02/21
प्रिय साथियों
नमस्कार।
19 फरवरी को भीलवाड़ा शहर के मध्य स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय राजेन्द्र मार्ग में राजस्थान पत्रिका द्वारा प्रायोजित राजस्थान मेगा ट्रेड फेयर (मेला)का शुभारंभ हुआ जो कि 28 फरवरी2021 तक चलेगा।दस दिन तक चलने वाले इस मेले की खास बात यह है कि यह मेला एक सरकारी स्कूल के ग्राउंड में लगाया गया है,जिससे करीब 12 से 13 दिनों तक स्कूल का यह ग्राउंड बच्चों की किसी भी तरह की खेलकूद आदि गतिविधियों के लिए काम नहीं आ सकता है।यहाँ गौरतलब बात यह है कि जब किसी भी सरकारी विद्यालय का भवन या प्रांगण किसी भी तरह के धार्मिक या सामाजिक कार्यक्रम के लिए नहीं दिया जा सकता है तो फिर उक्त मेला लगाने के लिए कैसे,क्यों और किसने दिया ?क्या यह राजस्थान सरकार के आदेश की अवहेलना नहीं है? क्या इसके लिए सम्बंधित जिला शिक्षा अधिकारी जिम्मेदार नहीं है?यदि हैं तो फिर जिला कलेक्टर क्या कर रहे हैं ?यदि मेला लगाया जा सकता है तो फिर कोई भी धार्मिक या सामाजिक आयोजन क्यों नहीं किये जा सकते ?किसके दबाव में या किसके रहमोकरम पर सबकुछ हो रहा है।मेले की वजह से विद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों की पढ़ाई पर क्या प्रभाव-दुष्प्रभाव पड़ रहा है यह तो पढ़ने और पढ़ाने वाले ही बेहतर समझ सकते हैं।हमारा काम तो सिर्फ सच्चाई को लिखना और जनता को जागरूक करना है, वो हम करते रहेंगे।
धन्यवाद।जयहिन्द
पत्रकार कपिल शर्मा
भीलवाड़ा (राज.)
Mob. 9602240678

24/02/2021

. (Episode~124)24/02/21
प्रिय साथियों
नमस्कार।
हाल ही में 17 फरवरी को सड़क सुरक्षा माह का समापन हुआ।पूरे एक माह तक चले यातायात एवं सड़क सुरक्षा से सम्बंधित माह में कई स्वंयसेवी संस्थाओं, सम्बन्धित विभागों द्वारा विभिन्न जानकारियां दी गई।पुलिस प्रशासन और परिवहन विभाग के अधिकारियों द्वारा स्कूल, कॉलेज से लेकर फैक्ट्रियों आदि में जाकर खूब ज्ञान बांटा गया।सड़क दुर्घटनाओं पर काफी चिंता व्यक्त की गई, खूब पसीना व पैसा बहाया गया।प्रदर्शनी से लेकर कई तरह की ज्ञानवर्धक प्रतियोगिताओं का आयोजन हुआ, रैलियाँ भी निकाली गई, आखिर में समापन भी धूमधाम से हुआ।जिसमें कवि सम्मेलन एवं विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम किये गए।कुल मिलाकर सड़क सुरक्षा को लेकर खूब ढोल पीटा गया। 18 जनवरी से 17 फरवरी तक ढोल पीटने के बाद जब ढोल फूट गया तो फिर आज सबकुछ ठीक उसी तरह है जैसा कि 18 जनवरी 21 से पहले था।आश्चर्य की बात यह है कि शहर की ट्रैफिक लाइटों का सम्बंध सीधा ट्रैफिक व्यवस्था से है, दुर्घटनाओं को रोकने के लिए है लेकिन इस माह में भी इन ट्रैफिक सिग्नल की सुध नहीं ली गई।ये बेचारी पहले भी बंद थीं और आज भी बंद हैं।जहाँ तक हम समझ पाये हैं वो यह है कि इन ट्रैफिक लाइटों को यदि प्रशासन चालू भी कर दे तो किसी को क्या मिलेगा?मिलता तो जब है तब कोई नया समान खरीदना हो, जिसमें डीजल-पेट्रोल की खपत होती हो, जिसकी आये दिन रिपेयरिंग होती हो, जिसके रखरखाव पर एक निश्चित राशि खर्च होती हो, जिसका अपने व्यक्तिगत कार्यों के लिए उपयोग किया जा सकता हो, जिसका संचालन कागजों में दिखाया जा सकता हो, जिसके बार बार टेंडर जारी किए जाते हों लेकिन ऐसा कोई भी कार्य इन लाइट्स को चालू करने से नहीं हो सकता तो फिर जनता के बारे में क्या और क्यों सोचना?
धन्यवाद।जयहिन्द
पत्रकार कपिल शर्मा
भीलवाड़ा (राज.)
Mob. 9602240678

