Ashok Devraj

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हमारे अथक प्रयास से मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से हमारे विधानसभा के दोनों प्रखंड कटोरिया एवं बौंसी के टोटल 27 सड़कों...
11/03/2024

हमारे अथक प्रयास से मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से हमारे विधानसभा के दोनों प्रखंड कटोरिया एवं बौंसी के टोटल 27 सड़कों का टेंडर प्रक्रिया के साथ संवेदक बहाल कर दिया गया है ।
इन सड़कों के निर्माण हो जाने से लोगों को आवागमन मे काफी सुविधा मिलेगी।
जिन सड़कों का टेंडर प्रक्रिया के बाद संवेदक बहाल हो गए हैं वो निम्न प्रकार से है।
1. झालर से कुशवरना
2. सिंचाई डैम रोड से सरैया
3. कल्हाजोर से मेमनडीह
4. बंधुआकुरावा से मनियापहाड़ी
5. गोकुला रोड से चरघरा
6. डेरियापाथर से बगीचा मिर्धा टोला
7. काली मन्दिर से डुमरिया
8. रामपुर पबरा से दुल्हनडीह
9. भतडीहा से पहाड़पुर
10. करझौंसा सठियारी रोड से कुबरीबेल
11. मरुआवरन से महादलित टोला
12. तेतरिया झारखंड बोर्डर रोड से ओस्ता बाजार
13. चिडैयामोड इंदूडीह रोड से नवाडीह
14. मालबथान जमदाहा रोड से दादूघाट
15. जयपुर जमदाहा RCD रोड से महेशमारा
16. जयपुर जमदाहा RCD रोड से डबराकोल
17. जयपुर जमदाहा RCD रोड से थमहान
18. जयपुर जमदाहा RCD रोड से मोहीपुर कुरावा
19. जयपुर जमदाहा RCD रोड से महादेवा वरन
20. मालबथान जमदाहा रोड से बाराकोला
21. मालबथान जमदाहा रोड से जमुआ टिल्हा
22. जयपुर जमदाहा RCD रोड से दिग्घीबाँध सुमन टोला
23. मल्होरीचक हेथमडिया रोड से बंगालगढ़
24. लोगांय पथ टोमझर से खुशीदोल
25. जखाजोर, पीपरा मोड से खकरना गाँव
26. देवघर कटोरिया रोड ओम नगर से हिरना
27. मथुरामोड़ से केंदुआर रोड से कहवा आदिवासी टोला

धन्यवाद 🙏

28/11/2023

Namaskar Doston Aap Dekh Rahe Hain Ashok Devraj page Par
कई गुप्त रहस्यों से भरा है Mandar पर्वत |समुद्र मंथन में इस्तेमाल हुआ था पर्वत,आज भी हैं इसके निशांन



स्त्रियों के अर्धनग्न और छोटे कपडो़ में घूमने पर जो लोग या स्त्रियाँ ये कहते हैं कि कपड़े नहीं सोच बदलोउन लोगों से कुछ प्...
02/11/2023

स्त्रियों के अर्धनग्न और छोटे कपडो़ में घूमने पर जो लोग या स्त्रियाँ ये कहते हैं कि कपड़े नहीं सोच बदलो
उन लोगों से कुछ प्रश्न हैं !! आशा है आप जवाब देंगे 🙏

1)पहली बात - हम सोच क्यों बदलें?? सोच बदलने की नौबत आखिर आ ही क्यों रही है??? आपके अनुचित आचरण के कारण ??? और आपने लोगों की सोच का ठेका लिया है क्या??

2) दूसरी बात - आप उन लड़कियों की सोच का आकलन क्यों नहीं करते?? कि उन्होंने क्या सोचकर ऐसे कपड़े पहने कि उसके स्तन पीठ जांघे इत्यादि सब दिखाई दे रहा है....इन कपड़ों के पीछे उसकी सोच क्या थी?? एक निर्लज्ज लड़की चाहती है की पूरा पुरुष समाज उसे देखे, वहीँ दूसरी तरफ एक सभ्य लड़की बिलकुल पसंद नहीं करेगी की कोई उसे इस तरह से देखे।

3)अगर सोच बदलना ही है तो क्यों न हर बात को लेकर बदली जाए??? आपको कोई अपनी बीच वाली ऊँगली का इशारा करे तो आप उसे गलत मत मानिए......सोच बदलिये..वैसे भी ऊँगली में तो कोई बुराई नहीं होती....आपको कोई गाली बके तो उसे गाली मत मानिए...उसे प्रेम सूचक शब्द समझिये..... ???
हत्या ,डकैती, चोरी, बलात्कार, आतंकवाद इत्यादि सबको लेकर सोच बदली जाये...सिर्फ नग्नता को लेकर ही क्यों? क्या ये सारे कार्य अभिव्यक्ति की आज़ादी की श्रेणी में ही आते हैं????

