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21/11/2022
06/11/2022
23 October hindustan delhi me chhapa hai
23/10/2022

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12/10/2022
Baudh dham apnane ke liye sambaidhanik
08/10/2022

Baudh dham apnane ke liye sambaidhanik

04/10/2022
ये सब कुछ दिख रहा है ये बुद्ध का देस है इसे अदालत के फैसले की जरूरत नही है केवल संगठित होकर शासक बनने की जरूरत है ।     ...
31/05/2022

ये सब कुछ दिख रहा है ये बुद्ध का देस है इसे अदालत के फैसले की जरूरत नही है केवल संगठित होकर शासक बनने की जरूरत है ।
बहुजन समाज मूलनिवासी आज भी दलित पिछड़ा आदिवासी अभी तक पाखंडी हिन्दू धर्म के नशे में सोया हुआ है जिससे वह अपना मान सम्मान धन दौलत गंवा चुका है ,

अभी भी वक्त थोड़ा बचा है शासक बनो सब कुछ हासिल हो जाएगा ।

28/05/2022

बुद्ध आशीर्वाद नहीं देते, बुद्ध श्राप नहीं देते..

बुद्ध नहीं मांगते अगरबत्ती मोमबत्ती..

बुद्ध आस्तिक नहीं हैं, वे नास्तिक नहीं हैं, बुद्ध वास्तविक हैं।

बुद्ध आचरण हैं, विचार हैं, कर्मकांड हैं, बुद्ध सत्य हैं..

बुद्ध मार्ग के दाता हैं, जीवन का आदर्श मार्ग बुद्ध है।

बुद्ध किसी को ग्रहण नहीं करते.. वह किसी से नाराज नहीं होते, बुद्ध किसी को आशीर्वाद नहीं देते.. किसी को श्राप नहीं देते..

बुद्ध किसी के शरीर में नहीं आते... लेकिन शरीर में आने वाले देवताओं, भूतों, प्रेत आत्माओं के अस्तित्व को नकारते हैं। वह खुद को भगवान नहीं कहता।

वे बुद्ध की पूजा नहीं करना चाहते ... वे किसी को भय नहीं दिखाते, वे जीने का मार्ग दिखाते हैं ... क्योंकि बुद्ध उद्धारकर्ता नहीं हैं, वे पथ-प्रदर्शक हैं।

बुद्ध कहते हैं कि किसी से घृणा न करें, सत्य बोलने का अर्थ है बुद्ध की घृणा का प्रेम से जवाब देना और शांति स्थापित करना।

बुद्ध मनुष्य के मन को महत्व देते हैं.. मन को अच्छा करने के लिए कहते हैं.. कहते हैं कि मन में बुरे विचार नहीं आने चाहिए..

बुद्ध देते हैं कर्म को.. अच्छे कर्म करो, बुरा मत करो, कहते हैं..

बुद्ध बुद्धि को महत्व देते हैं, लेकिन वे ज्ञान से अधिक नैतिकता को महत्व देते हैं।

अट्टा दीप भव:... मतलब.. बिना किसी का अनुकरण किये स्वयं प्रकाशमान बनो और मेरी भी नकल मत करो.. डॉक्टर बनो..बुद्धि से सोचो बुद्ध कहते हैं !!

विश्व को शांति का संदेश देकर सबसे पहले पूरी मानव जाति को अहिंसा की ओर मोड़ने वाले महापुरुष,महामानव हैं
प्रियदर्शिनी चाहत सिंह
#नमो_बुद्धाय
्राट

28/05/2022

बाबा साहब ने कहा है-:

"गुलाम को गुलामी का एहसास करवा दो, वह अपनी आजादी के लिए बगावत कर देगा। वह अपनी गुलामी की बेड़ियों को काटकर स्वतंत्रता के लिये संघर्ष छेड़ देगा।"

