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07/12/2023

क्षत्रियों एक रहोगे तो नेक रहोगे।
📝

03/10/2023

उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में ब्राह्मण नर संघार का दोषी कौन
दोषियों को तुरंत इनकाउंटर होना चाहिए।
दुखद 😭

29/09/2023

तुम सबको राजपूत बनने का बड़ा सौक हैं जो राजपूतों का सर नेम सिंह ठाकुर क्षत्रिय लगाना चालू कर दिए और विरोध भी ठाकुर राजपूत का कर रहे हो तो डीएनए चेक करावो हो सकता हैं राजपूतों का खून तो नही दौड़ रहा विरोधियों के अंदर ।
जय राजपूतना जय महाराणा जय श्री राम 🙏

16/09/2023

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18/07/2023

बाढ़ में कैसे तड़प रहे थे

भावी प्रधानमंत्री शेरे हिंद भारत के गौरव योगी आदित्यनाथ जी को जन्म दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं 🎂💐
05/06/2023

भावी प्रधानमंत्री शेरे हिंद भारत के गौरव योगी आदित्यनाथ जी को जन्म दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं 🎂💐

09/05/2023

क्षत्रिय कुल के गौरव महाराणा प्रताप की जन्म जयंती पर ढेर सारी शुभकामनाएं 🙏💪💪💪

08/05/2023

इसको बोलते हैं संच का संदेश देना बाकि तो राजपुताना कौम का नाम ही खौफ हैं 💪💪💪

क्षत्रिय इतिहास
04/05/2023

क्षत्रिय इतिहास

😢😢😢 इतना बड़ा #बलिदान, हमे नही पता !

िदान दिवस हैं , 52 #राजपूत क्रान्तिकारीयों का जो एक साथ फासी पर चंढे थे 28 अप्रैल 1858 को ।

बावनी इमली एक प्रसिद्ध इमली का पेड़ है जो भारत में एक शहीद स्मारक भी है। इसी इमली के पेड़ पर 28 अप्रैल 1858 को गौतम क्षत्रिय , जोधा सिंह अटैया और उनके इक्यावन साथी फांसी झूले थे। यह स्मारक #उत्तर_प्रदेश के #फतेहपुर जिले के बिन्दकी उपखण्ड में खजुआ कस्बे के निकट बिन्दकी तहसील मुख्यालय से तीन किलोमीटर पश्चिम में मुगल रोड पर स्थित है।

यह स्मारक स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किये गये बलिदानों का प्रतीक है। 28 अप्रैल 1858 को ब्रिटिश सेना द्वारा बावन स्वतंत्रता सेनानियों को एक इमली के पेड़ पर फाँसी दी गयी थी। ये इमली का पेड़ अभी भी मौजूद है। लोगों का विश्वास है कि उस नरसंहार के बाद उस पेड़ का विकास बन्द हो गया है।

10 मई, 1857 को जब बैरकपुर छावनी से जो शंखनाद हुआ था , तो उसकी गूँज पूरे भारत में सअप्रैल 1858 को गौतम क्षत्रिय , जोधा सिंह अटैया और उनके इक्यावन साथी फांसी झूले थे। यह स्मारक उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के बिन्दकी उपखण्ड में खजुआ कस्बे के निकट बिन्दकी तहसील मुख्यालय से तीन किलोमीटर पश्चिम में मुगल रोड पर स्थित है।

यह स्मारक स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किये गये बलिदानों का प्रतीक है। 28 अप्रैल 1858 को ब्रिटिश सेना द्वारा बावन स्वतंत्रता सेनानियों को एक इमली के पेड़ पर फाँसी दी गयी थी। ये इमली का पेड़ अभी भी मौजूद है। लोगों का विश्वास है कि उस नरसंहार के बाद उस पेड़ का विकास बन्द हो गया है।

10 मई, 1857 को जब बैरकपुर छावनी में वीर मंगल पांडे ने क्रान्ति का शंखनाद किया, तो उसकी गूँज पूरे भारत में सुनायी दी। 10 जून, 1857 को फतेहपुर में क्रान्तिवीरों ने भी इस दिशा में कदम बढ़ा दिया जिनका नेतृत्व कर रहे थे जोधासिंह अटैया। फतेहपुर के डिप्टी कलेक्टर हिकमत उल्ला खाँ भी इनके सहयोगी थे। इन वीरों ने सबसे पहले फतेहपुर कचहरी एवं कोषागार को अपने कब्जे में ले लिया। जोधासिंह अटैया के मन में स्वतन्त्रता की आग बहुत समय से लगी थी। उनका सम्बन्ध तात्या टोपे से बना हुआ था। मातृभूमि को मुक्त कराने के लिए इन दोनों ने मिलकर अंगे्रजों से पांडु नदी के तट पर टक्कर ली। आमने-सामने के संग्राम के बाद अंग्रेजी सेना मैदान छोड़कर भाग गयी ! इन वीरों ने कानपुर में अपना झंडा गाड़ दिया।

