Lav ki awaz

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यहां प्रेम मिलेगा, फसाने मिलेंगे
सहज और सरल तराने मिलेंगे।

तुमको देखा तो ये खयाल आया / जिंदगी धूप, तुम घना साया.....आज जावेद अख्तर साहब के लिखे इस गीत (फिल्म साथ–साथ, 1982) के मुख...
07/01/2025

तुमको देखा तो ये खयाल आया / जिंदगी धूप, तुम घना साया.....आज जावेद अख्तर साहब के लिखे इस गीत (फिल्म साथ–साथ, 1982) के मुखड़े को सुनकर कुछ और ही खयाल आया। खयाल ये आया कि हो न हो, गीतकार ने इसे गर्मियों में लिखा होगा। यदि जाड़ों में लिखता तो शायद ऐसा न लिखता।

क्योंकि आजकल तो साया जिंदगी की मुश्किलों की तरह कंपकंपा रहा है और धूप महबूबा–सी लग रही है।

आजकल रोज सुबह उठते ही सबसे पहले धूप का ही खयाल आता है। रोज सुबह मुंह उठाकर ऊपर देखता हूं कि वो आएगी या नहीं। अभी मैं आसमान का जायजा ले ही रहा होता हूं कि अंदर से किसी परिजन की आवाज आ जाती है–

आयेगी क्या?
निकलेगी क्या?

जब वो नहीं आती तो उसकी बातें होने लगती हैं–

कल के अखबार में तो लिखा था कि आज निकलेगी...
चिल्ला चल रहा है, अभी जनवरी में तो ऐसे ही रहेगा...

जब कभी तीन–चार दिनों के बाद वो मुंह दिखाती है तो ओ हो, हो, हो...कितनी भली लगती है। अमृत समान हो जाती है। सारा घर छत पर ले आती है।

ऐसी भली धूप की तुलना जावेद साहब ने जिंदगी की दुश्वारियों से कर दी। जून होता तो मुझे कोई आपत्ति नहीं थी जावेद साहब!

लेकिन जनवरी में तो...
धूप ही जिंदगी है, धूप ही साया है।

लेकिन जनवरी में तो...
धूप ही जिंदगी है, धूप ही साया है।

जनवरी में ये लाइनें ऐसे भी हो सकती थीं–

तुमको देखा तो, खिली धूप, जाड़ा शरमाया
गिरा के ओस, चहकी पत्ती, देखो कौन आया।

पुनश्च – बहरहाल, जो भी लिखा, जावेद साहब ने कमाल का लिखा।

#धूप #सर्दी #जाड़ा #ठंड #ठिठुरन #कोहरा
#शीत #शीतलहर #गीत #गीतकार

// कानों में पड़ा रोचक शब्द/वाक्यांश //*** इट टेक्स टू टू टैंगो ***It Takes Two To Tangoटैंगो लैटिन अमेरिकी मूल का एक बॉ...
05/01/2025

// कानों में पड़ा रोचक शब्द/वाक्यांश //

*** इट टेक्स टू टू टैंगो ***
It Takes Two To Tango

टैंगो लैटिन अमेरिकी मूल का एक बॉलरूम नृत्य है, जो जोड़े में किया जाता है। तेज़ लय और तेज़ गति वाले टैंगो में दो व्‍यक्ति एक दूसरे को कसकर पकड़े रहते हैं। इसमें कई विविध चरण, आकृतियाँ और मुद्राएँ होती हैं।

यह नृत्य अकेले नहीं हो सकता। इसका हिंदी में अर्थ है– ताली एक हाथ से नहीं बजती। पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री ईशाक डार ने भारत–पाकिस्तान संबंध सुधारने के लिए पिछले दिनों 'इट टेक्स टू टू टैंगो' का इस्तेमाल किया।

जवाब में भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि इट टेक्स टू टू टैंगो में पाकिस्तान के संबंध में प्रासंगिक 'टी' शब्द टेरोरिज्म यानी आतंकवाद है।

यानी पाकिस्तान आतंकवाद को साथ लिए भारत के साथ टैंगो करना चाहता है। ऐसे तो टैंगो नहीं होगा यानी ताली नहीं बजेगी।

#भाषा #शब्दावली #पाकिस्तान #टैंगो

03/01/2025

ड्राइवर साब, ड्राइवर साब
देख के चलियो,
परिजन प्यारे राह देखते
ध्यान में रखियो।

चलने से पहले सो लीजो
घर में झगड़ा, ना जी ना
दारू–वारू मत लीजो
रफ्तार लिमिट में ही रखना।
रस्ता खाली हो चाहे
अंधे ना भगियो....
ड्राइवर साब, ड्राइवर साब
देख के चलियो।

कुछ घंटों की यात्रा पर
विश्राम जरूरी
चाय–वाय की चुस्की का
इंतजाम जरूरी।
देरी है मंजूर हमें
हड़बड़ ना करियो...
ड्राइवर साब, ड्राइवर साब
देख के चलियो।

आंखों का तुम टेस्ट रेगुलर
कराना भैया
ये जान तुम्हारे हाथों में
तुम्हीं खेवैया।
तुम ना करना चूक कोई
ना फोन चलइयो....
ड्राइवर साब, ड्राइवर साब
देख के चलियो।

रफ्तार की ना है स्पर्धा
ये यात्रा है
मंजिल को पाने की बाबू
ये यात्रा है।
कोई धमक नहीं, कोई टशन नहीं
ना जुबां लड़इयो....
ड्राइवर साब, ड्राइवर साब
देख के चलियो।

Lav ki awaz

#हादसे #दुर्घटना #कोहरा #वाहन #सड़क #सड़कहादसे #यात्रा #सुरक्षितचलें #सफर ゚

// कानों में पड़ा....नया/रोचक....शब्द/वाक्यांश //*** ब्लड मनी ***क्या 'ब्लड मनी' प्रिया को मौत के मुंह से बचा लेगा?2008–...
02/01/2025

// कानों में पड़ा....नया/रोचक....शब्द/वाक्यांश //

*** ब्लड मनी ***

क्या 'ब्लड मनी' प्रिया को मौत के मुंह से बचा लेगा?