परंतु भारत के संदर्भ में देखा जाए तो पढ़े-लिखे स्त्री पुरुषों के लिए शिक्षा का अर्थ केवल नौकरी पाना ही रह गया है। महिलाओं की दशा तो और भी ज्यादा खराब है।

कहने को दुनिया आज 21वीं सदी की ओर भाग रही है लेकिन हम आज भी 14वीं सदी में ही जी रहे हैं। महिलाएं आज भी घूंघट में रहना अपनी शान समझती हैं। घूंघट ना तो महिलाओं की आवश्यकता है और ना ही पुरुषों के लिए इसकी कोई उपयोगिता, अनुपयोगी होते हुए भी अधिकांश महिलाएं इससे मुक्त नहीं हो पा रही है। जब भी कोई व्यक्ति घूंघट प्रथा को समाप्त करने की बात करता है, तो न तो कोई पुरुष तैयार होता है और न ही कोई महिला। दोनों के अपने-अपने तर्क हैं- पुरुष कहता है, घूंघट इज्जत का प्रतीक है। यदि महिलाएं घूंघट में नहीं रहेंगी तो हमारा समाज में मान- सम्मान ही नहीं रहेगा। महिलाओं को तो घूंघट में रहना ही चाहिए।फिर मोहल्ले और बस्ती के लोग भी व्यंग करेंगे। बड़े बुजुर्गों का सम्मान गिरेगा।

पुरुष ऐसा कहते हैं यह तो समझा जा सकता है, क्योंकि यह उनके निजी जीवन से दूर का विषय है। पुरुष तो केवल इस व्यवस्था का पोषक है। उसे स्वयं घुंघट में नहीं रहना है, इसलिए घूंघट से होने वाली कठिनाइयों के प्रति गंभीर नहीं हो सकता।

यदि महिलाओं से कहा जाए आप घूंघट में क्यों रह रही हैं? तो कई तरह की बातें आती हैं-महिलाएं स्वयं मानने लगी है कि घूंघट से सम्मान मिलता है। घूंघट, सास- ससुर, जेठ-जेठानी इत्यादि के प्रति सम्मान का प्रदर्शन है। सम्मान की चाहत ने घूंघट की घुटन को स्वीकार्यता के मापदंड में बदल दिया है।न चाहते हुए भी घूंघट श्रेष्ठता का प्रतीक बन गया है। घूंघट में रहना शिष्टाचार और सभ्यता का पर्याय बन गया है। घूंघट में रहने वाली महिलाएं ना तो ठीक से देख सकती हैं और ना ही उनका व्यक्तित्व उभर कर समाज के सामने आता है। बस एक ही बात महिलाओं के मस्तिष्क में बैठ गई है कि यह सम्मान का प्रतीक है इस सम्मान के प्रतीक ने समस्त महिलाओं के व्यक्तित्व को दफन कर दिया है।

अब महिलाएं भी इस घूंघट प्रथा के प्रति आश्वस्त हो गई हैं। भले ही कुछ पढ़ी-लिखी महिलाएं नौकरी में आ गई हों, वे शहर में रहने लगी हों, घूंघट से बाहर हो गई हो लेकिन अधिकांश महिलाएं इससे मुक्त नहीं हो पाई है। आज भी महिलाएं स्वयं ही आजादी के बारे में नहीं सोच रही हैं। जिसे वे सम्मान समझती हैं, वह एक प्रकार की गुलामी है। एक ऐसी गुलामी जिसने समस्त महिलाओं को मानसिक रूप से गुलाम बना दिया है। सबसे दुखद पहलू यह है कि स्वयं महिलाओं ने भी इसे स्वीकार कर लिया है। आज यह पुरुषों के लिए चिंता का विषय भी नहीं है।

28/05/2022

ऋग्वेद में स्तूपों तथा चैत्य का वर्णन मिलता है अर्थता ऋग्वेद बुद्ब काल के बाद लिखा गया है!
धम्मपद में बुद्ध ने कहा है कि एस धम्मो सनन्तनो।
यही धम्म सनातन है।

बुद्ध को देव भगवत कहा गया है,बुद्ध के अनुयायियों को भागवत कहां जाता है!

