19/11/2021
तीन प्राकृतिक नियम जो कड़वे लेकिन सच हैं:
प्रकृति का पहला नियम:
यदि "बीज" खेत में नहीं लगाया जाता है, तो प्रकृति उसे "घास के भूसे" से भर देती है।
उसी प्रकार यदि "मन" में "अच्छे विचार" न भरे हों, तो "कुटिल मन" उसे अपना ठिकाना बना लेता है। यानी इसमें केवल "उल्टा" विचार होते हैं और "शैतान का घर" बन जाता है।
प्रकृति का दूसरा नियम:
जिसके पास "क्या है" वह "क्या" बांटता है।
* खुश रहने वाला व्यक्ति "खुशी" साझा करता है।
* दुःखी व्यक्ति "दुःख" बांटता है।
*विद्वान "ज्ञान" बांटता है।
* एक पवित्र व्यक्ति "धर्म" साझा करता है।
*भयभीत व्यक्ति शेयर करता है "डर"।
प्रकृति का तीसरा नियम:
जीवन में जो कुछ भी आपके पास है उसे "पचाना" सीखें, क्योंकि। मैं मैं
*"बीमारी" तब होती है जब खाना पचता नहीं है।
* धन पचने पर पाखंड बढ़ता है।
*जब शब्द पचता नहीं तो "गपशप" और "पीठ" बढ़ जाती है।
*"अभिमान" तब बढ़ता है जब परिभाषा पचा नहीं जाती।
*"शत्रुता" बढ़ती है क्योंकि निंदा पचती नहीं है।
*जब दु:ख पचता नहीं तो "निराशा" बढ़ जाती है।
*"खतरे" तब और बढ़ जाते हैं जब ताकत और ताकत पचा नहीं पाते।
अपने जीवन को आसान बनाएं और "उद्देश्यपूर्ण" और "नैतिक" जीवन जिएं, लोगों के लिए चीजों को आसान बनाएं।
Saad Ahmad