4) कुछ लड़कियां कहती हैं कि हम क्या पहनेगे ये हम तय करेंगे....पुरुष नहीं.....
जी बहुत अच्छी बात है.....आप ही तय करें....लेकिन हम पुरुष भी किन लड़कियों का सम्मान/मदद करेंगे ये भी हम तय करेंगे, स्त्रियां नहीं.... और

"हम किसी का सम्मान नहीं करेंगे इसका अर्थ ये नहीं कि हम उसका अपमान करेंगे।"

5)फिर कुछ विवेकहीन लड़कियां कहती हैं कि हमें आज़ादी है अपनी ज़िन्दगी जीने की.....
जी बिल्कुल आज़ादी है, ऐसी आज़ादी सबको मिले, व्यक्ति को चरस गंजा ड्रग्स ब्राउन शुगर लेने की आज़ादी हो, गाय भैंस का मांस खाने की आज़ादी हो, वैश्यालय खोलने की आज़ादी हो, पोर्न फ़िल्म बनाने की आज़ादी हो... हर तरफ से व्यक्ति को आज़ादी हो।????

6) लड़कों को संस्कारो का पाठ पढ़ाने वाला कुंठित स्त्री समुदाय क्या इस बात का उत्तर देगा कि क्या भारतीय परम्परा में ये बात शोभा देती है की एक लड़की अपने भाई या पिता के आगे अपने निजी अंगो का प्रदर्शन बेशर्मी से करे ??? क्या ये लड़कियां पुरुषों को भाई/पिता की नज़र से देखती हैं ??? जब ये खुद पुरुषों को भाई/पिता की नज़र से नहीं देखती तो फिर खुद किस अधिकार से ये कहती हैं कि

"हमें माँ/बहन की नज़र से देखो"???

कौन सी माँ बहन अपने भाई बेटे के आगे नंगी होती हैं??? भारत में तो ऐसा कभी नहीं होता था....

सत्य यह है की अश्लीलता को किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं ठहराया जा सकता। ये कम उम्र के बच्चों को यौन अपराधों की तरफ ले जाने वाली एक नशे की दुकान है और इसका उत्पादन स्त्री समुदाय करता है।
मष्तिष्क विज्ञान के अनुसार 4 तरह के नशों में एक नशा अश्लीलता(से....) भी है।

आचार्य कौटिल्य ने चाणक्य सूत्र में वासना' को सबसे बड़ा नशा और बीमारी बताया है।।
यदि यह नग्नता आधुनिकता का प्रतीक है तो फिर पूरा नग्न होकर स्त्रियां पूर्ण आधुनिकता का परिचय क्यों नहीं देती????
गली गली और हर मोहल्ले में जिस तरह शराब की दुकान खोल देने पर बच्चों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है उसी तरह अश्लीलता समाज में यौन अपराधों को जन्म देती है।इसको किसी भी तरह उचित नहीं ठहराया जा सकता है.।।
विचार करिए और चर्चा करिए.... या फिर मौन धारण कर लीजिए ।।

25/06/2023

Namaskar Dosto Aap Dekh Rahe Hain Ashok Devraj Facebook Pag par
Desi jhumata Casio Tasha Party

19/06/2023

Namaskar Dosto Aap Dekh rahe hain Ashok Devraj Facebook Pag par
Desi Band Baja Casio Tasha Party & aankhen kajra laga ke chori kahan jayenge

17/06/2023

Casio Tasha Party & Tirchhi Nazar Dekhi De

💔 सुहागन का शव 💔   ********************एक कवि नदी के किनारे खड़ा था ! तभी वहाँ से एक लड़की का शव नदी में तैरता हुआ जा रह...
11/05/2023

💔 सुहागन का शव 💔
********************
एक कवि नदी के किनारे खड़ा था !
तभी वहाँ से एक लड़की का शव
नदी में तैरता हुआ जा रहा था।
तो तभी कवि ने उस शव से पूछा ----

कौन हो तुम ओ सुकुमारी,बह रही क्यों नदी के जल में ?

कोई तो होगा तेरा अपना,मानव निर्मित इस भू-तल मे !

किस घर की तुम बेटी हो,किस क्यारी की कली हो तुम

किसने तुमको छला है बोलो, क्यों दुनिया छोड़ चली हो तुम ?
किसके नाम की मेंहदी बोलो, हांथो पर रची है तेरे ?

बोलो किसके नाम की बिंदिया, मांथे पर लगी है तेरे ?

लगती हो तुम राजकुमारी, या देव लोक से आई हो ?

उपमा रहित ये रूप तुम्हारा, ये रूप कहाँ से लायी हो?

""दूसरा दृश्य----""

कवि की बाते सुनकर,, लड़की की आत्मा बोलती है..

कवी राज मुझ को क्षमा करो, गरीब पिता की बेटी हूं !

इसलिये मृत मीन की भांती, जल धारा पर लेटी हूं!

रूप रंग और सुन्दरता ही, मेरी पहचान बताते है !

कंगन, चूड़ी, बिंदी, मेंहदी, सुहागन मुझे बनाते है !

पित के सुख को सुख समझा, पित के दुख में दुखी थी मैं !
जीवन के इस तन्हा पथ पर, पति के संग चली थी मैं !