अशोक ने ब्रह्मगिरि आदि शिलालेखों में लिखवाया कि एसा पोराणा पकिति।
यही धम्म की पुरातन / पोराणा रीति है। धम्म पहले से चला आ रहा है।

साहित्यिक और पुरातात्विक दोनों सबूत बताते हैं कि धम्म ही सनातन है, धम्म ही पुरातन है।
मतलब कि धम्म की परंपरा पहले से चली आ रही थी और बुद्ध के पहले भी बुद्ध हुए। गौतम बुद्ध ने बौद्ध धम्म का प्रवर्तक किया था उनसे भी पहले 27 बुद्ध का प्रमाण है अर्थात बुद्ध स्वर्ण परंपरा से संबंधित थे !

ब्राह्मण धर्म ग्रंथ का सबसे पुराना ग्रंथ वेद माना जाता है! वेद शब्द भी पाली भाषा की वेदना सबसे निकला है!

आज ब्राह्मण धर्म मैं सनातन शब्द का प्रयोग कर रहे हैं उनको खुद नहीं पता यह सब कहां से आया है! दूसरे लोगों के देखा देख शब्दों का प्रयोग करना धार्मिक अंधभक्ति कहलाता है!

हिंदू एक विदेशी शब्द है मुझे समझ नहीं आ रहा ब्राह्मण धर्म कहने में शर्म क्यों आती है!

28/05/2022

ब्राह्मणों के इतिहास में केवल दूसरे की बुराई बताई जाती है और ब्राहमणो की बुराई छुपा ली जाती है,,,🤔

1- शूद्र महर्षि शम्बूक की ह्त्या किसने की थी,,?
2- एकलव्य का अंगूठा किसने काटा,,?
3- विधटन कारी चार वर्ण किसने बनाये,,?
4- मगध राज्य पर हमला के लिए सिकन्दर को किसने बुलाया था,?
5- भारतीय इतिहास का स्वर्णिमप्रुष्ठ लिखनें वाले ब्रहद्रथ मौर्य की हत्या,बौद्धों का नरसंहार व विश्व विद्यालयों पुस्तकालयों को किसने ध्वस्त किया,,?
6- हिटलर को भी बौना व फ़ीका बनानें वाली कालें कानूनों की किताब मनुस्मुति का लेखक कौन था,,?
7- ब्रह्मा सत्या जगत मिथ्या के मिथ्यावाद की आड में गुप्तकाल के स्वर्ण युग की विनाश लीला किसने की,,?
8- पृथ्वी को इक्कीस बार क्षत्रिय
विहीन किसने किया,,?
9- सोमनाथ के मंदिर का झण्डा झुकाकर मोहम्मद बिनकासिम की विजय किसने सुनिश्चित की,?
10- सोमनाथ के मंदिर का जो फ़ाटक हाथियों से भी नही टूट्ता उसे मोहम्मद गजनी के लिए किस गद्दार व लालची ने खोला,,?

11- मोहम्मद गोरी को जयचन्द की चिठ्ठी ले जाने वाला कौन था?
12- बंगाल का वह गद्दार राजा कौन था जो मोहम्मद बख्तियार के डर से महल के पीछें के दरवाजें भाग गया था,,?
13- अकबर की भंडैती किसनें की तथा भारतीय बहू-बेटियो के मीना बाजार किसने लगवाया,?
14- महाराजा रणजीत सिन्ह व दयानंद ,सरस्वती को भोजन के साथ जहर किसने दिया,,?
15- सतगुरु रैदास की वाणी को किसने जलाया तथा उनकी हत्या किसने की,,?
16- शिवाजी का राज्याभिषेक बगैर नहाये बाये पैर के अंगूठे से किसने किया तथा उनकी व उनके पुत्र की हत्या किसने की,,?
17- पेशवा बाजीराव कौन था जिसके डर से सुन्दर महिलायें जहर खाकर आत्म हत्या करलेती थी,,?
18- स्वामी विवेकानंद को शूद्र कहकर विश्व धर्म परिषद मे जाने का विरोध किसने किया था,,?
19-महात्मा ज्योतराव फ़ूले की हत्या के लिए हत्यारे किसने भेजे थे,,?
20- भारत का बटवारा किसनें और क्यो करवाये थे,,?

