विहंगम योग संदेश - Vihangam Yoga Sandesh

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विहंगम योग संदेश - Vihangam Yoga Sandesh Vihangam Yoga Sandesh, is a Monthly Spiritual Hindi magazine on Yoga & Spirituality that aims at sharing the philosophy of the science of consciousness.
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01/04/2024
01/04/2024
26/03/2024

26/03/2024
26/03/2024
20/03/2024
20/03/2024
  of Sadguru Shri Dharmchandradeo Ji Maharajबहुत बार जीवन की अनेकों कठिनाइयां हमें व्यथित करती हैं। साहेब कहते हैं ; यह ...
13/03/2024

of Sadguru Shri Dharmchandradeo Ji Maharaj
बहुत बार जीवन की अनेकों कठिनाइयां हमें व्यथित करती हैं। साहेब कहते हैं ; यह संसार झाड़ और झांकड़ उलझि उलझि मर जाना है! इतना भटकाव है, इतनी अस्थिरता है, प्रकृति का इतना प्रबल वेग है, प्रकृति का ऐसा दुष्चक्र है, कुचक्र है! यह प्रवाह प्रवाहित होता जा रहा है, प्रकृति का चक्र चलता जा रहा है। हमारा जीवन, हम सबका जीवन आनंददायी बने ; कोई हताशा, निराशा, कुंठा, अवसाद हमें घेर न ले ! इसीलिए जीवन में अध्यात्म की आवश्यकता ही नहीं, अध्यात्म की अनिवार्यता है। ब्रह्मविद्या मात्र आवश्यक नहीं, अनिवार्य है। : संत प्रवर
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#संसार #मन #आध्यात्मिकता_की_मूर्ति

  of Sadguru Shri Dharmchandradeo Ji Maharajजिस प्रकार लोहे को पीट पीटकर इच्छित आकार का बना दिया जाता है, उसी प्रकार इस ...
11/03/2024

of Sadguru Shri Dharmchandradeo Ji Maharaj
जिस प्रकार लोहे को पीट पीटकर इच्छित आकार का बना दिया जाता है, उसी प्रकार इस अवगुणी मन को, इस अशांत मन को, इस अनियंत्रित मन को, इस दुराग्रही मन को सत्संग के हथौड़े से, स्वर्वेद के हथौड़े से इस अवगुणी मन को सद्गुणी बनाया जाता है। : संत प्रवर
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#बुद्धि #मन #आध्यात्मिकता_की_मूर्ति

  of Sadguru Shri Dharmchandradeo Ji Maharajएक हमारे मन की निम्न स्थिति है, एक मन की उच्च स्थिति है। ये दोनों स्थितियां ...
11/03/2024

of Sadguru Shri Dharmchandradeo Ji Maharaj
एक हमारे मन की निम्न स्थिति है, एक मन की उच्च स्थिति है। ये दोनों स्थितियां हैं। हम परिवर्तन कर सकते हैं ; हम निम्न से उच्च में स्थित हो सकते हैं। हमारे भीतर इतना सामर्थ्य है कि हम पवित्र से पवित्र, श्रेष्ठ से श्रेष्ठ हो सकते हैं। आत्मा की जो शक्ति है, हमारी जो शक्ति है वह मन के अनियंत्रण से कहीं ज्यादा बड़ी है। : संत प्रवर
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#बुद्धि #मन #आध्यात्मिकता_की_मूर्ति

  of Sadguru Shri Dharmchandradeo Ji Maharajजहाँ जहाँ मन है !वहाँ वहाँ हम हैं !!जिस प्रकार हमारे मन, बुद्धि, विचारों की ...
10/03/2024

of Sadguru Shri Dharmchandradeo Ji Maharaj
जहाँ जहाँ मन है !
वहाँ वहाँ हम हैं !!
जिस प्रकार हमारे मन, बुद्धि, विचारों की स्थिति है, हमारी गति वहीं है। : संत प्रवर
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#बुद्धि #मन #आध्यात्मिकता_की_मूर्ति

  of Sadguru Shri Dharmchandradeo Ji Maharajहमारे ऋषियों ने कहा - संसार दु:खमय है। दु:खमय है तो है। जो वस्तु जैसी है, उस...
10/03/2024

of Sadguru Shri Dharmchandradeo Ji Maharaj
हमारे ऋषियों ने कहा - संसार दु:खमय है।
दु:खमय है तो है। जो वस्तु जैसी है, उसको वैसा ही जानना तो विद्या और ज्ञान का वास्तविक लक्षण है। संसार दु:खमय है, दु:खों से भरा है, दुःख ही अधिक है। आदि अनादि काल से इन दु:खों को, अल्प सुखों को, भोगों को, पदार्थों को, संबंधों को हम भोगते चले आ रहे हैं। : संत प्रवर
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#अहंकार #दुःख #आध्यात्मिकता_की_मूर्ति

