Mamta Singh Kanwar

Mamta Singh Kanwar Contact information, map and directions, contact form, opening hours, services, ratings, photos, videos and announcements from Mamta Singh Kanwar, Digital creator, Beohari.

20/11/2023
22/09/2023

मुझे नींद नहीं आती अकेले में,
कम से कम ख्वाबों में तो आया करों !!

22/09/2023

कभी यादें कभी बातें कभी पिछली मुलाकाते,
बहुत कुछ याद आता है एक तेरे याद आने से..!

09/09/2023

इन पहाड़ों की चमक मेरी निगाहों में है
शौक़ सफ़रों का मेरी उम्र की आहों में है!

राह मेरी उसकी चाहत की पनाहों में है
मेरी मंज़िल उसकी फैली हुई बाँहों में है!!

06/09/2023

हों उसकी रहमतें वो तार दिल के जोड़ देता है,

बुराई वाले रस्तों पर भी नेकी छोड़ देता है,

मगर जो पाप के हमनें घड़े भरना नही छोड़े,

तो मटकी फोड़ वो कान्हा ये मटके फोड़ देता है !!

एक नायाब मशविरे के साथ श्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं...............

05/09/2023

मेरा ज़मीर बहुत है मुझे सज़ा के लिए
तू दोस्त है तो नसीहत न कर ख़ुदा के लिए

30/08/2023

पापा, बुआ आ गई।

18/08/2023

कभी-कभी छोड़ जाता है कोई आदमी,

चीजें नहीं, बातें ....

काट देते हैं जिनके सहारे

बाद के लोग, अंधेरे से अंधेरी रातें।।

: भवानीप्रसाद मिश्र

18/08/2023

सतपुड़ा के घने जंगल, नींद मे डूबे हुए से: भवानी प्रसाद मिश्र

सतपुड़ा के घने जंगल।
नींद मे डूबे हुए से
ऊंघते अनमने जंगल।

झाड़ ऊंचे और नीचे,
चुप खड़े हैं आंख मीचे,
घास चुप है, कास चुप है
मूक शाल, पलाश चुप है।

बन सके तो धंसो इनमें,
धंस न पाती हवा जिनमें,
सतपुड़ा के घने जंगल
ऊंघते अनमने जंगल।

चलो इन पर चल सको तो
सड़े पत्ते, गले पत्ते,
हरे पत्ते, जले पत्ते,
वन्य पथ को ढंक रहे-से
पंक-दल में पले पत्ते।
चलो इन पर चल सको तो,
दलो इनको दल सको तो,

ये घिनौने, घने जंगल
नींद में डूबे हुए से
ऊंघते अनमने जंगल।
पैर को पकड़ें अचानक
अटपटी-उलझी लताएं,
डालियों को खींच खाएं,
पैर को पकड़ें अचानक,
प्राण को कस लें कपाएं।
सांप सी काली लताएं
बला की पाली लताएं

लताओं के बने जंगल
नींद में डूबे हुए से
ऊंघते अनमने जंगल।
मकड़ियों के जाल मुंह पर
मकड़ियों के जाल मुंह पर,
और सर के बाल मुंह पर
मच्छरों के दंश वाले,
दाग काले-लाल मुंह पर,
वात-झन्झा वहन करते,
चलो इतना सहन करते,

कष्ट से ये सने जंगल,
नींद मे डूबे हुए से
ऊंघते अनमने जंगल।
अजगरों से भरे जंगल
अजगरों से भरे जंगल
अगम, गति से परे जंगल
सात-सात पहाड़ वाले,
बड़े-छोटे झाड़ वाले,
शेर वाले बाघ वाले,
गरज और दहाड़ वाले,

कम्प से कनकने जंगल,
नींद मे डूबे हुए से
ऊंघते अनमने जंगल।

इन वनों के खूब भीतर,
चार मुर्गे, चार तीतर
पाल कर निश्चिन्त बैठे,
विजनवन के बीच बैठे,
झोंपड़ी पर फूस डाले
गोंड तगड़े और काले।
जब कि होली पास आती
जब कि होली पास आती,
सरसराती घास गाती,
और महुए से लपकती,
मत्त करती बास आती,
गूंज उठते ढोल इनके,
गीत इनके, बोल इनके

सतपुड़ा के घने जंगल
नींद मे डूबे हुए से
उंघते अनमने जंगल।

जागते अंगड़ाइयों में,
खोह-खड्डों खाइयों में,
घास पागल, कास पागल,
शाल और पलाश पागल,
लता पागल, वात पागल,
डाल पागल, पात पागल
मत्त मुर्गे और तीतर,
इन वनों के खूब भीतर।
क्षितिज तक फ़ैला हुआ-सा
क्षितिज तक फ़ैला हुआ-सा,
मृत्यु तक मैला हुआ-सा,
क्षुब्ध, काली लहर वाला
मथित, उत्थित जहर वाला,
मेरु वाला, शेष वाला
शम्भु और सुरेश वाला
एक सागर जानते हो,
उसे कैसा मानते हो?