पति को मेने दीपक समझा, उसकी लौ में जली थी मैं !

माता-पिता का साथ छोड, उसके रंग में ढली थी मैं !

पर वो निकला सौदागर, लगा दिया मेरा भी मोल !

दौलत और दहेज़ की खातिर, पिला दिया जल में विष घोल !
दुनिया रुपी इस उपवन में, छोटी सी एक कली थी मैं !

जिसको माली समझा, उसी के द्वारा छली थी मैं !

ईश्वर से अब न्याय मांगने, शव शैय्या पर पड़ी हूँ मैं !

दहेज़ की लोभी इस संसार मैं, दहेज़ की भेंट चढ़ी हूँ मैं !

20/04/2023

Nitish Kumar . Nikki Hembrom

Bangalore City 🌆🏙️
16/04/2023

Bangalore City 🌆🏙️

Bangalore Karnataka Lal Bagh Park
16/04/2023

Bangalore Karnataka Lal Bagh Park

एक अच्छी पोस्ट के लिए Like करें Please____________________________________________एक विधवा बहू ने अपनी सास को बताया कि, ...
09/04/2023

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एक विधवा बहू ने अपनी सास को बताया कि, वह तीन माह के गर्भ से है. परिवार में हंगामा मच गया, समाज में भूचाल आ गया, लोगों ने पंचायत जुटाई और उस बहू से बच्चे के बाप का नाम जानना चाहा, भरी पंचायत में बहु ने बताया कि, तीन माह पूर्व मैं प्रयाग राज, त्रिवेणी संगम स्नान करने गई थी, स्नान के समय मैंने गंगा का आहवान करते हुए तीन बार गंगा जल पिया था, हो सकता है, उसी समय किसी ऋषि महात्मा,महापुरुष का गंगा में वीर्य अस्खलन हो गया और वो आहवान के साथ मैं पी गयी, उसी से मैं गर्भवती हो गई,
सरपंच जी ने कहा, यह असंभव है, ऐसा कभी हो नहीं सकता कि, किसी के वीर्य पी लेने से कोई गर्भवती हो जाय, उस महिला ने सरपंच को जवाब दिया और कहा.. हमारे धर्म ग्रंथों में यही बात तो दिखाई गई है कि,
विभँडक ऋषि के वीर्य स्खलन हो जाने से श्रृंगी ऋषि पैदा हुए,
हनुमान जी का पसीना मछली ने पी लिया, वह गर्भवती हुई और मकरध्वज पैदा हुए,
सूर्य के आशीर्वाद से कुंती गर्भवती हो गई और कर्ण पैदा हुए,
मछली के पेट से मत्स्यगंधा (सत्यवती)पैदा हुई, खीर खाने से राजा दशरथ के तीनों रानियां गर्भवती हई और चार पुत्र पैदा हो गये,
जमीन के अंदर गड़े हुए घडे से सीता पैदा हुई!
ये सारी बातें संभव है, किन्तु मेरी बात असंभव है!!

वैसे मैं बताना चाहती हूं कि मैं गर्भवती नहीं हूं,मैंने यह नाटक इसलिए किया था कि, इस पाखंडी समाज की आंख खुल जाय,आप लोग ऐसे धर्म पुस्तकों को आज के समाज को जरूरत नहीं है जिससे कि पाखंड, अविश्वास एवं अज्ञानता परोसा जाए, जिसमे ऐसी कहानियॉ लिखी गयी है!
आप लोग चाहें तो मेरा मेडिकल परीक्षण कर सकते हैं!।

हमारे समाज को वैज्ञानिक एवं तार्किक सोच की जरूरत है, अंधविश्वास, पाखंडी एवं अंधभक्ति से मुक्त हो।
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भोजपुरी इंडस्ट्री की बहुत प्रख्यात Actress Akanksha Dubey  ने अचानक बनारस में आत्म हत्या कर लिया यें खबर सच तो है लेकिन ...
26/03/2023

भोजपुरी इंडस्ट्री की बहुत प्रख्यात Actress Akanksha Dubey ने अचानक बनारस में आत्म हत्या कर लिया यें खबर सच तो है लेकिन यकीन नहीं हो रहा.. भगवान इनकी आत्मा को शांति प्रदान करें 😶‍🌫

Pawan Singh
Khesari Lal Yadav
Akshara singh
Ritesh Pandey
Shilpi Raj
Rakesh Mishra
Samar Singh
Singer Tuntun Yadav
Neelkamal Singh
Nirahua Dimpal Singh

भोजपुरी इंडस्ट्री की बहुत प्रख्यात Actress Akanksha Dubey  ने अचानक बनारस में आत्म हत्या कर लिया यें खबर सच तो है लेकिन ...
26/03/2023

भोजपुरी इंडस्ट्री की बहुत प्रख्यात Actress Akanksha Dubey ने अचानक बनारस में आत्म हत्या कर लिया यें खबर सच तो है लेकिन यकीन नहीं हो रहा.. भगवान इनकी आत्मा को शांति प्रदान करें 😶‍🌫