27/01/2021

. (Episode-123)27/01/21
प्रिय साथियों
नमस्कार।
कल 26 जनवरी को पूरा देश बड़े हर्षोल्लास के साथ अपना गणतंत्र दिवस मना रहा था तभी देश की राजधानी दिल्ली में तथाकथित किसानों ने ऐसा उपद्रव एवं उत्पात मचाया कि देश और देशवासियों का सिर शर्म से झुक गया।इसे देखकर आज उस व्यक्ति की आत्मा भी रो रही होगी जिसने कभी जय जवान जय किसान का नारा दिया था।जवान देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर देता है जबकि कल ये उपद्रवी किसान, जवानों की जान लेने पर आमादा थे, देश की सम्पत्ति को नुकसान पहुंचा रहे थे।जो भी हुआ उसे पूरी दुनिया ने देखा।इस ऐतिहासिक दिन पर इस तरह के आपराधिक कृत्य के लिए सजा ए मौत से कम कोई सजा नहीं हो सकती।कल की घटना को देखकर हमें लगा कि आखिर देश एवं प्रदेश की सरकारें किसानों के प्रति इतनी सहानुभूति क्यों दिखाती हैं?क्यों इनके कर्ज माफ किये जाते हैं?क्यों बिजली के बिल माफ किये जाते हैं?क्यों समर्थन मूल्य की बात की जाती है?अकाल पड़ने, ओलावृष्टि होने, बाढ़ आ जाने पर मुआवजा राशि क्यों दी जाती है?क्या ऐसा सबकुछ किसी व्यापारी या छोटे दुकानदार के साथ नहीं होता है?व्यापार में नुकसान हो जाने पर सरकार व्यापारी को क्या देती है?दूसरी बात जो हमें सोचने पर मजबूर करती है कि किसी शहर में कोई उपद्रव-दंगा होने पर जब वहाँ का कलेक्टर गोली चलाने का आदेश दे देता है तो फिर कल दिल्ली में जहाँ देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षामंत्री सहित सभी मंत्री और आला अधिकारी मौजूद थे तो फिर वे क्यों मजबूर थे?यदि वक़्त रहते इन दंगाइयों का ईलाज सख्ती से नहीं किया गया तो ये देश के लिए नासूर बन जायेंगे।अतः नाग के डसने से पहले उसका फन कुचल देना चाहिए।
धन्यवाद।जयहिन्द
पत्रकार कपिल शर्मा
भीलवाड़ा (राज.)
Mob. 9602240678

26/12/2020

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(Episode~122)26/12/20
प्रिय साथियों
नमस्कार।
हर बार की भांति इस बार फिर 23 दिसम्बर20 बुधवार को भीलवाड़ा में जिला सड़क सुरक्षा एवं यातायात प्रबंधन समिति की बैठक हुई।बैठक में फिर वही बड़ी-बड़ी बातें हुई जैसे कि हर बार होती हैं लेकिन नतीजा नगण्य होता है।ऐसी ही बैठक दो माह पूर्व भी हुई थी जिसमें सड़क सुरक्षा को लेकर काफी चिंता व्यक्त की गई।उस वक़्त जिला कलेक्टर ने बंद पड़ी ट्रैफिक लाइटों को दीपावली से पूर्व चालू करने के फरमान जारी किए तथा अन्य स्थानों पर भी ट्रैफिक सिग्नल लगाने की संभावनाओं पर चर्चा की परन्तु दीपावली भी निकल गई और ये ट्रैफिक लाईटें अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाती रहीं और आज भी हालात जस के तस हैं।इस बार फिर शहर में सिटी बसें चलाने की बात कही गई और इलेक्ट्रिक बसें चलाने के ख़्वाब दिखाये गये।पिछले कई सालों से हम शहर में सिटी बसों के चलाने की बात सुन रहे हैं।कई बार तो रूट भी तय कर दिये गए थे लेकिन आज तक शहर में कोई सिटी बस दिखाई नहीं दी।बार बार ट्रैफिक लाइटों का खराब हो जाना भी समझ से परे है।क्योंकि बड़े शहरों में ट्रैफिक सिग्नल का संचालन निर्बाध रूप से कैसे होता है?ऐसी बैठकें करना और बड़ी बड़ी बातें करना प्रशासन की मजबूरी है।कागजी कार्यवाही नहीं होगी तो काम कैसे चलेगा?यदि चालान काटने की बात हो तो तुरंत कार्यवाही शुरू हो जाती है लेकिन जनहित के कार्यों में कोताही बरती जाती है।
धन्यवाद।जयहिन्द
पत्रकार कपिल शर्मा
भीलवाड़ा(राज.)
Mob. 9602240678