ठीक वैसे घने जंगल,
नींद मे डूबे हुए से
ऊंघते अनमने जंगल।

धंसो इनमें डर नहीं है,
मौत का यह घर नहीं है,
उतर कर बहते अनेकों,
कल-कथा कहते अनेकों,
नदी, निर्झर और नाले,
इन वनों ने गोद पाले।
लाख पंछी सौ हिरन-दल
लाख पंछी सौ हिरन-दल,
चांद के कितने किरण दल,
झूमते बन-फूल, फलियां,
खिल रहीं अज्ञात कलियां,
हरित दूर्वा, रक्त किसलय,
पूत, पावन, पूर्ण रसमय

सतपुड़ा के घने जंगल,
लताओं के बने जंगल।

11/08/2023

जिंदगी की किताब का सबसे हसीन पन्ना,
माँ-बाप का हंसता हुआ चेहरा !!

06/08/2023

बहते हुए पानी ने
पत्थरों पर निशान छोड़े हैं

अजीब बात है
पत्थरों ने पानी पर
कोई निशान नहीं छोड़ा।
~नरेश सक्सेना

05/08/2023

कुछ लोगों ने मुझसे कहा…
“बहुत बदल गया है तु”
मैने भी मुस्कुराकर कहा…
“लोगों के हिसाब से जिना छोड़ दिया है मैने.”

05/08/2023

राम ब्रह्म चिनमय अबिनासी।
सर्ब रहित सब उर पुर बासी।।

श्री अयोध्या जी में निर्माणाधीन प्रभु श्री राम के भव्य-दिव्य मंदिर के भूमि-पूजन की वर्षगांठ पर सभी प्रदेश वासियों और रामभक्तों को हार्दिक बधाई!

यह पावन दिन युगों-युगों तक सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक रहेगा।

जय श्री राम!

04/08/2023

कुछ लोग अपनी अकड़ की बजह से कीमती रिश्ते खो देते हैं..
और कुछ लोग रिश्ते बचाते बचाते अपनी कद्र खो देते हैं ..!!

https://youtu.be/1YDAm5JGDaw
04/08/2023

https://youtu.be/1YDAm5JGDaw

This video is about khatu shyam jee. Khatu Shyam Jee Temple situated in sikar rajasthan where everyday thousands of pilgrims come and pray in khatu shyam jee...

04/08/2023

सतपुड़ा के घने जंगल
सतपुड़ा के घने जंगल।
नींद मे डूबे हुए से
ऊँघते अनमने जंगल।

झाड़ ऊँचे और नीचे,
चुप खड़े हैं आँख मींचे,
घास चुप है, कास चुप है
मूक शाल, पलाश चुप है।
बन सके तो धँसो इनमें,
धँस न पाती हवा जिनमें,
सतपुड़ा के घने जंगल
ऊँघते अनमने जंगल।

सड़े पत्ते, गले पत्ते,
हरे पत्ते, जले पत्ते,
वन्य पथ को ढँक रहे-से
पंक-दल में पले पत्ते।
चलो इन पर चल सको तो,
दलो इनको दल सको तो,
ये घिनौने, घने जंगल
नींद में डूबे हुए से
ऊँघते अनमने जंगल।

अटपटी-उलझी लताऐं,
डालियों को खींच खाऐं,
पैर को पकड़ें अचानक,
प्राण को कस लें कंपाऐं।
सांप सी काली लताएँ
बला की पाली लताएँ
लताओं के बने जंगल
नींद मे डूबे हुए से
ऊँघते अनमने जंगल।

मकड़ियों के जाल मुँह पर,
और सर के बाल मुँह पर
मच्छरों के दंश वाले,
दाग काले-लाल मुँह पर,
वात- झन्झा वहन करते,
चलो इतना सहन करते,
कष्ट से ये सने जंगल,
नींद मे डूबे हुए से
ऊँघते अनमने जंगल|

