17/04/2024
#राजपूरोहित समाज के गुरुवर का कुछ सारांश,,,
देहत्यागी पुत्र का पुनः जीवित होना और खेतारामजी का रातों रात प्रकट होना व आलोप होना व्रतांत।
बापजी खेतारामजी दिन में आसोत्रा ब्रह्माजी मन्दिर पर कार्य करते ओर रात्रि में आस पास के गावो में भजन कीर्तन करते। उस समय पास ही के गाव के समाज बन्धु का पूरा परिवार बापजी खेतारामजी के प्रति अथाह आस्था थी। और बावजी के साथ हर कीर्तन भजन रात्रि जागरण में जाते।
माताजी पिताजी ओर उनका एक पुत्र। तीनो भक्ति भाव करते और कार्य करते।
खेतारामजी महाराज उस बालक से स्नेह भी करते।
एक बार खेतारामजी माहाराज आसोत्रा मन्दिर के काम से बाहर गए हुए थे 4 5 दिन का प्रावास था और लगातार मन्दिर पर भी आना असम्भव था।
उसी बीच उस बालक की किसी भयंकर रोग से रात में मृत्यु हो गई।
माता पिता दोनो विलाप कर रहे
"हाय मेरा पुत्र काल का ग्रास बन गया।।"
भगवान ये कियू किया।
खेतारामजी दूर प्रदेश में प्रवास पर गए हुए थे।
रात के 1 बजी पिता माता दोनो व्याकुल हो पुत्र को जगाने की कोशिश कर रहे। किन्तु मृत्यु की सेयया पर पुत्र सो चुका था।
1 बजे खेतारामजी महाराज ओर उनका एक सेवक उनके घर पर दस्तक देते है।
दरवाजा खट खटाते है। दरवाजो खोलो ।दरवाजा खोलने से पहले पिता अपने आंसू।पोछ देता है और।माता को रोना विलाप बन्द करा देते है ताकि ग़ुरूदेव को मालूम ना पड़े।
दरवाजा खोला जाता है। उनको माड़ (अतिथि गृह होल) में जाजम पर बैठाते है।
बापजी का आदेश होता है
""चिलम जलाकर के लेके आओरा ओर पेला थारे टाबर ने मारे कने भेज।।""
अब वह कैसे कहै कि मेरा पुत्र तो मर चुका है और अब कैसे लाऊ।
तो खेतारामजी बावजी बोलते है वो ""सो रहा है उसको जका कर के आ।""
बापजी को चिलम देते है बापजी चिलम भरते है फुक।लेते है ओर बोलते है।
जल्दी तेरे बेटे को उठा कर के आ
वह व्यक्ति अपने बेटे की लाश के पास जाता है और आत्मीय आंसुओ युक्त ऑखो से रोकर अपने पुत्र को हिलाता है और बोलता है बेटा उठ जाओ।ईतनी देर में ही बेटा उठ खड़ा होता है।
वह दौड़ता दौड़ता माड़ की तरफ जाता है तो खेतारामजी ओर वह सेवक वहां नही थे।
सुबह हुई और उसे समाचार हुआ कि खेतारामजी महाराज तो राजस्थान से भी बाहर गए हुए थे।
उसे अहसास हुआ कि बावजी सिर्फ उसके लिए ही वहां आये और अपना कार्य कर पुनः यथावत स्थान पर चले गए। राजपुरोहित समाज की शान आसोतरा धाम
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