2008– केरल की एक नर्स निमिषा प्रिया यमन की राजधानी सना में एक सरकारी अस्पताल में नर्स लगी।

2011– टॉमी थॉमस नाम के भारतीय से निमिषा प्रिया की शादी हुई।

2014– प्रिया ने खुद का क्लिनिक खोलने के लिए नौकरी छोड़ दी। यमनी कानून के अनुसार इसके लिए एक यमनी व्यापारिक साझेदार होना जरूरी था। कपड़े की दुकान चलाने वाला तलाल अब्दो महदी निमिषा का साझीदार बना।

2015 की शुरुआत– प्रिया ने 14 बिस्तरों वाला अल अमन मेडिकल क्लिनिक खोला।

मार्च 2015– यमन में गृहयुद्ध छिड़ा। पति थॉमस 2012 में जन्मी बेटी के साथ भारत आ गया मगर प्रिया वहीं रही। इस दौरान साझेदार महदी ने उसके पैसे चुराए, शारीरिक अत्याचार किया और कई बार उसका पति होने का दावा किया। प्रिया का पासपोर्ट और दस्तावेज़ भी जब्त कर लिए और परिवार से बात करने से भी रोक दिया। प्रिया ने पुलिस में शिकायत की मगर मदद नहीं मिली।

जुलाई 2017– प्रिया ने तलाल अब्दो महदी को केटामाइन की खुराक दी। ओवरडोज से उसकी मौत हो गई। प्रिया और उसके वकीलों के अनुसार, उसका इरादा महदी को बेहोश करने का था ताकि पासपोर्ट और अन्य दस्तावेज पा सके। महदी की मृत्यु के बाद, प्रिया ने एक अन्य नर्स से संपर्क किया, जिसने महदी के शरीर को काट दिया और उसे पानी की टंकी में डाल दिया।

अगस्त 2017– प्रिया और सहयोगी की गिरफ्तारी हुई। आजीवन कारावास की सजा मिली।

2018– प्रिया को मौत की सजा सुनाई गई।

नवंबर 2023– यमन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने प्रिया की अपील खारिज की।

दिसंबर 2024– यमन के राष्ट्रपति ने भी मौत की सजा को मंजूरी दे दी।

अब बात आई ब्लड मनी की। ब्लड मनी यानी किसी व्यक्ति की हत्या के बाद उसके परिवार को दिया गया धन। इस्लामिक कानून के अनुसार गैरइरादतन हत्या के मामले में यदि पीड़ित का परिवार चाहे तो वह हर्जाना लेकर हत्यारे को माफ कर सकता है। इसे दिया (Diyya) का सिद्धांत कहते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार शुरुआती समझौता बातचीत के लिए 40 हजार डॉलर भारत सरकार के जरिए दिए जा चुके हैं। अभी निमिषा के परिवार को 3–4 लाख डॉलर का इंतजाम और करना है। सरकार भी अपने स्तर पर प्रयास कर रही है।

क्या 'ब्लड मनी' प्रिया को मौत के मुंह से बचा लेगा?

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#यमन

02/01/2025

क्या आप डायरी लिखते हैं?

#डायरी #डायरी_लेखन #लेखन

शुभ हो, शुभ हो, शुभ हो...     #शुभकामनाएं      #नववर्ष
01/01/2025

शुभ हो, शुभ हो, शुभ हो...

#शुभकामनाएं #नववर्ष

शास्त्री नगर मेरठ के एक घर में अमरूद अंदर से गुलाबी निकले, हर्ष की लहर दौड़ी। जी हां, गृह स्वामी ने घर के बाहर ठेले से ह...
31/12/2024

शास्त्री नगर मेरठ के एक घर में अमरूद अंदर से गुलाबी निकले, हर्ष की लहर दौड़ी।

जी हां, गृह स्वामी ने घर के बाहर ठेले से हर बार की तरह अमरूद खरीदे। लेकिन खाने के लिए जैसे ही काटे, वे अंदर से गुलाबी निकले। गुलाबी अमरूद देखते ही घर में हर्ष की लहर दौड़ गई।

कारण पूछा तो बताया गया कि उन्हें गुलाबी अमरूद देखे, खाए वर्षों हो गए हैं। ठेले वाले से कहते थे कि भैया वो वाला अमरूद चढ़ाओ जो अंदर से लाल निकले। वो कहता कि लाल, सफेद तो काटने पर ही पता चलेगा। लेकिन जब भी अमरूद काटते थे तो वे सफेद ही निकलते थे।

अरे, अमरूद लाल–गुलाबी ही तो निकला है। तुम तो ऐसे खुश हो रहो हो जैसे इसमें कोई लॉटरी लगी हो।

