Healthy Gyan

Healthy Gyan Health and Education Page

17/09/2025

Liver Abscess Kya hai Short Video

16/09/2025

Liver Abscess क्या है?
"तो सबसे पहले जानते हैं कि लिवर एब्सेस आखिर है क्या?
सिंपल शब्दों में कहें तो – जब लिवर के अंदर पस (या मवाद) भर जाता है, तो उसे Liver Abscess कहते हैं। यह असल में एक इंफेक्शन होता है।
ये इंफेक्शन बैक्टीरिया, पैरासाइट या फंगस से हो सकता है। सबसे ज़्यादा केस बैक्टीरिया और पैरासाइट से होते हैं।"

👉 Part 2 – लक्षण (Symptoms)
"अब बात करते हैं इसके लक्षणों की।
सबसे कॉमन लक्षण है – पेट के दाहिने ऊपरी हिस्से में दर्द होना और बुखार आना।
इसके अलावा मरीज़ को मितली, उल्टी, भूख न लगना, कंपकंपी और थकान भी महसूस होती है।
अगर एब्सेस फट जाए, तो मवाद लंग्स, हार्ट और पेट में फैल सकता है – और तब मरीज़ को सांस लेने में परेशानी, पूरे पेट में दर्द, पेशाब कम आना और यहां तक कि दिमाग पर भी असर पड़ सकता है।"

👉 Part 3 – किन लोगों को खतरा ज़्यादा है?
"तो अब सवाल ये है कि किन लोगों को लिवर एब्सेस होने का ज़्यादा खतरा रहता है?
👉 जो लोग बहुत ज़्यादा शराब पीते हैं
👉 जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है
👉 डायबिटीज़, HIV या कैंसर पेशेंट्स
👉 और जिन्हें कीमोथेरेपी चल रही हो।
इसके अलावा, दूषित पानी और गंदा खाना खाने से भी Amoebic Liver Abscess हो सकता है, जिसका कारण है Entamoeba histolytica नाम का पैरासाइट।"

👉 Part 4 – कैसे पता चलता है?
"लिवर एब्सेस का पता लगाना बहुत आसान है।
👉 सबसे पहले डॉक्टर अल्ट्रासाउंड कराते हैं।
👉 अगर कन्फर्मेशन की ज़रूरत हो, तो CT Scan से इसकी पुष्टि हो जाती है।"

योग में पीएचडी कैसे करें और योग के प्रोफेसर कैसे बनेंनमस्ते दोस्तों, आपका स्वागत है मेरे यूट्यूब चैनल पर। आज हम एक महत्व...
01/09/2024

योग में पीएचडी कैसे करें और योग के प्रोफेसर कैसे बनें

नमस्ते दोस्तों, आपका स्वागत है मेरे यूट्यूब चैनल पर। आज हम एक महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करेंगे: योग में पीएचडी कैसे करें और योग के प्रोफेसर कैसे बनें। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि योग में पीएचडी करने के लिए किन योग्यताओं की आवश्यकता होती है और योग के प्रोफेसर बनने के लिए क्या-क्या प्रक्रियाएँ हैं।

https://www.mybestindia.in/how-to-do-phd-in-yoga/

योग में पीएचडी करने के लिए आवश्यक योग्यताएँ

योग में पीएचडी करने के लिए सबसे पहले आपको मास्टर डिग्री प्राप्त करनी होगी। आप एमए या एमएससी योग से कर सकते हैं। इसके बाद, आपको यूजीसी नेट (National Eligibility Test) की परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी, जो यूजीसी (University Grants Commission) द्वारा आयोजित की जाती है। नेट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद, आप विभिन्न विश्वविद्यालयों में पीएचडी के लिए आवेदन कर सकते हैं।

यूजीसी नेट परीक्षा क्या है?

यूजीसी नेट की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले उम्मीदवारों के लिए विभिन्न विश्वविद्यालयों में पीएचडी के लिए सीटें आरक्षित होती हैं। नेट की परीक्षा दो तरह से होती है:

नेट क्वालीफाई: जो उम्मीदवार नेट परीक्षा क्वालीफाई करते हैं, वे असिस्टेंट प्रोफेसर बन सकते हैं और अपने रिसर्च वर्क को जारी रख सकते हैं।
जेआरएफ (Junior Research Fellowship): जो उम्मीदवार उच्च रैंक प्राप्त करते हैं, वे जेआरएफ के लिए क्वालीफाई करते हैं। इन्हें सरकार की ओर से प्रति माह 35,000 रुपये की स्कॉलरशिप दी जाती है।

नेट परीक्षा की प्रक्रिया क्या है?

नेट परीक्षा में दो पेपर होते हैं:

कॉमन पेपर: इसमें 50 प्रश्न होते हैं, जो सभी विषयों का मिश्रण होते हैं।
विषय पेपर: इसमें 100 प्रश्न होते हैं, जो आपके चुने हुए विषय (जैसे योग) पर आधारित होते हैं।
परीक्षा का कुल अंक 300 होते हैं, जिसमें से आपको निर्धारित कट-ऑफ अंक प्राप्त करने होते हैं। 2022 का कट-ऑफ लगभग 200 अंक था।

जेआरएफ के लिए आयु सीमा क्या होनी चाहिए?

जेआरएफ के लिए आयु सीमा 31 वर्ष होती है। आरक्षित श्रेणियों (OBC, SC, ST) और महिलाओं के लिए 5 वर्ष की छूट होती है, जिससे वे 36 वर्ष की आयु तक यह परीक्षा दे सकते हैं।

पीएचडी करने की अवधि क्या है?

पीएचडी करने में लगभग तीन से पाँच साल का समय लगता है। इस दौरान, आपको अपने चुने हुए विषय में गहन शोध करना होता है और एक थीसिस प्रस्तुत करनी होती है।

पीएचडी पूरी करने के बाद के अवसर क्या है?