  of Sadguru Shri Dharmchandradeo Ji Maharajएक है वास्तविक अहं और एक है अवास्तविक अहं । जो अवास्तविक अहं है, उसका नाश हो...
10/03/2024

of Sadguru Shri Dharmchandradeo Ji Maharaj
एक है वास्तविक अहं और एक है अवास्तविक अहं । जो अवास्तविक अहं है, उसका नाश हो जाता है, लेकिन हमारी जो स्थिति है वह अवास्तविक अहं में है । जो वास्तविक अहं है वही हम हैं जिससे यह दृश्य शरीर चलायमान है। तो दृश्य का अदृश्य आधार हम स्वयं हैं। मिटने वाले का न मिटने वाला आधार हम स्वयं हैं। : संत प्रवर
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#अहंकार #ईश्वर #आध्यात्मिकता_की_मूर्ति

10/03/2024
  of Sadguru Shri Dharmchandradeo Ji Maharajशरीर हमें मिला है, हमारा है नहीं ! अगर ये शरीर हमारा रहता, अगर हम केवल इस शर...
10/03/2024

of Sadguru Shri Dharmchandradeo Ji Maharaj
शरीर हमें मिला है, हमारा है नहीं ! अगर ये शरीर हमारा रहता, अगर हम केवल इस शरीर तक सीमित रहते, तो हम इस शरीर को लेकर चले जाते। हम माँ के गर्भ से शरीर लेकर तो आ गए हैं, किन्तु शरीर लेकर जा नहीं सकते। ये ले लिया जाता है, उतार लिया जाता है। : संत प्रवर
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#शरीर #ईश्वर #आध्यात्मिकता_की_मूर्ति

  of Sadguru Shri Dharmchandradeo Ji Maharajजब ईश्वर परम आनंदमय है, जब ईश्वर परम शांतिमय है ----- तब हम सबका जीवन भी आनं...
10/03/2024

of Sadguru Shri Dharmchandradeo Ji Maharaj
जब ईश्वर परम आनंदमय है, जब ईश्वर परम शांतिमय है ----- तब हम सबका जीवन भी आनंदमय हो, हम सबका जीवन भी परम शांतिमय हो। इसीलिए अध्यात्म की अनिवार्यता है, महापुरुषों के ज्ञान की इसीलिए आवश्यकता है कि संसार के विषयों में, पदार्थों में, संबंधों में, इन भोगों में, इन दु:खों में हम उलझकर न रह जाएं, संसार में हम भटककर न रह जाएं, लक्ष्य से दूर न हो जाएं। : संत प्रवर
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#ईश्वर #आध्यात्मिकता_की_मूर्ति

  of Sadguru Shri Dharmchandradeo Ji Maharajजीवन को ठीक-ठीक जान लिया, इसका अर्थ है - हमने परम सत्य का अनुभव कर लिया । क्...
10/03/2024

of Sadguru Shri Dharmchandradeo Ji Maharaj
जीवन को ठीक-ठीक जान लिया, इसका अर्थ है - हमने परम सत्य का अनुभव कर लिया । क्योंकि हम सबके जीवन का आधार, सर्वाधार परमात्मा है । वही हमारे स्वांसों का स्वांस है, वही हमारे प्राणों का प्राण है, वही हमारे प्राणों को प्राणवंत बना रहा है, वही आत्मा के अंदर बल प्रदान करने वाला है। हमारे ऋषि कहते हैं - ॐ य आत्मदा बलदा यस्य विश्व उपासते -------- : संत प्रवर
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#ॐ #आध्यात्मिकता_की_मूर्ति

  of Sadguru Shri Dharmchandradeo Ji Maharajसुबह होती है, शाम होती है! उम्र यूं ही तमाम होती है !! जिंदगी जीने में ही जि...
08/03/2024

of Sadguru Shri Dharmchandradeo Ji Maharaj
सुबह होती है, शाम होती है! उम्र यूं ही तमाम होती है !! जिंदगी जीने में ही जिंदगी बीत न जाए, जीवन जीने में ही जीवन चला न जाए ! बल्कि यह जीवन है क्या ? कौन हूं मैं ? परमतत्व क्या है ? इसका अनुभव मिल जाए, इसका ज्ञान प्राप्त हो जाए। : संत प्रवर
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#महापुरुष #आध्यात्मिकता_की_मूर्ति

  of Sadguru Shri Dharmchandradeo Ji Maharajहमारे जीवन की सहजता, हमारे जीवन की सरसता, सरलता, स्वाभाविकता नष्ट न हो, हम स...
08/03/2024

of Sadguru Shri Dharmchandradeo Ji Maharaj
हमारे जीवन की सहजता, हमारे जीवन की सरसता, सरलता, स्वाभाविकता नष्ट न हो, हम सबों का जीवन आनंददायी बने ----- क्योंकि हम सबके जीवन का आधार, सर्वाधार; परमात्मा आनंदमय है, परमात्मा परम शांतिमय है। : संत प्रवर
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#महापुरुष #आध्यात्मिकता_की_मूर्ति

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