लॉटरी नहीं, इसमें लाइकोपीन लगा है। यह एक प्राकृतिक पिगमेंट होता है। यह एक तरह का कैरोटीनॉइड है। यह टमाटर और तरबूज़ में भी पाया जाता है। इसी की वजह से अमरूद का गूदा लाल होता है।

सफ़ेद अमरूद में लाइकोपीन की कमी होती है। लाल अमरूद में सफ़ेद अमरूद से ज़्यादा विटामिन सी, पोटैशियम, मैग्नीशियम, और फ़ाइबर होता है। लाल अमरूद में एंटीऑक्सीडेंट्स की मात्रा भी ज़्यादा होती है। बताओ, सेहत के लिए ये लॉटरी से कुछ कम है क्या?

लेकिन हमारे गांव में जो पेड़ था, उस पर तो लाल ही अमरूद आते थे। लेकिन हां, तब यदि कोई अमरूद सफेद निकल आता था तो हम सबको दिखाते फिरते थे।

वही तो...दुर्लभ खींचे सबका ध्यान। इसीलिए तो हम भी दिखा रहे हैं।

#फल #अमरूद #सेहत

नजर घुमाई तो देखा, सब्जी की दुकान से निकली पत्नी किसी और पुरुष की स्कूटी के पीछे बैठने जा रही है।शाम का धुंधलका था। आसपा...
30/12/2024

नजर घुमाई तो देखा, सब्जी की दुकान से निकली पत्नी किसी और पुरुष की स्कूटी के पीछे बैठने जा रही है।

शाम का धुंधलका था। आसपास काफी गहमागहमी थी। पत्नी के हाथ में सब्जी का थैला था। नजर नीचे थी और उस स्कूटी की पिछली सीट ठीक उसके सामने थी। आगे की सीट पर बैठा व्यक्ति भी शायद किसी का इंतजार कर रहा था।

मैं दस कदम दूर स्कूटी लिए खड़ा पत्नी का इंतजार कर रहा था। मैं यहां इसलिए था, क्योंकि कुछ क्षण पहले पत्नी मेरे पास वाले ठेले पर ही सब्जी ले रही थी और फिर टहलते हुए उस दुकान तक चली गई थी।

मेरे शरीर में काटो तो खून नहीं। अरे–अरे ये क्या कर रही हो प्रिये? क्या आज मुझे इस प्रकार से छोड़कर चली जाओगी?

पत्नी उस स्कूटी के बिल्कुल निकट आई।
बैठने का उपक्रम करते ही ठिठकी।
'सरिता' के स्तंभ जैसी 'हाय मैं शर्म से लाल हुई'
और फिर तेजी से मेरी तरफ आई।

हमारी नजरें मिलीं। उसने ऐसे देखा जैसे कुछ हुआ ही नहीं। उसका अनुमान था कि हो सकता है मैंने देखा ही न हो। लेकिन मैं मुस्कराया तो हम दोनों के मुंह से जैसे हंसी का फव्वारा छूटा।

पत्नी ने बताया कि उसने सोचा कि मैं हमेशा की तरह स्कूटी लेकर उसके पास आ गया हूं। वह उस व्यक्ति की जाड़े की जैकेट से भी गच्चा खा गई, जिसका रंग मेरी जैकेट जैसा ही था। लेकिन जब उसकी नीची नजर उस अलग रंग की स्कूटी पर पड़ी तो वह रुक गई।

बहरहाल, पत्नी को छेड़ने का एक अच्छा औजार मेरे हाथ लग गया है। जब–तब मैं इसी बहाने उसके साथ हंस लेता हूं। लेकिन फिर सोचता हूं कि यदि पत्नी बैठ जाती और वह व्यक्ति स्कूटी लेकर चल पड़ता तो नजारा क्या होता।

#लघुकथा #लम्हे

बेलगाम...     #कृत्रिम  #कृत्रिम__बुद्धिमत्ता
29/12/2024

बेलगाम...

#कृत्रिम #कृत्रिम__बुद्धिमत्ता

28/12/2024

क्रिकेट के पुष्पा का स्वागत नहीं करोगे?

मच गया रौला
हर फन मौला
बुझे सितारे
बस नीतीश ही धौला।

(रौला– हल्ला, हलचल
मौला– उस्ताद
धौला– उजला, धवल)

#नीतीश_रेड्डी

28/12/2024

संक्षेप में ग़ालिब...27 दिसंबर 1797

#ग़ालिब #मिर्ज़ाग़ालिब

निरर्थक...
27/12/2024

निरर्थक...

