03/04/2024
हाल ए उत्तराखंड।
Www.ThePahad.com पर आपका स्वागत है
हाल ए उत्तराखंड।
पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा ने सरकार पर लगाए अनदेखी के आरोप ।
पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा ने टनकपुर बागेश्वर रेल लाइन को लेकर मोदी सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाया है, उन्होंने कहा है कि 15 वीं लोकसभा के दौरान जब वो सांसद थे उस वक्त उनकी सरकार ने टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन तथा ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन की एक साथ स्वीकृति दी गई थी
जिसमें ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेललाइन पर तो काम हो रहा है लेकिन बागेश्वर टनकपुर रेललाइन की मोदी सरकार अनदेखी कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि उस वक्त रामनगर से चौखुटिया रेल लाइन का भी प्रस्ताव तैयार था लेकिन सरकार बदलने के बाद बीजेपी ने इन सभी कामों की अनदेखी कर लोगों को आपस में बाटने पर अपना ध्यान केंद्रित कर दिया।
जानिए THE PAHAD की टीम से क्या कहा पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा ने
बागेश्वर-टनकपुर रेललाइन को लेकर जब हमने पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा जी से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि उक्त रेल लाइन बन जाने से बागेश्वर, चंपावत, अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ के लोगों को बहुत अधिक लाभ होगा, बागेश्वर में रेल पहुचते ही इन चारों जिलों के लोगों को बागेश्वर में ही मंडी मिल जाएगी, जिससे फसल की बिक्री के विकल्प खुल जाएंगे, खेती के सभी उपकरण, फर्टिलाइजर्स, बीज इत्यादि की कमी दूर हो जाएगी। पहाड़ के व्यापारियों को सारी चीजें बागेश्वर में ही मिल जाएंगी उन्हें हल्द्वानी और दिल्ली पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
रेल के आने से यात्रा भी सुगम हो जाएगी और उत्तराखंड बनाने का जो सपना हमने देखा था वो भी पूरा हो जाएगा।
.com
सोमेश्वर घाटी ला रहा है पिता को समर्पित गाना
अक्सर हम सभी देखते आए हैं कि कुमाऊनी म्यूजिक इंडस्ट्री में गानों के नाम पर डांस वाले और प्रेम-प्रसंग दर्शाते हुए गानों पर ही फोकस किया जाता है, कभी कभार भजनों और पहाड़ की खूबसूरती को दर्शाने वाले गानों की बात अगर छोड़ दें तो अन्य सभी गायक और म्यूजिक चैनल डीजे गानों की स्पर्धा में लगे हुए हैं। सोमेश्वर घाटी
ऐसे में माता-पिता और भाई बहन जैसे पवित्र रिश्तों पर आधारित गाने बनाने का जिम्मा कुछ ही लोगों ने लिया है जिसमें सोमेश्वर क्षेत्र के प्रसिद्ध फेसबुक पेज सोमेश्वर घाटी उत्तराखंड के यूट्यूब चैनल और संगीत के क्षेत्र में काम कर रहे उनके सहयोगियों ने पिता पर आधारित बेहतरीन कुमाऊनी गीत तैयार किया है।
टाइटल है - बौज्यू पिता को समर्पित कुमाऊनी गीत
सोमेश्वर के हुकुम सिंह बोरा राजकीय स्नाकोत्तर महाविद्यालय में देवभूमि उद्यमिता योजना के अंतर्गत डिपार्मेंट आफ हायर एजुकेशन गवर्नमेंट ऑफ़ उत्तराखंड के तत्वाधान में 1 दिसंबर 2023 से 7 दिसंबर 2023 तक उद्यमिता जागरूकता अभियान चलाया गया था तथा 7 और 8 दिसंबर को दो दिवसीय स्टार्ट-अप-बूट कैंप का आयोजन किया गया था जिसमें सोमेश्वर क्षेत्र के ऐसे लोगों को आमंत्रित किया गया जिन्होंने स्वरोजगार के क्षेत्र में बेहतरीन काम किया है।
सोमेश्वर घाटी के ग्रामसभा बजेल, पोस्ट रनमन, तहसील सोमेश्वर निवासी यशराज सिंह खड़ाई सेना में लेफ्टिनेंट बन गए हैं। (Someshwar Update)
आपको बता दें कि यशराज की प्राथमिक शिक्षा आनंद वैली स्कूल सोमेश्वर से हुई तथा हायर सेकेंडरी के लिए जम्मू चले गए तथा इंटरमीडिएट की पढ़ाई उन्होंने देहरादून से की।