Pawan Singh
Anupma Yadav
Khesari Lal Yadav
Arvind Akela "Kallu "
Akshara singh
Ritesh Pandey
Shilpi Raj
Rakesh Mishra
Samar Singh
Singer Tuntun Yadav
Neelkamal Singh
Nirahua Dimpal Singh

18/02/2023
35 साल रेलवे में टीटी की नौकरी करने के बाद रिटायर हुए। घर पर रहने लगे।एक महिने बाद ही पत्नी ने पति से कहा डाक्टर के पास ...
30/12/2022

35 साल रेलवे में टीटी की नौकरी करने के बाद रिटायर हुए। घर पर रहने लगे।
एक महिने बाद ही पत्नी ने पति से कहा डाक्टर के पास जाना है, मुझे थोड़ा सा चैकअप कराना है।
😉
शाम पत्नी को डाक्टर के पास ले जाकर पति ने कहा जाइए दिखाईये,,
उसने रोनी सी सूरत बनाकर कहा आप आगे आईये
मेरा तो बहाना था
दरअसल आपको दिखाना था
🙄
डाक्टर साब , ये पिछले 35 साल रेलवे में टीटी रहे,
सप्ताह में केवल दो दिनों के लिये घर आते थे, बाकी दिन बाहर रहते थे।
लगातार "रेल यात्रा के वातावरण" को सहते थे।
🙄
अब रिटायरमेंट के बाद घर आते ही कमाल कर दिया है,
चार फीट चौड़े पलंग को काट कर दो फीट का कर दिया है,
अटैची को सांकल से बांध कर ताला लगाते हैं,
तकिये में हवा भरते हैं और चप्पलें सिरहाने रखते हैं,
कमरे का ट्यूब लाइट अलग हटा दिया है और
उसकी जगह जीरो वाट का वल्ब लगा दिया है,
😉
टेप रिकार्डर से फिल्मी गानों का कैसेट निकाल कर,,
रेल्वे एनाउंसमेंट,
गाड़ी चलने की ध्वनि,
घंटी की घनघनाहट,
और
गरम चा,,इय समोसा की कर्कश आवाज का केसेट लगाते हैं,
मूंगफली के छिलके,और बीड़ी सिगरेट के टुकड़े पलंग के चारों ओर फैलाते हैं ,
😉
मैं तो रात भर जागती हूँ
और ये आराम से सो जाते हैं
पता नहीं कैसी जिंदगी जीते हैं
कप में चाय दो, तो कुल्हड़ में पीते हैं ,
😉
एक रात मेहमान आये तो मैंने इन्हें जगाया,
इन्होने करवट बदली और मेरे हाथ में ट्रेन का टिकट और सौ रुपये का नोट थमाया।
🙄
मैने कहा ये क्या है,तो बोले रसीद नही बनाना
इंदौर आये तो ख्याल से उठाना
🙄
पिताजी से,दहेज में मिला सोफासेट आधे दामों में बेंच आये है,
बदले में दो सीमेंट की ब्रेंच खरीद लाये है,
🙄
बेडरूम में लगीं पेंटिग्स को अलग कर दिया है,
उनकी जगह,
भारतीय रेल आपकी अपनी सम्पत्ति है,
जंजीर खींचना मना है😁
लिखवा दिया है,
😉
एक रात इनके पास आकर बैठी
इन्होने पांव मोड़े और कहा आइए
आइए आराम से बैठिये
😉
डाक्टर साब बताने में शर्म आती है पर आपसे क्या छिपाना है
इन्होने ने मुझसे पूंछा
बहन जी आपको कहाँ जाना है
😘
डायनिंग टेबिल पर खाना खाने से मना करते हैं
पूड़ियां मिठाई के डिब्बे में और सब्जी को प्लास्टिक की थैली में भरते हैं,
🙄
एक रात मेरे भाई और पिताजी आये
दोनों इनकी हरकत से बहुत लजाये
रात में भाई ने इनकी अटैची जरा सी खिसकाई
ये गुस्से में बोले जंजीर खींचू चोरी करते शर्म नहीं आई
🙄
सुबह सुबह बूढ़े पिताजी जल्दी उठ कर नहाने जा रहे थे
बालकनी पर इनके पास वाली खिड़की से आ रहे थे
उन्होंने खिड़की से हाथ डाल कर इन्हें जगाया
इन्होने गुस्से में कहा इस तरह से मत जगाओ
यहाँ कुछ नहीं मिलेगा,
🙄 बाबा ,आगे जाओ
पिताजी आगे गये तो उन्हें वापस बुलाया
😉
उन्हें एक रुपये का सिक्का दिया और पूंछा कौन सा स्टेशन आया
😉
इनका अजीब कारनामा है
एक पर एक हंगामा है
अभी कबाड़ी के यहाँ से एक पुराना टेबिल फेन मंगवाया
छत पर लटके अच्छे खासे सीलिंग फेन को उतार कर उसकी जगह टेबिल फेन लटकाया
🙄
उसे चालू करने विचित्र तरीका अपनाते हैं
जेब से कंघी निकाल कर पंखा घुमाते हैं
😉
सुबह मंजन ब्रश साबुन निकाल कर बाथरूम की ओर जाते हैं,
मैं कहतीं हूँ बेटा गया है
तो वहीं लाइन लगाते हैं
🙄
समझाती हूँ आ जाओ, तो रोकते हैं
हर दो मिनट के बाद बाथरूम का दरवाजा ठोकते हैं
🙄
इन्होने पूरे घर को सिर पर उठा लिया है
घर को वेटिंग रूम और बैडरूम को ट्रेन का कम्पार्टमेंट बना दिया है
🙄
इनके साथ बाकी जिंदगी कैसे कटेगी हम यह सोच कर डरते हैं
और ये सात जनम की बात करते हैं
हम तो एक ही जनम में पछताये
भगवान किसी युवती को रेलवे के टीटी की पत्नी न बनाये.....
📢📢📢📢📢📢