शनिवार 24 जनवरी 2009 की सुबह करीब पांच बजे। दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के प्रथम तल पर सातों दिन 2...
27/12/2024

शनिवार 24 जनवरी 2009 की सुबह करीब पांच बजे। दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के प्रथम तल पर सातों दिन 24 घंटे भारतीय प्रधानमंत्री के लिए रिजर्व रखा जाने वाला विशेष कक्ष। वैसे तो यह कक्ष ज्यादातर खाली ही रहता है, लेकिन आज खाली नहीं था। उसमें भारत के 13वें प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह भर्ती थे।

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प्रधानमंत्री को दिल के ऑपरेशन के लिए यहां भर्ती कराया गया था। इससे पहले, बुधवार, बृहस्पतिवार को हुई जांचों में उनकी तीन धमनियों में ब्लॉकेज पाया गया था और खून पतला करने की दवाइयां देकर घर भेज दिया गया था। शुक्रवार दोपहर को उन्हें भर्ती किया गया और आज शनिवार को ऑपरेशन होना था।

दिल के ऑपरेशन के लिए विख्यात विशेषज्ञ डॉ. रमाकांत पांडा ने उस विशेष कमरे में प्रवेश किया, जहां 76 वर्षीय प्रधानमंत्री लेटे थे। प्रधानमंत्री बिल्कुल शांत लग रहे थे। डॉक्टर पांडा ने पीएम से पूछा-
“कैसा महसूस कर रहे हैं पीएम सर? ऑपरेशन से पहले कोई घबराहट तो नहीं है?”
"नहीं डॉक्टर, मैं ठीक हूं। मुझे आप पर पूरा विश्वास है।”

पीएम के पास विश्वास की वाजिब वजह भी थी। उस समय दुनिया के हार्ट सर्जरी के सबसे अच्छे विशेषज्ञों में से एक और मुंबई स्थित एशिया हार्ट इंस्टीट्यूट के उपाध्यक्ष डॉ. रमाकांत पांडा उनका ऑपरेशन करने जा रहे थे। डॉ. पांडा 20 हजार से ज्यादा दिल के ऑपरेशन कर चुके थे और उनका सक्सेस रेट भी 98 से 99 प्रतिशत के बीच था। इनमें 20 प्रतिशत ऐसे मरीजों के ऑपरेशन भी शामिल थे, जिनके बारे में कहा गया था कि इनका ऑपरेशन नहीं हो सकता। इनमें 700 रीडू बाईपास सर्जरी भी थीं। रीडू यानी रिपीट बाईपास सर्जरी यानी दिल का दोबारा ऑपरेशन।

जी हां, डॉ. मनमोहन सिंह का यह दूसरा बाईपास ऑपरेशन था। इससे पहले 1990 में ब्रिटेन में उनकी बाईपास सर्जरी हुई थी। तब उनकी दो धमनियों में ब्लॉकेज था। पहले ऑपरेशन के 14 साल बाद 2004 में दिल्ली के एस्कॉर्ट अस्पताल में डॉ. सिंह की एंजियोप्लास्टी हुई और उनके दिल में स्टेंट भी डाले गए थे।

सुबह साढ़े पांच बजे डॉ. मनमोहन सिंह को दूसरी बाईपास सर्जरी के लिए ऑपरेशन कक्ष में ले जाया गया। साढ़े सात बजे ऑपरेशन शुरू हुआ। सात अन्य विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम डॉक्टर पांडा की मदद कर रही थी, जबकि 25 लोगों का तकनीकी स्टाफ अलग से था। इस जटिल ऑपरेशन में करीब 14 घंटे का वक्त लगा। इस एक ऑपरेशन में डॉ. पांडा ने प्रधानमंत्री के दिल में पांच बाईपास किए। इनमें तीन ग्राफ्टिंग तो वर्तमान ब्लॉकेज की थी, जबकि दो ग्राफ्टिंग तब की थीं जब 1990 में ब्रिटेन में डॉ. मनमोहन सिंह की पहली बाईपास सर्जरी हुई था।

2019 में ट्विटर पर एक हैशटैग वायरल हुआ जिसका नाम था- 10 ईयरचैलेंज। तब डॉक्टर मनमोहन सिंह को दूसरा ऑपरेशन कराए 10 साल हो चुके थे। तब डॉक्टर पांडा ने अपनी अच्छी देखभाल और फॉलोअप के लिए मनमोहन सिंह की प्रशंसा भी की थी।

बाईपास सर्जरी के बाद जीवन की प्रत्याशा 10 से 15 साल के बीच मानी जाती है। इस प्रकार 2009 के ऑपरेशन के बाद डॉ मनमोहन सिंह 15 साल जिए। लेकिन उनका पहला ऑपरेशन 1990 में हुआ था। इस हिसाब से उन्होंने बाईपास सर्जरी के बाद 34 साल का जीवन जिया और इसी दौरान वे दो बार प्रधानमंत्री भी बने और जीवन की अनेक उपलब्धियां भी हासिल कीं। इसके पीछे जहां उनके द्वारा सही परहेज करना और डॉक्टर की सलाह मानना रहा, वहीं उनका बड़े पद पर आसीन होना भी रहा, जिससे उन्हें देश में मौजूद सर्वश्रेष्ठ स्वास्थ्य सेवाएं मिलीं।

डॉक्टरों के अनुसार एक बार बाईपास सर्जरी होने के करीब आठ-दस साल बाद समस्या दोबारा उठ खड़ी होती है। ऐसे में दोबारा बाईपास सर्जरी करनी पड़ती है। हालांकि 2004 में डॉक्टरों ने एंडियोप्लास्टी का चयन किया था। लेकिन डॉ. सिंह डायबिटीज के भी मरीज थे। डायबिटीज के मरीज में स्टेंट जल्दी ब्लॉक हो जाते हैं, इसलिए 2009 में दोबारा ऑपरेशन की नौबत आ गई।