आपको बता दें कि यशराज के पिता का नाम मदन सिंह खड़ाई है तथा माताजी का नाम उमा देवी है। इनके पिताजी भारतीय सेना से कैप्टन रैंक से सेवानिर्वित हुए हैं तथा माताजी एक ग्रहणी हैं। साल 2019 अगस्त मैं NDA के लिए चयन हुआ तथा 2023 में लेफ्टिनेंट बनकर अब देश की सेवा करेंगे।
1990 के दशक में उत्तरप्रदेश के पर्वतीय आंचल (कुमाऊं और गढ़वाल) को मिलाकर एक प्रथक राज्य बनाने की मांग को लेकर पर्वतीय क्षेत्र के लोगों ने देहरादून, मसूरी, खटीमा, नैनीताल और अल्मोड़ा इत्यादि जगहों पर प्रदर्शन करने शुरू कर दिए।
जिसमें नारे लगने लगे “कोंदा- झुंगरा खाएंगे उत्तराखंड बनाएंगे“, “आज दो अभी दो उत्तराखंड राज दो“
इसी बौखलाहट में तत्कालीन उत्तरप्रदेश सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलवा कर एक ऐसा काला अध्याय लिखा जो कभी भुलाया नहीं जा सकता।
इन छोटे-छोटे प्रदर्शनों से परेशान होकर तत्कालीन उत्तरप्रदेश सरकार ने अपना तानाशाही रूप दिखाते हुए प्रदर्शनकारियों पर दमनकारी निति और गुंडागर्दी का इस्तेमाल कर उन्हें डराने-धमकाने का हर संभव प्रयास किया, लोगों को अकारण ही जेलों में बंद कर दिया, महिलाओं के साथ अत्याचार किए, सरकारी तंत्र का दुरुपयोग किया
सरकार की इस गुंडागर्दी के विरोध में 1 सितंबर 1994 को जब तत्कालीन उत्तरप्रदेश के खटीमा में कुमाऊं क्षेत्र के पर्वतीय इलाकों से 10000 से ज्यादा प्रदर्शनकारी जिसमें पूर्व सैनिक, महिलाएं, विद्यार्थी और बच्चे भी शामिल थे सभी शांतिपूर्ण ढंग से एक स्वर में नारेबाजी करते हुए पुलिस थाने के सामने से गुजर रहे थे कि तभी पुलिस द्वारा उन पर पथराव व गोलीबारी शुरू कर दी गई, बताया जाता है कि सुबह 11 बजकर 20 मिनट से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक पूरे डेढ घंटे तक गोलीबारी होती रही जिसमें 8 आन्दोलनकारीयों की मौत की पुष्टि हुई तथा सैकड़ों लोग घायल हो गए।
पुलिस ने महिलाओं और पूर्व सैनिकों को उपद्रवी बताने के लिए इस निंदनीय घटना को जवाबी कारवाही बताया और सरकार ने इसे जवाबी कारवाही मान भी लिया।
1 सितंबर 1994 की इस घटना को खटीमा गोलीकांड के नाम से जाना जाता है, हर साल प्रदेश के लोग 1 सितंबर को खटीमा गोलीकांड के शहीदों की बरसी मनाते हैं लेकिन प्रथक राज्य की जिस कल्पना के साथ आन्दोलन किए गए और आन्दोलनकारी शहीद हुए उनके अलग राज्य की कल्पना भी उनके साथ ही शहीद हो गई क्योंकि इस घटना के 6 साल बाद हमें प्रथक राज्य तो मिल गया लेकिन आज भी शहीदों के सपनों का उत्तराखंड नहीं मिल पाया।
न तो पर्वतीय राज्य को अपनी स्थायी राजधानी मिल सकी, न ही अपने प्राकृतिक संसाधनों पर हक, न रोजगार मिल सका, न मिल सका सशक्त भू-कानून और न मिल सका मूल निवास 1950।
अंत में एक बार फिर से खटीमा गोलीकांड में शहीद होने वाले उत्तराखण्ड के सपूत प्रताप सिंह, सलीम अहमद, भगवान सिंह, धर्मानन्द भट्ट, गोपीचंद, परमजीत सिंह, रामपाल, भुवन सिंह को हम नमन करते हैं और उम्मीद करते हैं कि उनके सपनों का उत्तराखंड बनेगा।।
#खटीमा_गोलीकांड
सोमेश्वर। लापता महिला को 750Km दूर पंजाब के होशियारपुर से ढूंढ लायी पुलिस।
जानिए कैसे ढूंढ निकाला पुलिस की टीम ने
गुमशुदा महिला के संदर्भ में जानिए क्या कहा अल्मोड़ा पुलिस ने।
तुलसी साथी विपत्ति के, विद्या विनय विवेक ।
साहस सुकृति सुसत्यव्रत, राम भरोसे एक ।।
सभी को श्री रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
फूलदेई की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर पहाड़ की नारी को सलाम।
क्या मुख्यमंत्री जी की इंटरव्यू समाप्ति की घोषणा से बदलेगी उत्तराखंड असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती प्रक्रिया?