पीएचडी पूरी करने के बाद, आप योग के प्रोफेसर बन सकते हैं और विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, आप अपने क्षेत्र में एक विशेषज्ञ के रूप में मान्यता प्राप्त करते हैं।

Conclusion:

योग में पीएचडी करना और योग के प्रोफेसर बनना एक महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित करियर विकल्प है। इसके लिए आपको मास्टर डिग्री, यूजीसी नेट परीक्षा और गहन शोध कार्य की आवश्यकता होती है। पीएचडी पूरी करने के बाद, आपके पास अनेक करियर अवसर होते हैं और आप अपने क्षेत्र में विशेषज्ञ बन सकते हैं।

आशा है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी रहा होगा। अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो तो मेरे इस लेख को अपने दोस्तों के साथ साझा करें जो योग में पीएचडी करने के इच्छुक हैं। धन्यवाद और शुभकामनाएं!

FAQs:

योग में पीएचडी करने के लिए क्या आवश्यक है?
मास्टर डिग्री और यूजीसी नेट परीक्षा उत्तीर्ण करना।

यूजीसी नेट की परीक्षा में कितने पेपर होते हैं?
दो पेपर: एक कॉमन पेपर और एक विषय पेपर।

जेआरएफ के लिए आयु सीमा क्या है?
31 वर्ष, आरक्षित श्रेणियों और महिलाओं के लिए 5 वर्ष की छूट।

पीएचडी करने में कितना समय लगता है?
लगभग तीन से पाँच साल।

क्या बीएससी के बाद सीधे पीएचडी की जा सकती है?
नहीं, पीएचडी करने के लिए मास्टर डिग्री अनिवार्य है।

पीएचडी की डिग्री प्राप्त करने के बाद क्या करियर विकल्प होते हैं?
पीएचडी पूरी करने के बाद आप योग के प्रोफेसर बन सकते हैं, रिसर्चर के रूप में काम कर सकते हैं, या किसी शैक्षणिक संस्थान में विशेषज्ञ के रूप में योगदान दे सकते हैं।

पीएचडी के लिए यूजीसी नेट की परीक्षा के अलावा कौन सी अन्य परीक्षाएँ होती हैं?
विभिन्न विश्वविद्यालयों के अपने अलग-अलग एंट्रेंस एग्जाम होते हैं, जिनके माध्यम से पीएचडी में प्रवेश लिया जा सकता है।

क्या पीएचडी की पढ़ाई के दौरान कोई स्कॉलरशिप मिलती है?
हां, जेआरएफ के लिए क्वालीफाई करने पर सरकार की ओर से 35,000 रुपये प्रति माह की स्कॉलरशिप दी जाती है।

पीएचडी की थीसिस क्या होती है?
थीसिस एक विस्तृत शोध कार्य है जिसे पीएचडी की पढ़ाई के दौरान प्रस्तुत करना होता है। इसमें उम्मीदवार अपने चुने हुए विषय पर गहन अध्ययन और शोध करते हैं।

क्या पीएचडी के बाद पोस्ट-डॉक्टरल रिसर्च की जा सकती है?
हां, पीएचडी के बाद पोस्ट-डॉक्टरल रिसर्च के लिए आवेदन किया जा सकता है, जो आपके करियर में और अधिक अवसर प्रदान कर सकता है।

योग में पीएचडी करने के लिए शीर्ष विश्वविद्यालय:
जेएनयू (जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय)
दिल्ली विश्वविद्यालय
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय
योग और पीएचडी से संबंधित वेबसाइट्स और पोर्टल्स:
UGC (University Grants Commission)
NTA (National Testing Agency)
Yoga Certification Board

नमस्ते दोस्तों, आपका स्वागत है मेरे यूट्यूब चैनल पर। आज हम एक महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करेंगे: योग में पीएचडी कैसे ....

Bsc के बाद PhD कैसे करें पीएचडी के बाद क्या करना होता है?आज हम इस लेख में उन लोगों के लिए जानकारी साझा कर रहे हैं जो PhD...
01/09/2024

Bsc के बाद PhD कैसे करें पीएचडी के बाद क्या करना होता है?

आज हम इस लेख में उन लोगों के लिए जानकारी साझा कर रहे हैं जो PhD के बारे में जानना चाहते हैं। पीएचडी क्या होती है, इसका फुल फॉर्म क्या होता है, और पीएचडी का कोर्स कैसे किया जा सकता है। हम आपको इस लेख के माध्यम से पूरी जानकारी देने वाले हैं, जिसमें पीएचडी की एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया भी शामिल होगी।

Bsc के बाद PhD कैसे करें

पीएचडी का पूरा नाम “डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी” होता है। आपने कई लोगों को देखा होगा जो Medical Doctor नहीं होते, लेकिन अपने नाम के आगे डॉक्टर लगाते हैं। असल में उन्होंने PhD की होती है, इसलिए वे अपने नाम के आगे डॉक्टर लगाते हैं।
https://www.mybestindia.in/how-to-do-phd-after-b-sc/

PhD के लिए योग्यता

पीएचडी करने के लिए, आपके पास निम्नलिखित योग्यताएं होनी चाहिए:

ग्रेजुएशन: पहले आपको किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त करनी होगी।
मास्टर की डिग्री: ग्रेजुएशन के बाद, आपको मास्टर की डिग्री भी प्राप्त करनी होगी। मास्टर की डिग्री के बिना आप पीएचडी के लिए आवेदन नहीं कर सकते।
यूजीसी नेट: कई विश्वविद्यालयों में पीएचडी के लिए यूजीसी नेट परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य होता है। यह परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद ही आप पीएचडी के लिए आवेदन कर सकते हैं।