अजगरों से भरे जंगल।
अगम, गति से परे जंगल
सात-सात पहाड़ वाले,
बड़े छोटे झाड़ वाले,
शेर वाले बाघ वाले,
गरज और दहाड़ वाले,
कम्प से कनकने जंगल,
नींद मे डूबे हुए से
ऊँघते अनमने जंगल।

इन वनों के खूब भीतर,
चार मुर्गे, चार तीतर
पाल कर निश्चिन्त बैठे,
विजनवन के बीच बैठे,
झोंपडी पर फूस डाले
गोंड तगड़े और काले।
जब कि होली पास आती,
सरसराती घास गाती,
और महुए से लपकती,
मत्त करती बास आती,
गूंज उठते ढोल इनके,
गीत इनके, बोल इनके

सतपुड़ा के घने जंगल
नींद मे डूबे हुए से
उँघते अनमने जंगल।

जागते अँगड़ाइयों में,
खोह-खड्डों खाइयों में,
घास पागल, कास पागल,
शाल और पलाश पागल,
लता पागल, वात पागल,
डाल पागल, पात पागल
मत्त मुर्गे और तीतर,
इन वनों के खूब भीतर।
क्षितिज तक फ़ैला हुआ सा,
मृत्यु तक मैला हुआ सा,
क्षुब्ध, काली लहर वाला
मथित, उत्थित जहर वाला,
मेरु वाला, शेष वाला
शम्भु और सुरेश वाला
एक सागर जानते हो,
उसे कैसा मानते हो?
ठीक वैसे घने जंगल,
नींद मे डूबे हुए से
ऊँघते अनमने जंगल|

धँसो इनमें डर नहीं है,
मौत का यह घर नहीं है,
उतर कर बहते अनेकों,
कल-कथा कहते अनेकों,
नदी, निर्झर और नाले,
इन वनों ने गोद पाले।
लाख पंछी सौ हिरन-दल,
चाँद के कितने किरन दल,
झूमते बन-फूल, फलियाँ,
खिल रहीं अज्ञात कलियाँ,
हरित दूर्वा, रक्त किसलय,
पूत, पावन, पूर्ण रसमय
सतपुड़ा के घने जंगल,
लताओं के बने जंगल।
- भवानीप्रसाद मिश्र

04/08/2023

इंसान जब भी किसी चीज़ से परेशान होता है, तो वो उस चीज़ को बदल लेता है लेकिन वो फिर भी परेशान रहता है क्योंकि वो ख़ुद को नहीं बदलता..!

03/08/2023

पलटकर जवाब देना बेशक गलत बात है लेकिन सुनते रहो तो लोग बोलने की सारी हदें पार कर जाते हैं 🙏🏻

03/08/2023

*किसी की सलाह से रास्ते जरूर मिलते हैं, पर मंजिल तो खुद की मेहनत से ही मिलती है*🙏

03/08/2023

कोई गर थक जाता है बेहद थक जाता है तो मैं हर पल उसके साथ रहने की कोशिश करता हूं, उसके पांव दबाता हूं उसका सिर सहलाता हूं, मेरे ऐसा करने की एक ही वजह है...

मैं उसे वो कभी नहीं होने देना चाहता...

-जो होने का इल्जाम दुनिया उस पर लगाती है...

-जो वो खुद भी कभी नहीं होना चाहता था...

-जो वो सारी मशकतों के बाद थक हार कर हो जाने की कगार पर होता है...

उसके साथ बने रहने के लिए मेरे लिए बस एक यही वजह काफी है...

03/08/2023

कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिये
कहाँ चराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिये

यहाँ दरख़्तों के साये में धूप लगती है
चलो यहाँ से चले और उम्र भर के लिये

न हो क़मीज़ तो घुटनों से पेट ढक लेंगे
ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफ़र के लिये

ख़ुदा नहीं न सही आदमी का ख़्वाब सही
कोई हसीन नज़ारा तो है नज़र के लिये

वो मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता
मैं बेक़रार हूँ आवाज़ में असर के लिये

जियें तो अपने बग़ीचे में गुलमोहर के तले
मरें तो ग़ैर की गलियों में गुलमोहर के लिये.

मयस्सर=उपलब्ध

मुतमईन=संतुष्ट

मुनासिब=ठीक

Address

Beohari

Telephone

+918966057394

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Mamta Singh Kanwar posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Videos

Share


Other Digital creator in Beohari

Show All