Amethi Junction

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हर हर महादेव 🚩🚩🚩
27/01/2025

हर हर महादेव 🚩🚩🚩

27/01/2025

25/01/2025

21/01/2025

गरीबी से जूझता हुआ परिवार की कहानीगांव के एक कोने में रहने वाला रामलाल का परिवार गरीबी की मार झेल रहा था। घर की छत छिद्र...
19/01/2025

गरीबी से जूझता हुआ परिवार की कहानी

गांव के एक कोने में रहने वाला रामलाल का परिवार गरीबी की मार झेल रहा था। घर की छत छिद्रों से भरी हुई थी, दीवारें कच्ची थीं, और बरसात के दिनों में पानी अंदर टपकता था। रामलाल एक छोटे किसान थे, जिनकी थोड़ी सी जमीन थी। वे दिन-रात मेहनत करते, लेकिन फसल का उचित दाम न मिलने के कारण उनका परिवार हमेशा तंगहाली में रहता।

रामलाल के परिवार में उनकी पत्नी सीता, बेटा रवि और बेटी गुड़िया थी। सीता घर संभालने के साथ-साथ दूसरों के घर बर्तन मांजकर कुछ पैसे कमाती थी। रवि पढ़ाई में होशियार था, लेकिन गरीबी के कारण स्कूल जाने के बाद वह गांव में चाय की दुकान पर काम करता था। गुड़िया छोटी थी, लेकिन पढ़ाई की इच्छा उसके भी दिल में थी।

हर दिन उनके लिए संघर्ष से भरा था। कभी खाने के लिए पूरा अनाज नहीं होता, तो कभी इलाज के लिए पैसे नहीं होते। लेकिन इस गरीबी के बावजूद, उनके परिवार में प्यार और एकजुटता की कमी नहीं थी।

एक दिन, रवि ने शहर जाकर नौकरी करने का सोचा। माता-पिता की अनुमति लेकर वह शहर चला गया। वहां उसने एक होटल में काम शुरू किया। धीरे-धीरे उसने थोड़े-थोड़े पैसे बचाए और घर भेजने लगा।

रवि की मेहनत और उसके परिवार की दुआओं से धीरे-धीरे स्थिति सुधरने लगी। उसने अपनी बहन गुड़िया को स्कूल में दाखिला दिलाया और अपनी मां को काम से मुक्त करवा दिया। कुछ वर्षों बाद, रवि ने एक छोटी दुकान खोल ली। अब रामलाल का परिवार न सिर्फ गरीबी से बाहर आ चुका था, बल्कि खुशहाल जीवन जी रहा था।

यह कहानी इस बात का प्रमाण है कि कठिन परिश्रम, लगन और परिवार की एकता किसी भी कठिनाई को हराने की ताकत रखते हैं।

दर्द भरी कहानी: एक अधूरी मोहब्बतरवि एक छोटा सा गांव का सीधा-सादा लड़का था। उसकी जिंदगी में बस उसके सपने और उसका खेत था। ...
18/01/2025

दर्द भरी कहानी: एक अधूरी मोहब्बत

रवि एक छोटा सा गांव का सीधा-सादा लड़का था। उसकी जिंदगी में बस उसके सपने और उसका खेत था। लेकिन एक दिन गांव के मेले में उसकी नजर एक लड़की, पायल, पर पड़ी। उसकी मुस्कान ने जैसे रवि के दिल को छू लिया। रवि ने पहली बार महसूस किया कि मोहब्बत क्या होती है।

पायल शहर से गांव आई थी, अपने दादा-दादी से मिलने। वह पढ़ी-लिखी और आत्मविश्वास से भरी लड़की थी। रवि और पायल की मुलाकात मेले में हुई और धीरे-धीरे दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई।

रवि के लिए पायल उसका संसार बन गई, और पायल ने भी रवि के सादगी भरे स्वभाव को अपना दिल दे दिया। लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था। पायल के परिवार को उनके रिश्ते के बारे में पता चला, और उन्होंने इसे समाज के खिलाफ बताया।

पायल को जबरदस्ती शहर वापस बुला लिया गया। रवि ने बहुत कोशिश की, लेकिन वह उसे रोक नहीं पाया। पायल ने जाते वक्त सिर्फ एक खत छोड़ा जिसमें लिखा था, "रवि, तुम्हारा प्यार मेरी जिंदगी की सबसे खूबसूरत याद है, लेकिन समाज के बंधन हमारे प्यार को कुचल रहे हैं। माफ करना।"