पुष्कर धामी जी की घोषणा ग्रुप C के इंटरव्यू समाप्त और ग्रुप B और उसके ऊपर की पोस्टों पर इंटरव्यू से चयनित होने वाली प्रक्रिया को भी दुरुस्त करते हुए उसमें सुधार करने की बात कही गयी। जिसमें युवाओं को उम्मीद दी जा रही है या उम्मीदों का सब्ज़बाग ये तो आने वाला वक़्त ही बतायेगा लेकिन कुछ सवाल हैं जो युवाओं को अब भी परेशान किये हुए है? जहाँ एक ओर ग्रुप C में तो इंटरव्यू ख़त्म किया जा रहा है वहीं ग्रुप A जैसी हायर एजुकेशन की तैयारी में लगे युवाओं को सीधे प्रतियोगिता से ही बाहर कर दिया जा रहा है API के माध्यम से। यानी कोई लिखित परीक्षा नहीं सिर्फ़ और सिर्फ़ इंटरव्यू, जिससे चयनित होकर आप महाविद्यालय में पढ़ाने के योग्य हो जायेंगे। और साक्षात्कार में कितनी पारदर्शिता रहती है ये हम सब देख ही चुके हैं।
क्या है API?
API यानी ACADEMIC PERFORMANCE INDICATOR जो आपके एकेडमिक परफॉमेंस को इंडिकेट करता है यानी BA से लेकर MA, MPhil से लेकर Phd आदि इन डिग्रियों से प्राप्त श्रेणी के आधार पर आपको इसमें नंबर दिये जाते हैं। हालाँकि जहाँ एक और खुद प्रधानमंत्री नंबरों से योग्यता आँकने को गलत मानते हैं लेकिन वहीं यहाँ नंबरों से आपकी योग्यता पर ठप्पा लगाया जा रहा है। इसको ऐसे समझिए कि कोई व्यक्ति जहाँ BA में प्रथम श्रेणी में पास नहीं हो पाया या द्वितीय श्रेणी में उसके नंबर 55% के आस पास हैं तो API में उसे 25 में से मात्र 10 नंबर मिलते हैं, भले ही उसके बाद उसने Net, Set, Jrf सब निकाला हुआ हो लेकिन तब भी उसकी BA की परफॉर्मेंस को देखते हुए उसे 10 नंबर ही दिये जायेंगे। आगे बढ़ेंगे तो यही सब आप को MA में भी देखने को मिलेगा। जहाँ पूरी शिक्षित बिरादरी नम्बरों से किसी की योग्यता को तय करना अनुचित मानता है वहीं यहाँ पर ये भेदभाव खुले आम हो रहा है। ख़ैर ये सब UGC ने तय किया है तो उसी के हिसाब से ये नंबर दिए जाते हैं। लेकिन इसमें सवाल यहाँ पर फँसता है जहाँ PHD पूरी करने वाले को 25 नम्बर प्राप्त होने से वो इंटरव्यू के लिए चयनित हो जाता है वहीं दूसरी ओर Net, Set, Jrf निकालकर phd में एनरॉल हुए युवा को महज 8 से 10 नम्बर मिलने के कारण वो पूरी प्रतियोगिता से ही बाहर हो जाता है।
युवाओं की माँग
जहाँ एक ओर अधिकांश राज्य(उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड आदि) आज भी इस परीक्षा को लिखित रूप में सकुशल ढंग से करवा रहे हैं वहीं दूसरी ओर हम युवाओं की बात करते हुए उन्हें इस पूरी प्रतियोगिता से ही बाहर कर दे रहे हैं। युवा वर्ग न जाने कितने माध्यमों से अपनी बात को शिक्षा मंत्री के सामने रख रहे हैं लेकिन मंत्री जी हैं कि सुनने को तैयार ही नहीं।
