30/05/2023
✍️✍️ ✍️हिंदी पत्रकारिता पर विशेषालेख ✍️✍️✍️
📢 हिन्दी पत्रकारिता समय के साथ समाज की दिग्दर्शिका और नियामिका है➡️ हिमांशु वैश्य ✍️
👉🏽पत्रकार में मनोवैज्ञानिक, वकील, कुशल लेखक, वक्ता और गुप्तचरी गुणों का समावेश होना चाहिए ✍️
📢ज्ञान और विचारों को समीक्षात्मक टिप्पणियों के साथ शब्द, ध्वनि तथा चित्रों के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाना ही पत्रकारिता है। यह वह विद्या है जिसमें सभी प्रकार के पत्रकारों के कार्यो, कर्तव्यों और लक्ष्यों का विवेचन होता है। पत्रकारिता समय के साथ समाज की दिग्दर्शिका और नियामिका भी है।
पत्रकारों में मनोवैज्ञानिक, वकील, कुशल लेखक, वक्ता और गुप्तचर के गुणों का समावेश होना चाहिए। तभी वह एक घटना में समाचार का बोध कर उसे जनता के समक्ष ला पाता है। इसके अतिरिक्त उसे दूरदर्शी भी होना चाहिए, तभी वह यह समझ पाएगा कि किस खबर का लोगों, समाज और देश पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
बताते चलें हिन्दी पत्रकारिता की शुरुआत बंगाल से हुई और इसका श्रेय राजा राममोहन राय को दिया जाता है। राजा राममोहन राय ने ही सबसे पहले प्रेस को सामाजिक उद्देश्य से जोड़ा। भारतीयों के सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक, आर्थिक हितों का समर्थन किया।
✍️हिंदी पत्रकारिता दिवस हर साल ३० मई को मनाया जाता है। दरअसल इसे मनाने की वजह यह है कि इसी दिन साल १८२६ में हिंदी भाषा का पहला अखबार 'उदन्त मार्तण्ड' प्रकाशित होना शुरू हुआ था। इसका प्रकाशन तत्कालीन कलकत्ता शहर से किया जाता था
पं.जुगल किशोर ने इसकी शुरुआत किया था।
👉🏽पत्रकारिता का स्वरूप और विशेषताएँ👇
मेरा मानना है सामाजिक सरोकारों तथा सार्वजनिक हित से जुड़कर ही पत्रकारिता सार्थक बनती है। सामाजिक सरोकारों को व्यवस्था की दहलीज तक पहुँचाने और प्रशासन की जनहितकारी नीतियों तथा योजनाआें को समाज के अन्तिम व्यक्ति तक ले जाने के दायित्व का निर्वाह ही सार्थक पत्रकारिता है।
इनमें संसदीय पत्रकारिता, न्यायालय पत्रकारिता, आर्थिक पत्रकारिता, खेल पत्रकारिता, विज्ञान और विकास पत्रकारिता, अपराध पत्रकारिता तथा कला एवं चित्रशाला की पत्रकारिता शामिल हैं। इन क्षेत्रों के समाचार और उनकी व्याख्या उन विषयों में विशेषता हासिल किए बिना देना कठिन होता है। और कहीं भी कोई गड़बड़ी हो तो उसका पर्दाफ़ाश करना है।
तथ्यों का सम्मान और जनता के सत्य के अधिकार के लिए पत्रकार का पहला कर्तव्य है। इस कर्तव्य के पालन में, पत्रकार हर समय समाचारों के ईमानदार संग्रह और प्रकाशन में स्वतंत्रता के सिद्धांतों और निष्पक्ष टिप्पणी और आलोचना के अधिकारी भी हैं।
पत्रकारिता समाचार और सूचना एकत्र करने, मूल्यांकन करने, बनाने और प्रस्तुत करने की गतिविधि है। यह इन गतिविधियों का उत्पाद भी है। कुछ पहचान योग्य विशेषताओं और प्रथाओं द्वारा पत्रकारिता को अन्य गतिविधियों और उत्पादों से अलग किया जा सकता हैं जबकि भारत मे पत्रकारिका का उदय बहुत सामान्य रूप मे हुआ। नारद मुनि को पत्रकारों का पूर्वज माना जाता है। महर्षि नारद अपने समय मे विश्व के सभी स्थानों का भ्रमण करके सामाचार संचय और प्रचार-प्रसार का कार्य करते थे, जिससे संबंधित व्यक्ति तद्नुसार अपना कार्य-सम्पादक कर सके। नारद के कार्य मे जनहित की भावना ही रहती थी। वास्तविक पत्रकारिता मे उस बात को अभिव्यक्त मिलनी चाहिए, जिसे जनता सोचती है। इसी कारण अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जनता का मूल अधिकार माना गया है। प्रेस वास्तव मे ही जन-विचारधार का प्रतिनिधित्व करता है। समाचार-पत्र का एक उद्देश्य जनता की इच्छाओं-विचारों को समझना और उन्हें व्यक्त करना है, दूसरा उद्देश्य जनता में वांछनीय भावनाओं को जाग्रत करना और तीसरा उद्देश्य सार्वजनिक दोषों को निर्भयतापूर्वक प्रकट करना है।
