10/06/2023
ीर_क्षत्रियों_की_गाथाएं_मिहिरभोज_राजा_🕉️
मैं झुक नहीं सकता मैं शौर्य का अखंड भाग हूँ जला दे जो दुश्मन की रूह तक मैं वही राजपूत की औलाद हूँ।
हिंदू राजपूत शौर्य और बहादुरी से जुड़े क्षत्रिय सम्राट मिहिरभोज प्रतिहार के रोचक पहलू जो उन्हे महान बनाते है
हिंदू राजपूत शौर्य और बहादुरी से जुड़े क्षत्रिय सम्राट मिहिरभोज प्रतिहार के रोचक पहलू जो उन्हे महान बनाते है
काव्यों एवं इतिहास मे इन विशेषणो से वर्णित किया।
क्षत्रिय सम्राट,भोजदेव, भोजराज, वाराहवतार, परम भट्टारक, महाराजाधिराज, परमेश्वर , प्रभास, महानतम भोज, मिहिर महान।
ासनकाल______
सम्राट मिहिरभोज प्रतिहार ने 18 अक्टूबर 836 ईस्वीं से 885 ईस्वीं तक 50 साल तक राज किया मिहिर भोज के साम्राज्य का विस्तार आज के मुलतान से पश्चिम बंगाल तक और कश्मीर से कर्नाटक तक था।
्रतिहार_साम्राज्य_______
प्रतिहार साम्राज्य ने अपने शुरूआती शासनकाल मे ही पूरी दूनिया को अपनी ताकत से हिला दिया था इनके साम्राज्य का क्षेत्रफल लगभग 20 लाख किलोमीटर स्क्वायर माइल्स था इनका शासनकाल 6ठी शताब्दी से 10वी शताब्दी तक रहा प्रतिहारों ने अरबों से 300 वर्ष तक लगभग 200 से ज्यादा युद्ध किये जिसका परिणाम है कि हम आज यहां सुरक्षित है प्रतिहारों ने अपने वीरता, शौर्य , कला का प्रदर्शन कर सभी को आश्चर्यचकित किया है भारत देश हमेशा ही प्रतिहारो का रिणी रहेगा उनके अदभुत शौर्य और पराक्रम का जो उनहोंने अपनी मातृभूमि के लिए न्यौछावर किया है जिसे सभी विद्वानों ने भी माना है प्रतिहार साम्राज्य ने दस्युओं, डकैतों, अरबों, हूणों, कुषाणों, खजरों, इराकी,मंगोलो,तुर्कों, से देश को बचाए रखा और देश की स्वतंत्रता पर आँच नहीं आई।
इनका राजशाही निशान वराह है ठीक उसी समय मुश्लिम धर्म का जन्म हुआ और इनके प्रतिरोध के कारण ही उन्हे हिंदुश्तान मे अपना राज कायम करने मे 300 साल लग गए प्रतिहार राजपूत ही भारतीय संस्कृति के रक्षक बने और इनके राजशाही निशान वराह #विष्णु का अवतार माना है प्रतिहार मुश्लमानो के कट्टर शत्रु थे इसलिए वो इनके राजशाही निशान वराह से आजतक नफरत करते है।
ासन_व्यवस्था______
सम्राट मिहिरभोज प्रतिहार वीरता शौर्य और पराक्रम के प्रतीक हैं उन्होंने विदेशी साम्राज्यो के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अपनी पूरी जिन्दगी अपनी मलेच्छो से पृथ्वी की रक्षा करने मे बिता दी सम्राट मिहिरभोज बलवान न्यायप्रिय और धर्म रक्षक सम्राट थे सिंहासन पर बैठते ही मिहिरभोज ने सर्वप्रथम कन्नौज राज्य की व्यवस्था को चुस्त-दुरूस्त किया प्रजा पर अत्याचार करने वाले सामंतों और रिश्वत खाने वाले कामचोर कर्मचारियों को कठोर रूप से दण्डित किया व्यापार और कृषि कार्य को इतनी सुविधाएं प्रदान की गई कि सारा साम्राज्य धनधान्य से लहलहा उठा मिहिरभोज ने प्रतिहार #राजपूत साम्राज्य को धन वैभव से चरमोत्कर्ष पर पहुंचाया अपने उत्कर्ष काल में उसे सम्राट मिहिरभोज प्रतिहार की उपाधि मिली थी अनेक काव्यों एवं इतिहास में उसे कई महान विशेषणों से वर्णित किया गया है।