PhD करने की प्रक्रिया

स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई: सबसे पहले, आप 10वीं और 12वीं की पढ़ाई पूरी करें।
ग्रेजुएशन: इसके बाद, किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त करें।
मास्टर की डिग्री: ग्रेजुएशन के बाद, मास्टर की डिग्री प्राप्त करें। यह महत्वपूर्ण है कि आपकी मास्टर की डिग्री अच्छे अंकों के साथ पूरी हो।
यूजीसी नेट: मास्टर की डिग्री के बाद, यूजीसी नेट परीक्षा उत्तीर्ण करें।
पीएचडी एडमिशन: यूजीसी नेट उत्तीर्ण करने के बाद, आप पीएचडी के लिए आवेदन कर सकते हैं।
पीएचडी करने में कितना समय लगता है?
PhD का कोर्स आमतौर पर 3 से 6 साल का होता है। इसमें आप अपने चुने हुए विषय में गहराई से रिसर्च करते हैं और अपनी थीसिस प्रस्तुत करते हैं। थीसिस की स्वीकृति के बाद ही आपको पीएचडी की डिग्री प्राप्त होती है।

पीएचडी करने के फायदे

विशेषज्ञता: पीएचडी करने के बाद आप अपने क्षेत्र में विशेषज्ञ बन जाते हैं।
करियर अवसर: PhD करने के बाद आप किसी कॉलेज या विश्वविद्यालय में प्रोफेसर पद के लिए आवेदन कर सकते हैं।
समान और सम्मान: पीएचडी की डिग्री के साथ, आपको समाज में उच्च समान और सम्मान प्राप्त होता है।
रिसर्च के अवसर: पीएचडी करने के बाद, आपको अपने क्षेत्र में रिसर्च करने के अधिक अवसर मिलते हैं।
PhD एक उच्च स्तरीय शैक्षणिक डिग्री है जो आपको आपके चुने हुए क्षेत्र में विशेषज्ञता प्रदान करती है। इसे प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प की आवश्यकता होती है। लेकिन एक बार जब आप इसे प्राप्त कर लेते हैं, तो आपके करियर के अवसर और समाज में समान और सम्मान दोनों ही बढ़ जाते हैं।

FAQs:

पीएचडी का फुल फॉर्म क्या है?
पीएचडी का फुल फॉर्म “डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी” है।

पीएचडी करने के लिए क्या योग्यता होनी चाहिए?
पीएचडी करने के लिए आपके पास ग्रेजुएशन और मास्टर की डिग्री होनी चाहिए, और आपको यूजीसी नेट परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी।

पीएचडी का कोर्स कितने साल का होता है?
पीएचडी का कोर्स आमतौर पर 3 से 6 साल का होता है।

पीएचडी करने के क्या फायदे हैं?

पीएचडी करने के बाद आप विशेषज्ञ बन जाते हैं, आपको करियर के अधिक अवसर मिलते हैं, और समाज में आपको उच्च समान और सम्मान प्राप्त होता है।

आज हम इस लेख में उन लोगों के लिए जानकारी साझा कर रहे हैं जो PhD के बारे में जानना चाहते हैं। पीएचडी क्या होती है, इसका फ.....

महिलाओं के अलावा 6 जानवर है जिन्हे पीरियड आता है जाने नाम?12 से 14 साल की उम्र में लड़कियों की माहवारी शुरू हो जाती है, ...
30/08/2024

महिलाओं के अलावा 6 जानवर है जिन्हे पीरियड आता है जाने नाम?

12 से 14 साल की उम्र में लड़कियों की माहवारी शुरू हो जाती है, जो 45 से 50 साल की उम्र तक हर महीने आती रहती है। पीरियड्स की वजह से महिलाएं मां बनने के लिए तैयार हो पाती हैं एक्सपर्ट्स के मुताबिक मादा चिंपैंजी को 60 साल की उम्र तक पीरियड्स आते रहते हैं।
https://www.mybestindia.in/apart-from-women-there-are-6-animals-which-get-periods/
महिलाओं की तरह ही कई जानवर भी मेंस्ट्रुअल साइकल से गुजरते हैं। यहां कुछ जानवरों के बारे में जानकारी दी गई है, जिनमें मेंस्ट्रुअल साइकल होता है:

चमगादड़: मादा चमगादड़ों का मासिक धर्म चक्र लगभग 33 दिनों का होता है, लेकिन उनमें ब्लीडिंग केवल एक दिन होती है।
चिंपैंजी: मादा चिंपैंजी में मेंस्ट्रुअल साइकल अलग-अलग हो सकता है, जो 28 से 45 दिनों के बीच होता है।
बबून: मादा बबून में 4 से 5 साल की उम्र में पीरियड्स शुरू हो जाते हैं, और इनका मासिक धर्म चक्र लगभग 33 दिनों का होता है।
नरवाल व्हेल: यह दांतों वाली व्हेल भी माहवारी और मेनोपॉज से गुजरती है। ये लगभग 50 साल तक जिंदा रहती हैं।
एलीफैंट श्रृज: छबूंदर जैसे दिखने वाले इस जीव की मादाएं भी महिलाओं की तरह माहवारी से गुजरती हैं।
स्पाइनी माउस: यह चूहों की इकलौती प्रजाति है जिसमें मादा को पीरियड्स आते हैं, और इनका मासिक धर्म चक्र हर 8 से 9 दिन में शुरू हो जाता है।
इन जानवरों में मेंस्ट्रुअल साइकल के विभिन्न रूप देखने को मिलते हैं, जिससे यह समझ आता है कि माहवारी केवल इंसानों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि कई अन्य प्रजातियों में भी पाया जाता है।

Highlights:

कई जानवरों में भी मेंस्ट्रुअल साइकल होता है, जैसे इंसानों में होता है।
मादा चमगादड़ों का मासिक धर्म चक्र 33 दिनों का होता है, जिसमें ब्लीडिंग सिर्फ एक दिन होती है।
मादा चिंपैंजी का मासिक धर्म चक्र 28 से 45 दिनों के बीच हो सकता है।
बबून, नरवाल व्हेल, एलीफैंट श्रृज और स्पाइनी माउस जैसी प्रजातियों में भी पीरियड्स होते हैं।
स्पाइनी माउस में हर 8 से 9 दिन में नया मेंस्ट्रुअल साइकल शुरू होता है।
नरवाल व्हेल में माहवारी और मेनोपॉज दोनों होते हैं, और वे लगभग 50 साल तक जीवित रहती हैं।