24/11/2022

Hello kaise ho aap sab

14/11/2022

Cubbon Park Bangalore City

06/09/2022

जब गुरु पूर्णिमा है
तो शिक्षक दिवस क्यों ?????
जब धन्वंतरी जयंती है तो
डॉक्टर डे क्यों ???

दरअसल कांग्रेस ने आजादी के बाद उन सारे प्रतीकों को बीसवीं शताब्दी के आस पास रखने की कोशिश की जो हमारे पास सदियों से थे अगर कांग्रेस शिक्षक दिवस को मनाने की घोषणा नहीं करती तो लोग सिर्फ गुरु पूर्णिमा मनाते और गुरु पूर्णिमा का पर्व विद्यालयों में भी मनाया जाता तब भगवान कृष्ण को याद किया जाता और यह कांग्रेस के एजेंडे में फिट नहीं बैठता था इसलिए कांग्रेस ने अपने नेता और भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन के नाम पर शिक्षक दिवस मनाने की घोषणा की जिससे कथित प्रगतिशील लोग अपने गुरु का सम्मान करने के लिए गुरु पूर्णिमा ना मना करके सिर्फ शिक्षक दिवस मनायें

दूसरी तरफ डॉक्टर्स डे मनाने के लिए कांग्रेस ने
अपने नेता और पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ बिधान चंद्र राय के नाम को आगे किया और उनकी जयंती पर डॉक्टर्स डे मनाया जाने लगा अगर धन्वंतरी जयंती मनाई जाती तो फिर भारतीय पुरातन परंपरा और हिंदुओं के आराध्य को याद किया जाता इसलिए प्रगतिशील समाज को चिकित्सक के प्रति आभार प्रकट करने के लिए डॉक्टर्स डे की घोषणा की और धनवंतरी जयंती को शासकीय कार्यक्रमों से पीछे रखा

जनता जिनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करना चाहती है
उनके प्रतीकों के तौर पर कांग्रेस के नेताओं को आगे किया गया और उनके नाम पर डॉक्टर्स डे और शिक्षक दिवस मना करके धन्वंतरी जयंती और गुरु पूर्णिमा को समाज के बड़े भाग से दूर करने का काम किया गया।
Ashok Devraj

झांसी के अंतिम संघर्ष में महारानी की पीठ पर बंधा उनका बेटा दामोदर राव (असली नाम आनंद राव) सबको याद है. रानी की चिता जल ज...
14/07/2022