03/11/2020

. (Episode~121)28/10/20
प्रिय साथियों
नमस्कार।
जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पी डी पी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने नज़र बंदी से बाहर आते ही ज़हर उगलना शुरू कर दिया एवं अपने राजनीतिक विरोधी रहे नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारुख अब्दुल्ला के साथ तथाकथित गुपकार गठबंधन में शामिल होने पहुँच गईं।ये वही महबूबा हैं जिन्हें भाजपा ने समर्थन देकर जम्मू कश्मीर का मुख्यमंत्री बनाया था।उस वक्त भाजपा की ऐसी क्या मजबूरी थी?जिसकी वजह से ऐसे अलगाववादी तत्वों को समर्थन देना पड़ा।आज महबूबा मुफ्ती राज्य का झंडा एवं संविधान लौटाने की मांग करके अलगाववाद की पैरवी कर रही हैं।पुरानी व्यवस्था लागू न होने तक किसी भी चुनाव में भाग नहीं लेने तथा तिरंगा न उठाने की बात कर रही हैं।जिसकी वजह से उन्हें अपनी ही पार्टी में विरोध का सामना करना पड़ रहा है।फारुख अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे कई नेता राष्ट्र विरोधी बयान देकर कश्मीर का माहौल खराब करना चाहते हैं।ये लोग पाकिस्तान और चीन की भाषा बोलकर बेशर्मी की हद पार कर रहे हैं।ऐसे लोगों पर देशद्रोह का मुकदमा चला कर जेल में डाल देना चाहिए।ये लोग कैसे कह सकते हैं कि हम राष्ट्रविरोधी नहीं हैं।इनकी हरकतें और मंशा जगजाहिर है।ये लोग कश्मीर घाटी को भारत का हिस्सा ही नहीं मानते हैं लेकिन अब इनकी दुकानें बंद हो चुकी हैं।इनकी बोखलाहट साफ नजर आती है।कुल मिलाकर गुपकार गठबंधन का वही अंजाम होगा जो कि हुर्रियत कांफ्रेंस का हुआ था।अब राष्ट्रविरोधी ताकतों को यह समझ लेना चाहिए कि जम्मू कश्मीर किसी की बपौती या जागीर नहीं है ।
धन्यवाद।जयहिन्द
पत्रकार कपिल शर्मा
भीलवाड़ा(राज.)
Mob. 9602240678

03/11/2020

. (Episode~120)24/10/20
प्रिय साथियों
नमस्कार।
भारत में कोरोना संक्रमण की रफ़्तार का ग्राफ़ नीचे गिर रहा है, रिकवरी रेट भी 90 प्रतिशत के करीब पहुंच रही है फिर भी संक्रमण से बचने के लिए जागरूक करने हेतु प्रधानमंत्री को देश के नाम सम्बोधन की आवश्यकता महसूस हुई।इसका कारण है कि लोग लापरवाह हो गए हैं।उन्होंने शायद यह मान लिया है कि कोरोना चला गया है या जाने वाला है लेकिन इस सोच के घातक परिणाम हो सकते हैं जैसे कि योरोपीय देश एवं अमेरिका में देखने को मिल रहे हैं।वहाँ कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने सिर उठा लिया है।भारत में भी अब सर्दी ने दस्तक दे दी है, त्यौहारों का आगमन हो रहा है, बिहार में विधानसभा चुनाव और कई राज्यों में उपचुनाव होने वाले हैं।इसके चलते सार्वजनिक स्थलों पर भीड़ होना लाज़मी है।यही चिंता का कारण भी है, वैसे तो सरकार ने सभी तरह की बंदिशें हटा दी हैं किंतु मास्क एवं उचित दूरी बनाये रखना अब भी जरूरी है, जिसे लोग नजरअंदाज कर रहे हैं।जरूरी उपायों को लेकर लोग मनमानी कर रहे हैं।उधर नेताओं के आगे प्रशासन मौन व मूकदर्शक बना रहता है, अगर सावधानी नहीं बरती गई तो संक्रमण के उतार को बरकरार रखना मुश्किल हो जायेगा।यदि भारत में कोरोना संक्रमण की लहर वापस लौटी तो चुनोतियाँ फिर खड़ी हो सकती हैं।अब तक के सभी प्रयासों पर पानी फिर सकता है।भारत जैसे विशाल देश में संक्रमण या किसी भी महामारी को रोकना खासा चुनौती भरा काम है।इसकी वैक्सीन पर काम लगभग अंतिम चरण में पहुंच चुका है इसलिए इसके आने तक जनता को ही अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए इस महामारी का प्रभाव धीरे -धीरे खत्म करना पड़ेगा।
धन्यवाद।जयहिंद
पत्रकार कपिल शर्मा
भीलवाड़ा (राज.)
Mob. 9602240678