21- गांधी की हत्या किसने की,,?
22-बाबा साहेब अम्बेडकर को किसकी साजिश से जहर दिया गया,,?
23-इन्दिरा गांधी को अकाल तख्त उडाने व हजारों सिक्खों की हत्या करने के लिए किसने उकसाया था,,?
24- इन्दिरा गांधी को किस पन्डें ने मन्दिर परिसर मे घुसने नही दिया था,,?
25-वो जनरल कौन थे जो दवा कराने के बहाने भारत चीन युद्ध का मैदान छोडकर दिल्ली भाग आया था,,?
26- बीस साल तक विभिन्न मन्त्रालयों के अति गोपनिय दस्तावेज़ों की मोटी रकम लेकर विदेशों को बेचने वाला कुमार नरायन अय्यर कौन था,,?
👉देशद्रोही सनातनी(ब्राहमण) थें,,,😡

एक बार और बोलो साहब आज रात  #आठ बजे से 2000 और 500 के नोट  #बंद किये जाते हैं।नोटों में लगी  #चिप का पता लगाने वाले  #एं...
28/05/2022

एक बार और बोलो साहब आज रात #आठ बजे से 2000 और 500 के नोट #बंद किये जाते हैं।

नोटों में लगी #चिप का पता लगाने वाले #एंकर कहाँ गुम है?

28/05/2022

थानो में सबसे ज्यादा थानेदार सवर्ण हैं और जेलों मे सबसे ज्यादा कैदी ओबीसी-एससी-एसटी और मुसलमान।

देशभर की जेलों में कुल 4,88,511 कैदी बंद हैं और इनमें से 3,71,848 कैदी विचाराधीन (Undertrial) हैं। विचाराधीन कैदियों में लगभग 20% मुस्लिम हैं जबकि लगभग 73% दलित, आदिवासी या ओबीसी हैं। देश भर में बड़ी संख्या में विचाराधीन कैदियों का मुद्दा उठाते हुए कहा गया कि इनमें से ज्यादातर गरीब या सामान्य परिवारों से है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के 2020 के आंकड़ों के अनुसार देश के सभी जेल कैदियों में से लगभग 76% कैदी विचाराधीन हैं, जिनमें से लगभग 68% या तो निरक्षर हैं या स्कूल छोड़ चुके हैं। मुसलमान भारत की आबादी का 14% हिस्सा हैं और वे कुल विचाराधीन कैदियों के लगभग 20% और सभी दोषियों के करीब 17% हिस्सा हैं। दलित जो भारत की आबादी का 16.6% है, ये सभी विचाराधीन कैदियों का लगभग 21% और सभी दोषियों में करीब 21% हिस्सा हैं। आदिवासी भारत की कुल आबादी का करीब 8.6% हैं। सभी विचाराधीन कैदियों में लगभग 10% और सभी दोषियों में लगभग 14% आदिवासी हैं। भारत में ओबीसी समुदाय की कुल आबादी करीब 41% है। विचाराधीन कैदियों में करीब 41% और दोषियों में लगभग 37% लोग ओबीसी समाज से आते हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार सभी विचाराधीन कैदियों में से लगभग 30% एक वर्ष से अधिक समय तक जेल में रहते हैं जबकि 65% तीन महीने से पहले रिहा नहीं होते हैं।

