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26/06/2024

Indraprasth Geet/Anthem by Draupadi Dream Trust

अपने मन से गुलामी मानसिकता खतम करना ही नेता जी सुभाष चन्द्र बोस को देने योग्य सर्वोत्तम श्रद्धांजलि होगी। नेता जी को शत ...
23/01/2023

अपने मन से गुलामी मानसिकता खतम करना ही
नेता जी सुभाष चन्द्र बोस को देने योग्य सर्वोत्तम श्रद्धांजलि होगी। नेता जी को शत शत नमन 🙏🪔

पुराण वर्णित भगवान बुद्ध का जन्म किकट प्रदेश में हुआ जबकि गौतम बुद्ध का जन्म लुंबिनी नेपाल में हुआ था। दोनो भिन्न व्यक्त...
20/10/2022

पुराण वर्णित भगवान बुद्ध का जन्म किकट प्रदेश में हुआ जबकि गौतम बुद्ध का जन्म लुंबिनी नेपाल में हुआ था। दोनो भिन्न व्यक्ति थे।

भगवान शिव द्वारा भगवती उमा को दिया धर्मोपदेश –(महाभारत अनुशासन पर्व, दानधर्म पर्व, 145)विद्याभ्यासैर्वृद्धयोगैरात्मानं व...
01/03/2022

भगवान शिव द्वारा भगवती उमा को दिया धर्मोपदेश –

(महाभारत अनुशासन पर्व, दानधर्म पर्व, 145)

विद्याभ्यासैर्वृद्धयोगैरात्मानं विनयं नयेत् ।
विद्या धर्मार्थफलिनी तद्विदो वृद्धसंशिताः ॥

विद्या के अभ्यास और वृद्ध पुरुषों के सङ्ग से अपने आपको विनयशील बनाये। विद्या धर्म और अर्थ रूप फल देने वाली है । जो उस विद्या के ज्ञाता हैं, उन्हीं को वृद्ध कहते हैं ।

मनसा बद्ध्यते चापि मुच्यते चापि मानवः ॥
निगृहीते भवेत् स्वर्गो विसृष्टे नरको ध्रुवः।

अर्थ -मन से ही मनुष्य बँधता है और मन से ही मुक्त होता है। यदि मन को वश में कर लिया जाय, तब तो सुख मिलता है और यदि उसे खुला छोड़ दिया जाय तो दुःख की प्राप्ति अवश्यम्भावी है।

विद्यया स्फीयते शानं ज्ञानात् तत्त्वविदर्शनम्।
दृष्टतत्त्वो विनीतात्मा सर्वार्थस्य च भाजनम् ॥

विद्या से ज्ञान बढ़ता है, ज्ञान से तत्त्वका दर्शन होता है और तत्त्व का दर्शन कर लेने के पश्चात् मनुष्य विनीत चित्त होकर समस्त पुरुषार्थी का भाजन हो जाता है ।।

शक्यं विद्याविनीतेन लोके संजीवनं शुभम् ॥
आत्मानं विद्यया तस्मात् पूर्व कृत्वातुभाजनम्।
वश्येन्द्रियो जितक्रोधो भूतात्मानं तु भावयेत् ॥

विद्या से विनीत हुआ पुरुष संसारमें शुभ जीवन बिता सकता है। अतः अपने आपको पहले विद्या द्वारा पुरुषार्थ का भाजन बनाकर क्रोध विजयी एवं जितेन्द्रिय पुरुष सपूर्ण भूतों के आत्मा-परमात्मा का चिन्तन करे ।

भावयित्वा तदाऽऽत्मानं पूजनीयः सतामपि ॥
कुलानुवृत्तं वृत्तं वा पूर्वमात्मा समाश्रयेत् ।

परमात्माका चिन्तन करके मनुष्य सत्पुरुषोंके लिये पूजनीय बन जाता है । जीवात्मा पहले कुलपरम्परा से आते हुए सदाचारका ही आश्रय ले ।।

यदि चे विद्यया चैव वृत्ति का दद्यात्मनः ॥
राजविद्यां तु वा देवि लोकविद्यामथापि वा।
तीर्थतश्चापि गृह्णीयाच्छुश्रूषादिगुणैर्युतः॥
ग्रन्थतश्चार्थतश्चैव दृढं कुर्यात् प्रयत्नतः॥

यदि विद्या से अपनी जीविका चलाने की इच्छा हो तो शुश्रूषा आदि गुणों से सम्पन्न हो किसी गुरु से राजविद्या अथवा लोकविद्या की शिक्षा ग्रहण करे और उसे ग्रन्थ एवं गर्थ के अभ्यास द्वारा प्रयत्न पूर्वक दृढ़ करे।

एवं विद्याफलं देवि प्राप्नुयान्नान्यथा नरः ।
न्यायाद् विद्याफलानीच्छेदधर्म तत्र वर्जयेत् ॥