रवि ने उस दिन के बाद पायल का इंतजार करना शुरू कर दिया। हर दिन वह गांव के तालाब के किनारे बैठकर पायल की यादों में खोया रहता। उसकी आंखें हमेशा पायल के लौटने की राह देखतीं।

सालों बीत गए, लेकिन पायल कभी वापस नहीं आई। रवि ने कभी शादी नहीं की। उसने अपना पूरा जीवन पायल की यादों और उस अधूरी मोहब्बत को समर्पित कर दिया।

यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्चा प्यार भले ही अधूरा रह जाए, लेकिन वह हमेशा दिल में जिंदा रहता है।

15/01/2025

प्यार का सफरगर्मियों की एक सुनहरी सुबह, जब सूरज की किरणें हरियाली को छू रही थीं, आर्या अपने कॉलेज के लिए निकली। वह अपने ...
13/01/2025

प्यार का सफर

गर्मियों की एक सुनहरी सुबह, जब सूरज की किरणें हरियाली को छू रही थीं, आर्या अपने कॉलेज के लिए निकली। वह अपने छोटे से शहर की सबसे होनहार छात्रा थी। लेकिन आर्या का मन हमेशा किताबों में ही नहीं रहता था, उसे जीवन में कुछ अनोखा, कुछ नया चाहिए था।

कॉलेज के पहले दिन ही उसकी मुलाकात कबीर से हुई। कबीर एक शांत स्वभाव का लड़का था, जो किताबों और पेंटिंग्स में खोया रहता था। दोनों की दुनिया बिल्कुल अलग थी, लेकिन जब दोनों की नज़रें मिलीं, तो कुछ खास हुआ।

कबीर ने पहली बार आर्या को लाइब्रेरी में देखा। आर्या किताबों में डूबी हुई थी, और कबीर उसकी सादगी में खो गया। धीरे-धीरे दोनों की बातचीत शुरू हुई। पहले पढ़ाई के बहाने, फिर दोस्तों की तरह और फिर... शायद उससे भी ज्यादा।

आर्या और कबीर की दोस्ती गहरी होती गई। दोनों एक-दूसरे के हर छोटे-बड़े सपने में साथी बन गए। कबीर अपनी पेंटिंग्स में आर्या को उकेरता और आर्या उसकी हर रचना में खुद को पाती।

एक दिन, बारिश हो रही थी। दोनों कॉलेज के कैंपस में एक पेड़ के नीचे खड़े थे। कबीर ने हिम्मत जुटाई और आर्या से कहा, "आर्या, क्या तुमने कभी महसूस किया है कि हमारी कहानी किसी पुरानी किताब जैसी है? जो हर पन्ने पर और भी खूबसूरत होती जाती है।"

आर्या मुस्कुराई और कहा, "शायद यह कहानी का सबसे अच्छा हिस्सा है।"

उस दिन दोनों ने अपने दिल की बात एक-दूसरे से कही। उनका प्यार उस बारिश की बूंदों की तरह साफ और सच्चा था।

समय बीता, दोनों ने अपने सपनों को साथ मिलकर पूरा किया। आर्या एक प्रोफेसर बनी और कबीर एक मशहूर पेंटर। उनकी ज़िंदगी का हर पल एक नई कहानी लिखता गया, और उनका प्यार हर दिन और गहरा होता गया।

"प्यार का सफर कभी खत्म नहीं होता," कबीर ने एक बार कहा था। और सचमुच, उनका सफर भी ऐसा ही था—खूबसूरत और अनंत।

उड़ती पतंग, जुड़ते रिश्तेगांव के खुले आकाश के नीचे सुबह का समय था। नीले आसमान में सूरज की हल्की किरणें फैल चुकी थीं। दूर...
12/01/2025

उड़ती पतंग, जुड़ते रिश्ते

गांव के खुले आकाश के नीचे सुबह का समय था। नीले आसमान में सूरज की हल्की किरणें फैल चुकी थीं। दूर-दूर तक फैले खेतों की हरियाली अपनी पूरी खूबसूरती के साथ चमक रही थी। गांव के एक किनारे पर छोटे से कच्चे घर के आंगन में रोहन, एक 7 साल का बच्चा, अपनी पतंग उड़ाने के लिए दौड़ रहा था।

उसकी मां, सुजाता, चूल्हे पर रोटी सेंकते हुए मुस्कुरा रही थीं और उसकी हरकतों पर ध्यान दे रही थीं। पास ही उसके पिता, रामू, खेत की मेड़ पर बैठे हुए फसल पर नजर डालते हुए अपने बेटे की खुशी को देख रहे थे।