04/05/2023

जीस भी जाती को अपने बल पर ज्यादा घमंड हो गया हो तो फूफा ताऊ मत बनाओ सबको अकेले लड़ लो अपने बाप क्षत्रियों से
🚩 जय राजपुताना 🚩
🚩जय श्री राम 🙏

29/04/2023

एक पोस्ट तो अपनी फेसबुक पर बृजभूषण शरणसिंह के समर्थन मे जरूर करे
सच का साथ दे और निडर होकर दे अन्यथा आगे कौन आयेगा
Brij Bhushan Sharan Singh

28/04/2023

आनंद मोहन सिंह को केवल इसलिए टारगेट किया जा रहा है क्युकी ओ राजपूत है। बाकी 29 गुंडों को सभी विरोध करने वाले नेता जीजा जी मान रहे है।

17/04/2023

जीन देश द्रोहियों को लगता हैं की अतीक के साथ गलत हुआ हैं तो ए विडियो देख ले आर्मी की गाड़ी को जाने नही दे रहे हैं हिंदुओ आज एक नही हुए तो फौज भी तुम्हे नही बचा पाएगी एकता के परिचय दो जाती में न बाटो जय श्री राम 🙏

यह वही किसान प्रधानमंत्री हैं  #चन्द्रशेखर जिन्होंने अपने जीवनकाल में अपनी जाति व  अपने पुत्रों को अपना राजनीतिक उत्तराध...
17/04/2023

यह वही किसान प्रधानमंत्री हैं #चन्द्रशेखर जिन्होंने अपने जीवनकाल में अपनी जाति व अपने पुत्रों को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी नही बनाया।वही चन्द्रशेखर जिन्होंने अपने नाम से अपना सरनेम #सोलंकी_सिंह हटाकर प्राचीन क्षत्रिय परम्परा को स्थापित किया कि जन्म से कोई सिंह नही होता बल्कि कर्म से होता है।भारतीयता का प्रतीक धोती कुर्ता पहना और यह साबित किया कि केसरिया साफ़ा क्षत्रियता का प्रतीक नही है।कभी भी लिखित भाषण को नही पढ़ा।कभी भी जय राजपुताना नही बोला क्योंकि ऐसा बोलने से उस क्षात्र धर्म को ठेस पहुचता जिसमे अपने बारे में जय कहना मना है।

मात्र चार महीने की अल्पमत की सरकार में राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद को सुलझाने के लिए राम मंदिर बनाने गम्भीर प्रयास किया जिसको सफल नही होने देने के लिए उनकी सरकार से समर्थन वापस लिया गया।पहले राजीव गांधी ने चन्द्रशेखर सरकार से समर्थन वापसी के लिए धमकी दी,पर चन्द्रशेखर कहा धमकी से डरने वाले थे! फिर उनसे प्रधानमंत्री पद पर बने रहने के लिए शरद पंवार के माध्यम से उनसे विनती की गई परन्तु चन्द्रशेखर न कहने पर कहा मानने वाले थे। चंद्रशेखर ने सांसद,मंत्री और प्रधानमंत्री बनने के लिए किसी के दर पर दस्तक नही दिया।चंद्रशेखर के नेतृत्व में ही भारत में आर्थिक उदारीकरण की शुरुवात हुई,जिसको पीवी नरसिंहा राव के नेतृत्व में मनमोहन सिंह ने आगे बढाया।आज आर्थिक उदारीकरण की ही ताकत है कि भारत विश्व शक्ति बनने की ओर अग्रसर है।
वैसे थे चन्द्रशेखर जिन्हें भारतीय राजनीति में उनके वसूलों से कोई उन्हें डिगा नही सका!उन्हें कोई झुका नही सका! नेहरू,इंदिरा,राजीव,अटल,मोदी को संगठन ने बड़ा बनाया परंतु चन्द्रशेखर के पास कोई संगठन नही रहा,जब रहा तो उन्होंने उससे कुछ पाया नही।जब 1977 में अटल आडवाणी मंत्री बने तब चन्द्रशेखर उस जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे जो सत्ता में थी परन्तु चन्द्रशेखर ने मंत्री बनने से इंकार कर दिया था।ऐसे थे चन्द्रशेखर!
आज 17 अप्रैल को उनकी जयंती के अवसर पर आज उनके चरणों में भावभीनी श्रद्धांजलि।कोटि कोटि नमन!

#युवातुर्क_चंद्रशेखरसिंह

बागी बलिया के वीर सपूत को कोटि कोटि नमन 🙏
08/04/2023

बागी बलिया के वीर सपूत को कोटि कोटि नमन 🙏

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