ऐसा करने से मनुष्य विद्या का फल पा सकता है, अन्यथा नहीं । न्याय से ही विधा जनित फलों को पाने की इच्छा करे। वहाँ अधर्म को सर्वथा त्याग दे ॥

आत्मसाक्षी भवेन्नित्यमात्मनस्तु शुभाशुभे ।
मनसा कर्मणा वाचा न च काङ्क्षत पातकम् ॥

अपने शुभ और अशुभ कर्म में सदा अपने-आपको ही साक्षी माने और मन, वाणी तथा क्रिया द्वारा कभी पाप करने की इच्छा न करे ॥

|| महाशिवरात्रि की सभी को ढेरों शुभकामनाएं एवं बधाई ||

प्रस्तुति – तथ्यविद

 #वेद तथा  #ब्राह्मण_ग्रंथों के मंत्रों के रूढ़िवादी अनुचित/गलत अर्थ निकाला मिस्र वासियों ने और वह अनुचित अनुवाद पहुंचा ...
20/02/2022

#वेद तथा #ब्राह्मण_ग्रंथों के मंत्रों के रूढ़िवादी अनुचित/गलत अर्थ निकाला मिस्र वासियों ने और वह अनुचित अनुवाद पहुंचा यहूदियों के मत में।

15/12/2021

How actually did Alexander die?
Unveiling Alexander's death mystery with sources ↓

(1.) Greek Historian & Geographer "Strabo" wrote in his book "Geographika" that "one's who wrote victory of Alexander were a set of liars hired to hide the shame"

(2.) Egyptologist & Philologist "E.A.W Budge" in his book "The Life and Exploits of Alexander" wrote "Indians soldiers & war elephants destroyed majority of the cavalry, realizing that he could be completely ruined thus Alexander requested King Porus to stop the fight & King Porus spared the life of Alexander out of mercy"

(3.) Russian history scholar & Marshal "Gregory Zhukov" said "Alexander's actions after the battle of Hydaspse suggest he faced an out right defeat" further he concluded "Alexander suffered a greater setback in India than Napolean in Russia".. his these statements are preserved in many Russian books - Blog - Marshal Zhukov on Alexander’s failed India invasion - Russia Beyond
https://www.rbth.com/blogs/2013/05/27/marshal_zhukov_on_alexanders_failed_india_invasion_25383

4.) King Porus's brother "Amar" killed Army commander of Alexander, King Porus's son Malayketu battled Seleucus 1 Nicator who came to take revenge of Alexander's death in Babylon which was due to lung pain as King Puru's spear wounded Alexander's lung and ribs.
Source : Independent Greek historian "Strabo" in his book "Geographika"

5.) Indian History book where this battle is written by Indian historians "Mudra Rakshasa"

Academic books tell us India was found by Vasco Da Gama for the first time in July 1497.. if so then story of Alexander would be a fake which it isn't.

धर्म क्या हैं?
03/09/2021

धर्म क्या हैं?

14/06/2021

इस लेख में हम जानेंगे वेदों के एक ऐसे विषय पे जिसके कारण वेदों के शब्दों का अनर्थ किया जाता है ,वह विषय है -वेदों में शब्द के प्रकार |

सबसे पहले जान लेते हैं शब्द कितने प्रकार के होते हैं -
एक दृष्टि के अनुसार शब्द ३ प्रकार के होते हैं -
१) यौगिक
२) योगरूढ़ी
३) रूढ़ी

यौगिक शब्द किसे कहते हैं ?
यौगिक उनको कहते हैं कि जो प्रकृति और प्रत्ययार्थ तथा अवयवार्थ का प्रकाश करते हैं , दुसरे शब्दों में ,
जो भी शब्द अपने गुण, स्वाभाव को बतलाते हैं उन्हें यौगिक कहते हैं|
यह प्रायः वेदों और ब्राह्मण ग्रन्थो में ही दिखने को मिलते हैं |उदहारण के रूप में -
"गुरु" शब्द | यह यौगिक शब्द है , इसलिए वेदों में ये शब्द जहाँ जहाँ आयेगा उसका अर्थ अष्टाध्यायी , धातुपाठ अनुसार लिया जायेगा , न की किसी मनुष्य का गुरु नाम हो तो वो लिया जायेगा |
यौगिक शब्दों के अर्थ धातुपाठ द्वारा किये होते हैं |

