Work from home ( only females)
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Third Chapter of Shreemad Bhagvat Geeta in Hindi,
दूसरे अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण ने श्लोक 11 से श्लोक 30 तक आत्मतत्त्व समझाकर सांख्ययोग का प्रतिपादन किया | बाद में श्लोक 31 से श्लोक 53 तक समस्त बुद्धिरूप कर्मयोग के द्वारा परमेश्वर को पाये हुए स्थितप्रज्ञ सिद्ध पुरुष के लक्षण, आचरण और महत्व का प्रतिपादन किया | इसमें कर्मयोग की महिमा बताते हुए भगवान ने 47 तथा 48वें श्लोक में कर्मयोग का स्वरूप बताकर अर्जुन को कर्म करने को कहा | 49वें श्लोक में समत्व बुद्धिरूप कर्मयोग की अपेक्षा सकाम कर्म का स्थान बहुत नीचा बताया | 50वें श्लोक में समत्व बुद्धियुक्त पुरुष की प्रशंसा करके अर्जुन को कर्मयोग में जुड़ जाने के लिए कहा और 51 वे श्लोक में बताया कि समत्व बुद्धियुक्त ज्ञानी पुरुष को परम पद की प्राप्ति होती है
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