वास्तव में समाचार-पत्र वर्तमान इतिहास का मुख्य प्रवक्ता होता है और इतिहास हर उस कार्य से बनता है जो जनता के हित मे है, जिसकी ओर जनता का ध्यान आकर्षित होता है एवं जिससे जनता की रूचि परिष्कृत होती है। कथन है कि पत्रकारिता के क्षेत्र मे कार्य करने वाले लोग शिकायतखोर, टीकाकार, सलाहकार, बादशाहों के प्रतिनिधि और राष्ट्र के शिक्षक होते है। चार विरोधी अखबार हजार संगीनों से अधिक खतरनाक माने गये है। पत्रकारिता के पुरोधाओं ने कहा है कि खींचो न कमानों को न तलवार निकालों, जब तोप मुकाबिल हो तो अखबार निकालों।
👉🏽पत्रकारिता का अर्थ 👇
हिन्दी मे भी पत्रकारिता का अर्थ लगभग यही है। 'पत्र' से 'पत्रकार' और फिर 'पत्रकारिता' से इसे समझा जा सकता है। 'पत्रकार' का अर्थ समाचार-पत्र का संपादक या लेखक और 'पत्रकारिता' का अर्थ पत्रकार का काम या पेशा, समाचार के संपादन, समाचार इकट्ठे करने आदि का विवेचन करने वाली विद्या। लगभग सभी समाचार माध्यमों से संदेश या सूचना का प्रसार एक तरफा होता है। पत्रकारिता एक ऐसा कलात्मक सेवा कार्य है जिसमें सम -सामयिक घटनाओं को शब्द एवं चित्र के माध्यम से जन-जन तक आकर्षक ढंग से प्रस्तुत किया हो और जो व्यक्ति से लेकर समूह तक और देश से लेकर विश्व तक के विचार, अर्थ, राजनीति और यहाँ तक कि संस्कृति को भी प्रभावित करने में सक्षम हो। इसलिए समाचार शीघ्रता में लिखा गया इतिहास होता है। समय के साथ पत्रकारिता का मूल्य बदलता गया है। आज इंटरनेट और सूचना अधिकार ने पत्रकारिता को बहु आयामी और अनंत बना दिया है।
एक-एक दिवस का कार्य अथवा उसकी विवरणिका प्रस्तुति पत्रकारिता दैनिक जीवन की घटनाओं तथा उनके आधार पर प्रकाशित पत्रों की संवाहिका होती है। इसमें घटनाओं, तथ्यों, व्यवस्थापरकता के साथ-साथ राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक तथा कलात्मक संदर्भों की प्रस्तुति होती है।"
न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका तथा प्रेस में मैं चौथा खंभा हूं तो पत्रकार होने के नाते मेरा अधिकार तथा कर्तव्य है कि इन तीनों खंभों का मैं आत्म मंथन करूं।
समाचार-पत्र समाज के सामने समस्या के कई विकल्प प्रस्तुत करते है। इससे समाज को निर्णयानुसार अपना रास्ता चुनने में आसानी होती है। समाचार-पत्रों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे विश्व का दर्पण मनुष्य के हाथों में सौंप देता है। संप्रेषण के माध्यमों के विकास ने पत्रकारिता को इतना व्यापक बना दिया है कि आज हम घटनाओं को देखते हुए देख व सुन सकते है। दूरदर्शन अर्थात् 'टेलीविजन' हम हजारों सैकड़ो किलोमीटर की दूरी की चीजों को आमने-सामने देख सकते है। इसी के माध्यम से हम बच्चे, युवा, बूढ़े, पढ़े-अनपढ़, सभी को घर बैठे-बैठे ही तरह-तरह की शिक्षाप्रद जानकारी दे सकते है।
ज्ञान और विज्ञान दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कुछ सफल हो सकता है?