11/10/2020

. (Episode~119)11/10/20
प्रिय साथियों
नमस्कार।
राजस्थान के करौली में कुछ दबंगों ने एक पुजारी को जिंदा जला दिया।दिल्ली में एक 18 साल के युवक को पीट पीट कर मार डाला लेकिन दोनों ही घटनाओं पर वे मौन हैं जो कल तक सैकड़ों-हजारों की भीड़ लेकर गिरते-पड़ते हुए उत्तर प्रदेश के हाथरस जाने पर अडिग थे।वे वहाँ जाकर पीड़ित परिवार को गले लगा कर जो ड्रामा-नौटंकी कर रहे थे आज उन्हें सांप सूँघ गया है।यदि ये घटनाएं उत्तर प्रदेश में हुई होतीं तो कांग्रेस के राहुल गांधी एवं प्रियंका वाड्रा अब तक सड़कों पर निकल चुके होते किन्तु राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है इसलिए उनकी जुबान पर ताला लग गया है, बोलती बंद हो गई है।दोनों भाई-बहिन शांत हैं फिलहाल रोटियां नहीं सेक रहे हैं।आखिर क्यों?शायद वे जनता को मूर्ख समझते हैं।उनके इसी दोगलेपन की वजह से आज कांग्रेस पार्टी का यह हश्र हुआ है।कांग्रेस को गर्त में ले जाने वाले राहुल-प्रियंका से निजात पाने के लिए ही कुछ समय पहले कांग्रेस के ही कुछ वरिष्ठ नेताओं ने पत्र लिखकर नेतृत्व परिवर्तन की बात की थी परन्तु पत्र लिखने वाले ही पार्टी में हाशिये पर आ गये।यदि आज राजस्थान में भाजपा की सरकार होती तो राहुल गांधी पंजाब से ट्रेक्टर चलाते हुए सीधे करौली पहुँच जाते।यदि उन्हें रोकने की कोशिश की जाती तो ट्रेक्टर के आगे कूद जाते।ऐसी नौटंकी करते जो कि जनता ने सिर्फ किसी पर्दे या मंच पर ही देखी होती, लाईव नहीं।देश की जनता को ये क्या समझते हैं?जनता इन दोनों से कई गुना अधिक समझदार हैं।यदि ये ड्रामे बाज अपनी हरकतों से बाज नहीं आये तो फिर 2024 के चुनाव परिणाम भी वही होंगे जो कि 2014 और 2019 में थे।
धन्यवाद।जयहिन्द
पत्रकार कपिल शर्मा
भीलवाड़ा (राज.)
Mob. 9602240678

08/10/2020

. (Episode~118)08/10/20
प्रिय साथियों
नमस्कार।
सुना है कि शहर, जिले, प्रदेश, देश में कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है।कोरोना के बढ़ते संक्रमण को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर अदने अधिकारी तक सभी चिंतित हैं।ये सभी चिंतनीय लोग धन्यवाद के पात्र हैं जो बंद कमरों में बैठकर चिंता तो करते हैं।पता नहीं कि इनको चिंता कोरोना के आने की है या जाने की, क्योंकि इस कोरोना ने लोगों का रोजगार छीना भी है तो बहुतों को दिया भी है।कोरोना काल में वे बदनसीब भी हैं जिन्होंने अपने परिवार के सदस्य को खो दिया और वे उनके अंतिम दर्शन भी न कर सके और ना ही उनके अंतिम संस्कार में शरीक हो सके।क्योंकि कोरोना को लेकर सरकार की गाइडलाईन ही ऐसी है कि अंतिम यात्रा में 20 से अधिक लोग जमा नहीं हो सकते।अभी कुछ दिनों पहले हमारे शहर भीलवाड़ा के सुभाष नगर थाना क्षेत्र में किसी अंतिम संस्कार में अधिक लोगों के आ जाने से सम्बंधित थाना क्षेत्र के थानाधिकारी ने स्वयं संज्ञान लेते हुए कुछ लोगों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही कर उन्हें विभिन्न धाराओं में लपेट लिया लेकिन दो दिन पहले हमारे जिले के एक विधायक जी का निधन हो गया वे भी संक्रमित थे।हालांकि बहुत दुखद घटना है परन्तु ईश्वर की इच्छा सर्वोपरी है।उनका पार्थिव शरीर गुरुग्राम हरियाणा से भीलवाड़ा लाया गया यहाँ कांग्रेस कार्यालय में जनता के दर्शनार्थ रखा गया फिर उनके विधानसभा क्षेत्र गंगापुर ले जाया गया वहाँ भी दर्शनार्थियों ने दर्शन किये।कल उनके पैतृक गांव रायपुर में अंतिम संस्कार किया गया।हजारों लोगों ने दर्शन किये औऱ अंतिम संस्कार में भाग भी लिया।इस दौरान कितने लोगों ने मास्क लगा रखे थे, कितनी सोशियल डिस्टेंसिंग रखी गई, धारा 144 एवं कुछ क्षेत्रों में लगाई गई निषेधाज्ञा का उल्लंघन तो नहीं हुआ यह सब तो हमें पता नहीं मगर इतना पता है कि यदि किसी पुलिस अधिकारी या जिम्मेदार अफसर को भनक लग जाती तो ठीक उसी प्रकार कार्यवाही की जाती जैसे कि एक आम आदमी के साथ होती है।शुक्र है कि प्रशासन को पता नहीं चला वरना कोरोना गाइडलाईन की पालना न करने का खामियाजा भुगतना पड़ सकता था।वैसे तो गाइडलाईन जारी करने वाले चिकित्सा मंत्री सहित अन्य मंत्री भी इस दौरान मौजूद थे।बहरहाल कुछ भी हो हम तो एक ही निष्कर्ष पर पहुंचे कि यहाँ जो कानून बनाते हैं वे ही कानून तोड़ते हैं और