अपने आसपास देखिए तो हर सामाजिक, आर्थिक, माफिया और अन्य अपराध मे सवर्ण वर्चस्व मिलेगा और जेलों मे देखिए तो एससी एसटी ओबीसी मुस्लिम भरे हैं। ये या तो अपने आप मे क्रूर विसंगति है, या फिर पुलिस और कोर्ट मे सवर्ण कब्जे का नतीजा जो देश मे अघोषित मनुवाद चलने का रिफलेक्शन है। देश मे इंस्टीच्यूशन न्याय देने के बजाय अन्याय करने के लिए चल रहे हैं, वो भी पब्लिक मनी पर सजातीय अपराधियों को सपोर्ट दे रहे हैं। हर थाने में अपराधी जाति के लोगों को बतौर थानेदार रखने का नतीजा है कि विक्टिम को न्याय मिलने की जगह उसी का उत्पीड़न होता है और अपराधी अट्टहास करते हैं। इस तरह की घटनाओं की कोई और व्याख्या नहीं है। इसीलिए भारत जैसे देश मे न्याय सुनिश्चित करना है तो पुलिस लेवल पर डायवर्सिटी बहुत जरूरी है। ज्यादा से ज्यादा सवर्ण थानेदार, एसपी, डीएम, जज रखने की वर्तमान पालिसी न्याय देने के लिए नहीं ओबीसी-एससी-एसटी और मुसलमानों को कंट्रोल करने और सवर्ण वर्चस्व स्थापित करने के लिए है। या तो सवर्णो का अलग प्रदेश बने या फिर हर संस्‍था मे हर वर्ग को आनुपातिक प्रतिनिधित्व मिले।
✍️✍️Pt V S Periyar

पति पत्नी नहीं, बनें एक दूसरे के साथी विवाहित दम्पतियों को एक दूसरे के साथ मैत्री भाव से व्यवहार करना चाहिए। किसी भी माम...
28/05/2022

पति पत्नी नहीं, बनें एक दूसरे के साथी

विवाहित दम्पतियों को एक दूसरे के साथ मैत्री भाव से व्यवहार करना चाहिए।

किसी भी मामले में पुरुष को अपने पति होने का घमंड नहीं होना चाहिए।

पत्नी को भी इस सोच के साथ व्यवहार करना चाहिए कि वह अपने पति की दासी या रसोइया नहीं है।

विवाहित दम्पती को बच्चे पैदा करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।
विवाह के कम से कम तीन साल बाद बच्चे पैदा हों, तो अच्छा रहेगा। विवाहितों को अपनी कमाई के अनुसार खर्च करना चाहिए।

उन्हें उधार नहीं लेना चाहिए। भले ही आय कम हो; उन्हें किसी भी तरह थोड़ी सी बचत करनी चाहिए। इसी को मैं जीवन का अनुशासन कहूंगा।

विवाहित लोगों को एक दूसरे के प्रति सरोकार रखने वाला होना चाहिए।
भले ही वे दूसरों के लिए ज्यादा कुछ न कर पाएँ; लेकिन उन्हें दूसरों का अहित करने से बचना चाहिए।

कम बच्चे होने से ईमानदारी और आराम से जीवन व्यतीत किया जा सकता है।
विवाहित लोगों को अपने जीवन को दुनिया की वर्तमान परिस्थितियों के अनुकूल ढालने के लिए हर तरह से प्रयास करना चाहिए।
भविष्य में दुनिया कैसी होगी? इसे भूलकर उन्हें वही करना चाहिए, जो वर्तमान दुनिया में जीने के लिए आवश्यक है।

*“पति” और “पत्नी” जैसे शब्द अनुचित हैं। वे केवल एक दूसरे के साथी और सहयोगी हैं; गुलाम नहीं। दोनों का दर्जा समान है।*

जिस देश या समाज में प्रेम को स्वतंत्र रूप से फलने फूलने का अवसर मिलता है; वही देश ज्ञान, स्नेह, संस्कृति और करुणा से समृद्ध होता है।

जहां प्रेम बलपूर्वक किया जाता है, वहां केवल क्रूरता और दासता बढ़ती है।
जीवन में एक दूसरे की अपरिहार्यता को समझना एक उदात्त प्रेम की पहचान है।