झांसी के अंतिम संघर्ष में महारानी की पीठ पर बंधा उनका बेटा दामोदर राव (असली नाम आनंद राव) सबको याद है. रानी की चिता जल जाने के बाद उस बेटे का क्या हुआ
वो कोई कहानी का किरदार भर नहीं था, 1857 के विद्रोह की सबसे महत्वपूर्ण कहानी को जीने वाला राजकुमार था जिसने उसी गुलाम भारत में जिंदगी काटी, जहां उसे भुला कर उसकी मां के नाम की कसमें खाई जा रही थी.
अंग्रेजों ने दामोदर राव को कभी झांसी का वारिस नहीं माना था, सो उसे सरकारी दस्तावेजों में कोई जगह नहीं मिली थी. ज्यादातर हिंदुस्तानियों ने सुभद्रा कुमारी चौहान के कुछ सही, कुछ गलत आलंकारिक वर्णन को ही इतिहास मानकर इतिश्री कर ली.
1959 में छपी वाई एन केलकर की मराठी किताब ‘इतिहासाच्य सहली’ (इतिहास की सैर) में दामोदर राव का इकलौता वर्णन छपा.
महारानी की मृत्यु के बाद दामोदार राव ने एक तरह से अभिशप्त जीवन जिया. उनकी इस बदहाली के जिम्मेदार सिर्फ फिरंगी ही नहीं हिंदुस्तान के लोग भी बराबरी से थे.
आइये, दामोदर की कहानी दामोदर की जुबानी सुनते हैं –
15 नवंबर 1849 को नेवलकर राजपरिवार की एक शाखा में मैं पैदा हुआ. ज्योतिषी ने बताया कि मेरी कुंडली में राज योग है और मैं राजा बनूंगा. ये बात मेरी जिंदगी में सबसे दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से सच हुई. तीन साल की उम्र में महाराज ने मुझे गोद ले लिया. गोद लेने की औपचारिक स्वीकृति आने से पहले ही पिताजी नहीं रहे.
मां साहेब (महारानी लक्ष्मीबाई) ने कलकत्ता में लॉर्ड डलहॉजी को संदेश भेजा कि मुझे वारिस मान लिया जाए. मगर ऐसा नहीं हुआ.
डलहॉजी ने आदेश दिया कि झांसी को ब्रिटिश राज में मिला लिया जाएगा. मां साहेब को 5,000 सालाना पेंशन दी जाएगी. इसके साथ ही महाराज की सारी सम्पत्ति भी मां साहेब के पास रहेगी. मां साहेब के बाद मेरा पूरा हक उनके खजाने पर होगा मगर मुझे झांसी का राज नहीं मिलेगा.
इसके अलावा अंग्रेजों के खजाने में पिताजी के सात लाख रुपए भी जमा थे. फिरंगियों ने कहा कि मेरे बालिग होने पर वो पैसा मुझे दे दिया जाएगा.
मां साहेब को ग्वालियर की लड़ाई में शहादत मिली. मेरे सेवकों (रामचंद्र राव देशमुख और काशी बाई) और बाकी लोगों ने बाद में मुझे बताया कि मां ने मुझे पूरी लड़ाई में अपनी पीठ पर बैठा रखा था. मुझे खुद ये ठीक से याद नहीं. इस लड़ाई के बाद हमारे कुल 60 विश्वासपात्र ही जिंदा बच पाए थे.
नन्हें खान रिसालेदार, गनपत राव, रघुनाथ सिंह और रामचंद्र राव देशमुख ने मेरी जिम्मेदारी उठाई. 22 घोड़े और 60 ऊंटों के साथ बुंदेलखंड के चंदेरी की तरफ चल पड़े. हमारे पास खाने, पकाने और रहने के लिए कुछ नहीं था. किसी भी गांव में हमें शरण नहीं मिली. मई-जून की गर्मी में हम पेड़ों तले खुले आसमान के नीचे रात बिताते रहे. शुक्र था कि जंगल के फलों के चलते कभी भूखे सोने की नौबत नहीं आई.
असल दिक्कत बारिश शुरू होने के साथ शुरू हुई. घने जंगल में तेज मानसून में रहना असंभव हो गया. किसी तरह एक गांव के मुखिया ने हमें खाना देने की बात मान ली. रघुनाथ राव की सलाह पर हम 10-10 की टुकड़ियों में बंटकर रहने लगे.
मुखिया ने एक महीने के राशन और ब्रिटिश सेना को खबर न करने की कीमत 500 रुपए, 9 घोड़े और चार ऊंट तय की. हम जिस जगह पर रहे वो किसी झरने के पास थी और खूबसूरत थी.
देखते-देखते दो साल निकल गए. ग्वालियर छोड़ते समय हमारे पास 60,000 रुपए थे, जो अब पूरी तरह खत्म हो गए थे. मेरी तबियत इतनी खराब हो गई कि सबको लगा कि मैं नहीं बचूंगा. मेरे लोग मुखिया से गिड़गिड़ाए कि वो किसी वैद्य का इंतजाम करें.
मेरा इलाज तो हो गया मगर हमें बिना पैसे के वहां रहने नहीं दिया गया. मेरे लोगों ने मुखिया को 200 रुपए दिए और जानवर वापस मांगे. उसने हमें सिर्फ 3 घोड़े वापस दिए. वहां से चलने के बाद हम 24 लोग साथ हो गए.
ग्वालियर के शिप्री में गांव वालों ने हमें बागी के तौर पर पहचान लिया. वहां तीन दिन उन्होंने हमें बंद रखा, फिर सिपाहियों के साथ झालरपाटन के पॉलिटिकल एजेंट के पास भेज दिया. मेरे लोगों ने मुझे पैदल नहीं चलने दिया. वो एक-एक कर मुझे अपनी पीठ पर बैठाते रहे.
हमारे ज्यादातर लोगों को पागलखाने में डाल दिया गया. मां साहेब के रिसालेदार नन्हें खान ने पॉलिटिकल एजेंट से बात की.
उन्होंने मिस्टर फ्लिंक से कहा कि झांसी रानी साहिबा का बच्चा अभी 9-10 साल का है. रानी साहिबा के बाद उसे जंगलों में जानवरों जैसी जिंदगी काटनी पड़ रही है. बच्चे से तो सरकार को कोई नुक्सान नहीं. इसे छोड़ दीजिए पूरा मुल्क आपको दुआएं देगा.
फ्लिंक एक दयालु आदमी थे, उन्होंने सरकार से हमारी पैरवी की. वहां से हम अपने विश्वस्तों के साथ इंदौर के कर्नल सर रिचर्ड शेक्सपियर से मिलने निकल गए. हमारे पास अब कोई पैसा बाकी नहीं था.
सफर का खर्च और खाने के जुगाड़ के लिए मां साहेब के 32 तोले के दो तोड़े हमें देने पड़े. मां साहेब से जुड़ी वही एक आखिरी चीज हमारे पास थी.
इसके बाद 5 मई 1860 को दामोदर राव को इंदौर में 10,000 सालाना की पेंशन अंग्रेजों ने बांध दी. उन्हें सिर्फ सात लोगों को अपने साथ रखने की इजाजत मिली. ब्रिटिश सरकार ने सात लाख रुपए लौटाने से भी इंकार कर दिया.
दामोदर राव के असली पिता की दूसरी पत्नी ने उनको बड़ा किया. 1879 में उनके एक लड़का लक्ष्मण राव हुआ.दामोदर राव के दिन बहुत गरीबी और गुमनामी में बीते। इसके बाद भी अंग्रेज उन पर कड़ी निगरानी रखते थे। दामोदर राव के साथ उनके बेटे लक्ष्मणराव को भी इंदौर से बाहर जाने की इजाजत नहीं थी।
इनके परिवार वाले आज भी इंदौर में ‘झांसीवाले’ सरनेम के साथ रहते हैं. रानी के एक सौतेला भाई चिंतामनराव तांबे भी था. तांबे परिवार इस समय पूना में रहता है. झाँसी के रानी के वंशज इंदौर के अलावा देश के कुछ अन्य भागों में रहते हैं। वे अपने नाम के साथ झाँसीवाले लिखा करते हैं। जब दामोदर राव नेवालकर 5 मई 1860 को इंदौर पहुँचे थे तब इंदौर में रहते हुए उनकी चाची जो दामोदर राव की असली माँ थी। बड़े होने पर दामोदर राव का विवाह करवा देती है लेकिन कुछ ही समय बाद दामोदर राव की पहली पत्नी का देहांत हो जाता है। दामोदर राव की दूसरी शादी से लक्ष्मण राव का जन्म हुआ। दामोदर राव का उदासीन तथा कठिनाई भरा जीवन 28 मई 1906 को इंदौर में समाप्त हो गया। अगली पीढ़ी में लक्ष्मण राव के बेटे कृष्ण राव और चंद्रकांत राव हुए। कृष्ण राव के दो पुत्र मनोहर राव, अरूण राव तथा चंद्रकांत के तीन पुत्र अक्षय चंद्रकांत राव, अतुल चंद्रकांत राव और शांति प्रमोद चंद्रकांत राव हुए।
दामोदर राव चित्रकार थे उन्होंने अपनी माँ के याद में उनके कई चित्र बनाये हैं जो झाँसी परिवार की अमूल्य धरोहर हैं।
उनके वंशज श्री लक्ष्मण राव तथा कृष्ण राव इंदौर न्यायालय में टाईपिस्ट का कार्य करते थे ! अरूण राव मध्यप्रदेश विद्युत मंडल से बतौर जूनियर इंजीनियर 2002 में सेवानिवृत्त हुए हैं। उनका बेटा योगेश राव सॅाफ्टवेयर इंजीनियर है। वंशजों में प्रपौत्र अरुणराव झाँसीवाला, उनकी धर्मपत्नी वैशाली, बेटे योगेश व बहू प्रीति का धन्वंतरिनगर इंदौर में सामान्य नागरिक की तरह माध्यम वर्ग परिवार हैं।
कांग्रेस के चाटुकारों ने तो सिर्फ नेहरू परिवार की ही गाथा गाई है इन लोगों को तो भुला ही दिया गया है जिन्होंने असली लड़ाई लड़ी थी अंग्रेजो के खिलाफ आइए इस को आगे पीछे बढ़ाएं और लोगों को सच्चाई से अवगत कराए l
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अच्छे दिन आने वालो हैं
07/07/2022