उत्तराखंड का अधिकांश युवा आज भी इस परीक्षा को लिखित माध्यम से करवाने की माँग कर रहा है।
निष्कर्ष
बिना लिखित परीक्षा के केवल साक्षात्कार के माध्यम से चयनित होना वो भी अधिकांश युवाओं को बगैर किसी परीक्षा में सम्मलित किये, उनका सही आँकलन किये बिना इस तरह भेदभाव-पूर्ण ढंग से बाहर किया जाना कितना उचित है और कितना पारदर्शी ये हम सब जानते हैं। आज मुख्यमंत्री जी की घोषणा से युवाओं ने फिर एक उम्मीद बाँध ली है शायद इस बार उनकी समस्याओं का पक्का हल निकले। युवा अपने युवा मुख्यमंत्री से इस बार उम्मीद ही नहीं परिणाम भी चाह रहा है, अब ये आने वाला वक़्त ही बतायेगा कि उसे परिणाम मिलता है या घोषणाओं का सब्ज़बाग।
आज हम बात करेंगे उत्तराखंड में हो रहे आभार रैली की, जी हाँ साथियों ये वही रैली है जो मुख्यमंत्री धामी जी द्वारा अपने ही सम्मान में करवाई जा रही है। लेकिन समझ नहीं आ रहा है कि यहां किस चीज का आभार व्यक्त किया जा रहा है? छात्रों पर लाठी बरसाने का, उनपर झूठे मुक़दमे चलाकर जेल भेजने का या फिर पेपर की सील खुली थी कहने पर केस दर्ज कराने का?
एक तरफ यहां छात्रों का आन्दोलन शांत होने का नाम नहीं ले रहा है दूसरी तरफ़ मुख्यमंत्री जी करोड़ो रूपये खर्च करने के बाद अपनी भाजपाई फ़ौज के साथ खुद को बधाई देने का स्वांग रच रहे हैं।
अगर हम ये कहें कि ये कानून, छात्रों की आवाज दबाने का एक प्रयास है तो कुछ भी गलत नहीं होगा
क्योंकि इस कानून के तहत जो पहला मुकदमा दर्ज हुआ है वो एक ऐसे छात्र के खिलाफ हुआ है
जिसने आरोप लगाया था कि उसे परीक्षा में सील टूटा खुला हुआ पेपर मिला था
अब ऐसा महसूस हो रहा है कि जो भी व्यक्ति पेपर लीक के खिलाफ आवाज उठाएगा
इस कानून का इस्तेमाल उसी के खिलाफ किया जाएगा।
शुरू से ही छात्र पेपर लीक मामले की सीबीआई जाँच की मांग उठा रहे हैं, जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे हैं सरकार उनपर कभी झूठे मुक़दमे करवा दे रही है तो कभी लाठीचार्ज करवा दे रही है, इतना कुछ होने के बाद भी गले में पट्टा पहने कार्यकर्त्ता उनकी जय जयकार कर रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि सरकार अपनी पट्टाधारी फौज की भीड़ दिखाकर छात्रों को डराना चाहती है
आभार रैलियां किसी के कामों से खुश होकर उसका अभिवादन करने के लिए होती हैं, लेकिन उत्तराखंड में ऐसा महसूस हो रहा है कि धामी सरकार करोड़ो खर्च करके जबरदस्ती अपना धन्यवाद करवा रही है, क्योंकि धाकड़ कहे जाने वाले पुष्कर सिंह धामी जी ने दोबारा मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रदेश के सभी वर्गों को निराश ही किया है, यहां के हर वर्ग को उम्मीद थी कि युवा मुख्यमंत्री इस युवा प्रदेश की जनता खासकर युवाओं के लिए काम करेंगे लेकिन अफ़सोस!