यहां बताते चलें कि डॉ. पांडा की ऑपरेशन प्रोफाइल में लालू प्रसाद यादव, असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई, डी राजा, अभिनेता दिलीप कुमार, तेलुगु अभिनेता ब्रह्मानंदम कन्नेगांती, राजीव शुक्ला जैसे तमाम राजनीतिज्ञों, वैश्विक नेताओं, उद्योगपतियों और अभिनेताओं के नाम दर्ज हैं। उनसे बात करने की फीस ही 10 हजार से ऊपर बताई जाती है।

दिल की समस्या के अतिरिक्त 2005 में मनमोहन सिंह की दाईं कलाई में कार्पल टनल सिंड्रोम नामक समस्या का भी ऑपरेशन किया गया। कार्पल टनल सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है जब कलाई से गुज़रते समय मीडियन तंत्रिका संकुचित या सिकुड़ जाती है। ऐसा तब होता है जब कलाई के अंदर कार्पल टनल में सूजन आ जाती है।

2007 में डॉ. मनमोहन सिंह का प्रोस्टेड ग्लैंड का ऑपरेशन भी एम्स में हुआ।
इसके अलावा 2008 में उनकी आंखों में कैटरेक्ट यानी मोतिबाबिंद का ऑपरेशन भी एम्स में किया गया।

इतना सब जानने के बाद टाइमलाइन पर भी एक नजर डालिए। 1990 में डॉ. सिंह की पहली बाईपास सर्जरी हुई और उसके बाद वे वित्त मंत्री के रूप में देश में हुए आर्थिक सुधारों के अगुआ बने। 2004 में उनकी एंजियोप्लास्टी हुई और उसके बाद वे देश के प्रधानमंत्री बने। 2009 में दोबारा सर्जरी हुई और वे फिर से देश के प्रधानमंत्री बने।

यहां यह भी लगता है कि डॉ. मनमोहन सिंह अपने ज्ञान और वफादारी के कारण तो प्रधानमंत्री के रूप में कांग्रेस आलाकमान की पहली पसंद थे ही, लेकिन कहीं न कहीं वह अपनी बीमारी के कारण भी आलाकमान और कई भ्रष्ट कांग्रेसियों के लिए मुफीद थे। वरना कोई कारण नहीं है कि जिस व्यक्ति की दूसरी बार बाईपास सर्जरी हुई हो, उसे दूसरी बार प्रधानमंत्री का पद सौंपा जाए, जबकि कई अन्य योग्य उम्मीदवार कांग्रेस के पास थे।

आखिर डॉ. मनमोहन सिंह अपने गंभीर स्वास्थ्य की देखभाल के साथ दूसरी अहम जिम्मेदारियों को किस हद तक निभा सकते थे। इसीलिए उस कालखंड में मंत्रियों को खुलकर खेलने का अवसर मिला। भ्रष्टाचार के अनेक मामले सामने आए। इसीलिए उस कालखंड में पहली बार देश ने प्रधानमंत्री के ऊपर एक सलाहकार परिषद देखी जो सभी अहम फैसले लेती थी। हो सकता है कि कांग्रेस आलाकमान को इसमें अपना फायदा दिखा हो, लेकिन लंबी अवधि में उसे इसका नुकसान ही हुआ।

वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक समय मनमोहन सिंह के ऊपर ‘रेनकोट’ वाला व्यंग्य कसा था। मुझे लगता है कि संभवतः मनमोहन सिंह का रेनकोट उनकी यह गंभीर बीमारी ही थी, जिसकी वजह से वह अपने अधीनस्थों की उस तरह से निगरानी नहीं कर सके, जैसी एक स्वस्थ प्रधानमंत्री कर सकता था।

बहरहाल, डॉ. मनमोहन सिंह के विरोधी भी मानते हैं कि वह एक बेहद काबिल, ज्ञानी और सज्जन व्यक्ति थे। उन्होंने पिछले 50-55 वर्षों में विभिन्न पदों पर रहते हुए देश की अनेक प्रकार से सेवा की। भारत की विकास यात्रा के ज्यादातर मोड़ों पर डॉ. मनमोहन सिंह मौजूद हैं।

डॉ. मनमोहन सिंह को सादर नमन।

(चित्र में डॉ. मनमोहन सिंह, डॉ. रमाकांत पांडा के साथ। साथ में मनमोहन सिंह की पत्नी भी हैं।)

#मनमोहनसिंह #पूर्वप्रधानमंत्री #मनमोहन #एम्स

*** दिल लुमिनाटी ***// कानों में पड़े...नए/रोचक...शब्द/वाक्यांश //यह पंजाबी गायक दिलजीत दोसांझ के विवादास्पद कॉन्सर्ट टू...
26/12/2024

*** दिल लुमिनाटी ***

// कानों में पड़े...नए/रोचक...शब्द/वाक्यांश //

यह पंजाबी गायक दिलजीत दोसांझ के विवादास्पद कॉन्सर्ट टूर का नाम है जो दिल्ली से शुरू होकर और कई शहरों से गुजरकर 29 दिसंबर को लुधियाना में खत्म हो रहा है।

दिल तो हम सब जानते हैं लेकिन ये लुमिनाटी क्या है?