३० मई २०२३ बस्ती फोरम समाचार सेवा ०७:०९ बजे
👉🏽 समाज का आइना 👇
पत्रकारिता समाज का आइना है। समाज में कब, कहां, क्यों, कैसे, क्या हो रहा है? इन प्रश्नों का उत्तर पत्रकारिता है। "पत्रकारिता वह माध्यम है, जिसके द्वारा हम अपने मस्तिष्क में उस दुनिया के बारे में समस्त सूचनाएं संकलित करते है, जिसे हम स्वतः कभी नही जान सकते। पत्रकारिता सामाजिक जीवन की सत्-असत्, दृश्य-अदृश्य तथा शुभ-अशुभ छवियों का दर्पण है। समाज में फैली कुरीतियों, अंधविश्वासों रूढ़ियों आदि के प्रति भी पत्रकारिता संघर्ष छेड़ती है तथा समाज से इन बुराइयों को मिटाने का प्रयत्न करती है।
👉🏽 सूक्ष्म शक्ति 👇
पत्रकारिता के माध्यम से परिवेश का सर्वांगीण निरूपण होता है। आज हमारा जीवन पर्याप्त जटिल तथा संकुल हो गया है। प्रतिपल घटने वाली करूणाजनक, भयावह तथा कंपा देने वाली घटनाओं से मनुष्य आश्चर्यचकित हो जाता है। मानवीय संबंधों मे आज परिवर्तन हो रहा है। उन संबंधो का सूक्ष्म निरूपण तथा प्रस्तुतीकरण अनेक बार हमें उपकरणों एवं समाचार-पत्रों से मिलती है। पत्रकार समाज के सजग प्रहरी के रूप में समाज में घटित घटनाओं को गहराई से समझता है। बदलते हुये परिवेश और मानव संबंधों की जटिलता के कारणों, प्रतिक्रियाओं तथा परिणामों का विश्लेषण करता है। पत्रकारिता परिवेश के शरीर अर्थात् स्थूल घटनाचक्र के साथ-साथ मन अर्थात् सूक्ष्म संबंधों तक को उजागर करती है।
👉🏽 सर्जनात्मकता 👇
स्वस्थ पत्रकारिता का लक्षण नीर-क्षीरवत् विवेचन एवं निर्णय का काम होता है। जो पत्रकारिता गहराई तक अपनी पहुंच रखती है, उसे मात्र निषेधात्मक मानना औचित्यपूर्ण है, क्योंकि एक 'पत्रकार भविष्यदृष्टा भी होता है। वह समस्त राष्ट्र की जनता की लगभग सभी प्रवृत्तियों, अनुभूतियों और आत्मा का साक्षात्कार करता है। पत्रकार किसी को ब्रह्राज्ञानी नही बना सकता, परन्तु मनुष्य की भांति जीते रहने की प्रेरणा देता है। जहां उसे अन्याय, अज्ञान, उत्पीड़न, प्रवंचना, भ्रष्टाचार, कदाचार दिखाई देता है, वह उनका ताल ठोककर विरोध करता है तथा आशातीत आत्मविश्वास एवं दृढ़ता से प्राणी-प्राणी में शांति एवं सद् भाव की स्थापना करता है। सच्चा पत्रकार निर्माण क्रांति की लपटों से, समाज की बुराइयों को भस्म करने का आयोजन करता है।"
👉🏽 सामाजिक मूल्यों की विधायिका 👇