नीम करौली महाराज के आश्रम कैंचीधाम के लिए सरकार का मास्टर प्लान। Neem karoli Baba
कैंची धाम के बारे में आज पूरी दुनिया जानती है क्योंकि कैंची धाम के नीम करौली बाबा ने दुनिया भर के कई महान हस्तियों के जीवन को कुछ ऐसे बदला है कि वो आज दुनिया में राज कर रहे हैं।
चाहे बात ये फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग की हो, एप्पल कम्पनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स की हो या हाल ही में मत्था टेकने पहुँचे वर्तमान में विश्व के बेस्ट क्रिकेटर विराट कोहली और उनकी धर्मपत्नी अनुष्का शर्मा की। ऐसे लोगों की लिस्ट बहुत लंबी है जो उत्तराखंड के कैंची धाम में पहुँचे और उनकी जिंदगी बदल गई।
आज कैंची धाम की चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि सरकार ने इस विश्व प्रसिद्ध धाम की तस्वीर बदलने की ठान ली है। दरअसल पर्यटन विभाग ने एक मास्टर प्लान तैयार किया है जिसके बाद कैंची धाम में कई सारी सुविधाएं मुहैया हो जाएंगी जिनकी कमी आज तक वहाँ आने वाले श्रद्धालुओं को महसूस होती थी। इस मास्टर प्लान को पूरा करने के लिए सरकार ने पट्टाधारकों से 2.25 एकड़ जमीन भी वापस ले ली है।
कैंची धाम परिसर में होने जा रहे इस विकास कार्य के बाद परिसर में कई नई चीजों का निर्माण होगा जिसमें पार्किंग की पूरी व्यवस्था होगी, ट्रैफिक मैनेजमेंट किया जाएगा, भक्तों के लिए विश्राम गृह बनेंगे, बुजुर्गों और दिव्यानगों के लिए व्हील चेयर की व्यवस्था होगी, मंदिर का प्रशासनिक भवन, फूड कोर्ट, नदी किनारे सुंदर घाट, नए रास्ते और पब्लिक टॉयलेट आदि बनाए जाएंगे।
यह एक सकारात्मक पहल है इसक लिए सरकार की सराहना होनी चाहिए
ग्रामीण क्षेत्रों को सड़क कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए साल 2000 में एक योजना बनाई गई जिसको नाम दिया गया प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, इस योजना के तहत कछुआ चाल से सड़कें बनाने का काम होता रहा।
साल 2014 में मोदीजी के प्रधानमंत्री बनते ही इस योजना का बड़े जोर शोरों से प्रचार-प्रसार होने लगा, बाकी योजनाओं की तरह इस योजना के साथ भी प्रधानमंत्री मोदीजी का नाम जोड़ दिया गया।
अगर आपको प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की हकीकत देखनी है तो आप कुछ दिन उत्तराखंड के गांवों का भ्रमण कर सकते हैं क्योंकि टेलीविजनों और अखबारों में छपे विज्ञापनों की मानेंगे तो ऐसा महसूस होगा कि गांव-गांव चप्पा-चप्पा में भाजपा और उसके के झंडे नहीं बल्कि आॅलवैदर सड़क पहुंच गई हो।
कुमाऊं के केंद्र में बसे सोमेश्वर और वहां की सड़कों को अगर आप देख लेंगे तो आपकी नजरों में लगे हजारों करोड़ों के विज्ञापनों के पर्दें खुल जाएंगे और विकास की परिभाषा भी समझ आ जाएगी।
सोमेश्वर बाजार से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव उडेरी और कनगाड़ के लोग पिछले कई सालों से सड़क के लिए संघर्ष कर रहे हैं, इसी संघर्ष के दौरान कई बार सरकारैं बदल गई , नेता बदल गए, जो विधायक थे वो सांसद बन गए और जो सांसद थे वो राज्यसभा पहुच गए लेकिन गांव वालों को मिला तो सिर्फ कोरा आश्वासन।
इन गांवों में सड़क नहीं होने के कारण जो युवा नौकरी के लिए शहर जाते हैं वो वापस आने से कतराता है, विवाह योग्य हो चुके लड़कों को कोई लड़की देना नहीं चाहता या ये कहें कि कोई लड़कीयां इन गांवों में शादी करना नहीं चाहती और करती भी हैं तो उसकी पहली मांग होती है कि वो गाँव में नहीं रहेगी अपने पति के साथ शहर चले जाएगीं ।
जिन बुजुर्गों ने खून-पसीने की कमाई और कड़े परिश्रम के बाद गांव में घर बनाया है वो उन घरों को बंजर होते कैसे देख सकते हैं?