02/10/2020

. ( Episode~117)02/10/20
प्रिय साथियों
नमस्कार।
कभी-कभी ऐसा लगता है कि इस देश में कानून नाम की कोई चीज नहीं है।यदि है भी तो उसका डर सिर्फ शरीफ-इज्जतदार लोगों को ही है, अपराधियों को नहीं।अभी हाल ही में निर्भया के दोषियों को देर से ही सही पर सजा मिली।उसके बाद सोचा था कि अब भविष्य में ऐसे कृत्यों पर रोक लगेगी किन्तु आज भी आये दिन ऐसी घटनाएं बेखौफ हो रही हैं।हाथरस और बलरामपुर में हुई घटनाओं तथा पुलिस प्रशासन द्वारा हाथरस की पीड़िता के आनन फानन में आधी रात के बाद अन्तिम संस्कार कर देने से उत्तरप्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार कटघरे में आ गई है, योगी सरकार के सभी दावों की पोल खुल गई है।हालांकि हाथरस की घटना में बलात्कार एवं जबान काटने की पुष्टि नहीं हुई है।इसका अर्थ यह नहीं कि अपराधी कानून की खामियों का सहारा लेकर बच निकलें।ऐसे जघन्य अपराधों के लिए केवल एक ही सजा होनी चाहिये और वह है "सजा ए मौत" फिर चाहे अपराधी नाबालिग हो, नेता-अभिनेता हो, या कोई भी सूरमा।अपराधियों को जब तक सरेआम फाँसी नहीं दी जायेगी तब तक ऐसे अपराधों पर अंकुश नहीं लग पायेगा।दूसरी ओर देखने पर लगता है कि सभी विपक्षी दलों को शायद ऐसी घटनाओं का इंतजार रहता है?घटना होते ही वे अपनी रोटियां सेंकने निकल पड़ते हैं।राजस्थान के बांसवाड़ा, भरतपुर, सिरोही जिलों में भी ऐसी घटनाएं हुई लेकिन कांग्रेस के राहुल गांधी एवं प्रियंका वाड्रा को पता भी नहीं चला।यही कारण था कि यहाँ आकर पीड़ित परिवार से मिलना तो दूर उन्होंने अपनी जबान तक नहीं खोली।अभी हाथरस जाने के लिए राहुल गांधी एवं प्रियंका वाड्रा ने जो नौटंकी की वह केवल सस्ती लोकप्रियता के अलावा ओर कुछ भी नहीं था।इस देश में नेताओं की घटिया सोच जब तक नहीं बदलेगी तब तक इस देश का पतन होता रहेगा।
धन्यवाद।जयहिन्द
पत्रकार कपिल शर्मा
भीलवाड़ा (राज.)
Mob. 9602240678

02/10/2020

. (Episode~116)28/9/20
प्रिय साथियों
नमस्कार।
राजस्थान के डूंगरपुर में उदयपुर-अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-8 के लगभग 10 किलोमीटर इलाके पर पिछले चार दिनों से प्रदर्शनकारियों ने कब्जा जमा रखा था शायद अब जाकर उन उपद्रवियों का महा पड़ाव खत्म हुआ है।इन चार दिनों में प्रदर्शकारियों ने करोड़ों रुपये का नुकसान किया, कई पुलिसकर्मियों व अधिकारियों को गम्भीर रूप से घायल कर दिया।इन उपद्रवियों की मांग थी कि तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती के अनारक्षित (सामान्य)पदों को एस. टी. वर्ग से भरा जाये।हालांकि मांग सरासर गलत है जिसे पहले दिन ही सरकार द्वारा सिरे से खारिज कर दिया जाना चाहिए था किन्तु राज्य सरकार कुर्सी व वोटों के लालच में बेबस है।नुकसान चूंकि आमजन का हुआ है, परेशानी भी आम आदमी को हुई है अतः सरकार के किसी मंत्री, विधायक या नेता को कोई फर्क नहीं पड़ता।हाँ यदि इनमें से किसी की व्यक्तिगत गाड़ी, मकान, दुकान को फूँक दिया जाता या इन्हें घायल कर दिया होता तो इनके कानों पर जूं रेंगने लगती मगर ऐसा हुआ नहीं।हम तो बस यह सोच रहे हैं कि ऐसे अराजक तत्वों के आगे सरकार घुटने क्यों टेक देती है?क्यों नहीं इन्हें सबक सिखाती?जिससे आने वाली पीढ़ियां भी सबक ले सके।ये उग्रवादी क्या शिक्षक बनने लायक हैं?दुर्भाग्यवश इनमें से कोई शिक्षक बन भी गया तो वह बच्चों को क्या शिक्षा देगा?क्या लोकतंत्र में नौकरी या रोजगार मांगने का यही तरीका है?जितना भी नुकसान हुआ है उसकी भरपाई भी इन्हीं लोगों से होनी चाहिए।ऐसे अपराधियों की जगह शिक्षा के मंदिर में नहीं बल्कि जेल में होनी चाहिये।कब तक सरकार अपनी कुर्सी व सत्ता के लालच में निर्दोषों का नुकसान कराती रहेगी?कब तक ऐसे असामाजिक, आपराधिक, उग्रवादियों के आगे घुटने टेक कर नतमस्तक होती रहेगी?
धन्यवाद।जयहिन्द
पत्रकार कपिल शर्मा
भीलवाड़ा (राज.)
Mob. 9602240678

