ये हिंदी गाने का पहाड़ी version है या फिर हिंदी गाना इस पे बना है
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लेह (Leh)
लेह (Leh)
भारत के लद्दाख़ राज्य के लेह ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय है और ज़िले तथा पूरे लद्दाख़ केंद्रशासित प्रदेश का सबसे बड़ा शहर है। लेह समुद्र तल से 3,524 मीटर (11,562 फुट) की ऊँचाई पर, श्रीनगर से 160 मील पूर्व तथा यारकंद से लगभग 300 मील दक्षिण, लद्दाख पर्वत श्रेणी के आँचल में, ऊपरी सिंधु नदी के दाहिने तट से 4 मील दूर स्थित है
सोलन,हिमाचल का सबसे खूबसूरत और पर्यटकों का मनचाहा शहर
सोलन है प्रदेश का सबसे खूबसूरत ज़िला
सोलन का नाम माता शूलिनी के नाम पर पड़ा है। यहाँ राज्य स्तरीय शूलिनी मेला वर्ष में 1 बार लगता है। प्रसिद्ध पांडव गुफा सोलन के करोल पहाड़ी के आंचल में बसी है। मान्यता है कि यह पांडवो के समय में लाक्षागृह के नीचे बनाई गई थी।
सोलन में हैं एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर, बनने में लगे थे 39 साल
जटोली शिव मंदिर
भारत देश के हिमाचल प्रदेश राज्य के सोलन जिलेमें स्थित है, जिसकी स्थापना श्री श्री 1008 स्वामी कृष्णानंद परमहंस महाराज ने की थी। स्वामी कृष्णानंद परमहंस 1950 में जटोली आए थे। 1974 में मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो गया था। हिमाचल प्रदेश के सोलन शहर से करीब 7 किलोमीटर की दूरी पर भवननिर्माण कला का बेजोड़ नमूना जटोली मंदिर स्थित है। इसे एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाता है। यहां शिवरात्रि व महाशिवरात्रि के मौके पर भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यह शिव मंदिर दक्षिण-द्रविड़ शैली से बना हुआ है। मंदिर को बनने के लिए तकरीबन 39 साल लगे हैं।
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नालागढ़ में ऐतिहासिक पीरस्थान लोहड़ी मेले में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
नालागढ़ में ऐतिहासिक पीरस्थान लोहड़ी मेले में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, हंडूर रियासत के समय
नालागढ़। हंडूर रियासत के राजा रामशरण के समय से करीब 300 वर्ष पूर्व शुरू हुए ऐतिहासिक पीरस्थान का लोहड़ी मेला सोमवार से शुरू हो गया है और आगामी चार दिनों तक यह मेले सजेंगे। मेले को लेकर झूले, चंडोल व दुकानें सज गई है। ऐतिहासिक पीरस्थान लोहड़ी मेले के चलते स्थानीय प्रशासन ने भ। मेले के दूसरे दिन मेले में भारी संख्या में श्रद्धालुओं भीड़ नजर आ रही है। दूसरे दिन सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने लाख दाता पीर बाबा के मंदिर पीरस्थान में माथा टेककर मनतें मांगीं।
जानकारी के अनुसार इस मेले का शुभारंभ लोहड़ी पर्व के दिन होता है और पीरस्थान स्थित लखदाता लाला वाले पीर की प्राचीन दरगाह पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु शीश नवाने यहां आते हैं। लखदाता पीर के नाम से ही इस स्थान का नाम पीरस्थान पड़ा है और यह मेला दून व नालागढ़ विस क्षेत्र का सबसे बड़ा मेला होता है और इस मेले में पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ आदि के लोग यहां आते हैं।
मेले का पहला दिन क्षेत्र की महिलाओं, बच्चों व परिवार की तरूंदस्ती का होता है और यहां लोग दरगाह में मत्था टेक कर तंदरूस्ती की कामना करते हैं तथा प्रसाद के रूप में यहां चूरमा (मीठी रोटी) बांटी जाती हैं। दंत कथाओं के मुताबिक महिलाएं बच्चों की खुशहाली के लिए जंदड़े (ताले) खुलवाने के लिए सुखना करती है। मन्नत पूरी होने पर लोहड़ी वाले दिन महिलाओं द्वारा 3, 5 या 7 बार जंदड़ा (ताला) खोला व लगाया जाता है। यहां पहले ऊंटों की दौड़ की प्रतियोगिताएं आयोजित होती थी, जो धीरे-धीरे समय के अंतराल में समाप्त होती चली गई।
सारा हिमाचल आया नाटी की चपेट में, कुड़ियां तां कुड़ियां हुन सायनियाँ भी फुदकी पाइयाँ
सारा हिमाचल आया नाटी की चपेट में, कुड़ियां तां कुड़ियां हुन अमाँ जी भी
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