FAQs:

1. क्या जानवरों में भी मेंस्ट्रुअल साइकल होता है?
हां, कई जानवरों में भी मेंस्ट्रुअल साइकल होता है, जिसमें मादा चिंपैंजी, बबून, चमगादड़, नरवाल व्हेल, एलीफैंट श्रृज, और स्पाइनी माउस शामिल हैं।
2. किन जानवरों में पीरियड्स के दौरान ब्लीडिंग होती है?
मादा चमगादड़, चिंपैंजी, और स्पाइनी माउस जैसे जानवरों में पीरियड्स के दौरान ब्लीडिंग होती है, जबकि अन्य जानवरों में ब्लड उनके शरीर में अब्जॉर्ब हो जाता है।
3. क्या जानवरों में मेनोपॉज होता है?
हां, नरवाल व्हेल जैसी कुछ प्रजातियों में मेनोपॉज भी होता है।
4. स्पाइनी माउस का मेंस्ट्रुअल साइकल कितना लंबा होता है?
स्पाइनी माउस में हर 8 से 9 दिनों में नया मेंस्ट्रुअल साइकल शुरू हो जाता है।

Tags:








मोबाइल को शर्ट के आगे वाले पॉकेट में रखने से हो सकता है कैंसरhttps://www.mybestindia.in/keeping-mobile-in-front-pocket-o...
30/08/2024

मोबाइल को शर्ट के आगे वाले पॉकेट में रखने से हो सकता है कैंसर
https://www.mybestindia.in/keeping-mobile-in-front-pocket-of-shirt-can-cause-cancer/

मोबाइल फोन और स्वास्थ्य: क्या सच में मोबाइल फोन दिल और ब्रेस्ट कैंसर का कारण बन सकते हैं? मोबाइल फोन का उपयोग आज के जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा बन गया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसे शरीर के कुछ हिस्सों के करीब रखने से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं? आइए इस पर एक नज़र डालते हैं।

Keeping mobile in front pocket of shirt can cause cancer

प्रमुख बिंदु (Highlights)

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. क्या मोबाइल फोन से कैंसर हो सकता है?
2. मोबाइल फोन को शर्ट की पॉकेट में रखना सुरक्षित है?
3. मोबाइल फोन के उपयोग में कौन-कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए?
टैग्स (Tags)
Related Posts
क्या मोबाइल फोन से निकलने वाली माइक्रोवेव्स खतरनाक हैं?
मोबाइल फोन से निकलने वाली रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) वेव्स 1.9 से 2.2 गीगाहर्ट्ज़ की फ्रीक्वेंसी पर होती हैं, जो कि हमारे शरीर के लिए ज्यादा हानिकारक नहीं मानी जाती। लेकिन जब हम इसे लंबे समय तक शरीर के किसी हिस्से के करीब रखते हैं, तो इससे संभावित स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

Keeping mobile in front pocket of shirt can cause cancer
मोबाइल फोन का उपयोग और स्वास्थ्य समस्याएं
ब्रेस्ट कैंसर: कुछ शोधों में यह पाया गया है कि महिलाएं जो अपने मोबाइल फोन को लंबे समय तक ब्रा में रखती हैं, उनमें ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। हालांकि, इस संबंध में अधिक शोध की आवश्यकता है, लेकिन सतर्कता बरतना बेहतर है।
हार्ट कॉम्प्लिकेशंस: पुरुषों में, जो लोग अपने मोबाइल फोन को शर्ट की पॉकेट में रखते हैं, उनमें दिल के पास अनयूजुअल ग्रोथ और स्किन कैंसर जैसी समस्याएं देखी गई हैं। इसके अलावा, कुछ मामलों में क्रॉनिक हार्ट डिजीज भी देखी गई है।
स्किन कैंसर: मोबाइल फोन को शरीर के पास रखने से त्वचा पर अनियमित ग्रोथ और स्किन कैंसर की संभावना बढ़ सकती है।
Keeping mobile in front pocket of shirt can cause cancer
सुरक्षित मोबाइल उपयोग के उपाय
मोबाइल फोन को शरीर के संवेदनशील हिस्सों के करीब रखने से बचें।
जितना हो सके, फोन का उपयोग करते समय इयरफोन या स्पीकर का उपयोग करें।
फोन को अपने सिर से दूर रखें, खासकर तब जब आप बात कर रहे हों।
रात में सोते समय मोबाइल फोन को अपने सिर से दूर रखें।
निष्कर्ष
हालांकि मोबाइल फोन से निकलने वाली माइक्रोवेव्स के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभावों के बारे में अभी भी शोध चल रहा है, लेकिन सतर्क रहना हमेशा बेहतर होता है। अपने मोबाइल फोन को शरीर के संवेदनशील हिस्सों से दूर रखने की आदत डालें और सुरक्षित मोबाइल उपयोग के उपाय अपनाएं।

Keeping mobile in front pocket of shirt can cause cancer
प्रमुख बिंदु (Highlights)
मोबाइल फोन से निकलने वाली रेडियो फ्रीक्वेंसी वेव्स से स्वास्थ्य पर असर हो सकता है।
मोबाइल को लंबे समय तक शरीर के करीब रखने से ब्रेस्ट कैंसर और हार्ट कॉम्प्लिकेशंस का खतरा हो सकता है।
मोबाइल उपयोग में सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. क्या मोबाइल फोन से कैंसर हो सकता है?
अभी तक के शोध के अनुसार, मोबाइल फोन से कैंसर होने का सीधा प्रमाण नहीं है, लेकिन इसे लंबे समय तक शरीर के पास रखने से कुछ स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

2. मोबाइल फोन को शर्ट की पॉकेट में रखना सुरक्षित है?
मोबाइल फोन को शर्ट की पॉकेट में रखने से दिल के पास स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए इसे वहां रखने से बचना चाहिए।

3. मोबाइल फोन के उपयोग में कौन-कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए?
मोबाइल फोन को शरीर के संवेदनशील हिस्सों से दूर रखें, इयरफोन या स्पीकर का उपयोग करें, और सोते समय फोन को अपने सिर से दूर रखें।

टैग्स (Tags)

MobilePhoneSafety

30/08/2024

ट्यूबरकुलोसिस (टीबी): प्रकार, कारण, लक्षण, और उपचार क्या क्या है?

ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) एक गंभीर बीमारी है जो माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। इस बीमारी का मुख्य रूप से फेफड़ों पर असर होता है, लेकिन यह शरीर के अन्य अंगों में भी फैल सकती है। टीबी एक संक्रामक रोग है और संक्रमित व्यक्ति के खांसने, हंसने, या बोलने से निकलने वाले माइक्रोस्कोपिक ड्रॉपलेट्स के जरिए फैलता है।

https://www.mybestindia.in/what-is-tuberculosis-types-causes-symptoms-and-treatment/

टीबी का संक्रमण कैसे फैलता है?

टीबी का बैक्टीरिया हवा के जरिए एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता, छींकता, हंसता या बात करता है, तो उसके फेफड़ों से बैक्टीरिया युक्त छोटे-छोटे ड्रॉपलेट्स हवा में फैल जाते हैं। ये ड्रॉपलेट्स स्वस्थ व्यक्ति के फेफड़ों में पहुंचकर संक्रमण का कारण बन सकते हैं।

टीबी के प्रकार

लेटेंट टीबी: इसमें बैक्टीरिया शरीर में मौजूद रहते हैं, लेकिन ये सक्रिय नहीं होते। इस स्थिति में व्यक्ति को कोई लक्षण नहीं होते और यह रोग फैलता भी नहीं है।
एक्टिव टीबी: इसमें बैक्टीरिया सक्रिय होते हैं और रोग के लक्षण प्रकट होने लगते हैं। यह स्थिति खतरनाक होती है और संक्रमित व्यक्ति से दूसरों में संक्रमण फैल सकता है।

टीबी के लक्षण

लेटेंट टीबी: इस स्थिति में कोई लक्षण प्रकट नहीं होते।
एक्टिव टीबी: इसके लक्षणों में शामिल हैं:
लगातार खांसी (तीन हफ्तों से अधिक समय तक)
खांसी के साथ खून आना
छाती में दर्द
वजन कम होना
भूख में कमी
बुखार
रात में पसीना आना

टीबी का उपचार

टीबी का उपचार एंटीबायोटिक्स से किया जाता है, जो कि 6 से 9 महीने तक जारी रह सकता है। नियमित उपचार से टीबी को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है, लेकिन अगर उपचार अधूरा छोड़ दिया जाए तो यह और गंभीर हो सकता है।

टीबी से बचाव के उपाय

टीबी से बचाव के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपाय है टीकाकरण।
संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखना।
संक्रमित व्यक्ति द्वारा मास्क का उपयोग करना।
सार्वजनिक स्थानों पर खांसते या छींकते समय मुंह को ढकना।

प्रमुख बिंदु (Highlights)

टीबी का कारण माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया है।
टीबी के दो प्रकार होते हैं: लेटेंट और एक्टिव।
एक्टिव टीबी के लक्षणों में खांसी, बुखार, और वजन घटना शामिल है।
टीबी का इलाज 6-9 महीने के एंटीबायोटिक कोर्स से होता है।
टीबी से बचाव के लिए टीकाकरण और सावधानियां जरूरी हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

1. टीबी क्या है?
टीबी एक संक्रामक बीमारी है जो माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया के कारण होती है। यह मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करती है लेकिन शरीर के अन्य अंगों में भी फैल सकती है।

2. टीबी के मुख्य लक्षण क्या हैं?
टीबी के मुख्य लक्षणों में तीन हफ्तों से ज्यादा समय तक खांसी, खांसी में खून आना, छाती में दर्द, बुखार, वजन घटना, और भूख में कमी शामिल है।

3. टीबी का उपचार कैसे होता है?
टीबी का उपचार लंबी अवधि के एंटीबायोटिक्स से किया जाता है, जो 6 से 9 महीने तक चल सकता है।

4. क्या टीबी से बचाव संभव है?
हां, टीबी से बचाव संभव है। इसके लिए टीकाकरण, संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखना, और सार्वजनिक स्थानों पर सावधानी बरतना जरूरी है।

टैग्स (Tags)

Tuberculosis

वैज्ञानिकों ने गुजरात में भारी बारिश और तूफान की चेतावनी, सौराष्ट्र-कच्छ में रेड अलर्ट जारीhttps://www.mybestindia.in/sc...
29/08/2024

वैज्ञानिकों ने गुजरात में भारी बारिश और तूफान की चेतावनी, सौराष्ट्र-कच्छ में रेड अलर्ट जारी
https://www.mybestindia.in/scientists-warn-of-heavy-rain-and-storm-in-gujarat/

गुजरात – इस समय गुजरात के भुज से 50 किमी दूर एक गहरा दबाव (Deep Depression) बना हुआ है, जो कि 12 किमी प्रति घंटे की गति से पश्चिम-दक्षिण पश्चिम दिशा की ओर बढ़ रहा है। यह नलिया से 100 किमी दूर स्थित है और अनुमान है कि यह 29 अगस्त की सुबह तक उत्तर-पूर्वी अरब सागर और सौराष्ट्र-कच्छ क्षेत्र में पहुंच जाएगा।

Scientists warn of heavy rain and storm in Gujarat
गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्रों में अत्यधिक भारी से असाधारण रूप से भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है। इन क्षेत्रों के सभी जिलों को रेड अलर्ट पर रखा गया है। मौसम विभाग के अनुसार, अगले कुछ दिनों में गुजरात में भारी बारिश और तूफान की स्थिति बनी रहेगी।

