29/10/2024
नई ग़ज़ल
साथ हम चलते रहे संग इक गिला चलता रहा
एक लंबे वक्त तक ये सिलसिला चलता रहा
खिड़कियों से हाथ बाहर करके बारिश देखना
इस तरह नजदीकियों में फासला चलता रहा
अब तलक तो थक थका के बैठ जाते हम मगर
दरमियान ए राह में इक हौसला चलता रहा
सूखते अश्कों की ताकत आप कम ना आंकिए
रुक गए सारे शहीद और कर्बला चलता रहा
अब मुकदमा था के बच्चे संग किसके जायेंगे
इक इमारत ढह गई पर ज़लज़ला चलता रहा
एक तरफा इश्क ने कायम करी ऐसी मिसाल
कब्र तक तो सब चले फिर दिलजला चलता रहा
रंग उतर आए फलक पर बारिशों के बाद में
अश्क में और इश्क में मोआमला चलता रहा
मैं उसे और वो मुझे भी चाहता था पर 'सफर'
कौन से जाने खुदा का फैसला चलता रहा
~ सफर अमरोही