बताया जाता है कि यह शब्द इल्यूमिनाटी से (Illuminati) लिया गया है। इल्यूमिनाटी का शाब्दिक अर्थ तो 'प्रबुद्ध' होता है या प्रबुद्ध होने का दावा करने वाले व्‍यक्ति। वे व्‍यक्ति जो विशिष्‍ट ज्ञान रखने का दावा रखते हैं।

दरअसल 1776 में यूरोप के प्रोफेसर एडम वाइसहाप्ट और उनके चार छात्रों ने एक खुफिया संगठन बनाने की शुरुआत की जिसका नाम उन्होंने इल्यूमिनाटी रखा। एक इल्यूमिनाटी तस्वीर भी सामने आई जिसमें एक पिरामिड के ऊपर एक आंख बनी होती है। कुछ समय बाद इस संगठन के कई ठिकानों पर छापे पड़े जिसमें सरकार ने पाया कि असल में इल्यूमिनाटी विश्व पर नियंत्रण पाना चाहता था, जिसके बाद इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया और वाइसहाप्ट को देश से निकाल दिया गया।

कई लोगों का मानना है कि इल्यूमिनाटी एक सीक्रेट कम्यूनिटी है जिसके सदस्य अपनी हर ख्वाहिश पूरी कर सकते हैं। अक्सर कई स्टार्स की सफलता पर ये बोला जाता है कि वे इल्यूमिनाटी के सदस्य हैं इसीलिए इतने प्रसिद्ध हैं।

18वीं शताब्दी में अमेरिका में इल्यूमिनाटी का जिक्र राष्ट्रपति जॉर्ज वॉशिंगटन ने एक चिट्ठी में किया। अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति थॉमस जेफरसन पर इल्यूमिनाटी कम्यूनिटी का सदस्य होने का आरोप लगा। माना जाता है कि इल्यूमिनाटी आज भी अस्तित्व में हैं और गुप्त रूप से काम करते हैं। जो भी इसका सदस्य बनता है उसे ये लोग हर तरह से जिताने की कोशिश करते हैं।

कहा गया कि अमेरिकी राष्ट्रपति केनेडी की हत्या और देशों के बीच युद्ध करवाने और सरकारे गिरवाने में भी इस कम्यूनिटी का हाथ रहा है। कई लोगों का मानना है कि अमेरिकी अभिनेत्री एंजेलिना जोली इल्यूमिनाटी की सदस्य हैं। उनकी 'टॉम्ब रेडर' की कहानी इस पर आधारित थी। हॉलीवुड पॉपस्टार बेयोंसे को भी अपने कॉन्सर्ट के दौरान अक्सर अपने हाथ से एक खास त्रिकोण बनाते देखा जाता है जिसे इल्यूमिनाटी से जोड़ा जाता है। गायिका रिहाना भी ऐसा ही गैस्चर बनाती हैं। बिग बॉस का लोगो भी इल्यूमिनाटी जैसा लगता है।

दिलजीत का नाम भी इस कम्यूनिटी से जोड़ा जाता है। दिलजीत की ऐसी कई वीडियो हैं जिनमें वह अपने हाथ से त्रिकोण का साइन बनाते नजर आए हैं। हालांकि वे उसे क्राउन चक्र बताते हैं इल्यूमिनाटी नहीं। लेकिन अब दिलजीत ने अपने कॉन्सर्ट का नाम ही इल्यूमिनाटी से जोड़कर रख दिया। यह उनका पब्लिसिटी स्टंट भी कहा जा रहा है।

#दिलजीत #दिलजीत_दोसांझ #म्यूजिक #संगीत #शब्द

मकरंद और झक्कड़ सिंह नाम से कविताएं लिखते थे मालवीय...........आज यानी 25 दिसंबर को भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी, नेता,...
25/12/2024

मकरंद और झक्कड़ सिंह नाम से कविताएं लिखते थे मालवीय
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आज यानी 25 दिसंबर को भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी, नेता, पत्रकार, शिक्षाविद, हिंदी सेवक और समाजसेवी पंडित मदन मोहन मालवीय की जयंती है।

उनकी जीवनी (25 दिसंबर 1861–12 नवंबर 1946) पढ़ते हुए एक बात पर तुरंत ध्यान जाता है कि मालवीय चार बार कांग्रेस के अध्यक्ष रहे मगर आज वे कांग्रेस के बजाय बीजेपी की धरोहर ज्यादा नजर आते हैं।

खैर, राजनीति को अलग रखते हैं। मालवीय जी के जीवन की जो बातें मेरा ध्यान खींचती हैं, उनमें प्रमुख इस प्रकार हैं–

• मालवीय जी, स्कूली जीवन में मकरंद और झक्कड़ सिंह के नाम से कविताएं लिखते थे।

• उन्हें व्यायाम का बहुत शौक था। वे 60 वर्ष की उम्र तक नियम बनाकर व्यायाम करते रहे।

• वे सितार वादन में भी सिद्धहस्त थे और सितार वादन सिखाते भी थे।

• हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत के वक्ता के रूप में उन्होंने बहुत प्रसिद्धि पाई। कहा जाता है कि उनके जैसी भाषण कला उस दौर में कुछ ही लोगों के पास थी।

• बड़ी कौंसिल में रौलट एक्ट के विरोध में उन्होंने निरन्तर साढ़े चार घंटे और अपराध निर्मोचन बिल पर 5 घंटे भाषण दिया था।

• भाषण कला का बीज बचपन में ही पड़ गया था। लिखा गया है कि 7 वर्ष के मदन मोहन को धर्मज्ञानोपदेश पाठशाला के देवकीनन्दन मालवीय माघ मेले में ले जाकर मूढ़े पर खड़ा करके व्याख्यान दिलवाते थे।