गांव वासियों का कहना है कि उन्होंने इस संदर्भ में कई बार विधायक रेखा आर्य जी से भी बात की तो उन्हें आश्वासन के आलावा कुछ नहीं मिला, तथा सांसद अजय टम्टा जी से बात करने पर उन्होंने बताया कि सड़क का प्रस्ताव पास हो चुका था लेकिन जंगलात और गांव वालों की NOC नहीं मिलने के कारण काम आगे नहीं बढ़ पाया।
वर्षों से सड़क बनने की उम्मीद लगाए बैठे ग्रामीणों को अब लगने लगा है कि सड़क बनने का सपना अब मात्र एक सपना ही बनकर रह जाएगा क्योंकि जिस तेजी से गांव के लोग पलायन कर रहे हैं उसे देखकर तो यही लगता है कि जब गाँव में लोग ही नहीं रहेंगे तो सड़क किसके लिए आएगी?
कल्पना कीजिए अगर इन गांवों तक सड़क पहुच जाती तो वहां रोजगार के कितने विकल्प खुल जाते, सोमेश्वर की ऊंची चोटी पर बसे इस क्षेत्र में पर्यटकों का तांता लगा रहता और क्षेत्र के युवा खुद का रैस्टोरैंट, ढाबा इत्यादि खोलकर वहां अच्छा व्यवसाय कर सकते हैं और मोदीजी के आह्वान पर आत्मनिर्भर भारत का हिस्सा बन सकते हैं।
पर फिल्हाल तो ऐसा कुछ होने की संभावना नजर नहीं आ रही है क्योंकि कल्पनाओं और घोषणाओं से सड़क थोड़ी बन जाएगी।
Rekha Arya Ajay Tamta Pradeep Tamta
Pushkar Singh Dhami Harish Rawat
उत्तराखंड में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की हकीकत जानने के लिए संबंधित पोस्ट पढ़ें!
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की हकीकत जानना चाहते हैं तो सोमेश्वर आइये
फेसबुक चलाना अब नहीं रहा फ्री हर महीने देने होंगे इतने पैसे ।
फेसबुक चलाना अब नहीं रहा फ्री हर महीने देने होंगे इतने पैसे । Facebook Verification Bridge
कुमाऊँनी बैठक होली । Kumauni Baithak Holi
जनकवि गिरीश चन्द्र तिवारी गिर्दा ने होलीयों पर गहन अध्ययन करते हुए इसके संदर्भ में कहा है कि
"यहां की होली में अवध से लेकर दरभंगा तक की छाप है, राजे-रजवाड़ों का संदर्भ देखें तो जो राजकुमारियां यहां ब्याह कर आईं वे अपने साथ वहां के रीति रिवाज भी लाईं, ये परंपरा वहां भले ही खत्म हो गई हो लेकिन यहां आज भी कायम हैं, यहां की बैठकी होली में तो आज़ादी के आंदोलन से लेकर उत्तराखंड आंदोलन तक के संदर्भ भरे पड़े हैं"
कुमाऊँनी बैठक होली में है उर्दू तथा इस्लामिक संस्कृति का समावेश
समय से पहले सूख रहे हैं बुरांश के फूल।
पर्यावरण प्रेमियों ने चिंता जताते हुए कहा कि अब दिल्ली और उत्तराखंड की गर्मी में ज्यादा अंतर नहीं होगा ।।
पर्यावरणविदों ने चेताया - उत्तराखंड में इस साल होगी दिल्ली के बराबर गर्मी।
https://www.thepahad.com/global-warming-effects-in-uttarakhand/
पर्वतीय क्षेत्रों की शान और पहाड़ों की रानी बुरांश का फूल खिलने से पहले ही सूखने लगा है पहाड़ों में बुरांश के फूल क....
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय। नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:॥
आप सभी पर भगवान भोलेनाथ जी का आशीर्वाद बना रहे ।
सोमेश्वर घाटी का वो शिवलिंग जिस पर चली थी आक्रमणकारियों की तलवार
सोमेश्वर के सोमनाथ महादेव मंदिर जिसपर चली थी आक्रमणकारियों की तलवार , शिवरात्रि विशेष SHIVRATRI SPEACIAL,, SOMESHWAR SHIV MANDIR ALMORA
सोमेश्वर का शिवलिंग जिसपर चली थी मुगल आक्रमणकारियों की तलवार ।
SOMESHWAR MAHADEV TEMPLE ALMORA
Almora
263637
Be the first to know and let us send you an email when ThePahad.Com posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.
Send a message to ThePahad.Com:
नीम करौली महाराज के आश्रम कैंचीधाम के लिए सरकार का मास्टर प्लान। Neem karoli Baba #neemkarolibaba #neemkarolimaharajji #kainchidham
Someshwar Samachar - Uttarakhand
Someshwar