अगले कुछ दिनों की चेतावनी
Day 1 (आज): सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्रों में अत्यधिक भारी बारिश की संभावना है। पूरे क्षेत्र में रेड अलर्ट जारी किया गया है।
Day 2: सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्रों में अत्यधिक भारी बारिश की संभावना बनी रहेगी। सभी जिलों में रेड अलर्ट जारी किया गया है।
Day 3: भारी बारिश की संभावना है और इसके साथ ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है।
Day 4: सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्रों में भारी बारिश की चेतावनी और येलो अलर्ट जारी किया गया है।
Day 5-7: गुजरात के सूरत, डांग, नवसारी, वलसाड, दमन, दादरा नगर हवेली, तापी जैसे जिलों में भारी बारिश की संभावना और येलो अलर्ट जारी किया गया है।
इसके अलावा, दक्षिण गुजरात के जिलों में भी भारी से अत्यधिक भारी बारिश की संभावना है। बड़ोदरा, छोटा उदयपुर, नर्मदा, भरूच, सूरत, डांग, नवसारी, बलसाड़, दमन, दादरा नगर हवेली, तापी, अहमदाबाद, पाटन, और बनासकांठा में रेड अलर्ट जारी किया गया है।

हवाओं और समुद्र की स्थिति
मौसम विभाग ने बताया है कि सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्रों में 45-55 किमी प्रति घंटे की गति से तेज हवाएं चलेंगी, जो 65 किमी प्रति घंटे तक जा सकती हैं। मछुआरों के लिए अगले पांच दिनों तक समुद्र में न जाने की चेतावनी जारी की गई है, क्योंकि समुद्र की स्थिति बहुत खराब रहने की संभावना है।

प्रमुख बिंदु (Highlights)
गुजरात में भारी बारिश: भुज के पास गहरे दबाव के कारण राज्य में अत्यधिक भारी बारिश की संभावना।
सौराष्ट्र और कच्छ में रेड अलर्ट: सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्रों में सभी जिलों में रेड अलर्ट जारी।
तेज हवाएं: 65 किमी प्रति घंटे की गति से हवाएं चलने की संभावना।
मछुआरों के लिए चेतावनी: खराब समुद्री स्थिति के कारण मछुआरों को समुद्र में न जाने की सलाह।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. गहरा दबाव (Deep Depression) क्या होता है?
गहरा दबाव एक मौसमीय प्रणाली है जिसमें वायुमंडलीय दबाव बहुत कम हो जाता है और इसके परिणामस्वरूप अत्यधिक बारिश और तेज हवाएं होती हैं।

2. रेड अलर्ट का क्या मतलब है?
रेड अलर्ट एक गंभीर चेतावनी है, जो अत्यधिक खतरनाक मौसम की स्थिति के लिए जारी किया जाता है। इस स्थिति में लोगों को सुरक्षित स्थान पर रहने और आवश्यक सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है।

3. मछुआरों के लिए क्या सलाह दी गई है?
मौसम विभाग ने अगले पांच दिनों तक मछुआरों को समुद्र में न जाने की सलाह दी है, क्योंकि समुद्र की स्थिति बहुत खराब और खतरनाक हो सकती है।

4. गुजरात में किस क्षेत्र में सबसे अधिक बारिश हुई है?
पिछले 24 घंटों में द्वारका में 43 सेंटीमीटर और जामनगर में 38 सेंटीमीटर बारिश दर्ज की गई है, जो कि अत्यधिक भारी बारिश की श्रेणी में आती है।

टैग्स (Tags)

गुजरात - इस समय गुजरात के भुज से 50 किमी दूर एक गहरा दबाव (Deep Depression) बना हुआ है, जो कि 12 किमी प्रति घंटे की गति से पश्चिम-दक्ष...

दिल्ली में सर्दियों के प्रदूषण से निपटने की तैयारी तेज़, विंटर एक्शन प्लान पर जोरhttps://www.mybestindia.in/preparations...
29/08/2024

दिल्ली में सर्दियों के प्रदूषण से निपटने की तैयारी तेज़, विंटर एक्शन प्लान पर जोर
https://www.mybestindia.in/preparations-intensified-to-deal-with-winter-pollution-in-delhi/

विंटर एक्शन प्लान: दिल्ली सरकार ने सर्दियों के प्रदूषण से निपटने के लिए विंटर एक्शन प्लान की तैयारी शुरू की।
स्मॉक टावर पायलट प्रोजेक्ट: दो साल के पायलट प्रोजेक्ट की अवधि पूरी, विशेषज्ञों की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश होगी।
रियल टाइम सोर्स अपर्टमेंट स्टडी: आईआईटी कानपुर के साथ की गई स्टडी का कार्यकाल पूरा, अब डीपीसीसी करेगी संचालन।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश: सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार सरकार तैयार करेगी अपनी कार्ययोजना।
Preparations intensified to deal with winter pollution in Delhi
दिल्ली – सर्दियों में दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ना कोई नई बात नहीं है। इसे नियंत्रित करने के लिए दिल्ली सरकार ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। सरकार ने विंटर एक्शन प्लान बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, और इसी सिलसिले में पर्यावरण विशेषज्ञों के साथ एक सम्मेलन आयोजित किया गया है। इस सम्मेलन का उद्देश्य एक ठोस और प्रभावी विंटर एक्शन प्लान तैयार करना है ताकि दिल्लीवासियों को प्रदूषण से राहत मिल सके।

दिल्ली में पिछले दो वर्षों से सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार स्मॉक टावर का पायलट प्रोजेक्ट चल रहा था। अब इस प्रोजेक्ट की अवधि पूरी हो चुकी है, और सरकार ने विशेषज्ञों की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश करने का निर्देश दिया है। यह पायलट प्रोजेक्ट सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत शुरू किया गया था, इसलिए अब आगे की कार्ययोजना भी कोर्ट के निर्देशों के अनुसार तय की जाएगी।