वेदों में २ प्रकार के शब्द होते हैं -
१) यौगिक शब्द
२) योगरूढ़ी शब्द |

चलिए अब जानते हैं योगरूढ़ी शब्द किसे कहते हैं -

योगरूढ़ि उनको कहते हैं कि जो अवयवार्थ का प्रकाश करते हुए अपने योग से अन्य अर्थ में नियत हों, दुसरे शब्दों में ,किसी भी शब्द के अर्थ अनुसार कोई पदार्थ मिलता है जगत में तो वह उस नाम से प्रसिद्ध हो जाता है | जैसे अश्व शब्द को लेते हैं , अश्व शब्द का अर्थ है जो तीव्र गति से आगे बढ़ते हुवे लक्ष्य को प्राप्त करे | इस अर्थ अनुसार जो मेल खाने वाला पशु घोडा है , वह अश्व नाम से संसार में प्रसिद्ध हो गया | इसका तात्पर्य ये नही की वेदों में केवल घोड़े को ही अश्व कहा जायेगा बल्कि , उस प्रकरण अनुसार किसी भी पदार्थ ,जीव को जो तीव्र गति से लक्ष्य को प्राप्त करे उसे अश्व कहके अर्थ किया जायेगा |

अब अगला आता है रुढ़िवादी शब्द -

रूढ़ि उनको कहते हैं कि जिनमें प्रकृति और प्रत्यय का अर्थ न घटता हो, किन्तु ये संबोधक हों, दुसरे शब्दों में , रुढ़िवादी शब्द उन्हें कहते हैं जो बिना अर्थ के किसी का भी नाम रख दिया जाता है, जैसे किसी मनुष्य का नाम , किसी व्यक्ति ने अपने बैल का नाम नन्दी रख दिया |यहाँ बैल के लिए संस्कृत में "उक्षा" जो शब्द है वह तो योगरूढ़ी शब्द है , लेकिन उसका "नन्दी" नाम रूढ़ीवादी शब्द है | रुढ़िवादी शब्द वेदों में नही होते | परन्तु कई लोग जो वेदों का भाष्य करते हैं वह बिना जाने रुढ़िवादी अर्थ कर देते हैं , जैसे कई लोग वेदों में किसी मनुष्य का नाम ढूंढने लगते हैं, हिन्दू लोग देवी देवताओं के नाम को ढूंढने लगते हैं ,मुसलमान लोग अपने पैगम्बर को ढूंढने लगते हैं , इसाई लोग जीसस को ढूंढने लगते हैं | बिना वेदों और व्याकरण को जाने रूढ़ीवाद अर्थ करके वेदों के अर्थ का अनर्थ करते हैं , और इसका उल्टा कहते हैं की स्वामी दयानन्द ने अर्थ का अनर्थ कर दिया |
जब वैदिक शब्दों को लोक -संसार में लौकिक रूप में प्रयोग किया जाता है तो वह रूढ़ीवादी शब्द हो जाता है |

चलिए अब इसका प्रमाण मैं देता हु की वेदों में केवल यौगिक और योगरूढ़ी शब्द होते हैं -

निरुक्त "1/12" में यह श्लोक लिखा है -

"नामाख्याते चोपसर्गनिपाताश्च । तत्र नामान्याख्यातजानीति शाकटायनो नैरुक्तसमयश्च । न सर्वाणीति गार्ग्यो वैयाकरणानां चैके ||"

जिसमे यह बतलाया गया है की "सब नाम , आख्यातज उपसर्ग और प्रत्यय से मिलकर बने होते हैं | परन्तु गार्ग्य तथा वैयाकरणों में से कुछ एक ऐसा मानते हैं की सब नाम आख्यातज नही हैं |

आख्यात का तात्पर्य है "क्रियावाची शब्द" और नाम का तात्पर्य है "संज्ञा"|
इस श्लोक का अर्थ यही है की सब संज्ञा , क्रियावाची शब्द उपसर्ग और प्रत्यय से मिलकर बने हैं , परन्तु गार्ग्य अथवा अन्य वैयाकरणों में से कुछ एक ऐसा मानते हैं की सारे संज्ञा क्रियावाची नही होते |

कोई भी शब्द उपसर्ग और प्रत्यय अर्थात prefix aur suffix में मिलकर बने होते हैं |जैसे "अग्नि" शब्द में "अग्" उपसर्ग है और "नी" एक प्रत्यय है |

इसके अतिरिक्त महर्षि पतंजलि महाभाष्य में यह श्लोक लिखते हैं, जिसका अर्थ है -" संज्ञा को निरुक्त में धातुज अर्थात क्रियावाची माना है , तथा व्याकरण में भी शाकटायन का ये मत है | इस श्लोक में आया है की "नैगमरुढ़िभवं ही सुसाधु" अर्थात नैगम अलग हैं और रुढ़ि अलग हैं | अर्थात वेदों में रुढ़िवादी शब्द नही हैं , ये महर्षि पतंजलि का कहना है|

वेदों में रुढ़िवादी शब्द नही होते ये सिद्ध कर दिया है |
✍ सूर्यांश

http://vedmantavyalekh.blogspot.com/2019/12/answering-atheists-part-3.html
03/12/2019

http://vedmantavyalekh.blogspot.com/2019/12/answering-atheists-part-3.html

पेरियार द्वारा पूछे गए ईश्वर पे प्रश्न - 1. क्या तुम कायर हो जो हमेशा छिपे रहते हो, कभी किसी के सामने नहीं आते? 2. क्या तु...

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