11/01/2023
कृपया विवाह करने से पहले जांच अवश्य कराये कि आप #थैलेसीमिया_माइनर_संवाहक है या नही ? वर्ना आपके बच्चे को हो सकती है, जानलेवा बिमारी!
' #थैलेसीमिया' यह माता या पिता अथवा दोनो से बच्चों में होने वाली बिमारी है।
भारतीय समाज में शादी से पूर्व कुंडली मिलाना एक आम बात है, लेकिन जरूरी है कि विवाह से पूर्व वर-वधु ब्लड टेस्ट के साथ ये जरूरी जांच कराएं।
यदि दोनों के ही ब्लड में इस तरह के लक्षण सामने आते हैं, तो दंपती की होने वाली संतान को एक ऐसी बीमारी हो सकती है जो ना केवल जानलेवा है बल्कि इसका इलाज भी जटिल है।
"महिलाओं और पुरुषों के शरीर में #क्रोमोजोम_की_खराबी से #माइनर_थैलेसीमिया होने की वजह बनती है. यदि दोनों ही माइनर थैलेसीमिया से पीड़ित होते हैं, तो शिशु को #मेजर_थैलेसीमिया होने की संभावना बढ़ जाती है. जन्म के तीन महीने बाद ही बच्चे के शरीर में खून बनना बंद हो जाता है और उसे बार-बार खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है।"
दरअसल, हम बात कर रहे हैं थैलेसीमिया की, यह एक गंभीर बीमारी है, और इससे केवल दो तरीके से रोका जा सकता है।
पहला शादी से पहले लड़के और लड़की का ब्लड टेस्ट कराना बहुत जरूरी हो जाता है. यदि ब्लड टेस्ट में दोनों के ब्लड में माइनर थैलेसीमिया पाया जाए तो बच्चे को मेजर थैलेसीमिया होने की पूरी संभावना बन जाती है. ऐसी स्थिति में मां के 10 सप्ताह तक प्रेगनेंट होने पर शिशु की जांच होनी चाहिए. इससे गर्भ में पल रहे बच्चे में थैलेसीमिया की बीमारी का पता लगाया जा सकता है।
दूसरा उपाय यह कि यदि शादी के बाद माता-पिता को पता चले कि बच्चा थैलेसीमिया से पीड़ित है, तो बोन मेरो ट्रांसप्लांट पद्धति से शिशु के जीवन को सुरक्षित किया जा सकता है।
बच्चे के जन्म के पांच महीने की उम्र से ही थैलेसीमिया से ग्रस्त हो जाता है और उसे हर महीने रक्त ट्रांसफ्यूजन की जरूरत पड़ती है. थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चे एक निश्चित उम्र तक ही जीवित रह पाते हैं।
"सामान्य रूप से शरीर में रेड ब्लड सेल्स (लाल रक्त कणों) की उम्र करीब 120 दिनों की होती है, लेकिन थैलेसीमिया के कारण रेड ब्लड सेल्स की उम्र कम हो जाती है, जिससे बार-बार बच्चे को बाहरी ब्लड चढ़ाना पड़ता है. खास बात यह है कि ऐसी स्थिति में अधिकांश माता-पिता बच्चे का इलाज कराने में अक्षम हो जाते हैं, जिससे 12 से 15 वर्ष की आयु में बच्चों की मृत्य हो जाती है. यदि सही से इलाज कराया भी गया तो भी 25 साल और इससे कुछ ज्यादा साल तक ही रोगी जीवित रह सकता है।"
इसलिए शादी से पहले जांच अवश्य कराये।
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