अच्छे दिन आने वालो हैं

07/07/2022

भगवान से प्रार्थना है इनको जल्द से ठीक करें🙏🙏🙏

18 जनवरी 1973 को बिहार के एक मंत्री को ये ख़बर मिली के उनके क्षेत्र में नहर का बांध टूट गया है, और बाढ़ के चपेट में आ कर ह...
07/07/2022

18 जनवरी 1973 को बिहार के एक मंत्री को ये ख़बर मिली के उनके क्षेत्र में नहर का बांध टूट गया है, और बाढ़ के चपेट में आ कर हज़ारो लोग बेघर हो गए हैं. बिना किसी देर किये वो मंत्री उस इलाक़े में लोगों को राहत पहुँचाने निकल पड़ते हैं, रास्ता बहुत ख़राब था इसलिए गाड़ी से उतर पैदल ही चलने लगे, और फिर थक कर बैठ गए, थोड़ी ही देर में क़ल्ब ने हरकत बंद कर दिया, और उनका इंतक़ाल हो गया, इस मंत्री को आज दुनिया अब्दुल क़य्यूम अंसारी के नाम से जानती है. ग़रीबों, पिछड़ों और बेसहारों का सहारा अब्दुल क़य्यूम अंसारी साहब बिहार के इतिहास के अब तक के एकलौते मंत्री हैं जिन्होंने लोगों की मदद करते हुवे अपने जीवन को क़ुर्बान कर दिया.