ाह_उपाधी_______
सम्राट मिहिर भोज के महान के सिक्के पर वाराह भगवान जिन्हें कि भगवान विष्णु के अवतार के तौर पर जाना जाता है वाराह भगवान ने हिरण्याक्ष राक्षस को मारकर पृथ्वी को पाताल से निकालकर उसकी रक्षा की थी सम्राट मिहिरभोज प्रतिहार का नाम आदिवाराह भी है ऐसा होने के पीछे यह मुख्य कारण हैं।
जिस प्रकार वाराह (विष्णु जी) भगवान ने पृथ्वी की रक्षा की थी और हिरण्याक्ष का वध किया था ठीक उसी प्रकार मिहिरभोज ने मलेच्छों को मारकर अपनी मातृभूमि की रक्षा
की इसीलिए इनहे आदिवाराह की उपाधि दी गई है।
ासक____
सम्राट मिहिरभोज प्रतिहार शिव शक्ति के उपासक थे स्कंध पुराण के प्रभास खंड में भगवान #शिव के प्रभास क्षेत्र में स्थित शिवालयों व पीठों का उल्लेख है प्रतिहार साम्राज्य के काल में सोमनाथ को भारतवर्ष के प्रमुख तीर्थ स्थानों में माना जाता था प्रभास क्षेत्र की प्रतिष्ठा काशी विश्वनाथ के समान थी स्कंध पुराण के प्रभास खंड में सम्राट मिहिरभोज प्रतिहार के जीवन के बारे में विवरण मिलता है मिहिरभोज के संबंध में कहा जाता है कि वे सोमनाथ के परम भक्त थे उनका विवाह भी सौराष्ट्र में ही हुआ था उन्होंने मलेच्छों से पृथ्वी की रक्षा की 50 वर्ष तक राज करने के पश्चात वे अपने बेटे महेंद्रपाल प्रतिहार को राज सिंहासन सौंपकर सन्यासवृति के लिए वन में चले गए थे सम्राट मिहिरभोज का सिक्का जो कन्नौज की मुद्रा था उसको सम्राट मिहिरभोज ने 836 ईस्वीं में कन्नौज को देश की राजधानी बनाने पर चलाया था।
्यवस्था________
सम्राट मिहिरभोज प्रतिहार महान के सिक्के पर वाराह भगवान जिन्हें कि भगवान विष्णु के अवतार के तौर पर जाना जाता है इनके पूर्वज सम्राट नागभट्ट प्रथम ने स्थाई सेना संगठित कर उसको नगद वेतन देने की जो प्रथा चलाई वह इस समय में और भी पक्की हो गई और प्रतिहार साम्राज्य की महान सेना खड़ी हो गई यह भारतीय इतिहास का पहला उदाहरण है जब किसी सेना को नगद वेतन दिया जाता हो।
मिहिर भोज के पास ऊंटों हाथियों और घुडसवारों की दूनिया कि सर्वश्रेष्ठ सेना थी इनके राज्य में व्यापार सोना चांदी के सिक्कों से होता है यइनके राज्य में सोने और चांदी की खाने भी थी भोज ने सर्वप्रथम कन्नौज राज्य की व्यवस्था को चुस्त-दुरूस्त किया प्रजा पर अत्याचार करने वाले सामंतों और रिश्वत खाने वाले कामचोर कर्मचारियों को कठोर रूप से दण्डित किया व्यापार और कृषि कार्य को इतनी सुविधाएं प्रदान की गई कि सारा साम्राज्य धनधान्य से लहलहा उठा मिहिरभोज ने प्रतिहार साम्राज्य को धन वैभव से चरमोत्कर्ष पर पहुंचाया।