साथ ही, दिल्ली सरकार ने आईआईटी कानपुर के साथ मिलकर रियल टाइम सोर्स अपर्टमेंट स्टडी की पहल भी की थी। इस स्टडी का कार्यकाल भी अब पूरा हो गया है। सरकार ने निर्णय लिया है कि अब डीपीसीसी (दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी) इस स्टडी का संचालन करेगी। सर्दियों से पहले ही इस स्टडी के संचालन की पूरी तैयारी की जाएगी ताकि प्रदूषण नियंत्रण के सभी उपायों को प्रभावी तरीके से लागू किया जा सके।

पिछले साल से स्मॉक टावर को लेकर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच विवाद चल रहा था। हालांकि, यह विवाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर आधारित था। दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत कनॉट प्लेस में स्मॉक टावर का पायलट प्रोजेक्ट किया था, जबकि केंद्र सरकार ने आनंद विहार में ऐसा ही एक पायलट प्रोजेक्ट किया था। अब सरकार का लक्ष्य है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार सभी रिपोर्टों को प्रस्तुत कर, एक मजबूत कार्ययोजना तैयार की जाए।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. विंटर एक्शन प्लान क्या है?
विंटर एक्शन प्लान एक विस्तृत कार्ययोजना है जो सर्दियों के मौसम में दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए बनाई जाती है। इसमें विभिन्न उपाय शामिल होते हैं जैसे वाहनों के संचालन पर रोक, उद्योगों से निकलने वाले धुएं पर नियंत्रण, और निर्माण गतिविधियों पर सख्ती।

2. स्मॉक टावर क्या है?
स्मॉक टावर एक बड़ी संरचना होती है जो हवा को साफ करने के लिए डिज़ाइन की जाती है। इसमें हवा को खींचकर उसे फिल्टर किया जाता है, जिससे प्रदूषक कणों को हटाया जा सके। दिल्ली में इसे प्रदूषण कम करने के लिए प्रयोगात्मक रूप से स्थापित किया गया था।

3. रियल टाइम सोर्स अपर्टमेंट स्टडी क्या है?
यह एक स्टडी है जो यह निर्धारित करती है कि किस स्रोत से कितनी मात्रा में प्रदूषण हो रहा है। इसका उद्देश्य यह जानना है कि कौन से स्रोत प्रदूषण में सबसे अधिक योगदान दे रहे हैं ताकि उन पर प्रभावी रूप से नियंत्रण किया जा सके।

4. दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच विवाद क्यों था?
यह विवाद स्मॉक टावर के पायलट प्रोजेक्ट को लेकर था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली सरकार ने कनॉट प्लेस में और केंद्र सरकार ने आनंद विहार में स्मॉक टावर लगाए थे। इस पर दोनों के बीच मतभेद उत्पन्न हुए थे।

टैग्स (Tags)

DelhiPollution

दिल्ली - सर्दियों में दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ना कोई नई बात नहीं है। इसे नियंत्रित करने के लिए दिल्ली सरकार न....

PM Modi Ukraine Visit: जेलेंस्की का भारत पर कटाक्ष, रूस से तेल खरीद पर जताई चिंताhttps://www.mybestindia.in/pm-modi-ukra...
29/08/2024

PM Modi Ukraine Visit: जेलेंस्की का भारत पर कटाक्ष, रूस से तेल खरीद पर जताई चिंता

https://www.mybestindia.in/pm-modi-ukraine-visit-zelenskys-sarcasm-on-india/

यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने हाल ही में एक इंटरव्यू में भारत के रूस से तेल खरीदने के फैसले पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि भारत का यह कदम रूस की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहा है और अगर भारत तेल खरीदना बंद कर दे तो रूस को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। हालांकि, भारतीय विदेश मामलों के विशेषज्ञ रबिंदर सचदेवा ने जेलेंस्की के बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत अपने आर्थिक हितों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय ले रहा है।

pm Modi Ukraine Visit: Zelensky's sarcasm on India

16 जून 2024 को स्विट्जरलैंड में रूस और यूक्रेन के बीच एक शांति सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसमें भारत की ओर से विदेश मंत्रालय के अधिकारी पवन कुमार शामिल हुए थे। इस सम्मेलन के बाद जारी हुए साझा बयान से भारत ने दूरी बना ली थी, जिससे जेलेंस्की ने भारत की स्थिति पर सवाल खड़े किए।

जेलेंस्की ने अपने बयान में कहा, “अगर भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर दे, तो रूस की सेना कमजोर हो जाएगी और युद्ध को रोकने में मदद मिलेगी।” उन्होंने यह भी कहा कि कई देशों ने रूस से आयात बंद कर दिया है, लेकिन भारत ऐसा नहीं कर रहा है।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, रबिंदर सचदेवा ने कहा, “भारत अपने आर्थिक हितों को ध्यान में रखते हुए रूस से सस्ता तेल खरीद रहा है। यह कदम भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए है, न कि रूस की सेना को समर्थन देने के लिए। अगर भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर देता है, तो उसकी अपनी अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।”

भारत ने अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दी है और रूस से तेल खरीदने का निर्णय लिया है। हालांकि, जेलेंस्की के बयान ने इस मुद्दे को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है। भारत के लिए ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता को बनाए रखना महत्वपूर्ण है, और इसीलिए उसने यह निर्णय लिया है।

FAQs:

जेलेंस्की ने भारत के बारे में क्या कहा?
जेलेंस्की ने कहा कि अगर भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर दे, तो रूस की सेना कमजोर हो जाएगी और युद्ध रुक सकता है।
क्या भारत रूस से तेल खरीदना बंद करेगा?
नहीं, भारत अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए रूस से सस्ता तेल खरीदना जारी रखेगा।
भारत की अर्थव्यवस्था पर रूस से तेल खरीदने का क्या प्रभाव है?
रूस से सस्ता तेल खरीदने से भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है, जिससे वह अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा कर सकता है।
क्या भारत के रूस से तेल खरीदने पर वैश्विक दबाव है?
हां, लेकिन भारत ने अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दी है।

Tags:

Zelensky Statement
India-Russia Relations
Oil Trade
Ukraine Conflict
Indian Economy
Geopolitical Tensions
Foreign Policy
Energy Security
International Relations

यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने हाल ही में एक इंटरव्यू में भारत के रूस से तेल खरीदने के फैसले पर सवाल .....