• उन्होंने म्योर सेंट्रल कॉलेज से, जो आजकल इलाहाबाद विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है, दसवीं की। कलकत्ता विश्वविद्यालय से उन्होंने बी०ए० की उपाधि प्राप्त की।

• मालवीय जी ने 1887 से 1905 तक समाचार पत्र हिन्दुस्तान और इंडियन ओपिनियन का संपादन किया। 1907 में साप्ताहिक अभ्युदय निकाला और कुछ समय तक उसे भी संपादित किया। 1909 में दैनिक 'लीडर' निकाला। 1924 में दिल्ली में हिन्दुस्तान टाइम्स को सुव्यवस्थित किया। इसके बाद लाहौर से विश्वबन्द्य प्रकाशित करवाया।

• मालवीयजी ने 1998 में पश्चिमोत्तर प्रदेश व अवध के गवर्नर सर एंटोनी मैकडोनेल के सम्मुख विविध प्रमाण प्रस्तुत करके देवनागरी लिपि और हिन्दी भाषा को कचहरियों में प्रवेश दिलाया।

• 1910 में काशी में हिन्दी साहित्य सम्मेलन के प्रथम अधिवेशन के अध्यक्षीय अभिभाषण में हिन्दी के स्वरूप निरूपण में उन्होंने कहा कि "उसे फारसी-अरबी के बड़े बड़े शब्दों से लादना जैसे बुरा है, वैसे ही अकारण संस्कृत शब्दों से गूँथना भी अच्छा नहीं...एक दिन यही भाषा राष्ट्रभाषा होगी।"

• कांग्रेस में नरम और गरम दलों के बीच की कड़ी मालवीयजी ही थे। वे हिन्दू–मुसलमानों और विभिन्न मतों में सामंजस्य स्थापित करने में भी प्रयत्नशील रहे। एनी बेसेंट ने कहा था कि "मैं दावे के साथ कह सकती हूँ कि विभिन्न मतों के बीच, केवल मालवीयजी भारतीय एकता की मूर्ति बने खड़े हुए हैं।"

• असहयोग आंदोलन के विभिन्न कार्यक्रमों में एक था शिक्षा संस्थाओं के बहिष्कार का कार्यक्रम। इसका मालवीयजी ने खुलकर विरोध किया।

• 1922 के चौरी चौरा कांड के बाद जब आंदोलन वापस ले लिया गया और गांधी जी भी जेल भेज दिये गये तो भरी गर्मी में 61 वर्ष के मालवीय ने पेशावर से डिब्रूगढ़ तक तूफानी दौरा करके राष्ट्रीय चेतना को जीवित रखा।

• मालवीय ने ही कांग्रेस के सभापति के रूप में सुझाया था कि 'सत्यमेव जयते' को भारत का राष्ट्रीय उद्घोष वाक्य स्वीकार किया जाय।

• उन्होंने हरिद्वार में हर की पौड़ी पर गंगा आरती का आयोजन किया जो आज तक चल रहा है।

• हिंदू महासभा के नेता के रूप में वे सनातन धर्म और संस्कृति के रक्षक बनकर भी उभरे।

• ऋषिकुल हरिद्वार, गोरक्षा और आयुर्वेद सम्मेलन तथा सेवा समिति, ब्वॉय स्काउट तथा अन्य कई संस्थाओं को स्थापित अथवा प्रोत्साहित करने का श्रेय उन्हें जाता है।

• उनके द्वारा स्थापित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय उनका अक्षय-र्कीति-स्तम्भ है।

• मालवीय इसलिए मालवीय कहलाए क्योंकि उनके पूर्वज मध्य भारत के मालवा से प्रयाग में आकर बस गए थे।

• 'सिर जाय तो जाय प्रभु! मेरो धर्म न जाय' मालवीयजी का जीवन व्रत था
जिससे उनका निजी और सार्वजनिक जीवन समान रूप से प्रभावित था।

#महामना #मदनमोहन #मालवीय

// कानों में पड़े....नए/रोचक....शब्द/वाक्यांश //*** पॉलिटिकल इस्लाम ***बहुत से लोगों को आश्चर्य होता है कि भारत के प्रधा...
25/12/2024

// कानों में पड़े....नए/रोचक....शब्द/वाक्यांश //

*** पॉलिटिकल इस्लाम ***

बहुत से लोगों को आश्चर्य होता है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिंदुत्व की छवि के साथ खाड़ी देशों के साथ संबंध मजबूत करने में कैसे कामयाब रहे हैं। वे आश्चर्य करते हैं कि कैसे खाड़ी के देश एक के बाद एक मोदी को अपने देश का सर्वोच्च सम्मान दे रहे हैं।

मोदी की इस सफलता के पीछे निश्चित ही कई कारक काम कर रहे होंगे। लेकिन इस संबंध में थिंक टैंक ‘कार्नेगी एंडाउमेंट’ ने 2019 में अपनी एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें ‘पॉलिटिकल इस्लाम’ शब्द का प्रयोग किया गया। नरेंद्र मोदी की हालिया बेहद सफल कुवैत यात्रा के बाद यह शब्द फिर से पढ़ने को मिला है।

‘कार्नेगी एंडाउमेंट’ की रिपोर्ट में कहा गया कि शुरुआत में ऐसा लगा था कि नरेंद्र मोदी की राजनीतिक पृष्ठभूमि अरब प्रायद्वीप से संबंधों को आगे बढ़ाने में आड़े आएगी। लेकिन पॉलिटिकल इस्लाम के समाधान में मोदी का सुरक्षा से जुड़ा दृष्टिकोण ज्यादातर अरब शासकों के विचारों से मेल खाता है। पॉलिटिकल इस्लाम को लेकर अरब के राजशाही वाले देश भी सख्त रहते हैं और मोदी भी सुरक्षा के मामले में इसे लेकर सख्ती बरतने को कहते हैं। इसके अतिरिक्त मोदी की व्यावहारिक राजनीति वाला माइंटसेट और एक मजबूत नेता वाली शैली सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात, दोनों के प्रिंस पसंद करते हैं।

तो ये पॉलिटिकल इस्लाम क्या है?