िश्व_की_सुगठित_और_विशालतम_सेन____
मिहिरभोज प्रतिहार की सैना में 4,00,000 से ज्यादा पैदल करीब 30,000 घुडसवार हजारों हाथी और हजारों रथ थे मिहिरभोज के राज्य में सोना और चांदी सड़कों पर विखरा था-किन्तु चोरी-डकैती का भय किसी को नहीं था जरा हर्षवर्धन बैस के राज्यकाल से तुलना करिए हर्षवर्धन के राज्य में लोग घरों में ताले नहीं लगाते थे पर मिहिरभोज के राज्य में खुली जगहों में भी चोरी की आशंका नहीं रहती थी।
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मिहिरभोज प्रतिहार बचपन से ही वीर बहादुर माने जाते थे
एक बालक होने के बावजूद देश के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी को महसूस करते हुए उन्होंने युद्धकला और शस्त्रविधा में कठिन प्रशिक्षण लिया राजकुमारों में सबसे प्रतापी प्रतिभाशाली और मजबूत होने के कारण पूरा राजवंश और विदेशी आक्रमणो के समय देश के अन्य राजवंश भी उनसे बहुत उम्मीद रखते थे और देश के बाकी वंशवह उस भरोसे पर खरे उतरने वाले थे।
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मिहिरभोज प्रतिहार राजपूत साम्राज्य के सबसे प्रतापी सम्राट हुए उनके राजगद्दी पर बैठते ही जैसे देश की हवा ही बदल गई मिहिरभोज की वीरता के किस्से पूरी दूनीया मे मशूहर हुए विदेशी आक्रमणो के समय भी लोग अपने काम मे निडर लगे रहते है गद्दी पर बैठते ही उन्होने देश के लुटेरे शोषण करने वाले गरीबो को सताने वालो का चुन चुनकर सफाया कर दिया। उनके समय मे खुले घरो मे भी चोरी नही होती थी।
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अरब यात्री सुलेमान – पुस्तक सिलसिलीउत तुआरीख 851 ईस्वीं :
जब वह भारत भ्रमण पर आया था सुलेमान सम्राट मिहिरभोज के बारे में लिखता है कि इस सम्राट की बड़ी भारी सेना है उसके समान किसी राजा के पास उतनी बड़ी सेना नहीं है सुलेमान ने यह भी लिखा है कि भारत में सम्राट मिहिरभोज से बड़ा इस्लाम का कोई शत्रु नहीं था मिहिरभोज के पास ऊंटों हाथियों और घुडसवारों की सर्वश्रेष्ठ सेना है इसके राज्य में व्यापार सोना चांदी के सिक्कों से होता है ये भी कहा जाता है कि उसके राज्य में सोने और चांदी की खाने भी थी।
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वह कहता है कि (जुज्र) प्रतिहार साम्राज्य में 90,000 गांव नगर तथा ग्रामीण क्षेत्र थे तथा यह दो हजार किलोमीटर लंबा और दो हजार किलोमीटर चौड़ा था राजा की सेना के चार अंग थे और प्रत्येक में सात लाख से नौ लाख सैनिक थे उत्तर की सेना लेकर वह मुलतान के बादशाह और दूसरे मुसलमानों के विरूद्घ युद्घ लड़ता है उसकी घुड़सवार सेना देश भर में प्रसिद्घ थी।