बिहार के डेहरी में 1 जुलाई 1905 को जन्मे अब्दुल क़य्यूम ने 15 साल की उम्र में मौलाना मोहम्मद अली जौहर से प्रेरित हो कर जंग ए आज़ादी में हिस्सा लेना शुरू किया, 1920 में कांग्रेस के सेशन में भाग लिया, 1922 में जेल गए, समाज में समानता की जंग लड़ी, अपनी बिरादरी के लिए आवाज़ उठाई और मोमिन बिरादरी की सियासत की; जिसने अब्दुल क़य्यूम को अब्दुल क़य्यूम अंसारी बना दिया. मोमिन कान्फ़्रेंस बना कर ना सिर्फ़ अपने समाज को प्रतिनिधित्व दिलवाया बल्कि मुस्लिम लीग का जम कर विरोध भी किया, 1937 और 1946 के चुनाव में मज़बूती से हिस्सा लिया, भारत आज़ाद हुआ तो मोमिन कान्फ़्रेंस का कांग्रेस में विलय कर दिया, राज्यसभा के सदस्य बने, विधायक भी चुने गए, मंत्री भी बने. जेल मंत्री के तौर पर उनका काम बहुत शानदार रहा, उनकी कोशिश रही के हर जेल में क़ैदी के सुधार के लिए स्कूल खोला जाये, जिसमे पढ़ कर सज़ायाफ़्ता क़ैदी जब वापस बाहर निकले तो उसकी पहचान एक अच्छे शहरी के तौर पर हो. पहली कोशिश मुज़फ़्फ़रपुर जेल में की गई, स्कूल खुला जिसमे सैंकड़ों क़ैदी ने पढ़ कर अच्छे शहरी बनने का हल्फ़ लिया, पर बिहार सरकार के कमज़ोर रवैये की वजह कर ये स्कीम मुज़फ़्फ़रपुर जेल के आगे किसी और जेल में लागु न हो सकी!



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#बिहार

सांसद हो तो गोडा के सांसद निशिकांत दुबे जैसा और एक बांका जिला के सासंद महोदय जी है जो ना रोड बना सके और ना पुल ना हवाई ज...
05/07/2022

सांसद हो तो गोडा के सांसद निशिकांत दुबे जैसा और एक बांका जिला के सासंद महोदय जी है जो ना रोड बना सके और ना पुल ना हवाई जहाज उड़ा सके हैं। कर सकते हैं बस सिर्फ बड़ी बड़ी बातें!!!
जय बांका

।। उदयपुर के मृतक का बयान ।।मैं तो छह दिन बाद रोज़ी पे आया थाघर वाले मना करते थेअभी मत जाओडरते थे खामखाहकहीं कुछ भी तो नह...
03/07/2022

।। उदयपुर के मृतक का बयान ।।

मैं तो छह दिन बाद रोज़ी पे आया था
घर वाले मना करते थे
अभी मत जाओ
डरते थे खामखाह

कहीं कुछ भी तो नहीं था
सूरज बादलों में था
लगता था बरसात होगी

पुलिस ने कहा तो था
कुछ नहीं होगा
आप लोड मत लो
हम हैं ना

न जाओ तो ग्राहकी उजड़ती है
कब तक बैठता घर पर

दुकान खोलते ही आ गए ग्राहक
मैं खुश हुआ कि देखो
हाथ में हुनर हो तो
लोग इंतज़ार करते हैं

मैं तो नाप ले रहा था कुर्ते का
दूसरा मोबाइल में खेल रहा था कुछ
लिखने के लिए झुका था
कि उसने पकड़ लिया
मैं समझ नहीं पाया
कि उसका धक्का लगा
चीखते रहने के पहले
मैं यही पूछना चाहता था
क्यों मार रहे हो मुझे भाई
मैंने क्या किया है

आखिरी बात मैं पूरी कह भी नहीं सका
उसका छुरा मेरी गर्दन रेत रहा था

मैं तो कुछ भी नहीं था
पर मेरी हत्या एक संदेश थी
वह एक ऐलान थी
वह एक फ़ैसला थी

ख़ून की वह लम्बी लकीर देखी होगी आपने
वह एक बयान के नीचे खिंची हुई लाइन थी

पॉलिथीन के नीचे मेरी देह थी
पानी उसके ऊपर बरस रहा था
और खून उसके नीचे से बह कर
बरसात को लाल कर रहा था

मुझे क्या पता था एक दिन मैं भी टीवी पर आऊँगा
यह एकदम अचानक ही हो गया
वरना फ़ोन करके बताता सब नातेदारों को

कि मैं एक कपड़े सिलने वाला नामालूम
एक दिन किसी जिहाद के काम आऊँगा
और मुझे ऐसे क़त्ल किया जाएगा
जैसे एक बड़ी फ़तह की जा रही हो

आशुतोष दुबे

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