नैतिक आचरण की सीख देने वाली कोई भी किताब या धर्म ग्रंथ यह नहीं सिखाता कि एक बाल वधू को वैवाहिक बन्धनों में बंधकर तथा पारिवारिक जीवन में उलझकर, पति के संरक्षण की बेड़ियों में कैद रहना चाहिए; जबकि अपनी उम्र के अनुसार वह इसके लिए तैयार नहीं है।

नागरिकों और पुलिस, दोनों को अवैध विवाह से सम्बन्धित लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार होना चाहिए।

विवाह को केवल लैंगिक समानता तथा स्त्री पुरुष के बीच समान व्यवहार के सिद्धान्त पर अनुबन्धित किया जाना चाहिए।
अन्यथा यही बेहतर होगा कि महिलाएँ तथाकथित “पवित्र वैवाहिक जीवन” से बाहर एकल जीवन जिएं।

स्त्री पुरुष की गुलाम बनकर क्‍यों रहे?

*विवाह पर किया जाने वाला खर्च लोगों की 10 या 15 दिनों की औसत आय से अधिक नहीं होना चाहिए।*

*एक और बदलाव यह लाया जा सकता है कि विवाहोत्सव को कम दिनों में मनाया जाए। मैं “विवाह” या 'शादी' जैसे शब्दों से सहमत नहीं हूँ। मैं इसे केवल जीवन में साहचर्य के लिए एक अनुबन्ध मानता हूं।*

इस तरह के अनुबन्ध में मात्र एक वचन; और यदि आवश्यकता हो, तो अनुबन्ध के पंजीकरण के एक प्रमाण की जरूरत है।

*अन्य रस्मों रिवाजों की कहां आवश्यकता है? इस लिहाज से मानसिक श्रम, समय, पैसे, उत्साह और ऊर्जा की बर्बादी क्यों?*

समाज में कुछ लोगों की स्वीकृति पाने और अपनी प्रशंसा सुनने हेतु लोग दो या तीन दिनों के लिए विवाह में अतार्किक ढंग से अत्यधिक खर्च कर देते हैं; जिसके कारण वर वधू या उनके परिवार लम्बे समय तक कर्ज में डूबे रहते हैं।

खर्चीले विवाहों के कारण कुछ परिवार कंगाल हो जाते हैं।

*यदि पुरुष और महिला रजिस्ट्रार कार्यालय में हस्ताक्षर करके यह घोषणा कर देते हैं कि वे एक दूसरे के 'जीवनसाथी' बन गए हैं; तो यह पर्याप्त है।*

मात्र एक हस्ताक्षर के आधार पर किए गए ऐसे विवाह में अधिक गरिमा, लाभ और स्वतंत्रता होती है।

*हमें विवाह के पारम्परिक रीति रिवाजों का पालन करने की जरूरत नहीं है।*

_समय और समाज के मिजाज तथा ज्ञान में हो रही वर्तमान वृद्धि के अनुसार ही रीति रिवाज स्थापित किए जाने चाहिए।_

यदि हम सदा के लिए किसी विशेष काल के तौर तरीकों का पालन करते रहें, तो स्पष्टत: हम ज्ञान के मामले में आगे नहीं बढ़े हैं।

*आत्माभिमान विवाह परम्परागत रूप से चलती आ रही प्रथाओं पर प्रश्न उठाने और उन्हें चुनौती देने के लिए शुरू किए गए हैं।*

*_विवाह से केवल वर वधू का ही सरोकार नहीं होता। यह राष्ट्र की प्रगति के साथ जुड़ा होता है।*