पत्रकारिता स्वस्थ्य सामाजिक मूल्यों की नियामिका है। देश व समाज मे व्याप्त असंतोष, भले ही वह देश, जाति, धर्म के रूप में क्यों न हो, पत्रकारिता उसका सही विश्लेषण करती है। उदाहरणार्थ, आपातकाल के दौरान देश मे परिवार नियोजन के प्रति लोगों में आक्रोश पैदा हुआ और उसकी जो भी प्रतिक्रिया हुई उसका विस्तार ब्यौरा प्रकाशित करके मनुष्य को उसके प्रति अच्छी तथा बुरी बातें बताकर उसने उसका मार्ग प्रशस्त किया। यह राष्ट्र में घटने वाली सभी महत्वपूर्ण घटनाओं के बारें में चिंतन की प्रक्रिया को जन्म देकर उसे सही दिशा में अग्रसर होने में सहायता करती है। वास्तविक पत्रकारिता तो एक मार्गदर्शिका, जीवन-निर्मात्री तथा सामाजिक मूल्यों की विधायिका है।
👉🏽 परिवेश से साक्षात्कार पत्रकारिता
परिवेश से रूबरू कराती है 👇
पत्रकारिता मनुष्य को उसके परिवेश से अंर्तंराष्ट्रीय घटनाचक्र से जोड़ देती है। पत्रकारिता मनुष्य को उसके चारों तरफ हो रहे घटनाचक्रों से परिचित कराती है। पत्रकारिता के माध्यम से न सिर्फ हम अपने परिवेश से परिचित होते है, बल्कि सूदूरवर्ती देशों से भी हमारा साक्षात्कार कुछ ही क्षणों मे हो जाता है। यही क्यों, कहीं कुछ घटित हुआ कि नही इसकी खबर हम न केवल पढ़ ही पाते है, अपितु कई उपकरणो द्वारा उस घटना का आंखो देखा चित्र भी देख लेते है।
👉🏽 विविधात्मकता 👇
पत्रकारिता का क्षेत्र न केवल विविधात्मक है वरन् व्यापक भी है। जीवन का कोई भी विषय या कोई भी पक्ष पत्रकारिता से अछूता नही। आज प्रत्येक विषय से संबंधित पत्र-पत्रिकाएं प्रकाशित होती है। प्रत्येक समूह का व्यक्ति अपने विषय के संबंध में नवीनतम जानकारी और ज्ञान के लिए पत्रकारिता को ही माध्यम बनाते है। पत्रकारिता का क्षेत्र अब व्यापक हो गया है। वह समाचारों या राजनीति की सीमा से परे है, बल्कि साहित्य, फिल्म, खेल-कूद, वाणिज्य, व्यवसाय, विज्ञान, धर्म, हास्य, व्यंग्य तथा ग्रामीण क्षेत्र में भी प्रवेश कर चुकी है।
👉🏽विकृति विनाशक 👇
पत्रकारिता समाज की विकृतियों का निर्ममता से पर्दाफाश करके उन्हें समूह नष्ट करने का प्रयास करती है। पत्रकार की नजर तीखी व तेज होती ही है, वरन् शिव जैसी तीसरी आंख भी होती है। यही कारण है कि पत्रकार परिवेश के शरीर में दौड़ते हुए रक्त या उसके रक्तचाप की परीक्षा करता है, उसकी धड़कनों का हिसाब रखता है। जब वह अधिक विकृत होने लगता है, तब पत्रकार कुशलतापूर्वक सामाजिक परिवेश की पारदर्शी जांच भी प्रस्तुत कर देता है।
👉🏽 संप्रेषण का सशक्त माध्यम 👇
पत्रकारिता संप्रेषण का एक सशक्त माध्यम है। रेडियों, टेलीविजन, फिल्म, समाचार-पत्र आदि ऐसे माध्यम है, जिनके द्वारा समाज मे किसी भी क्षेत्र में घटित घटनाएं हमें तुरंत ही मिल जाती है। पत्रकारिता जनता को सचेत करती है साथ ही उसे शिक्षित करती हुई उसे सुरुचिपूर्ण मनोरंजन भी प्रदान करती है। यही वह साधन है, जो हमें विश्व मे होने वाले, संपूर्ण नवीन आविष्कारों, घटनाओं और अनुसंधानों से परिचित कराकर प्रभावित करता है।