26/09/2020

. (Episode~115)26/9/20
प्रिय साथियों
नमस्कार।
कृषि विधेयकों को लेकर केंद्र सरकार एवं प्रधानमंत्री ने यह स्पष्ट कर दिया कि ना तो देश में कृषि मंडियां बन्द होंगी ना ही समर्थन मूल्य कम होगा।कुल मिलाकर जब किसानों के पास विकल्प होंगे तो उन्हें फायदा भी अधिक होगा किन्तु सभी विपक्षी राजनीतिक दल अपनी तुच्छ राजनीति और स्वार्थ के लिए किसानों को भड़काने में लगे हुए हैं।आज किसान रेल की पटरियों से लेकर सड़कों तक जमे हुए हैं।आमजन को परेशानी व मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है।देश को करोड़ों का नुकसान हो रहा है।वैसे तो यह आंदोलन व्यापारियों, दलालों, बिचौलियों को करना चाहिए था क्योंकि इनको ही इस विधेयक से नुकसान होने वाला है।अब तक ये लोग किसानों को तोल व मोल दोनों में ही मारते थे।अब किसान स्वतन्त्र है परन्तु देश के किसान फालतू हैं, मूर्ख हैं, बेवकूफ हैं, उनके कन्धों पर कोई भी बंदूक रखकर चला सकता है, बेवजह डंडे खाने को तैयार हैं तो फिर समझदार सड़कों पर क्यों आयेंगे?सभी विपक्षी दल अपने घोषणा पत्र में इन्हीं विधेयकों को लाने की बात करते थे मगर आज उन्हें लगने लगा कि इसका श्रेय तो कोई ओर ले जा रहा है तो आने वाले चुनावों में हम क्या कहेंगे?एक मुद्दा और कम हो जायेगा अतः हर अच्छी बात का विरोध इनकी मजबूरी है।आपने निजी स्वार्थ के लिए ये नेता किसी भी हद तक गिर सकते हैं, देश का अरबों रुपये का नुकसान करा सकते हैं।अभी तो किसानों के इस आंदोलन में कई राजनीतिक दल अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं।
धन्यवाद।जयहिन्द
पत्रकार कपिल शर्मा
भीलवाड़ा (राज.)
Mob. 9602240678

26/09/2020

. (Episode~114)22/9/20
प्रिय साथियों
नमस्कार।
हमारे देश में लोकसभा, राज्यसभा या किसी भी विधान सभा में जूतमपैजार, गालीगलौच, अनुशासन हीनता का होना कोई नई बात नहीं है।रविवार को राज्यसभा में कृषि विधेयकों के विरोध को लेकर जो भी हुआ वह इसी का ताजा उदाहरण है।इस बार कुछ विपक्षी सांसदों ने उपसभापति के पास जाकर नियम पुस्तिका व विधेयक की प्रतियां फाड़कर, माईक तोड़कर, हाथापाई व धक्का मुक्की कर, सभी सीमाओं को लांघकर, मर्यादाओं को तार तार कर जो अनुशासन हीनता का परिचय दिया उसकी जितनी भी निंदा की जाये वह कम है।हालांकि इन सांसदों को इस सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है परन्तु ऐसे अराजक तत्वों की सजा केवल निलम्बन तक न होकर कुछ और होनी चाहिये।ऐसा हमारा मानना है।इन तत्वों के निलंबन पर कांग्रेस तिलमिला उठी है, वह इनकी इस शर्मनाक हरक़तों पर पर्दा डालकर इनकी पैरवी करते हुए निलम्बन को अलोकतांत्रिक व गलत बता रही है।लोकतंत्र में विरोध करने का अधिकार है इसका अर्थ यह नहीं कि सभी मर्यादाओं का उल्लंघन कर धक्का मुक्की या हाथापाई पर उतर जाना।हम तो कहेंगे कि ऐसे सांसदों एवं उनका साथ देने वालों को शर्म आनी चाहिए ।ये लोग देश को क्या दिखाना चाहते हैं?जनता भी इनको कब तक बर्दाश्त करती रहेगी?
धन्यवाद।जयहिन्द
पत्रकार कपिल शर्मा
भीलवाड़ा (राज.)
Mob. 9602240678