जिस समय अल मसूदी भारत आया था उस समय मिहिरभोज तो स्वर्ग सिधार चुके थे परंतु प्रतिहार शक्ति के विषय में अल मसूदी का उपरोक्त विवरण मिहिरभोज के प्रताप से खड़े साम्राज्य की ओर संकेत करते हुए अंतत: स्वतंत्रता संघर्ष के इसी स्मारक पर फूल चढ़ाता सा प्रतीत होता है समकालीन अरब यात्री सुलेमान ने सम्राट मिहिरभोज को भारत में इस्लाम का सबसे बड़ा दुश्मन करार दिया था क्योंकि प्रतिहार राजपूत राजाओं ने 11 वीं सदी तक इस्लाम को भारत में घुसने नहीं दिया था। मिहिरभोज के पौत्र महिपाल को आर्यवर्त का महान सम्राट कहा जाता था।
्रतिहार_शैली_कला_____
भारत मे कोई ऐसा स्थान नही बचा जहां प्रतिहारो ने अपनी तलवार और निर्माण कला का जौहर ना दिखाया हो प्रतिहारो ने सैकडो मंदिर व किले के निर्माण किए थे जिसमे शास्त्रबहु मंदिर, बटेश्वर मंदिर, मण्डौर किला, जालौर किला, ग्वालियर किला, कुचामल किला, पडावली मंदिर, मिहिर बावडी, चौसठ योगिनी मंदिर आदि इनके अलावा सैकडो इलाके व ठिकाने है जहाँ प्रतिहारो ने अपनी कला का प्रदर्शन किया ।
्ष्मणवंशी_प्रतिहार_राजपूतों_का_परिचय__
वर्ण – क्षत्रिय
राजवंश – प्रतिहार वंश
वंश – सूर्यवंशी
गोत्र – कौशिक
वेद – यजुर्वेद
उपवेद – धनुर्वेद
गुरु – वशिष्ठ
कुलदेव – विष्णु भगवान
कुलदेवी – चामुण्डा देवी, गाजन माता
नदी – सरस्वती
तीर्थ – पुष्कर राज ( राजस्थान )
मंत्र – गायत्री
झंडा – केसरिया
निशान – लाल सूर्य
पशु – वाराह
नगाड़ा – रणजीत
अश्व – सरजीव
पूजन – खंड पूजन दशहरा
आदि गद्दी – माण्डव्य पुरम ( मण्डौर )
ज्येष्ठ गद्दी – बरमै राज्य नागौद
भारत मे प्रतिहार/परिहार राजपूतों की रियासत जो 1950 तक काबिज रही :-
नागौद रियासत – मध्यप्रदेश
अलीपुरा रियासत – मध्यप्रदेश
खनेती रियासत – हिमांचल प्रदेश
कुमारसैन रियासत – हिमांचल प्रदेश
मियागम स्टेट – गुजरात
उमेटा रियासत – गुजरात
एकलबारा रियासत – गुजरात
मुजपुर रियासत – गुजरात
्रतिहार_परिहार_वंश_की_वर्तमान_स्थिति__
भले ही यह विशाल प्रतिहार राजपूत साम्राज्य 15 वीं शताब्दी के बाद में छोटे छोटे राज्यों में सिमट कर बिखर हो गया हो लेकिन इस वंश के वंशज राजपूत आज भी इसी साम्राज्य की परिधि में मिलते हैं।
आजादी के पहले भारत मे प्रतिहार राजपूतों के कई राज्य थे जहां आज भी ये अच्छी संख्या में है।
मण्डौर, राजस्थान
जालौर, राजस्थान
माउंट आबू, राजस्थान
पाली, राजस्थान
बेलासर, राजस्थान
चुरु , राजस्थान
कन्नौज, उतर प्रदेश
हमीरपुर उत्तर प्रदेश
प्रतापगढ, उत्तर प्रदेश
झगरपुर, उत्तर प्रदेश
उरई, उत्तर प्रदेश
जालौन, उत्तर प्रदेश
इटावा , उत्तर प्रदेश
कानपुर, उत्तर प्रदेश
उन्नाव, उतर प्रदेश
उज्जैन, मध्य प्रदेश
चंदेरी, मध्य प्रदेश
ग्वालियर, मध्य प्रदेश
जिगनी, मध्य प्रदेश
झांसी, मध्य प्रदेश
अलीपुरा, मध्य प्रदेश