पॉलिटिकल या राजनीतिक इस्लाम एक आधुनिक परिघटना है जो राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने के लिए धर्म का उपयोग करना चाहती है। औपनिवेशिक युग की शुरुआत और मुस्लिम देशों पर पश्चिम के स्थायी वर्चस्व की शुरुआत से ही कई मुस्लिम बुद्धिजीवी और विद्वान मुस्लिम साम्राज्य, मुस्लिम शक्ति और मुस्लिम गौरव के नुकसान पर विलाप करते रहे हैं। मुस्लिम मानस में मुस्लिम शक्ति के पतन का मुख्य क्षण तब था जब 1924 में ओटोमन साम्राज्य गायब हो गया और एक संस्था के रूप में इस्लामिक खिलाफत को समाप्त कर दिया गया। तब से कई इस्लामी आंदोलन मुस्लिम उम्माह को पुनर्जीवित करने, मुस्लिम समाजों में सुधार करने और उन्हें उनके पिछले गौरव को बहाल करने के स्पष्ट लक्ष्य के साथ उभरे हैं।

कुछ बुद्धिजीवियों ने तर्क दिया कि मुसलमानों ने अपना जादू इसलिए खो दिया है क्योंकि उन्होंने शरिया, इस्लाम के प्रकट ईश्वरीय कानून का मार्ग छोड़ दिया है । वे परिकल्पना करते हैं कि यदि मुसलमान सच्चे शरिया को लागू करते हैं , तो वे एक बार फिर अपने मुस्लिम पूर्वजों की तरह गौरवशाली होंगे। उनका मानना है कि समाज को व्यवस्थित करने का सबसे अच्छा तरीका दिव्य शरिया के अनुसार है क्योंकि मुसलमान सफलता के इस ईश्वरीय रूप से निर्धारित मार्ग से हट गए हैं, इसलिए उनका पतन हो गया।

यह उन आंदोलनों के पीछे का मूल आधार है, जिन्हें मोटे तौर पर राजनीतिक इस्लाम के शीर्षक के तहत परिभाषित किया गया है, जैसे दक्षिण एशिया में जमात-ए-इस्लामी और अरब दुनिया में मुस्लिम ब्रदरहुड यानी अल-इखवान अल-मुस्लिमीन । पॉलिटिकल इस्लाम के उदाहरण के तौर पर फिलिस्तीन में हमास या पाकिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान जैसे गुट इस्लामी राज्य की स्थापना करना चाहते हैं। इखान अल-मुस्लिमीन , मुस्लिम ब्रदरहुड जैसे संगठनों का अंतिम लक्ष्य एक अरब इस्लामी राज्य की स्थापना करना है।

(चित्र में कुवैत का सर्वोच्च सम्मान ग्रहण करते नरेंद्र मोदी)

#नरेंद्रमोदी #इंडिया #इस्लाम

// कानों में पड़े... नए/रोचक ...शब्द/वाक्यांश//नोट वर्बलपढ़कर ऐसा लगता है जैसे किसी ने किसी को मौखिक कुछ नोट कराया हो। ल...
24/12/2024

// कानों में पड़े... नए/रोचक ...शब्द/वाक्यांश//

नोट वर्बल

पढ़कर ऐसा लगता है जैसे किसी ने किसी को मौखिक कुछ नोट कराया हो। लेकिन वास्तव में ये लिखित है।
नोट वर्बल एक ऐसा राजनयिक पत्र होता है, जिस पर किसी व्यक्ति के हस्ताक्षर नहीं होते हैं। बांग्लादेश ने भारत को ऐसा ही नोट वर्बल सौंपा है, जिसमें शेख हसीना को बांग्लादेश वापस भेजने की बात कही गई है।

फरारी काटी

पढ़कर ऐसा लगता है जैसे मेरठ के सोतीगंज के किसी कबाड़ी ने चोरी हुई फरारी कार काट डाली हो। लेकिन बात कुछ और है। अपराध की खबरों में अक्सर इस शब्दावली का प्रयोग होता है। कॉमेडियन सुनील पाल और अभिनेता मुश्ताक खान के अपहरणकर्ता लवी पाल की गिरफ्तारी की खबर में लिखा गया कि उसने कहां–कहां फरारी काटी यानी पुलिस से बचने के दौरान या फरार होने के बाद वह कहां–कहां रहा।

#शब्द #भाषा #शेखहसीना #बांग्लादेश #अपराध

और कोई चारा नहीं...   #भारतीय  #भारत  #इंडिया          #हिंदुस्तान    #मुस्लिम      #मंदिर  #मस्जिद
21/12/2024

और कोई चारा नहीं...

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