21/07/2021
आज पूरे दिन सोचता रहा । अगर हरिशंकर परसाई आज होते तो इस बात पर क्या प्रतिक्रिया देते कि कोविड के दूसरे लहर में किसी भी व्यक्ति की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई। वो चीखते लोग नौटंकी कर रहे थे ? हजारों लोगों ने शौक के लिए अपनी जान दे दी ? गंगा में तैरती लाशें प्रतीकात्मक थीं ? इन सभी सवालों का जवाब मैं नहीं दूंगा , आपको पता है। आंकड़ों के खेल में अगर मौत का सही कारण भी नहीं पता चले , लानत है ऐसे ' सिस्टम ' पर ।
किसे दोष दूं ? इस हमाम में सब नंगे हैं । भाजपा के प्रवक्ता विपक्ष को दोष देंगे और विपक्ष केंद्र सरकार को इसका कसूरवार ठहराएगी ।
इतना नीचे कोई कैसे गिर सकता है ? कैमरा के सामने हमने मरीज के परिजनों को बिलखते देखा है । देखा है मरीजों को दम तोड़ते हुए वो भी ऑक्सीजन की कमी से । लखनऊ, दिल्ली, पटना या मुंबई किस शहर से आपने ऐसी खबरें नहीं देखी थीं ?
फिर राज्य सरकारों को यह हक़ किसने दिया कि अपनी नाकामी छिपाने के लिए उन्होंने झूठे आंकड़े भेज दिए ?? रही बात ' मजबूत ' केंद्र सरकार की तो जो आंकड़े उन्हें मिले उन्होंने ज्यों के त्यों दिखा दिए । काम से कम प्रधानमंत्री में इतनी संवेदनशीलता होनी चाहिए कि वो आकर सामने कहें कि ये आंकड़े फर्जी हैं और हम आपको सही आंकड़े देंगे । गलत जगह से उम्मीद कर ली।