नागौद, मध्य प्रदेश
उचेहरा, मध्य प्रदेश
दमोह, मध्य प्रदेश
सिंगोरगढ़, मध्य प्रदेश
एकलबारा, गुजरात
मियागाम, गुजरात
कर्जन, गुजरात
काठियावाड़, गुजरात
उमेटा, गुजरात
दुधरेज, गुजरात
खनेती, हिमाचल प्रदेश
कुमहारसेन, हिमाचल प्रदेश
जम्मू , जम्मू कश्मीर
मित्रों आइए अब जानते है प्रतिहार/परिहार वंश की शाखाओं के बारे में :-
भारत में परिहारों की 30 शाखा है जो अभी तक की जानकारी मे है जिसमे इन शाखाओं की भी कई उप शाखाएँ है जिससे आज प्रतिहार/परिहार वंश पूरे भारत वर्ष में फैल गये भारत मे प्रतिहार राजपूत लगभग 3 हजार गांवो से भी ज्यादा जगह में निवास करते है।
्रतिहार_परिहार_क्षत्रिय_राजपूत_वंश_की_शाखाएँ_
(1) डाभी प्रतिहार
(2) बडगुजर प्रतिहार (राघव)
(3) मडाड प्रतिहार और खडाड प्रतिहार
(4) इंदा प्रतिहार
(5) लल्लुरा / लूलावत प्रतिहार
(6) सूरा प्रतिहार
(7) रामेटा / रामावत प्रतिहार
(8) बुद्धखेलिया प्रतिहार
(9) खुखर प्रतिहार
(10) सोधया प्रतिहार
(11) चंद्र प्रतिहार
(13) माहप प्रतिहार
(14) धांधिल प्रतिहार
(15) सिंधुका प्रतिहार
(16) डोरणा प्रतिहार
(17) सुवराण प्रतिहार
(18) कलाहँस प्रतिहार
(19) देवल प्रतिहार
(20) खरल प्रतिहार
(21) चौनिया प्रतिहार
(22) झांगरा प्रतिहार
(23) बोथा प्रतिहार
(24) चोहिल प्रतिहार
(25) फलू प्रतिहार
(26) धांधिया प्रतिहार
(27) खखढ प्रतिहार
(28) सीधकां प्रतिहार
(29) कमाष / जेठवा प्रतिहार
(30) तखी प्रतिहार
ये सभी परिहार राजाओं अथवा परिहार ठाकुरों के नाम से बनी है आइए अब जानते है प्रतिहार वंश के महान योद्धा शासको के बारे में जिन्होंने अपनी मातृभूमि प्रजा व राज्य के लिए सदैव ही न्यौछावर थे।
्रतिहार_परिहार_वंश_के_महान_राजा_राजपूत__
(1) राजा हरिश्चंद्र प्रतिहार राजपूत
(2) राजा नागभट्ट प्रतिहार राजपूत
(3) राजा यशोवर्धन प्रतिहार राजपूत
(4) राजा वत्सराज प्रतिहार राजपूत
(5) राजा नागभट्ट द्वितीय राजपूत
(6) राजा मिहिरभोज प्रतिहार राजपूत
(7) राजा महेन्द्रपाल प्रतिहार राजपूत
(8) राजा महिपाल प्रतिहार राजपूत
(9) राजा विनायकपाल प्रतिहार राजपूत
(10) राजा महेन्द्रपाल द्वितीय राजपूत
(11) राजा विजयपाल प्रतिहार राजपूत
(12) राजा राज्यपाल प्रतिहार राजपूत
(13) राजा त्रिलोचनपाल प्रतिहार राजपूत
(14) राजा यशपाल प्रतिहार राजपूत
(15) राजा वीरराजदेव प्रतिहार (नागौद राज्य के संस्थापक ) राजपूत
मित्रों ऐसे महान हिंदू सम्राट मिहिरभोज प्रतिहार की जयंती आगामी 18 अक्टूबर को आ रही है आप सभी लोगो से अनुरोध है की इस महापुरुष की जयंती पूरे भारतवर्ष में जरुर मनाये अगर थोडा सा भी हिंदू राजपूतों पर गौरव होतो ज्यादा से ज्यादा इस पोस्ट को शेयर करें।
(पोस्ट लेखक --: रॉयल राजपूत अज्य ठाकुर गोत्र भारद्वाज पंजाब जिला पठानकोट गांव अंदोई)