20/09/2020

. (Episode~113)19/9/20
प्रिय साथियों
नमस्कार।
हम बार बार कहते हैं कि राजनीति से गंदी कोई चीज नहीं है।इसमें बाप-बेटे भी आपस में भरोसा नहीं करते हैं।इज्जत, मोरल, वफादारी, विश्वास जैसे अनेक शब्द राजनीति के शब्दकोश में नहीं होते हैं।इसका ताजा उदाहरण है कृषि से सम्बंधित तीन महत्वपूर्ण विधेयकों का विरोध।अब तक सभी राजनीतिक दलों द्वारा रोना रोया जाता था कि देश का किसान अपनी उपज बेचने के लिए स्वतंत्र नहीं है लेकिन अब जब किसानों को अपनी उपज कहीं भी बेचने की छूट दी जा रही है तो हल्ला मच रहा है कि ऐसा क्यों किया जा रहा है?जब इन विधेयकों को अध्यादेश के रूप में लाया गया था तब तो स्वागत किया गया था लेकिन जब इन्हें कानून का रूप देने की बारी आई तो कुछ दल अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेकने लगे।ये वही लोग हैं जो अपने घोषणा पत्र में इस तरह के विधेयक लाने की बात करते थे।किसानों के लिए बनाई गई मंडियों पर व्यापारियों व दलालों का कब्जा है।दलालों के हाथों किसान अपनी उपज को ओने पौने दामों पर बेचने को मजबूर हैं।नई व्यवस्था से इन बिचौलियों को तकलीफ हो रही है।किसान हितैषी होने का ढोंग व दिखावा करने वाले दल विरोध में उतर गये हैं।इसका उदाहरण है अकाली दल की हरसिमरत कौर का केंद्रीय मंत्रिमंडल से स्तीफा।जहाँ तक हम समझ पाये हैं यह स्तीफा पंजाब में कोंग्रेस सरकार को नीचा दिखाने या अपने को आगे दिखाने के लिए है।हर कोई चाहता है कि किसानों के पैरोकार होने का तमगा हमको मिले किसी ओर को नहीं।किसानों के हित में हम तो इतना ही कहेंगे कि सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य का ध्यान अवश्य रखना चाहिए।इस विधेयक से किसानों को स्वतंत्रता मिलेगी, वे कहीं भी अपनी फसल को बेचकर ज्यादा मुनाफा कमा सकेंगे, बिचौलियों से मुक्ति मिलेगी।वैसे तो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2005 में कहा था कि किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए मंडी कानून को खत्म कर कॉन्ट्रेक्ट फॉर्मिंग को बढ़ावा देना चाहिए।हरियाणा में कांग्रेस की हुड्डा सरकार के समय ही सबसे पहले फल व सब्जी को मंडी कानून के दायरे से बाहर किया गया था।अचरज इस बात का है कि कांग्रेस काल में लाये गये विधेयक की प्रति को कांग्रेसी नेता ही फाड़ रहे हैं।इसी को कहते हैं घटिया व ओछी राजनीति।
धन्यवाद।जयहिन्द
पत्रकार कपिल शर्मा
भीलवाड़ा