"रोहन, संभलकर दौड़ो! पतंग ऊंची उड़ानी है तो धागा धीरे-धीरे छोड़ना," रामू ने हंसते हुए कहा।
"पिताजी, आज मेरी पतंग सबसे ऊंची जाएगी!" रोहन ने उत्साह से कहा।

पतंग हवा में ऊपर-ऊपर जा रही थी, मानो आसमान को छूने का सपना देख रही हो। हवा के साथ खेतों के पेड़-पौधे भी झूम रहे थे। लेकिन तभी पतंग का धागा उलझ गया।

"ओह, ये क्या हुआ?" रोहन ने चिंतित होकर पतंग को देखने लगा।
रामू तुरंत उठे और बोले, "कोई बात नहीं, बेटा। कभी-कभी उलझनें भी जिंदगी का हिस्सा होती हैं। उन्हें सुलझाने में ही असली मजा है।"

रामू ने अपने बेटे के साथ मिलकर धागा सुलझाया। यह काम करते हुए उन्होंने रोहन को धैर्य रखने और हर स्थिति में शांत रहने की सीख दी।
"देखो, पतंग फिर से उड़ने लगी!" सुजाता ने खुशी से कहा।

रोहन की पतंग फिर से ऊंची उड़ान भरने लगी। वह खुशी से उछल पड़ा। रामू और सुजाता ने एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराया। यह छोटी-सी घटना उनके परिवार के बीच के प्यार और समझदारी को और गहरा कर गई।

उस दिन न सिर्फ रोहन की पतंग ऊंची उड़ी, बल्कि उनके रिश्तों की डोर भी और मजबूत हो गई।

संदेश:
जीवन की उलझनें सुलझाने के लिए धैर्य और परिवार का साथ सबसे जरूरी है। हर संघर्ष के बाद सफलता की पतंग और ऊंची उड़ती है।

खाली खिड़कीछोटे से गांव में रहने वाली स्नेहा अपने माता-पिता की इकलौती बेटी थी। गांव की मिट्टी, पेड़, खेत, और आकाश उसके ब...
11/01/2025

खाली खिड़की

छोटे से गांव में रहने वाली स्नेहा अपने माता-पिता की इकलौती बेटी थी। गांव की मिट्टी, पेड़, खेत, और आकाश उसके बचपन के साथी थे। वह पढ़ने में तेज थी और हमेशा सोचती थी कि बड़े होकर वह अपने गांव का नाम रोशन करेगी।

उसके पिता किसान थे, जो दिन-रात मेहनत कर उसे पढ़ा रहे थे। मां घर संभालती और अपनी बेटी के सपनों में रंग भरती। पर जिंदगी इतनी आसान नहीं होती। एक दिन, अचानक पिता की तबीयत खराब हो गई। डॉक्टर ने बताया कि उन्हें इलाज के लिए शहर ले जाना होगा। पैसे की कमी के चलते स्नेहा के पिता को सही इलाज नहीं मिल सका, और वे इस दुनिया को छोड़कर चले गए।

इस हादसे के बाद स्नेहा की जिंदगी बदल गई। अब घर का खर्चा और पढ़ाई, दोनों संभालना मुश्किल हो गया। मां ने स्नेहा से कहा, "बेटी, अब तुम पढ़ाई छोड़ दो और हमारी जिम्मेदारी संभालो।"

पर स्नेहा ने हार नहीं मानी। उसने कहा, "मां, पापा हमेशा चाहते थे कि मैं कुछ बड़ा करूं। मैं उनके सपनों को अधूरा नहीं छोड़ सकती।"

स्नेहा ने गांव के बच्चों को पढ़ाना शुरू किया और उससे मिलने वाले पैसों से अपनी पढ़ाई जारी रखी। दिनभर मेहनत के बाद, रात को जब सब सो जाते, तब वह खिड़की के पास बैठकर पढ़ाई करती।

उसकी मेहनत रंग लाई। स्नेहा ने मेडिकल की परीक्षा पास कर ली। अपनी पढ़ाई पूरी कर वह गांव लौटी और एक क्लिनिक खोला, जहां गरीबों का मुफ्त इलाज किया जाता।

उसकी खिड़की आज भी वैसी ही थी, पर अब वहां से स्नेहा बच्चों की मुस्कान और गांव के लोगों की उम्मीदें देखती।