कलेक्टेड वर्क्स ऑफ पेरियार ई. वी. आर., संयोजन: डा. के. वीरामणि, प्रकाशक: दि पेरियार सेल्फरेस्पेक्ट प्रोपेगंडा इंस्टीट्यूशन, पेरियार,
थाइडल, 50, ई. वी. के. सम्पथ सलाय, वेपरी, चेन्नई 600007 के प्रथम संस्करण, 1987 में 'मैरिज' शीर्षक से संकलित_
cpप्रियदर्शिनी चाहत सिंह

इंडोनेशिया का बोरोबुदुर मंदिर : बोरोबुदुर मंदिर 825 ईस्वी में निर्मित, इसे दुनिया का सबसे बड़ा बौद्ध स्मारक और इंडोनेशिय...
28/05/2022

इंडोनेशिया का बोरोबुदुर मंदिर : बोरोबुदुर मंदिर 825 ईस्वी में निर्मित, इसे दुनिया का सबसे बड़ा बौद्ध स्मारक और इंडोनेशिया का मुख्य पर्यटन स्थल माना जाता है। इस मंदिर में नौ क्रमबद्ध चबूतरे हैं, जिसमें छह वर्गाकार और तीन गोलाकार हैं और इसके ऊपर एक केंद्रीय गुंबद भी है। इसकी दीवारों के चारों ओर 2,672 रीलीफ पैनल के साथ-साथ 504 बुद्ध की प्रतिमाएं हैं। कोई भी इस ऐतिहासिक कृति की सुंदरता की सराहना करते हुए दिन बिता सकता है
कैसा है मंदिर : मंदिर गौतम बुद्ध का एक पूजास्थल और बौद्ध तीर्थस्थल है। तीर्थस्थल की यात्रा इस मंदिर के नीचे से आरम्भ होती है और मंदिर के चारों ओर बौद्ध ब्रह्माडिकी के तीन प्रतीकात्मक स्तरों कामधातु (इच्छा की दुनिया), रूपध्यान (रूपों की दुनिया) और अरूपध्यान (निराकार दुनिया) से होते हुए शीर्ष पर पहुंचता है। स्मारक में सीढिय़ों की विस्तृत व्यवस्था और गलियारों के साथ 1460 कथा उच्चावचों और स्तम्भवेष्टनों से तीर्थयात्रियों का मार्गदर्शन होता है

बोरोबुदुर विश्व में बौद्ध कला का सबसे विशाल और पूर्ण स्थापत्य कलाओं में से एक है। साक्ष्यों के अनुसार बोरोबुदुर का निर्माण कार्य 9वीं सदी में आरम्भ हुआ और 14वीं सदी में जावा में हिन्दू राजवंश के पतन और जावाई लोगों द्वारा इस्लाम अपनाने के बाद इसका निर्माण कार्य बन्द हुआ। इसके अस्तित्व का विश्वस्तर पर ज्ञान 1814 में सर थॉमस स्टैमफोर्ड रैफल्स द्वारा लाया गया और इसके इसके बाद जावा के ब्रितानी शासक ने इस कार्य को आगे बढ़ाया। बोरोबुदुर को उसके बाद कई बार मरम्मत करके संरक्षित रखा गया। इसकी सबसे अधिक मरम्मत, यूनेस्को द्वारा इसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्द करने के बाद 1975 के 1982 से मध्य इंडोनेशिया सरकार और यूनेस्को द्वारा की गई बोरोबुदुर अभी भी तिर्थयात्रियों के लिए खुला है और वर्ष में एक बार वैशाख पूर्णिमा के दिन इंडोनेशिया में बौद्ध धर्मावलम्बी स्मारक में उत्सव मनाते हैं। बोरोबुदुर इंडोनेशिया का सबसे अधिक दौरा किया जाने वाला पर्यटन स्थल है
cpप्रियदर्शिनी चाहत सिंह

Dadi and पोता
14/05/2022

Dadi and पोता

12/05/2022

गोदी मीडिया वो नाड़ा है जिसने भाजपा के ढ़ीले कच्छे को बांध रखा है,

जिस दिन नाड़ा खुला तो भाजपा का पूरा विकास दिख जाएगा 😜

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