1 Month से 9 Months तक शिशु का विकाश कैसे होता है जाने साप्ताहिक भ्रूण विकाश?https://www.mybestindia.in/how-does-a-baby-...
29/08/2024

1 Month से 9 Months तक शिशु का विकाश कैसे होता है जाने साप्ताहिक भ्रूण विकाश?

https://www.mybestindia.in/how-does-a-baby-develop-from-1-month-to-9-months/
गर्भधारण से लेकर प्रसव तक, आपका शिशु लगातार बढ़ रहा है और विकसित हो रहा है। 5 सप्ताह के आसपास, आपके बच्चे का दिल धड़कना शुरू कर देगा; 27 सप्ताह में, उनके सोने और जागने का चक्र नियमित होगा, और 39 सप्ताह में, आपका शिशु शारीरिक रूप से विकसित हो जाएगा। यह जानने के लिए इस समयरेखा का उपयोग करें कि गर्भावस्था के दौरान आपका शिशु कैसे विकसित हो रहा है।

1 Month से 9 Months तक शिशु का विकाश कैसे होता है जाने साप्ताहिक भ्रूण विकाश?
गर्भावस्था: शिशु का विकास सप्ताह दर सप्ताह
गर्भधारण से लेकर प्रसव तक, आपका शिशु निरंतर विकसित हो रहा है। इस लेख में हम गर्भावस्था के विभिन्न चरणों में शिशु के विकास को विस्तार से समझेंगे।

पहले महीने (1-4 सप्ताह): प्रारंभिक विकास
गर्भावस्था के पहले हफ्तों में, आप अभी तक गर्भवती नहीं होतीं, लेकिन शरीर में महत्वपूर्ण बदलाव होने लगते हैं। इस दौरान, निषेचित अंडाणु फैलोपियन ट्यूब से गर्भाशय तक जाता है और गर्भाशय की परत में समाहित हो जाता है। एचसीजी नामक हार्मोन का उत्पादन शुरू हो जाता है, जिससे गर्भावस्था का संकेत मिलता है। इस प्रक्रिया में करीब 4 हफ्ते लगते हैं।

दूसरे महीने (5-8 सप्ताह): दिल की धड़कन और तंत्रिका तंत्र का विकास
गर्भावस्था के 5 सप्ताह के दौरान, शिशु का दिल धड़कना शुरू कर देता है। साथ ही, तंत्रिका प्लेट से न्यूरल ट्यूब बनती है, जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी का निर्माण करती है। इस समय, फोलिक एसिड का सेवन बेहद जरूरी होता है, क्योंकि यह न्यूरल ट्यूब के विकास में मदद करता है और मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याओं को रोक सकता है।

तीसरे महीने (9-12 सप्ताह): पूर्ण रूप से विकसित भ्रूण
तीसरे महीने में शिशु के सभी प्रमुख अंग जैसे हाथ, पैर, उंगलियां और पैर की उंगलियां पूरी तरह से विकसित हो जाते हैं। हालांकि शिशु के प्रजनन अंग भी बनने लगते हैं, लेकिन अल्ट्रासाउंड द्वारा अभी लिंग का पता नहीं लगाया जा सकता है। गर्भावस्था के 12वें सप्ताह तक शिशु लगभग 4 इंच लंबा हो जाता है और उसका वजन 1 औंस होता है।

दूसरी तिमाही (13-26 सप्ताह): अंगों और इंद्रियों का विकास
दूसरी तिमाही में शिशु के शरीर पर लानुगो नामक बारीक बाल उगते हैं, जो उसे एमनियोटिक द्रव से सुरक्षा प्रदान करते हैं। इस समय, शिशु की इंद्रियां जैसे गंध, दृष्टि, स्पर्श, स्वाद, और श्रवण विकसित होती हैं। शिशु आपकी आवाज़ सुन सकता है और हल्के प्रकाश को भी महसूस कर सकता है। यदि आप पेट पर टॉर्च चमकाते हैं, तो शिशु प्रकाश से दूर होने की कोशिश करेगा।

तीसरी तिमाही (27-40 सप्ताह): जन्म की तैयारी
तीसरी तिमाही में शिशु का आकार और वजन तेजी से बढ़ता है। फेफड़े पूरी तरह विकसित हो जाते हैं, और यदि शिशु इस समय पैदा हो जाए, तो उसके जीवित रहने की अच्छी संभावना होती है। गर्भावस्था के 36वें सप्ताह तक शिशु का वजन आधा पाउंड प्रति सप्ताह बढ़ता है और ज्यादातर बच्चे सिर नीचे की स्थिति में जन्म के लिए तैयार हो जाते हैं।

निष्कर्ष

गर्भावस्था एक सुंदर यात्रा है जिसमें शिशु हर सप्ताह नए बदलाव और विकास से गुजरता है। शिशु के विकास की इस समयरेखा से आप समझ सकते हैं कि गर्भावस्था के दौरान उसके शरीर में क्या-क्या परिवर्तन होते हैं। यदि आप योनि प्रसव या सी-सेक्शन के दौरान क्या अपेक्षा की जानी चाहिए, यह जानना चाहती हैं, तो कृपया मेरे अन्य वीडियो देखें।

गर्भधारण से लेकर प्रसव तक, आपका शिशु लगातार बढ़ रहा है और विकसित हो रहा है। 5 सप्ताह के आसपास, आपके बच्चे का दिल धड़कन...

Address


Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Healthy Gyan posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Healthy Gyan:

  • Want your business to be the top-listed Media Company?

Share