यह कहानी हमें सिखाती है कि कठिनाइयों में भी अगर हम अपनी उम्मीद और मेहनत बनाए रखें, तो जिंदगी में कुछ भी नामुमकिन नहीं।

एक अधूरी मोहब्बत की कहानीछोटे से गांव में रहने वाली एक लड़की, राधा, अपनी सरलता और खूबसूरती के लिए जानी जाती थी। उसकी जिं...
10/01/2025

एक अधूरी मोहब्बत की कहानी

छोटे से गांव में रहने वाली एक लड़की, राधा, अपनी सरलता और खूबसूरती के लिए जानी जाती थी। उसकी जिंदगी बहुत ही साधारण थी, लेकिन उसके दिल में ढेर सारे सपने थे। गांव के ही एक लड़के, अर्जुन, से उसकी मुलाकात हुई। अर्जुन दिल का बहुत अच्छा और मेहनती था। दोनों की बातें कब दोस्ती और फिर प्यार में बदल गईं, पता ही नहीं चला।

राधा और अर्जुन ने एक-दूसरे के साथ जिंदगी बिताने के सपने देखे। लेकिन उनकी कहानी में एक बड़ी रुकावट थी—राधा का परिवार। राधा का पिता बहुत सख्त इंसान था और जात-पात के भेदभाव में विश्वास करता था। अर्जुन और राधा की शादी का जिक्र सुनते ही उसने इस रिश्ते को नामंजूर कर दिया।

राधा ने अपने पिता को मनाने की बहुत कोशिश की, लेकिन हर बार उसकी कोशिश नाकाम रही। आखिरकार, अर्जुन ने राधा से कहा, "हम भाग सकते हैं, लेकिन मैं तुम्हें समाज के खिलाफ नहीं ले जाना चाहता। तुम्हारे परिवार की इज्जत भी मेरी इज्जत है।"

दोनों ने अपने प्यार को कुर्बान करने का फैसला लिया। राधा ने परिवार की मर्जी से शादी कर ली, और अर्जुन अपने गांव को छोड़कर शहर चला गया।

सालों बाद, जब राधा की जिंदगी में अकेलापन था और अर्जुन भी अपनी मेहनत से एक बड़ा इंसान बन चुका था, दोनों की फिर से मुलाकात हुई। उनकी आंखों में आंसू थे, लेकिन अब वक्त बीत चुका था।

उन्होंने एक-दूसरे को अलविदा कहा, यह जानते हुए कि उनकी मोहब्बत अधूरी रह गई, लेकिन उनकी यादें हमेशा जिंदा रहेंगी।

यह कहानी सिर्फ एक अधूरी मोहब्बत की नहीं थी, बल्कि कुर्बानी, इज्जत, और जिम्मेदारी की भी थी।

सच्ची दोस्ती की मिसालगाँव के किनारे एक छोटा सा जंगल था। वहाँ दो अच्छे दोस्त, अजय और विजय, रहते थे। दोनों बचपन से साथ थे ...
10/01/2025

सच्ची दोस्ती की मिसाल

गाँव के किनारे एक छोटा सा जंगल था। वहाँ दो अच्छे दोस्त, अजय और विजय, रहते थे। दोनों बचपन से साथ थे और हमेशा एक-दूसरे की मदद करते थे।

एक दिन दोनों जंगल में घूमने निकले। चलते-चलते उन्हें एक बड़ी पहाड़ी पर चढ़ने का मन हुआ। लेकिन पहाड़ी के बीच में ही उन्हें एक भूखा भालू दिखाई दिया।

अजय जल्दी से एक पेड़ पर चढ़ गया, लेकिन विजय को पेड़ पर चढ़ना नहीं आता था। उसने घबराते हुए सोचा और तुरंत ज़मीन पर लेट गया। उसने सुना था कि भालू मरे हुए इंसान को नहीं खाता।

भालू विजय के पास आया, उसे सूंघा और थोड़ी देर बाद वहाँ से चला गया। अजय पेड़ से नीचे आया और विजय से हंसते हुए पूछा, "भालू ने तुम्हारे कान में क्या कहा?"

विजय ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "भालू ने कहा कि ऐसे दोस्तों से दूर रहो जो मुश्किल वक्त में साथ छोड़ दें।"

अजय को अपनी गलती समझ आ गई। उसने विजय से माफी मांगी, और दोनों ने तय किया कि अब वे कभी एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ेंगे।

09/01/2025

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