20/09/2020

. (Episode~112)14/9/20
प्रिय साथियों
नमस्कार।
आप सभी को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
हमारे लिए तो प्रत्येक दिवस हिंदी दिवस है क्योंकि हमारी मातृ भाषा और राष्ट्र भाषा हिंदी है।हम सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक हिंदी बोलते हैं, हिंदी के अखबार, साहित्य, कविताएं आदि पढ़ते हैं, हिंदी के धारावाहिक, फिल्म, समाचार आदि देखते हैं, फिर भी उन सभी को मुबारकबाद देते हैं जो यह सब आज के दिन अर्थात 14 सितम्बर को करते हैं।हिंदी दिवस पर हमारे देश में कई तरह के आयोजन होते हैं जैसे कि काव्य गोष्ठियां, कवि सम्मेलन, वाद विवाद, निबंध लेखन आदि फिर भी हमने इस दिवस को केवल सरकारी कार्यक्रम बना कर रख दिया है।हिन्दी की जितनी हिंदी और दुर्दशा हिदुस्तान में हुई, यदि किसी अन्य देशों में हुई होती तो आश्चर्य नहीं होता।यहाँ कोई भी इंसान बड़े गर्व से कह देता है कि मेरी हिंदी ठीक नहीं है, मैं हिंदी ठीक से नहीं बोल सकता लेकिन यह कहने में कि मुझे अंग्रेजी नहीं आती है लोग शर्म व हीन भावना से ग्रसित हो जाते हैं।विडम्बना है कि यहाँ अंग्रेजी बोलने वालों को बहुत ज्ञानी समझ लिया जाता है।हिन्दी भाषा पूरे विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में तीसरे स्थान पर है फिर भी भारत में राजस्थान, मध्यप्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में ही हिन्दी बोली जाती है।भारत में राजभाषा कानून 52 साल पहले ही बन चुका था।राजभाषा हिंदी का अलग से विभाग भी है लेकिन आज भी सरकारी कार्यालयों, बैंको, न्यायालयों में अंग्रेजी का उपयोग किया जाता है।आने वाली नई शिक्षा नीति के तहत कक्षा 5 वीं तक मातृ भाषा में शिक्षा दिये जाने के निर्देश कुछ उम्मीद जगाते हैं।एक सर्वे के मुताबिक अमेरिका जैसे देशों में हिन्दी बोलने वालों की संख्या बढ़ी है।हिन्दी के उपन्यासों की मांग बढ़ी है, अंग्रेजी के अखबारों का दायरा घट कर हिन्दी के अखबारों की तरफ रुझान बढ़ रहा है।बड़े बड़े प्रकाशन हिंदी भाषा में साहित्य, पत्र-पत्रिकाएं प्रकाशित कर रहे हैं।हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है जिस पर हमें गर्व होना चाहिए।हमें तिरंगे की तरह राष्ट्रभाषा का सम्मान करना चाहिए।हिन्दी ही है जो सभी धर्मों के लोगों को एकता के सूत्र में बांध कर रखती है।हिन्दी हमारे देश की धरोहर है।
धन्यवाद।जयहिंद

13/09/2020

. (Episode~111)13/9/20
प्रिय साथियों
नमस्कार।
राजस्थान के राज्य कर्मचारियों द्वारा पिछले कुछ दिनों से सरकारी आदेशों की होली जलाई जा रही है, जिला स्तर से तहसील स्तर तक ज्ञापनबाजी हो रही है, सदबुद्धि यज्ञ हो रहे हैं, गहलोत सरकार हाय हाय हो रही है।वजह है राज्य कर्मचारियों के एक दिन के वेतन की कटौती का आदेश।हमने हमारे पहले Episode ,18अप्रेल20 को ही लिख दिया था कि जिन कर्मचारियों को आज कोरोना वॉरियर, कोरोना योद्धा, कोरोना कर्मवीर कहा जा रहा है इनका असली चेहरा किसी से छुपा हुआ नहीं है।ऐसा कौनसा दिन है जब कोई न कोई कर्मचारी या अधिकारी भ्रष्टाचार या रिश्वत के मामले में ट्रैप नहीं किया जाता हो?धन्य हैं हमारे प्रदेश के सरकारी कर्मचारी जो प्रदेश एवं देश के लिए एक दिन, पन्द्रह दिन या तीस दिन का वेतन कुर्बान नहीं कर सकते तो ऐसे कर्मचारी वक़्त आने पर क्या देश के लिए अपनी जान कुर्बान करेंगे?यही फर्क है एक सैनिक और आम कर्मचारी में, यही वजह है कि सैनिक की शहादत पर लोग आँसू बहाते हैं, वे तिरंगे में राजकीय सम्मान के ,साथ लिपट कर आते हैं, तिरंगा भी उनके सम्मान में झुक जाता है, उनके शव पर पुष्प चक्र चढ़ाये जाते हैं, उनकी अंतिम यात्रा में पुष्प वर्षा होती है,पूरा देश उनको सलामी देता है लेकिन आम कर्मचारियों की मृत्यु पर ऐसा नहीं होता।देश के सैनिक हँसते हँसते अपनी जान कुर्बान कर देते हैं यहाँ तो केवल एक दिन के वेतन का सवाल है।इस देश में हमने कभी ऐसा नहीं सुना कि कर्मचारियों ने हड़ताल या आंदोलन किया हो,ज्ञापन दिये हों कि हम जब 365 दिनों में से 200 दिन भी ईमानदारी से काम नहीं करते हैं तो फिर हमें पूरे 365 दिनों का वेतन क्यों दिया जाता है? 165 दिनों के वेतन की कटौती क्यों नहीं की जाती?कोरोना काल में हमें घर बैठे रहने पर भी वेतन क्यों दिया गया?भ्रष्टाचार या रिश्वत लेने के मामलों में आजीवन कारावास क्यों नहीं होता?वास्तविकता तो यह है कि जितना वेतन सरकार दे रही है उसके भी हकदार नहीं हैं।इस देश में जब तक राजनेताओं को कुर्सी एवं सत्ता का लालच रहेगा, भ्रष्ट राजनेताओं का बोलबाला रहेगा,जब तक जनता सोती रहेगी तब तक हरामखोरी होती रहेगी।
धन्यवाद।जयहिन्द
पत्रकार कपिल शर्मा
भीलवाड़ा (राज.)
Mob. 9602240678

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